आज बहुत ही अच्छा अवसर है जब हम देश के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले देश के महान सपूत को याद कर रहे हैं। ये देश के लिए अनवरत कार्य करने का, खुद को खपा देने का जज्बा है, जो हमें दिन-समय-पहर की चिंताओं से परे, इस तरह साथ लाता है।
आचार्य सत्येंद्र नाथ बोस के 125वें जन्मोत्सव पर मैं आप सभी और विशेषकर वैज्ञानिक बंधुओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
Friends, I have had the pleasure of interacting with renowned Scientists in the beginning of every year. I am glad that today, an auspicious opportunity allows me to share some thoughts with you.
Today, we open a year-long celebration of the 125th year of Acharya Satyendra Nath Bose, who was born on this day in 1894. I have learnt a great deal about his accomplishments that were far ahead of his times and society.
साथियों, देशबंधु चितरंजन दास ने अपने एक गीत काव्य में कहा था-
“बंगाल के जल और बंगाल की मिट्टी में एक चिरंतर सत्य निहित है”।
ये वो सत्य है जो बंगाल के लोगों को चिंतन-मनन के उस स्तर पर ले जाता है, जहां पहुंचना मुश्किल होता है। ये वो सत्य है जिसकी वजह से बंगाल ने सदियों तक देश की धुरी बनकर देश को थामे रखा है।
स्वतंत्रता आंदोलन की बात हो, साहित्य हो, विज्ञान हो, स्पोर्ट्स हो, हर क्षेत्र में बंगाल के जल और बंगाल की मिट्टी का प्रभाव स्पष्ट नजर आता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, गुरुवर रविंद्र नाथ टैगोर, सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, बंकिम चंद्र- शरद चंद्र, सत्यजीत रे, आप किसी भी फील्ड का नाम लीजिए, बंगाल का कोई ना कोई सितारा वहां चमकता दिखेगा।
भारत के लिए ये गर्व की बात है कि इस भूमि ने एक से बढ़कर एक वैज्ञानिक भी पूरी दुनिया को दिए। आचार्य एस. एन. बोस के अलावा जे. सी. बोस, मेघनाद साहा, कितने ही नाम है जिन्होंने देश में आधुनिक विज्ञान की आधारशिला मजबूत की।
बहुत कम संसाधन और बहुत ज्यादा संघर्ष के बीच उन्होंने अपने विचारों-अविष्कारों से लोगों की सेवा की। आज भी हम उनके Commitment और Creativity से सीख रहे हैं।
Friends, we have a lot to learn from the life and works of Acharya S. N. Bose. He was a self-taught scholar. He succeeded despite many constraints. These included the lack of formal research education, and little connectivity with the global scientific community. His path-breaking work in 1924 was due to his single-minded devotion to uncharted science.
It laid the foundations of Quantum Statistics and a basis for modern Atomic Theory. Einstein's biographer Abraham Pace regarded his work as one of the last four revolutionary papers on old Quantum Theory. The name of Satyendra Nath Bose has been immortalized in the history of science by concepts and terms, like Bose Statistics, Bose Einstein Condensation and Higgs Boson.
The fundamental importance of his work may be gauged from the fact that several Nobel Prizes in Physics have been awarded subsequently to researchers carrying forward his ideas to diverse physical applications.
Professor Bose was a crusader for teaching of science in vernacular languages. He started the Bengali science magazine Gyan-o-Bigyan.
To promote understanding and love of science in our youth, it is vital that we promote science communication in a big way. Language should not be a barrier but a facilitator in this task.
साथियों, भारत का scientific research eco-system बहुत मजबूत रहा है। हमारे यहाँ न प्रतिभा की कमी है, न परिश्रम की और न ही प्रयोजन की।
पिछले कुछ दशकों में भारत science और technology के क्षेत्र में और तेजी से उभरा है। IT सेक्टर हो, Space technology हो, Missile technology हो, भारत ने अपनी धाक पूरी दुनिया पर जमाई है। हमारे वैज्ञानिकों, हमारे टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स की ये उपलब्धियां पूरे देश के लिए गर्व का विषय हैं।
जब ISRO के रॉकेट से एक बार में 100 से ज्यादा सैटेलाइट छोड़ी जाती है तो पूरी दुनिया आंखें चौड़ी करके देखती है। उस वक्त हम भारतीय अपना माथा ऊँचा करके, अपने वैज्ञानिकों के इस पराक्रम से प्रफुल्लित होते हैं।
साथियों, आप लैब में जो मेहनत करते है अपना जीवन खपाते है वो सिर्फ लैब में ही रह जाए तो ये देश के साथ, आपके साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा। देश की वैज्ञानिक क्षमता बढ़ाने के लिए आपका परिश्रम तब और रंग लाएगा जब आप अपनी fundamental knowledge को, आज के दौर के हिसाब से देश के सामान्य जन तक पहुंचा पाएं। इसलिए आज बहुत आवश्यक है कि हमारे innovations, हमारी रिसर्च का फाइनल Out Come तय हो। क्या आपके अविष्कारों से किसी गरीब की जिंदगी आसान हो रही है, मध्यम वर्ग के किसी व्यक्ति की मुश्किलें कम हो रही हैं?
जब हमारे वैज्ञानिक प्रयोगों का आधार हमारी सामाजिक-आर्थिक समस्याओं का समाधान होगा, तो आपको फाइनल Out Come, अपना लक्ष्य तय करने में भी आसानी होगी।
मेरा विश्वास है कि हमारे देश के वैज्ञानिक, अपनी out of box thinking से देश को ऐसे creative technology solutions देते रहेंगे, जिसका फायदा सामान्य मानविकी को होगा, जो उनकी जिंदगी को और आसान बनाएगा।
मुझे बताया गया है कि अलग-अलग वैज्ञानिक संस्थानों ने Solar Power, Clean Energy, Water conservation Waste Management जैसे विषयों को ध्यान में रखते हुए R&D projects शुरू किए हैं। इस तरह के प्रोजेक्ट्स और उनके नतीजे लैब में ही न रह जाए ये भी हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
Distinguished Scientists and Students, You all have studied and are probably also experts of Quantum Mechanics. I have not studied it. But I understand that there are many lessons that Physics can teach us in day to day life. A classical particle cannot escape easily from inside a deep well. But a quantum particle can!
For one reason or another, we have confined ourselves into isolation. We hardly cooperate, collaborate and share our experiences with fellow scientists of other Institutions and National Laboratories.
To reach our true potential and to take Indian science to its rightful glory, we should be like a quantum particle that escapes its confinement. This is even more important today, as Science becomes hugely multi-disciplinary and requires concerted efforts.
I have been talking about the need for greater sharing of physical and research infrastructure, which is expensive and has an increasingly short lifetime.
I am told that our science departments are now working on a multipronged approach. I understand that a portal is being developed for sharing of scientific infrastructure that would allow transparent and efficient tagging and sharing of resources.
A mechanism is being put up for strong collaborations between academic and R&D institutions. City based R&D Clusters are being created to bring together all Science and Technology partners from Academia to Institutes, to Industries to Startups.
The success of this effort, will depend on our ability to bring all institutions and labs under this strategy. It requires whole-hearted support from each of us. The mechanism should ensure that a scientist from the remotest corner of the country has seamless access to resources in, say, IIT Delhi, or say, a CSIR Lab in Dehradun. Our aim should be to ensure that the whole of our efforts and actions is always greater than the sum of the various parts.
साथियों, Development, Growth और Transformation के लिए Science और Technology एक Extraordinary Engine की तरह काम करती है। मैं आप लोगों से, देश के वैज्ञानिक समुदाय से फिर आग्रह करूंगा कि अपने इनोवेशन की दिशा हमारे socio-economic challenges को ध्यान में रखते हुए तय करें।
आपकी जानकारी में है कि देश में लाखों लोग विशेषकर आदिवासी समुदाय में हजारों बच्चे sickle cell anemia से ग्रसित हैं। इस पर दशकों से रिसर्च हो रही है लेकिन क्या हम ठान सकते हैं कि इस बीमारी का cost effective simple solution पूरी दुनिया को देंगे?
क्या कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए और ज्यादा सस्ती और protein rich दालों की नई वैराइटी को बनाया जा सकता है? क्या सब्जियों और हमारे अनाज की क्वालिटी को और बेहतर किया जा सकता है? क्या नदियों की सफाई के लिए, नदियों को खर-पतवार से मुक्ति दिलाने के लिए, नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए नई technologies पर काम और तेज किया जा सकता है?
क्या Malaria, Tuberculosis Japanese Encephalitis जैसी बीमारियों की रोकथाम के लिए नई दवाइयां, नई वैक्सीन्स का विकास किया जा सकता है? क्या हम ऐसे क्षेत्रों का चयन कर सकते हैं जहां हमारे पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को एक क्रिएटिव तरीके से blend किया जा सके?
Friends, for various reasons, we missed the first Industrial revolution. We cannot miss similar opportunities today. Upcoming sectors such as Artificial Intelligence, Big Data Analytics, Machine Learning, Cyber-physical systems, Genomics, and Electric Vehicles are new challenges that require your attention. Please ensure, that as a country, we keep pace with these emerging technologies and innovations.
The way our scientific community tackles these challenges, will determine our success in smart manufacturing, smart cities, Industry 4.0, and the Internet-of-Things. Our scientific ecosystem must connect directly with innovators and entrepreneurs to cultivate, channelize and empower them.
साथियों, हमारे देश के पास demographic dividend की जितनी ताकत है, उससे पूरी दुनिया को ईर्ष्या हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार स्टैंड अप इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्किल डवलपमेंट मिशन, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रम चला रही है। इसी कड़ी में हम देश में 20 ऐसे संस्थानों के निर्माण का प्रयास कर रहे हैं जो दुनिया में अपनी धाक जमाएं, जिनकी पहचान वर्ल्ड क्लास के तौर पर हो।
Institutes of Eminence मिशन में शामिल होने के लिए सरकार Higher Education से जुड़ी प्राइवेट और पब्लिक संस्थाओं को खुद निमंत्रित कर रही है। हमने नियमों में बदलाव किया है, कानूनों में बदलाव किया है। Public Sector के जो संस्थान चयनित होंगे, उन्हें एक तय समय में 1000 करोड़ रुपए की आर्थिक मदद भी दी जाएगी।
मेरा S N Bose National Centre for Basic Sciences और ऐसे ही अन्य Institutes से आग्रह है कि वो भी अपने संस्थान को Top Ranking वाला संस्थान बनाने के लिए प्लान करें, उस पर काम करें। आज मेरा एक आग्रह आपसे ये भी है कि अपने संस्थानों में इस तरह का इको-सिस्टम बनाएं, जिससे छात्र और नौजवान Research के लिए और Motivate हों।
अगर हर वैज्ञानिक सिर्फ एक बच्चे की साइंस की पढ़ाई, Research के प्रति उसका रुझान बढ़ाने के लिए अपना थोड़ा समय देने लगे तो देश में लाखों छात्रों का भविष्य बन सकता है। आचार्य S.N. Bose के 125वीं जन्म वर्ष में ये उन्हें सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी।
साथियों, 2017 में हम सभी ने, सवा सौ करोड़ भारतीयों ने मिलकर एक संकल्प लिया है। ये संकल्प है न्यू इंडिया का। ये संकल्प है 2022 तक अपने देश को आंतरिक बुराइयों से मुक्त करने का। ये संकल्प है उस भारत के निर्माण का जिसका सपना हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था।
2018 का ये वर्ष इस संकल्प के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यही वो वर्ष है जब हमें अपनी सारी शक्ति, अपनी सारी ऊर्जा इस संकल्प की सिद्धि पर केंद्रित करनी है।
देश के हर व्यक्ति, हर परिवार, हर संस्था, हर संगठन, हर विभाग, हर मंत्रालय को अपनी-अपनी तरफ से योगदान देना है। जैसे किसी स्टेशन से ट्रेन चलती है तो वो 5-10 मिनट के बाद अपनी पूरी रफ्तार में आती है, वैसे ही 2018 का ये वर्ष हमें अपनी पूरी रफ्तार में लाने के लिए है।
देश के वैज्ञानिक समुदाय को भी, Science और Technology से जुड़े हर व्यक्ति को अपने innovation और Research का Focus न्यू इंडिया के निर्माण पर केंद्रित करना होगा।
आपके innovations देश के गरीब और मध्यम वर्ग को मजबूत करेंगे, देश को मजबूत करेंगे। आखिर आधार हो, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर हो, सॉयल हेल्थ कार्ड हो, योजनाओं की सैटेलाइट और ड्रोन से मॉनीटरिंग हो, ये सारी व्यवस्थाएं आपकी ही बनाई हुई हैं।
ऐसा और क्या-क्या किया जा सकता है, कैसे job-led economic growth में मदद की जा सकती है, इस बारे में वैज्ञानिक संस्थाएं बहुत योगदान कर सकती हैं। विशेषकर देश के ग्रामीण क्षेत्रों में, उनकी आवश्यकता के हिसाब से नई टेक्नोलॉजी का निर्माण करने, नई टेक्नोलॉजी को गांव तक पहुंचाने में आपकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
साथियों, Housing, drinking water, power, railways, rivers, roads, airports, irrigation, communications, digital infrastructure जैसे अनेक क्षेत्रों में नए-नए innovations आपका इंतजार कर रहे हैं।
सरकार आपके साथ है, संसाधन आपके साथ हैं, सामर्थ्य आपमें किसी से कम नहीं है, इसलिए सफलता को भी आप तक आना ही होगा। आप सफल होंगे तो देश सफल होगा। आपके संकल्प सिद्ध होंगे तो देश के संकल्प सिद्ध होंगे।
Friends, inaugurations serve a purpose, only if you have a follow-up plan of action. I am happy to learn that this one has exciting and important follow-up events lined up.
I am told that over 100 outreach lectures in Schools and Colleges are planned. Several national and international conferences, and competitions on 125 solutions to scientifically challenging problems are also on the agenda.
Brilliant ideas retain their relevance far beyond the time that they were mooted. Even today, the work of Acharya Bose continues to inspire scientists.
I wish you all the very best, in your endeavour to succeed in the emerging frontiers of scientific research. I feel confident that through your tireless efforts, the Nation will have an ever better and brighter future.
I wish you all a very fulfilling and creative New Year.
Jai Hind!