प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नीति आयोग तथा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ बातचीत की।
बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा मानव विकास के केंद्र में है, इसीलिये ऊर्जा क्षेत्र के बारे में बातचीत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों को स्वच्छ, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा की एक समान पहुँच प्रदान करना सरकार की नीति के मूल में है। इसके लिए देश ने एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया है।
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि भारत में निवेश आकर्षित करने के लिए सरकार कई नीतिगत कदम उठा रही है। श्री मोदी ने कहा कि भारत में ऊर्जा क्षेत्र में निवेश के जबर्दस्त अवसर हैं। भारत में अब खोज और उत्पादन परियोजनाओं में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश-एफडीआई की अनुमति है, और सार्वजनिक क्षेत्र में स्वचालित मार्ग से शोधन के लिये 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि ये सुधार ऊर्जा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'एक राष्ट्र-एक गैस ग्रिड’ का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए देश भर में गैस पाइपलाइन का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है। उन्होंने खाना पकाने और परिवहन के लिये स्वच्छ ईंधन की आपूर्ति में सहायता के लिए शहरों के गैस वितरण नेटवर्क के विस्तार के प्रयासों के बारे में भी बातचीत की। उन्होंने प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत रसायनों और पेट्रो-रसायन निर्माण और निर्यात का एक केंद्र बनने का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मानवीय आवश्यकताओं और आकांक्षाओं का प्राकृतिक परिवेश के साथ संघर्ष नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि भारत मानव सशक्तिकरण और पर्यावरण की देखभाल दोनों में बराबर विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि देश इथेनॉल, दूसरी पीढ़ी के इथेनॉल, संपीड़ित जैविक गैस और जैविक डीजल के उपयोग के माध्यम से ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करने की दिशा में काम कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सतत विकास के दर्शन के आधार पर, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे नए संस्थानों के पोषण के लिए प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि 'एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ हमारा लक्ष्य है। भारत की 'पड़ोसी प्रथम’ नीति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अपने पड़ोसी देशों नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और म्यांमार के साथ ऊर्जा सहभागिता को मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का तेजी से बढ़ता हुआ ऊर्जा क्षेत्र निवेशकों के लिए इस क्षेत्र में निवेश के जबर्दस्त अवसर प्रस्तुत करता है। उन्होंने वैश्विक उद्योगों को भारत की प्रगति में भागीदार बनने और भारत में ऊर्जा के सभी रूपों के उत्पादन को बढ़ाकर समृद्धि को साझा करने के लिए आमंत्रित किया।
इस कार्यक्रम में तेल और गैस क्षेत्र से लगभग 40 मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया। इसमें लगभग 28 नेताओं ने प्रधानमंत्री के सामने अपने विचार प्रस्तुत किए। अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और संयुक्त अरब अमीरात के उद्योग और उन्नत प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. सुल्तान अहमद अल जाबेर; क़तर के ऊर्जा मामलों के राज्य मंत्री, उपाध्यक्ष और प्रमुख, श्री साद शेरिदा अल-काबी; ओपेक के महासचिव श्री मोहम्मद सानुसी बरकिंडो; आईईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. फेथ बिरोल; जीईसीएफ के यूरी सेंटुरिन; और आईएचएस मार्किट यूनाइटेड किंगडम के उपाध्यक्ष, डॉ. डैनियल येरगिन जैसे प्रमुख हितधारकों ने ऊर्जा क्षेत्र के बारे में अपने विचार साझा किए। बैठक में रोज़नेफ्ट, बीपी, टोटल, ल्योंडेल बासेल, टेल्यूरियन, शालम्बरगर, बेकर ह्यूजेस, जेरा, एमर्सन और एक्स-कोल सहित प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने भाग लिया।