मुझे काठमांडू ने नेपाल ने हमेशा ही आकर्षित किया है, क्योंकि ये शहर जितना गहन है, उतना ही गतिमान है, हिमालय की गोद में बसा ये एक अनमोल रत्न है: प्रधानमंत्री मोदी
‘सबका साथ, सबका विकास’ हम अपने विदेश सहयोग पर भी उतनी ही पवित्रता से आगे बढ़ा रहे हैं: पीएम मोदी
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने की दिशा में आगे आकर नेतृत्व किया है: प्रधानमंत्री
भारत नेपाल की विकास यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है: प्रधानमंत्री मोदी

 

शाक्य जी आपने और आपके साथियों ने काठमांडू की महानगर पालिका ने मेरे लिए इस स्‍वागत समारोह का आयोजन किया है। मैं इसके लिए हृदय से आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं। ये सिर्फ मेरा नहीं पूरे भारत का सम्‍मान है। मैं ही नहीं सवा सौ करोड़ भारतीय भी कृतज्ञ है। काठमांडू से और नेपाल से, हर भारतीय का एक अपनेपन का नाता है और ये सौभाग्‍य मुझे भी मिला है।

जब मैं राजनीति में भी नहीं था। मैं जब भी नेपाल आता हूं तो मुझे शांति और आत्मियता की अनुभूति होती है। और इस सबसे बड़ा कारण आप सभी का प्‍यार है, आपका स्‍नेह, आपका गर्मजोशी भरा स्‍वागत, सत्कार और सम्‍मान।

कल मैं जनकपुर में था, आज के युग को एक बहुत बड़ा संदेश जनकपुर देता है। राजा जनक की क्‍या विशेषता थी। उन्‍होंने शस्‍त्र को तुड़वा दिया और स्‍नेह से जुड़वा दिया । ये ऐसी धरती है जो शस्‍त्र को तोड़कर के स्‍नेह से जोड़ती है।  

साथियों जब भी मैं काठमांडू के बारे में सोचता हूं तो जो छवि उभरती है। वो सिर्फ एक शहर की नहीं है। वो छवि सिर्फ एक भौगोलिक घाटी की नहीं है। काठमांडू हमारे पड़ोसी और अभिन्‍न मित्र नेपाल की राजधानी ही है, इतना ही नहीं है। भगवान बुद्ध की जन्‍मस्‍थली के देश की राजधानी ही नहीं है। एवरेस्‍ट पर्वत के देश की लिली गुराज के देश की सिर्फ राजधानी नहीं है। काठमांडू अपने आप में एक पूरी की पूरी दुनिया और इस दुनिया का इतिहास उतना ही पुराना उतना ही भव्‍य और उतना ही विशाल है जितना हिमालय।

मुझे काठमांडू ने, नेपाल ने हमेशा ही आकर्षित किया है। क्‍योंकि ये शहर जितना गहन है। उतना ही गतिमान भी है। हिमालय की गोद में बसा ये एक अनमोल रत्‍न है। काठमांडू सिर्फ कास्‍ट यानि लकड़ी का मंडप नहीं है। ये हमारी साझा, सांस्‍कृति और विरासत का एक दिव्‍य भव्‍य महल है। इस शहर की विविधता में नेपाल की महान विरासत और उसके बड़े दिल की एक झलक महसूस होती है। नागार्जुन के जंगल हों या शिवपुरी की पहाडि़यां, सैंकड़ो झरनों और जलधाराओं की शिथिलता हो या फिर बागमती का उद्गम, हजारों म‍ंदिरों, मंजुश्री की गुफाओं और बौद्ध विहारों का ये शहर दुनिया में अपने-आप में अनुठा है।

इमारतों की छत से एक तरफ धोलागिरी और अन्‍नपूर्णा और दूसरी तरफ सागर माथा, जो दुनिया जिसे एवरेस्‍ट के नाम से जानती है और कंचनगंगा। ऐसे दर्शन कहां संभव है अगर संभव है सिर्फ और सिर्फ काठमांडू है।

बसंतपुर की बानगी, पाटन की प्रतिष्ठा, भरतपुर की भव्‍यता, कीर्तिपुर की कला और ललितपुर का लालित्‍य। काठमांडू ने अपने-आप में जैसे इंद्रधनुष के सभी रंगों को अपने अंदर समेट के रखा है। यहां की हवा में बहुत-सी परंपराएं ऐसे घुलमिल गई हैं जैसे चंदन में रोली। पशुपतिनाथ में प्रार्थना और भक्‍तों की भीड़ स्‍वयंभू की सीढि़यों पर अध्‍यात्‍म की चहल-कदमी, बौद्धा में परिक्रमा कर रहे श्रृद्धालुओं के पग-पग पर ओम मणि पदमेहम इसकी गूंज, ऐसा लगता है जैसे तारों पर सरगम के सारे सुर गले मिले हैं।

मुझे बताया गया है कि कुछ त्‍यौहार जैसे नेवारी समुदाय के त्‍यौहार ऐसे भी हैं जिनमें बौद्ध और हिंदु मान्‍यताओं और प्रथाओं का अभुतपूर्व संगम है। परंपरा और संस्‍कृति ने काठमांडू के हस्‍तकला और कलाकारों को बेजोड़ बनाया है। चाहे वो हाथ से बना कागज हो या तारा और बुद्ध जैसी मूर्तियां, भरतपुर की मिट्टी से बने बर्तन हों या पाटन में पत्‍थर, लकड़ी और धातू का काम हो। नेपाल की बेजोड़ कला और कलाकारी का ये महाकुंभ है और महाकुंभ है काठमांडू और मुझे खुशी है कि यहां की युवा पीढ़ी इस परंपरा को भलीभांति निभा रही है। और उसमें युवानुकूल परिवर्तन करके कुछ नयापन भी मिला रही है।

साथियों नेपाल की मेरी अब तक की दो यात्राओं में मुझे पशुपतिनाथ के दर्शन का सौभाग्‍य मिला था। इस यात्रा में मुझे भगवान पशुपतिनाथ के अलावा पवित्र जनकपुर धाम और मुक्तिनाथ तीनों पवित्र तीर्थ स्‍थानों पर जाने का सुअवसर मिला। ये तीनों स्‍थान सिर्फ महत्‍वपूर्ण तीर्थ स्‍थल ही नहीं है। ये भारत और नेपाल के अडिग और अटूट संबंधों का हिमालय है। आगे जब भी नेपाल यात्रा का अवसर बनेगा मैं समय निकाल कर भगवान बुद्ध की जन्‍मस्‍थली लुंबिनी जाने का कार्यक्रम भी अवश्‍य बनाऊंगा।

साथियों शांति, प्रकृति के साथ संतुलन और आध्‍यत्मिक जीवन के मूल्‍यों से परिपूर्ण हमारे दोनों देशों के value system ये पूरी मानव जात की, पूरे विश्‍व की एक अनमोल धरोहर है। और इसलिए ये कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है। कि पूरी दुनिया से लोग शांति की खोज में भारत और नेपाल की ओर खींचे चले आते हैं।

कोई बनारस जाता है तो कोई बोधगया, कोई हिमालय की गोद में जाकर रहता है तो कोई बुद्ध के विहारों में साधना एक ही है खोज एक ही है। आधुनिक जीवन की बैचेनियों का समाधान भारत और नेपाल के साझे मूल्‍यों में मिलेगा।

साथियों बागमती के तट पर काठमांडू में पशुपतिनाथ और गंगा के तट पर काशी विश्‍वनाथ। बुद्ध की जन्‍मस्‍थली लुंबिनी, तपस्‍थली बोधगया और सन्देश क्षेत्र सारनाथ।

साथियों हम सभी हजारों वर्षों की साझी विरासत के धनी हैं। हमारी ये साझा विरासत दोनों देशों की युवा पीढ़ी की संपत्ति है इसमें उनके अतीत की जड़े, वर्तमान के बीज और भविष्‍य के अंकुर हैं।

साथियों पूरे विश्‍व में आज अनेक प्रकार के परिवर्तनों का दौर चल रहा है। वैश्विक वातावरण अनेक अस्थिरताओं और अनिश्‍चताओं से भरा पड़ा है।

साथियों हजारों साल से वसुधैव कुटम्‍बकम यानि सारा विश्‍व एक परिवार है। ये भारत का दर्शन रहा है। सबका साथ सबका विकास हम अपने विदेश सहयोग पर भी उतनी ही पवित्रता से आगे बढ़ा रहे हैं। भारतीय शास्‍त्रों में प्रार्थना है सर्वे भवन्‍तु सुखिन: सर्वे सन्‍तु निरामया:। सर्वे भद्राणि पश्‍यन्‍तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत्.. यानि सब प्रसन्‍न हों, सब स्‍वस्‍थ हों, सबका कल्‍याण हो, किसी को दुख न मिले। भारत के मुनिषियों ने हमेशा से यही सपना देखा है। इस आदर्श को प्राप्‍त करने के लिए हमारी विदेश नीति सबको साथ लेकर चलने पर आधारित है। खासतौर पर पड़ोस में भारत के अनुभव और भारत के अवसरों को साझा करते हैं। neighborhood first हमारी संस्‍कृति में सिर्फ विदेश नीति ही नहीं जीवन शैली है। बहुत से उदाहरण हैं स्‍वयं विकासशील होते हुए भी भारत 50 साल से भी अधिक समय से Indian Technical and Economic Corporation  कार्यक्रम के अंतर्गत 160 से अधिक देशों में Capacity Building के लिए सहयोग और उन देशों की जरूरत के अनुसार सहयोग हम करते आए हैं।

पिछले साल भारत ने एक साउथ एशिया उपग्रह छोड़ा इससे हमारी अंतरिक्ष  क्षमताओं के सुपरिणाम हमारे पड़ोसी देशों को उपहार स्‍वरूप उपलब्‍ध हो रहे हैं। और इसी सभा मंच में जब सार्क समिट के लिए मैं आया था तो मैंने इसी मंच से इस बात की घोषणा की थी। इसके साथ ही हम इस बात पर भी ध्‍यान दे रहे हैं कि दुनिया के सामने जो बड़ी चुनौतियां हैं। जिनसे कोई भी देश अकेला नहीं निपट सकता। उनका सामना करने के लिए हम किस प्रकार अंतराष्‍ट्रीय साझेदारियों का विकास करें। उदाहरण के तौर पर 2016 में भारत और फ्रांस ने मिलकर Climate Change के संदर्भ में एक नए अंतराष्‍ट्रीय Treaty based Organization की कल्‍पना की। ये क्रांतिकारी कदम अब एक सफल प्रयोग में बदल गया है।

इस वर्ष मार्च में फ्रांस के राष्‍ट्रपति श्रीमान मैक्रो और करीब 50 अन्‍य देशों के नेताओं ने दिल्‍ली में इस International Solar Alliance के पहले समिट में भाग लिया। ऐसे प्रयासों से Climate Change जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिएTechnological और आर्थिक साझादारियां विकसित करने में छोटे विकासशील देशों की जरूरतों को पूरा करने में मुझे विश्‍वास है बहुत बड़ी मदद मिलेगी।

साथियों जब भारतीय नेपाल की ओर देखते हैं तो हमें नेपाल को देखकर, यहां के माहौल को देखकर बहुत खुशी होती है। नेपाल में माहौल है आशा का, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की कामना का, लोकतंत्र की मजबूती का और समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली के विजन का- और इस माहौल को बनाने में आप सभी का बहुत बड़ा योगदान है।

2015 के भूकंप के भयावह त्रासदी के बाद नेपाल और विशेष रूप से काठमांडू के लोगों ने जिस धैर्य और अधम्‍य साहस का परिचय दिया है। वो पूरे विश्‍व में एक मिसाल है। ये आपके समाज की दृढ़ निष्‍ठा और कर्मठता का प्रमाण है कि इतने कम समय में आपदा से निपटते हुए भी नेपाल में एक नई व्‍यवस्‍था का निर्माण हुआ है। भूकंप के बाद सिर्फ इमारतों का ही नहीं, देश और समाज का भी एक प्रकार से पुन: निर्माण हुआ है। आज नेपाल में Federal, Provincial और local तीनों स्‍तर पर लोकतांत्रिक सरकारें हैं। और तीनों स्‍तरों के चुनाव एक साल के अंदर-अंदर सफलतापूर्वक आयोजित किए गए हैं। ये शक्ति आप सबके अंदर अंतनिर्हित है और इसलिए मैं आप सबका हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

साथियों नेपाल ने युद्ध से बुद्ध का बहुत लंबा सफर तय किया है। बुलेट का बोलबाला था। बुलेट को छोड़ करके बैलेट के रास्‍ते को चुना है। युद्ध से बुद्ध की ये यात्रा है। लेकिन मंजिल अभी और दूर है, बहुत आगे तक जाना है। एक प्रकार से कहूं तो अब हम माउंट एवरेस्‍ट का बेसकैंप पहुंच गए हैं। लेकिन शिखर की चढ़ाई अभी हमें तय करना है और जिस प्रकार पर्वतारोहियों को नेपाल के शेरपाओ का मजबूत साथ और समर्थन मिलता है उसी प्रकार नेपाल की इस विकास यात्रा में भारत आपके लिए शेरपा का काम करने के लिए तैयार है।

पिछले महीने प्रधानमंत्री श्रीमान ओली जी की भारत यात्रा में, और कल और आज की मेरी नेपाल यात्रा में मेरा यही संदेश है कि मेरी यही भावना मैंने अलग-अलग शब्‍दों में व्‍यक्‍त की है। नेपाल अपनी आवश्‍यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार आगे बढ़े। ये मैं बहुत जिम्‍मेवारी से कह रहा हूं। नेपाल अपनी और प्राथमिकताओं और अपनी आवश्‍यकताओं के अनुसार आगे बढ़े। आपकी सफलता के लिए भारत हमेशा नेपाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेगा। आपकी सफलता में ही भारत की सफलता है। नेपाल की खुशी में ही भारत की खुशी है।

काम चाहे वो रेलवे लाइनस का हो या सड़क निर्माण का हो, हाइड्रो पावर का हो या ट्रांसमिशन लाइनस का हो, इंट्रिगेटिड चेक पोस्‍ट का हो या ऑइल पाइप लाइन का हो या फिर भारत और नेपाल के सांस्‍कृतिक और लोगों के बीचPeople to people मजबूत संबंधों को और भी ताकत देने का काम हो। आपकी हर आवश्‍यकता में हम साथ चल रहे हैं और आगे भी चलते रहेंगे। हमने काठमांडू को भारत से रेल द्वारा जोड़ने के प्रोजेक्‍ट के डीपीआर का काम करना शुरू कर दिया है। और अब तो शायद यहां नेपाल में कितनी इसकी चर्चा है मुझे मालूम नहीं है। इन दिनों भारत में IPL के क्रिकेट मैच चल रहे हैं। और नेपाल भी अब IPL में जुड़ गया है।

इस यात्रा में हाल ही के बहुत सी पहलों से आप परिचित हैं। मुझे बताया गया है कि पहली बार नेपाल का एक नौजवान खिलाड़ी संदीप लमीछाने  ने IPL में भाग ले रहा है। मैं आशा करता हूं कि आने वाले समय में क्रिकेट ही नहीं अन्‍य खेलों के माध्‍यम से भी हमारे People to people संबंध मजबूत होते रहेंगे।

साथियों इन्‍हीं शब्‍दों के साथ मैं एक बार फिर काठमांडू मेयर श्रीमान शाक्य जी का, काठमांडू एडमिनिस्‍ट्रेशन का, नेपाल की सरकार का, आदरणीय मुख्‍यमंत्री जी का, विदेश मंत्री जी का और आप सभी का हृदय से आभार प्रकट करता हूं। और हृदय का वही भाव है जो आपके दिलों में है वही मेरे दिल में है जो हर नेपाली के दिल में है वही हर हिंदुस्‍तानी के दिल में है और वो यही है ........

नेपाल भारत मैत्री अमर रहोस.....

नेपाल भारत मैत्री अमर रहोस…..

नेपाल भारत मैत्री अमर रहोस.....

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

 

 

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।