प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुंबई में भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए बताया कि क्यों नई पीढ़ी को देश में 43 साल पहले लगाए गए आपातकाल के काले दौर के बारे में जानने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई यह समझने की गलती ना करे कि यह काला दिन कांग्रेस पार्टी या उस समय की सरकार की बस आलोचना करने के लिए है, बल्कि इसके जरिए हम देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी को जागरूक करना चाहते हैं। श्री मोदी ने कहा, ‘’आज की पीढ़ी में 20-22 साल के नौजवानों से यह पूछा जाए कि आपातकाल कैसा था तो ज्यादा को पता नहीं होगा, जिन्हें थोड़ा पता भी होगा उनके भीतर भी शायद वो बात नहीं होगी क्योंकि प्यासे को ही पता चलता है कि पानी नहीं है तो वो पल कैसा होता है। अभाव होता है तब अनुभव होता है।‘’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस काले दिवस का स्मरण करना इसलिए जरूरी है ताकि हम अपने संविधान और लोकतंत्र के प्रति स्वयं को सजग रख सकें। लोकतंत्र और संविधान के प्रति आस्था बनाए रखना, अपने-आपमें एक संस्कार है। देश ने कभी सोचा तक नहीं था कि लोकतंत्र और संविधान की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले लोग सत्ता सुख के मोह में, परिवार भक्ति के पागलपन में हिन्दुस्तान को जेलखाना बना देंगे और देश के गणमान्य नेताओं को सलाखों में बंद कर देंगे। तब हर व्यक्ति को यह भय रहता था कि कहीं ‘मीसा’ के नाम पर पुलिस उसे गिरफ्तार ना कर ले।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इमरजेंसी के लिए चतुराई यह अपनाई गई थी कि सब कुछ संविधान का दुरुपयोग करते हुए किया गया। एक परिवार के लिए कैसे संविधान का हथकंडे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, शायद ही ऐसा उदाहरण कहीं मिल सकता है। उन्होंने कहा कि इस देश में जब-जब कांग्रेस पार्टी और खासकर एक परिवार को अपनी कुर्सी जाने का संकट महसूस होता है वे चिल्लाना शुरू कर देते हैं कि देश संकट से गुजर रहा है, भय का माहौल है और सिर्फ वही लोग हैं जो स्थिति को संभाल सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस के साथ आजादी के आंदोलन में कांग्रेस ने इतनी बड़ी यात्रा की और दूसरी तरफ एक ऐसी मानसिकता सामने आई जिसने इमरजेंसी के नाम पर सत्ता सुख के लिए लोकतंत्र के टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी लगने के दिन ही ये संकेत मिल चुके थे कि इनके लिए परंपराएं, मूल्य, देश, लोकतंत्र, संविधान कुछ भी मायने नहीं रखता।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संविधान के प्रति समर्पित जिस ज्यूडिशियरी को भगवान की तरह देखा जाता है, तब सत्ता सुख के मोह में उसी ज्यूडिशियरी का डिवैल्यूएशन कर उसे भयभीत करने का काम किया गया था। इमरजेंसी में केवल उन लोगों की पांचों उंगलियां घी में थीं जो एक परिवार के सुख को समर्पित थे। श्री मोदी ने कहा कि ऐसे लोगों ने कभी सोचा भी नहीं था कि उस परिवार के लोगों पर भी भ्रष्टाचार के मामले में आरोप तय किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कसक उस परिवार के लोगों का पीछा नहीं छोड़ रही है कि न्यायतंत्र में उन्हें भी अब जमानत पर निकलना पड़ता है। यही वजह है कि आज भी वो टॉपमोस्ट ज्यूडिशियरी को डराने में लगे हैं, देश के सुप्रीम कोर्ट के टॉपमोस्ट जज पर इम्पीचमेंट लाने का काम करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दरअसल आज भी इनकी मानसिकता में कोई परिवर्तन नहीं आया है क्योंकि इन्हें सुधरने के बजाय आज भी उसी रास्ते पर चलना भाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक मतभेद के बावजूद जिस चुनाव आयोग का गौरवगान होता था, उस चुनाव आयोग पर भी ये परिवार जब ना तब इसलिए सवाल उठाता है क्योंकि कभी इसकी चार सौ सीटें होती थीं और अब चालीस सीटों पर सिमटने की स्थिति आ गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि इनकी मानसिकता ऐसी है जिसके चलते देश को अधिक चौकन्ना रहने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मीडिया के लोग जो आज उन्हें डराते हैं, उनका इमरजेंसी के दिनों में क्या हाल था, यह भी देश ने देखा है। रामनाथ गोयनका और कुलदीप नैयर जैसे बहुत कम लोग थे जिन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष का रास्ता चुना था। प्रधानमंत्री ने कहा कि जो पत्रकार तब सत्ता के आगे झुक गए थे उनकी वे आलोचना नहीं करते लेकिन यह जरूर महसूस करते हैं कि जुल्म की भयावहता कितनी रही होगी कि जिसके चलते उन्हें झुकना पड़ा होगा। प्रधानमंत्री ने यह भी याद दिलाया कि इमरजेंसी के दिनों में पार्श्व गायक किशोर कुमार के साथ किस तरह का सलूक किया गया था। किशोर कुमार ने कांग्रेस के निर्देश के अनुसार गाने से इनकार किया था तो देश के रेडियो पर से उनकी छुट्टी कर दी गई थी। इतना ही नहीं आपातकाल के लंबे समय बाद भी दूसरे कई और प्रकार के प्रतिबंध सामने आते रहे थे जो दरअसल कांग्रेस की मानसिकता को प्रतिबिंबित करने वाले थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपातकाल की मानसिकता वाले लोग ही कभी यह कहकर डर फैलाने में लगे रहते थे कि आरएसएस वाले, जनसंघ वाले मुसलमानों को मार देंगे, काट देंगे। आज वही लोग यह कहकर काल्पनिक भय पैदा करने में लगे हैं कि दलित संकट में हैं, यहां तक कि दो दोस्तों के बीच भी झगड़ा हो जाए तो ये उसे भी अपनी तरह से तूल देने में लग जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजकल ये लोग यह भी कहने में लगे हैं कि मोदी के रहते संविधान खत्म हो जाएगा लेकिन इतिहास गवाह है उनमें और हममें फर्क क्या है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार यह मानती है कि विविधताओं से भरे देश को चलाने के लिए संविधान ही आवश्यक है। यही वजह है जो उनकी सरकार की कोशिश है कि संविधान के प्रति समर्पण भाव और मजबूत होता जाए। संविधान दिवस पर चर्चा जैसे आयोजन भी इसी कोशिश का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई पीढ़ी में संविधान एक किताब भर नहीं, देश के भविष्य को विकसित करने के लिए एक सर्वोत्तम सहारा है जो बाबासाहेब अम्बेडकर ने दिया है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक दादा धर्माधिकारी द्वारा विनोबा भावे को लिखी एक चिट्ठी का हवाला हेते हुए कहा कि उससे पता चलता है कि आपातकाल से उन्हें कितनी पीड़ा हुई होगी। दादा धर्माधिकारी ने उस चिट्ठी में विनोबा भावे को लिखा था कि 15 अगस्त आ रहा है, क्या हम इस 15 अगस्त को आजादी की 29वीं जयंती मनाने जा रहे हैं या गुलामी की पहली सालगिरह मनाने जा रहे हैं या फिर आजादी की प्रथम पुण्यतिथि मनाने जा रहे हैं? श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस के लोगों को कभी अंदाजा नहीं था कि भारत के आम नागरिकों की रगों में लोकतंत्र का ऐसा प्रवाह है जिससे उन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। यह जनता-जनार्दन का ही दम था जो उसने लोकतंत्र को अपनी आकांक्षा और सामर्थ्य से पुनर्जीवित कर दिया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र की आस्था को मजबूत करने के लिए हमें 25-26 जून के इतिहास के इस काले पृष्ठ को भूलना नहीं चाहिए। लोकतंत्र के प्रति आस्था को बार-बार समरण करते हुए आखिरी छोर के व्यक्ति को बराबरी में लाना है और दलित, पीड़ित, शोषित और वंचित को उनका हक दिलाना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का संविधान सभी महिलाओं को बराबरी का हक देता है, इसलिए उनकी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं से होने वाले भेदभाव को दूर करने के लिए तीन तलाक की प्रथा को खत्म करने के लिए कदम उठाया। लेकिन ऐसी मानसिकता के भी लोग हैं जो अपने फायदे के लिए सोचते हैं कि मुसलमान बहन-बेटियां अन्याय झेलती रहें और उनकी गाड़ी चलते रहे।
Today's youth do not have an idea of what happened during Emergency.
— narendramodi_in (@narendramodi_in) June 26, 2018
They will not realise the how living without freedoms can be: PM
Whenever the family has feared losing its position, it keeps shouting that the Country is in crisis and there is an atmosphere of fear: PM @narendramodi
— narendramodi_in (@narendramodi_in) June 26, 2018
They never imagined that a charge of corruption could be framed against them in Court and they would have to take Bail. Hence, they are trying to scare the judiciary by bringing an impeachment motion. Their mentality now is the same as it was during Emergency: PM
— narendramodi_in (@narendramodi_in) June 26, 2018
The party which has no internal democracy cannot be expected to adhere to the ideals of democracy: PM
— narendramodi_in (@narendramodi_in) June 26, 2018