प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कोयम्‍टूर में श्री रामकृष्‍ण मठ द्वारा आयोजित स्‍वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण की 125वीं वर्षगांठ के समापन समारोह को वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्‍यम से संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि यह समारोह स्‍वामीजी के भाषण के प्रभाव को दिखाता है कि कैसे इस भाषण ने भारत के प्रति पश्चिम की दृष्टि बदल दी और कैसे भारतीय विचार और दर्शन को उचित स्‍थान प्राप्‍त हुआ।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद ने विश्‍व को वैदिक दर्शन की श्रेष्‍ठता बताई। शिकागो में उन्‍होंने विश्‍व को वैदिक दर्शन की शिक्षा दी बल्कि उन्‍होंने देश के समृद्ध अतीत और अपार क्षमता की भी याद दिलाई। उन्‍होंने हमें खोया हुआ विश्‍वास, गर्व और अपनी जड़ें प्रदान की।

श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कहा कि स्‍वामी विवेकानंद के इस विजन के साथ भारत पूरे विश्‍वास के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्‍होंने भारत सरकार के विभिन्‍न कार्यक्रम और योजनाओं की भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ इस प्रकार है:

शिकागो में स्‍वामी विवेकानंद के भाषण की 125वीं वर्षगांठ समारोह में उपस्थित होकर मैं स्‍वयं को सौभाग्‍यशाली मानता हूं। मुझे बताया गया है कि यहां लगभग 4000 मित्र, युवा और वरिष्‍ठ उपस्थित हैं।

संयोग से 125 वर्ष पहले शिकागो में जब स्‍वामी विवेकानंद जी ने विश्‍व धर्म संसद में भाषण दिया था तब श्रोताओं में लगभग 4000 व्‍यक्ति उपस्थित थे।

मुझे एक महान और प्रेरक भाषण की वर्षगांठ मनाने का कोई दूसरा उदाहरण मालूम नहीं है।

शायद नहीं।

इसलिए यह समारोह स्‍वामीजी के भाषण के प्रभाव को दिखाता है। यह दिखाता है कि इस भाषण ने किस तरह भारत के प्रति पश्चिम की दृष्टि को बदल दिया और कैसे भारतीय विचार और दर्शन को अपना उचित स्‍थान मिला।

आपके द्वारा आयोजित यह समारोह शिकागो भाषण की वर्षगांठ को और अधिक विशेष बनाता है।

श्री रामकृष्‍ण मठ तथा मिशन से जुड़े प्रत्‍येक व्‍यक्ति, तमिलनाडु सरकार और यहां उपस्थित अपने हजारों युवा मित्रों को बधाई देता हूं कि वे इस ऐतिहासिक भाषण के स्‍मृति समारोह का हिस्‍सा बनने के लिए यहां उपस्थित हैं। यहां सात्विक गुणों वाले संतों और युवा लोगों की ऊर्जा और उत्‍साह का मिलन भारत की असल शक्ति का प्रतीक है।

मैं आपसे दूर हो सकता हूं, फिर भी इस अनूठी ऊर्जा को महसूस कर सकता हूं।

मुझे बताया गया है कि आप इस दिन को मात्र भाषणों तक सीमित नहीं रखेंगे। मठ ने अनेक कार्यक्रम प्रारंभ किए है। स्‍वामीजी के शब्‍दों को प्रसारित करने के लिए स्‍कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताएं आयोजित की गई हैं। हमारे युवा लोग महत्‍वपूर्ण विषयों पर बहस करेंगे और आज की भारत की चुनौतियों के समाधान का प्रयास करेंगे। जन भागीदारी की यह भावना देश की चुनौतियों से जूझने का यह संकल्‍प और एक भारत, श्रेष्‍ठ भारत का यह दर्शन स्‍वामीजी के संदेश का सार है।

मित्रों,

स्‍वामी विवेकानंद ने अपने भाषण के माध्‍यम से पूरे विश्‍व को भारतीय संस्‍कृ‍ति दर्शन और प्राचीन परंपराओं की रोशनी प्रदान की।

शिकागो भाषण के बारे में अनेक लोगों ने लिखा है। आपने भी आज अपनी चर्चा के दौरान उनके भाषण के महत्‍वपूर्ण बिंदुओं पर बात की। हम स्‍वामीजी के शब्‍दों को दोहराते रहेंगे और उनसे नई बातें सीखेंगे।

मैं उनके भाषण के प्रभाव को बताने के लिए स्‍वामीजी के ही शब्‍दों का उपयोग करूंगा। चेन्‍नई में एक प्रश्‍न के उत्‍तर में उन्‍होंने कहा कि शिकागो धर्म संसद भारत और भारतीय विचारों के लिए अपार सफलता थी। इससे वेदांत के ज्‍वार को मदद मिली और यह विश्‍व में प्रवाहित हो रहा है।

मित्रों,

यदि आप स्‍वामीजी के कालखंड को याद करें तो उनकी उपलब्धियों के आकार और व्‍यापक दिखेंगे।

हमारा देश विदेशी शासन के शिकंजे में था, हम गरीब थे, हमारे समाज को पिछड़ा रूप में देखा जाता था और वास्‍तव में अनेक सामाजिक बुराईयां थी जो हमारे सामाजिक ताने-बाने का हिस्‍सा हो गई थीं।

विदेशी शासक, उनके न्‍यायाधीश, उनके उपदेशक हमारे हजारों वर्ष के ज्ञान और सांस्‍कृतिक विरासत को नीचा दिखाने का कोई अवसर नहीं गंवाते थे।

हमें अपने लोगों को, अपनी विरासत को नीचा देखने की शिक्षा दी गई। अपनी जड़ों से काट दिया गया। स्‍वामीजी ने इस सोच को चुनौती दी। उन्‍होंने शताब्दियों की धूल को साफ करने का बीड़ा उठाया, जो भारतीय संस्‍कृति के ज्ञान और दर्शनिक विचार पर जम गई थी।

उन्‍होंने विश्‍व को वैदिक दर्शन की श्रेष्‍ठता बताई। उन्‍होंने शिकागो में विश्‍व को वैदिक दर्शन का ज्ञान दिया और देश के समृद्ध अतीत और अपार क्षमता की भी याद दिलाई। उन्‍होंने हमें खोया हुआ विश्‍वास, अपना गर्व और अपनी जड़ें दी।

स्‍वामीजी ने हम सभी को याद दिलाया कि यह धरती है जहां से आध्‍यात्मिकता और दर्शन समुद्री ज्‍वार की तरह बार-बार उभरते हैं और विश्‍व को जल प्‍लावित करते हैं और यह धरती है जहां से मानवता की गिरती नस्‍लों में जीवन और शक्ति लाने के ज्‍वार उठते हैं।

स्‍वामी विवेकानंदजी ने न केवल विश्‍व पर अपनी छाप छोड़ी, बल्कि देश के स्‍वतंत्रता आंदोलन को नई ऊर्जा और नया विश्‍वास भी दिया। उन्‍होंने देश के लोगों में हम कर सकते हैं, हम सक्षम हैं की भावना भरकर जागृत किया। यह आत्‍मविश्‍वास है, यह विश्‍वास युवा संन्‍यासी के खून के प्रत्‍येक बूंद में था। उन्‍होंने देश को यह आत्‍मविश्‍वास दिया। उनका मंत्र था –‘स्‍वयं में विश्‍वास करो, देश को प्‍यार करो’

मित्रों,

स्‍वामी विवेकानंद जी के इस विजन के साथ भारत पूरे विश्‍वास से आगे बढ़ रहा है। यदि हम अपने आप में विश्‍वास करें तथा कठिन परिश्रम का प्रण करें तो हम क्‍या कुछ हासिल नहीं कर सकते।

विश्‍व ने माना है कि भारत के पास योग और स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आयुर्वेद की सदियों पुरानी परंपरा है और साथ-साथ भारत आधुनिक टेक्‍नोलॉजी की शक्ति का उपयोग कर रहा है।

आज भारत एक बार में 100 उपग्रह लांच कर रहा है। विश्व समुदाय मंगलयान और गगनयान की बातें कर रहा है। दूसरे देश भीम जैसे ऐप विकसित कर रहे हैं। इससे देश के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है। हम गरीबों और वंचितों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए कठिन परिश्रम कर रहे हैं। इस प्रयास का प्रभाव हमारे युवाओं और हमारी बेटियों के आत्मविश्वास में देखा जा सकता है।

हाल में एशियाई खेलों में हमने देखा कि इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता कि आप कितने गरीब हैं या आप किस परिवार से आते हैं। अपने आत्मविश्वास और कठिन परिश्रम के जरिए आप अपने देश को गौरव प्रदान कर सकते हैं।

आज देश में कृषि उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है। इसमें हमारे किसानों का समान दृष्टिकोण दिखाई पड़ता है। उद्योगजगत के व्यक्ति और हमारे कामगार औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं। युवा इंजीनियर, उद्यमी और वैज्ञानिक देश को नवाचार की नई क्रांति की ओर ले जा रहे हैं।

मित्रों,

स्वामी जी का पूर्ण विश्वास था कि भारत का भविष्य युवाओं पर निर्भर है। वेद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा था, ‘युवा, शक्तिशाली, स्वस्थ और तीक्ष्ण बुद्धि वाला भगवान के पास पहुंचेगा।’

मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि आज का युवा संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। युवाओं की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने एक नई कार्यप्रणाली और एक नया दृष्टिकोण सामने रखा है। मित्रों, स्वतंत्रता के 70 सालों के बाद हमारे युवाओं में अनेक ऐसे हैं जिनके पास रोजगार प्राप्त करने लायक कौशल नहीं है। हालांकि साक्षरता में वृद्धि हुई है, लेकिन हमारी शिक्षा व्यवस्था ने कौशल विकास पर विशेष ध्यान नहीं दिया है।

युवाओं के लिए कौशल विकास के महत्व को समझते हुए सरकार ने कौशल विकास के लिए एक पृथक मंत्रालय का गठन किया है।

इसके अलावा हमारी सरकार ने उन युवाओं के लिए बैंकों के दरवाजे खोल दिए हैं जो अपने बल पर अपने सपने को पूरा करना चाहते हैं।

मुद्रा योजना के तहत अब तक 13 करोड़ लोगों को ऋण दिए गए हैं। इस योजना ने देश के गांवों और शहरों में स्व-रोजगार को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

स्टार्टअप इंडिया अभियान के तहत नवोन्मेष विचारों के लिए सरकार ने उपयुक्त मंच प्रदान किए हैं।

परिणाम स्वरूप पिछले वर्ष 8000 स्टार्टअप को मान्यता प्रमाण-पत्र प्राप्त हुए, जबकि 2016 में यह संख्या 800 थी। इसका अर्थ यह है कि एक वर्ष के दौरान दस गुनी वृद्धि हुई।

विद्यालयों में नवोन्मेष के वातावरण के निर्माण के लिए “अटल इनोवेशन मिशन” की शुरूआत की गई है। इस योजना के अंतर्गत अगले पांच वर्षों में पूरे देश में 5000 अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना की जाएगी।

नवोन्मेषी विचारों को आगे लाने के लिए स्मार्ट इंडिया हैकथॉन जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

मित्रों,

स्वामी विवेकानंद ने हमारे सामाजिक-आर्थिक समस्याओं के बारे में भी विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा था कि समाज में समानता तब होगी, जब हम गरीबों में से सर्वाधिक गरीब को सर्वोच्च स्थान पर बैठे व्यक्ति के समकक्ष बिठा देंगे। पिछले चार वर्षों से हम इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। जन-धन खातों और इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के माध्यम से बैंकों को गरीबों के घर के दरवाजे तक पहुंचा दिया गया है। गरीबों में से सर्वाधिक गरीब को सहायता प्रदान करने के लिए आवास, गैस और बिजली कनेक्शन, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी योजनाओं को लागू किया गया है।

इस महीने की 25 तारीख को हम पूरे देश में आयुष्मान भारत योजना का शुभारंभ करने जा रहे हैं। इस योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को गंभीर बीमारियों के निशुल्क इलाज के लिए 5 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता सुनिश्चित की जाएगी। मैं तमिलनाडु सरकार और यहां के लोगों को इस योजना से जुड़ने के लिए बधाई देता हूं।

हमारा दृष्टिकोण सिर्फ गरीबी को समाप्त करना नहीं है, बल्कि देश में गरीबी के कारणों को जड़ से समाप्त करना है।

मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि आज का दिन एक अन्य प्रकार की घटना की याद दिलाता है, वह है 9/11 की आतंकवादी घटना। इस घटना ने पूरे विश्व को प्रभावित किया था। राष्ट्र समुदाय इस समस्या का समाधान ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं। सचमुच इस समस्या का हल स्वामी जी द्वारा शिकागो में दिखाए गए मार्ग में है- सहिष्णुता और स्वीकार्यता।

स्वामी जी कहते थे कि मुझे इस बात का गर्व है कि मैं ऐसे धर्म का अनुयायी हूं जिसने पूरे विश्व को सहिष्णुता और सार्वकालिक स्वीकार्यता का संदेश दिया है।

मित्रों,

हमारा देश स्वतंत्र विचारों का देश है। सदियों से हमारी धरती विभिन्न विचारधाराओं और संस्कृतियों की स्थली रही है। विचार-विमर्श करना और निर्णय लेना हमारी परम्परा रही है। लोकतंत्र और बहस, हमारे मूल्य रहे हैं।

किंतु मित्रों, इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारा समाज हर तरह की बुराइयों से मुक्त हो गया है। अनूठी विभिन्नताओं वाले इस विशाल देश के समक्ष कई बड़ी चुनौतियां हैं।

स्वामी विवेकानंद कहा करते थे, ‘सभी युगों में कमोबेश सभी जगह दुष्ट व्यक्ति रहा करते थे। हमें समाज के इन दुष्ट व्यक्तियों से सावधान रहना चाहना और उन्हें पराजित करना है। हमें यह याद रखना चाहिए कि सभी संसाधनों के मौजूदगी के बावजूद जब भी भारतीय समाज में विभाजन हुआ है और आंतरिक संघर्ष हुए हैं, बाहरी दुश्मनों ने इस स्थिति का फायदा उठाया है।’

इन संघर्षों के दौर में हमारे संतों और समाज सुधारकों ने हमें सही रास्ता दिखाया है। यह रास्ता हमें एक साथ मिलजुल कर रहने का संदेश देता है।

स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा से हमें एक नये भारत का निर्माण करना है।

आप सभी को धन्यवाद देने के साथ ही मैं अपना संबोधन समाप्त करता हूं। आपने हमें इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में शामिल होने का सुअवसर प्रदान किया है। स्कूल और कॉलेज के उन हजारों मित्रों को बधाई, जो स्वामी जी के संदेश को पढ़ते हैं, समझते हैं तथा प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और पुरस्कार जीतते हैं।

आप सभी को एक बार फिर धन्यवाद।

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