इस अवसर पर अपनी शुरूआती टिप्पणियों में प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षक दिवस की पूर्व-संध्या पर स्कूली बच्चों के साथ बातचीत करने का विशेष महत्व है। उन्होंने कहा कि एक शिक्षक को उनके छात्रों की उपलब्धियों द्वारा जाना जाता है। उन्होंने कहा कि मां तो जन्म देती हैं, किन्तु शिक्षक ही वास्तविक जीवन प्रदान करते हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि शिक्षक और छात्र दोनों का एक-दूसरे के लिए अद्वितीय महत्व है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को भी अनेक बच्चों के साथ अपने अनुभवों के बारे में लिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक सभी छात्रों को महत्वपूर्ण मानें और उन सभी को याद रखें- ना कि केवल शैक्षिक तौर पर विशिष्टता दर्शाने वाले को ही।
प्रधानमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे.अब्दुल कलाम को याद करते हुए कहा कि डॉ. कलाम एक शिक्षक के रूप में याद किया जाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि डॉ. कलाम को अध्यापन का शौक था और अपने जीवन के अंतिम क्षणों तक भी उन्होंने छात्रों के साथ बातचीत की थी।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी और केन्द्रीय राज्य मंत्री श्री उपेन्द्र कुशवाहा, श्री राम शंकर कठेरिया और श्री जयंत सिन्हा इस अवसर पर उपस्थित थे।