प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बरेली, उत्तर प्रदेश में किसानों की रैली को संबोधित किया
हमारे किसान इस राष्ट्र के गौरव हैं: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे कृषि और किसानों के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दें
हमारा सपना 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करना है: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को अधिक पेड़-पौधे लगाने व कृषि के पारंपरिक प्रथाओं के साथ-साथ पशुपालन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया
जल प्रबंधन कृषि क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना व मृदा स्वास्थ्य कार्ड के लाभों के बारे में बताया
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों का 'सुरक्षा कवच' है: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से आग्रह किया कि ज्यादा से ज्यादा किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ कर इसका लाभ उठाएं

 

हमारे देश का किसान जन का पोषक है, वह श्रम का देवता है, अन्नदाता है। मैं किसान का आभार पूर्वक नमन करता हूं। ऐसे सभी किसानों को मैं नमन करता हूं। मैं किसानों का आभारी हूं।

उन्होंने कहा कि बरेली से मेरा बचपन का नाता है। मैं बचपन में पतंग उड़ाने का बड़ा शौकीन था। बरेली के मांझे से ही मैं पतंग उड़ाता था।

दूर-दूर तक चुनाव का नामोनिशान नहीं है लेकिन जहां-जहां तक मेरी नजर जा रही है, किसान ही किसान हैं और किसान ही तो मेरे देश की शान है।

बचपन में सुना बहुत था कि यहां कोई झुमका गिरा था। आज मुझे उत्तर प्रदेश के किसानों से बात करने का मौका इस बरेली की धरती से मिला है।

देश में किसानों के सामने अनेक चुनौतियां हैं। परिवार बंटते जा रहे हैं। जमीन भी बंट रही है। विरासत में किसान जमीन बांट भी पाएगा कह पाना मुश्किल है। जमीन कम हो जाती है तो पैदावर कम हो जाती है। इन चुनौतियों का समाधान नहीं है। यदि किसान साथ दें और राज्य सरकारें तैयार हों तो कृषि विभाग केंद्र के हवाले हो। खेती व किसान के लिए ऐसा होना जरूरी। कृषि पूरी तरह केंद्र के पास नहीं है। राज्य सरकार के हाथ में भी काफी कुछ है। ईश्वर के बाद किसानों की कोई मदद नहीं करता। राज्य सरकारें किसानों व कृषि को प्राथमिकता में लें।

मैं आज उत्तर प्रदेश की धरती से न सिर्फ उत्तर प्रदेश की सरकार को बल्कि सभी राज्य की सरकारों से अनुरोध करता हूं कि अपने राज्य के कामों में किसानों को वरीयता दें।

अगर हमने जो योजनाएं बनाईं हैं, उन्हें लागू करने का ईमानदारी पूर्वक प्रयास करें तो हमारा सपना पूरा हो सकता है।

हम प्रण कर लें कि 2022 तक किसान की आय दोगुनी कर दें जब भारत अपनी आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा। यह इतना कठिन काम नहीं है।

मध्य प्रदेश का नाम कभी भी कृषि के अव्वल प्रदेशों में नाम नहीं था। पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नाम आता था। जब वहां बीजेपी की सरकार बनी और विशेषकर श्रीमान शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने संकल्प लेकर कृषि को प्राथमिकता दी।

श्रीमान शिवराज सिंह चौहान ने योजनाएँ बनाई, बूंद-बूंद पानी का प्रयोग किया। आज पिछले तीन साल से मध्य प्रदेश कृषि क्षेत्र में नंबर वन राज्य है।

मैं यहां किसी की आलोचना करने नहीं आया। मैं तो यहां आया हूं आग्रह करने। भारत की केंद्र सरकार कृषकों से जुड़ी योजनाओं को लागू करने के लिए तैयार है।

देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए तीन स्तम्भों की जरूरत है। अर्थरचना में एक तिहाई हिस्सा कृषि का है, एक तिहाई हिस्सा उद्योगों का और एक तिहाई हिस्सा सर्विस सेक्टर का है।

आज किसान मां-बाप चाहता है कि एक बेटा ही किसानी करे। बाकी सभी बेटे घर से बाहर निकलकर रोजगार के लिए जाएं।

खेती को भी तीन हिस्सों में बांटने की आवश्यकता है।

पहली, उपज प्राप्त करें। 

दूसरी, किसान खेतों के अंतिम छोर पर टिम्बर की खेती करें। संकट में यह पेड़ उनका संकटमोचक बनेगा। एक मीटर जमीन हर किसान खराब कर देता है, उसमें बाड़ लगा देता है। अगर इन सीमाओं का प्रयोग वृक्ष लगाने के लिए करें तो 15-20 साल में पेड़ तैयार हो जाएंगे। घर में बेटी हो तो एक पेड़ लगा दें। जब तक बेटी जवान होगी पेड़ भी बड़ा हो जाएगा। उस पेड़ का प्रयोग बेटी की शादी के लिए किया जा सकता है।

तीसरे हिस्से में जानवरोंं के लिए चारा की व्यवस्था करें। किसान मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन भी कर सकते हैं। अगर हम पशुपालन पर ध्यान दें तो यह प्रकृति रूठ जाए तब भी काम आ सकता है।

पिछले साल हमारे देश में सबसे ज्यादा अंडे की पैदावर हुई है और इसका फायदा ग्रामीण भाइयों को हुआ है।

हमारे देश में खेती को मजबूती देने की जरूरत है। सिर्फ किसाने के जेब में रुपए डालने से बात नहीं बनेगी।

बुंदेलखंड की हालत देखकर मुझे चिंता होती है। जिस क्षेत्र में पांच नदियां हों वहां के लोगों के पास पीने के लिए पानी नहीं हैं। किसान को समय पर पानी मिल जाए तो वो मिट्टी से सोना निकाल सकते हैं।

अटल जी का सपना था सभी नदियों को जोड़ने का। अगर वह सपना पूरा हो जाता तो बाढ़ से भी बचते और सूखे से भी। पचास हजार करोड़ की लागत से प्रधानमंत्री सिंचाई योजना लागू करने का बीड़ा सरकार ने उठाया है। मनरेगा के पैसों से सिंचाई के प्रबंध मजबूत किया जाना चाहिए। नहर, तालाब आदि को सुदृढ़ किया जाए। संसाधन मजबूत करके गांव का पानी गांव में ही रह जाएगा तो सूखे का संकट नहीं होगा।

खेती के लिए पानी के संकट को भी दूर करने की जरूरत है ताकि खेती बर्बाद न हो।

हमने 50 हजार करोड़ की लागत से हिंदुस्तान में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना लागू करने का जिम्मा उठाया।

मनरेगा में क्या हुआ हम नहीं जानते। गांव में जाकर पूछो - मनरेगा में क्या काम हुआ, किसी को पता नहीं। इससे यह पता चलता है कि पिछली सरकार ने मनरेगा कैसे चलाया

हम भी संकल्प कर लें कि पानी की एक-एक बूंद का प्रयोग करेंगे। गांव के नौजवानों बारिश के पानी को रोकने के लिए कोशिश कर लो तो साल भर में सभी कुओं की जरूरत का पानी जमा हो जाएगा।

बिना समझे फर्टिलाइजर व कीटनाशक का प्रयोग न करें। इससे हमारी धरती की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है। हम किसान के बेटे हैं, हमें धरती मां पर अत्याचार करने का कोई अधिकार नहीं है। यदि किसी भी व्यक्ति को आवश्यकता से अधिक दवा दी जाए तो वह नुकसान करती है। हमने धरती मां पर कितना अत्याचार किया। अनाप-शनाप दवाइयों के प्रयोग के कारण हमारी धरती मां बीमार हो गईं।

बहुत बड़ी मात्रा में हमारे राधामोहन सिंह जी ने जमीन की रक्षा के लिए अभियान चलाया है।

मृदा परीक्षण अवश्य कराएं। इससे अधिक उपज मिलेगा। सरकार का देश के गांव-गांव तक मृदा परीक्षण लैब पहुंचाने का इरादा है।

बीज भी खेती में बहुत महत्वपूर्ण होता है। सरकार ने उत्तम से उत्तम बीज पहुंचाने के लिए कोशिश की है। सस्ते में किसान तक बीज पहुंचाने के लिए हमारी योजना है।

मुख्यमंत्रियों की पहले चिट्ठी आती थी कि भारत सरकार यूरिया दे। इस बार एक भी मुख्यमंत्री ने यूरिया के लिए भारत सरकार को चिट्ठी नहीं लिखी।

इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के कई एमपी मिलते हैं। कहते हैं पहले तो हमारे यहां यूरिया लेने के लिए खेत छोड़कर कतार में लगना पड़ता था। कभी-कभी यूरिया नहीं आता था तो पुलिस लाठी चार्ज करती थी।

सरकार ने यूरिया का नीमकोटिंग कराने का काम किया। अगर आपके खेत में 10 किलो यूरिया का प्रयोग करते हैं तो 3 किलो कम डालने की जरूरत पड़ती है। देश की सरकार ने 100 फीसदी नीमकोटिंग किया है।

तीसरा एक काम हुआ, केमिकल के लिए जो फर्टिलाइजर्स चला जाता था, वो बंद हो गया। इस वजह से यूरिया की कालाबाजारी बंद हो गई। इसके अलावा लोगों को नीम के बीज एकत्र करने के कारण रोजगार भी मिल रहा है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमने किसान को सुरक्षा देने के लिए लागू किया है। हमने कोशिश की है कि 100 में से कम से कम 50 किसान फसल बीमा योजना लें।

मैं किसानों से आग्रह करता हूं कि आफ फसल बीमा योजना जरूर लें। जितने अधिक किसान फसल बीमा योजना लेंगे, दिल्ली के खजाने से उसका उतना अधिक पैसा जाएगा लेकिन मुझे किसानों की भलाई करनी है।

आपके खेत में ओले गिर गए, भूस्खलन हो गया। अगर किसी एक किसान के खेत को नुकसान होगा तो उसे भी फसल बीमा का पैसा मिलेगा।

हमने कृषि में तकनीक के प्रयोग को बढ़ावा दिया है। किसान को अब बारिश के भरोसे बैठे नहीं रहना होगा। पहली बार देश ने तय किया है कि अगर बारिश नहीं हुई और बुआई नहीं हो सकी तो उसका भी लाभ फसल बीमा में होगा।

इस सरकार ने निर्णय किया कि अगर फसल कटने के 14 दिन के भीतर प्राकृतिक आपदा आ गई तो उसको भी बीमा से राशि दी जाएगी।

कृषि जगत में क्रांतिकारी परिवर्तन का काम चल रहा है। राज्य सरकारें भी 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए काम करें।

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