प्रधानमंत्री ने भूटान नरेशसे भेंट के बाद प्रधानमंत्री तोबगे से भी मुलाकात की। इन मुलाकातों का प्राथमिक फोकस दो देशों के मध्य सघन विकास सहयोग और आर्थिक गठजोड़ में वृद्धि के लिए उपाय करना है।
प्रधानमंत्री ने भूटान के नेताओं को उनके गर्मजोशीपूर्ण स्वागत के प्रबंध के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि यह हमारे देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंधों की उष्मा को दर्शाता है। उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा को सफल बनाने वाले व्यक्तियों के प्रयासों की भी प्रशंसा की।
उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों की बी-टू-बी अर्थात भारत से भूटान के रूप में व्याख्या की।
प्रधानमंत्री भारत को भूटान के सुविधा प्राप्त साझीदार माने जाने पर संतोष जाहिर किया और यह रेखांकित किया कि उनकी सरकार इन मजबूत संबंधों का पोषणही नहीं करेगी इनको और मजबूत भी करेगी।
प्रधानमंत्री ने व्यापक शैक्षणिक संपर्कों की संभावनाओं पर जोर दिया और भारत में भूटानी छात्रों को दी जा रही छात्रवृत्ति को दोगुना करने का सुझाव दिया। भारत 2 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति उपलब्ध कराएगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी सूचित किया कि भारत उसे एक पुस्तकालय स्थापना में भी सहायता करेगा जो भूटानी छात्रों की 20 लाख पुस्तकों और पत्रिकाओं तक पहुंच बनाएगा।