सदियों से हमने हमेशा दुनिया का स्वागत अपनी जमीन पर किया है, हमारी सभ्यता उस समय ही समृद्ध हो गई थी जब कई ऐसा नहीं कर सके थे: प्रधानमंत्री मोदी
हमारी धरती जिसने दुनिया को हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म जैसे धर्म दिए. हमारी धरती पर सूफी परंपरा पनपी है: पीएम मोदी
हम अहिंसा के आदर्शों पर चले और दुनिया के कई देशों ने इसे अपनाया भी है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वीडियो कान्‍फ्रेंसिंग के माध्‍यम से आआईएम कोझिकोड में स्‍वामी विवेकानदं की एक आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। प्रधानमंत्री आईआईएम कोझिकोड में भारतीय दर्शन के वैश्विकरण विषय पर एक अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उपस्थित लोगों का संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा भारतीय विचार जीवंत और विविधताओं से भरे हुए हैं और निरंतर परिवर्तनशील भी हैं। ये इतने व्‍यापक हैं कि इन्‍हें किसी एक संगोष्ठि, भाषण या किताबों की सीमा में बांधा नहीं जा सकता। मूल रूप से भारतीय मूल्‍य, करूणा,सद्भाव,न्‍याय, सेवा और विचारों के खुलेपन पर आधारित हैं।

शांति,सद्भाव और बंधुत्‍व

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो सबसे बड़ी बात दुनिया को भारत की तरफ आकर्षित करती है वह है, उसके शांति, एकता और बंधुत्‍व की भावना पर आधारित मूल्‍य। शांति और सद्भाव के बल पर ही हमारी सभ्‍यता आज भी फल फूल रही है जबकि दुनिया की कई सभ्‍यताओं का अस्तित्‍व मिट चुका है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतने सारे राज्‍य, इतनी सारी भाषाएं, इतनी सारी बोलियां, इतने सारे विश्‍वास, इतने सारे रीति-रिवाज और परंपराएं, खाने पीने की अलग अलग आदतें, इतनी सारी जीवन शैली और पहनावे के कई तरीके होने के बावजूद हम लोग शांति के साथ मिलजुल कर रहते हैं। सदियों से हमले दुनिया के लोगों का अपनी जमीन पर स्‍वागत किया है। हमारी सभ्‍यता इससे समृद्ध हुई है ज‍ब कि कई और देश ऐसा नहीं कर सके क्‍योंकि हर किसी को भारत में शांति और सद्भाव मिला है।

उन्‍होंने कहा हमारी असली ताकत यह है कि हमारे विचार सरल और संबंधित प्रथाओं द्वारा निर्देशित जीवित परंपराएं बन चुके हैं। “ये प्रथाएं न तो कठोर हैं और न ही अकल्पनीय हैं। उनकी सुंदरता इस तथ्य में निहित है कि उन्हें अलग तरह से व्‍यवहार में लाया जा सकता है,

प्रधानमंत्री ने कहा ‘भारत, हिन्‍दू, बौद्ध,जैन और सिख जैसे जीवंत धर्मों की जन्‍मस्‍थली रहा है। इसी भूमि पर सूफीवाद भी पनपा है।’’ अहिंसा को इन सबका आधार बताते हुए उन्‍होंने कहा ‘’ महात्‍मा गांधी ने इन आदर्शों को अपना मूलमंत्र बनाया था जिन्‍होंने आगे भारत की स्‍वाधीनता का मार्ग प्रशस्‍त किया।’’

उन्‍होंने कहा कि "संघर्ष से बचने का भारतीय तरीका क्रूर बलप्रयोग का नहीं बल्कि संवाद की ताकत का है।"

पर्यावरण से लगाव :

प्रधानमंत्री ने कहा “जब मैं कहता हूं कि भारत शांति और सद्भाव में विश्वास करता है, तो इसमें प्रकृति और पर्यावरण के साथ सामंजस्य की हमारी भावना शामिल है। इस भावना को आप पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे हमारे प्रयासों में देख सकते हैं।’’

उन्होंने कहा कि एक हरित भविष्‍य के लिए भारत ने सौर ऊर्जा का दोहन करने के वास्‍ते "अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन" बनाने में दुनिया का नेतृत्व किया है।

प्रधान मंत्री ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में 36 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए और 1 करोड़ से अधिक स्ट्रीट लाइटों को एलईडी से बदलकर 25000 करोड़ रुपये की बचत की गई जिससे कार्बन डाइऑक्‍साइड के उत्सर्जन में 4 करोड़ टन की कमी आई।

बाघों और शेरों का संरक्षण

उन्‍होंने कहा कि 2006 से अबतक देश में बाघों की संख्‍या बढ़कर दोगुनी हो चुकी है। आज देश करीब 2970 बाघों का घर है जो बाघों की वैश्विक आबादी का दो तिहाई है। भारत दुनिया में बाघों के सबसे बेहतरीन पर्यावासों में से एक है। दुनिया ने 2010 में यह तय किया था कि 2022 तक बाघों की आबादी दोगुनी कर ली जाएगी। भारत ने यह लक्ष्‍य समय से काफी पहले ही पूरा कर लिया है और देश में 2010 से 2015 के बीच बाघों की आबादी 30 प्रतिशत बढ़ी है।

वनक्षेत्रों का बढ़ता दायरा

प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि देश के वन क्षेत्र बढ़ रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि

2014 में संरक्षित वन क्षेत्रों की संख्या 692 थी। यह 2019 में 860 से अधिक हो गई। 2014 में 43 सामुदायिक वनक्षेत्र थे। अब, 100 से अधिक हैं। ये तथ्य भारत कई पर्यावरण और वन्यजीव प्रेमियों को भारत की ओर आकर्षित कर रहे हैं"।

महिलाओं का कल्‍याण

प्रधानमत्री ने कहा कि महिलाओं को आदर, महत्‍व और सम्‍मान दिया जाना देश की एक बड़ी खूबी है। महिलाएं देवत्‍व का रूप हैं।

उन्‍होंने भक्ति आंदोलन के राजाराम मोहन रॉय, ईश्‍वर चंद्र विद्यासागर ,महात्‍मा फूले और सावित्री भाई फूले जैसे समाज सुधारकों के इस दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के संविधान ने पहले दिन से ही महिलाओं को वोट डालने का अधिकार दे दिया था जबकि कई पश्चिमी देशों में महिलाओं को यह अधिकार मिलने में दशकों लग गए।

उन्‍होंने कहा कि आज की तारीख में मुद्रा रिण योजना की 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं। महिलाएं सशस्‍त्र सेनाओं में भी सक्रिय योगदान कर रही हैं। नौसेना की एक महिला दल का समुद्र के रास्‍ते दुनिया की यात्रा कर आना ऐतिहासिक घटना थी। देश में आज महिला सांसदों की संख्‍या भी दुनिया के अन्‍य देशों की तुलना में सबसे ज्‍यादा है। पिछले लोकसभा चुनाव-2019 में महिला मतदाओं की संख्‍या भी अबतक सबसे ज्‍यादा रही।

खुले विचारों का जश्‍न

अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने खुले विचारों का आनंद उठाता है। जहां विचारों का खुलापन होता है और विभिन्‍न मतों का सम्‍मान किया जाता है वहां नवाचार स्‍वाभाविक है। भारतीयों में नवाचार की यही ऊर्जा दुनिया को भारत की ओर आकर्षित कर रही है। उन्‍होंने कहा भारतीय दर्शन ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है और आगे भी बहुत कुछ देने की क्षमता है। इसमें आज के समय दुनिया के समक्ष मौजूद कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों के समाधान की क्षमता भी नीहित है।

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प्रधानमंत्री ने 45वें प्रगति संवाद की अध्यक्षता की
December 26, 2024
प्रधानमंत्री ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक लागत की नौ प्रमुख परियोजनाओं की समीक्षा की
परियोजनाओं में देरी से न केवल लागत बढ़ती है, बल्कि जनता भी परियोजना के अपेक्षित लाभों से वंचित हो जाती है: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान प्रभावित परिवारों के समय पर पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया
प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की समीक्षा की और राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया
प्रधानमंत्री ने उन शहरों में अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां मेट्रो परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं या पाइपलाइन में हैं ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं महत्वपूर्ण सीखों को समझा जा सके
प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की समीक्षा की और शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर जोर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज प्रगति, जो केन्द्र एवं राज्य सरकारों को शामिल करते हुए सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन से संबंधित आईसीटी-आधारित बहु-स्तरीय प्लेटफॉर्म है, के 45वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की।

बैठक में, आठ महत्वपूर्ण परियोजनाओं की समीक्षा की गई, जिनमें शहरी परिवहन की छह मेट्रो परियोजनाएं और सड़क कनेक्टिविटी तथा थर्मल पावर से संबंधित एक-एक परियोजना शामिल है। विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में फैली इन परियोजनाओं की संयुक्त लागत एक लाख करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि केन्द्र और राज्य, दोनों स्तरों पर सभी सरकारी अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि परियोजना में देरी से न केवल लागत बढ़ती है बल्कि जनता को भी अपेक्षित लाभ प्राप्त करने में बाधा आती है।

संवाद के दौरान, प्रधानमंत्री ने बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र से संबंधित लोक शिकायतों की भी समीक्षा की। प्रधानमंत्री ने जहां निपटान में लगने वाले समय में कमी लाने का उल्लेख किया, वहीं उन्होंने शिकायतों के निपटान की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।

यह देखते हुए कि अधिक से अधिक शहरों में पसंदीदा सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में से एक के रूप में मेट्रो परियोजनाओं की शुरुआत की जा रही है, प्रधानमंत्री ने उन शहरों के लिए अनुभव साझा करने हेतु कार्यशालाएं आयोजित करने की सलाह दी जहां ऐसी परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रहीं हैं या पाइपलाइन में हैं, ताकि सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों एवं अनुभवों से सीख ली जा सके।

समीक्षा के दौरान, प्रधानमंत्री ने परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान परियोजना से प्रभावित होने वाले परिवारों के समय पर पुनर्वास और पुनर्स्थापन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने नई जगह पर गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं प्रदान करके ऐसे परिवारों के लिए जीवनयापन में आसानी को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

प्रधानमंत्री ने ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना’ की भी समीक्षा की। उन्होंने एक गुणवत्तापूर्ण विक्रेता इकोसिस्टम विकसित करके राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों में रूफटॉप की स्थापना की क्षमता बढ़ाने का निर्देश दिया। उन्होंने मांग के सृजन से लेकर रूफटॉप सोलर के संचालन तक की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने का भी निर्देश दिया। उन्होंने राज्यों को चरणबद्ध तरीके से गांवों, कस्बों और शहरों के लिए संतृप्ति का दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश दिया।

प्रगति बैठकों के 45वें संस्करण तक, लगभग 19.12 लाख करोड़ रुपये की कुल लागत की 363 परियोजनाओं की समीक्षा की गई है।