"PM: Union Government is committed to boosting the agricultural economy through value addition and infrastructure creation"
"PM: Centre and States must work as a team for India to progress. India's federal structure will be followed in letter and spirit."
"प्रधानमंत्री : केंद्र सरकार मूल्य वर्धन और बुनियादी सुविधाओं के सृजन के जरिए कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध"
"प्रधानमंत्री : केंद्र और राज्यों को भारत की प्रगति के लिए एक समूह के रूप में काम करना चाहिए। भारत के संघीय ढांचे का अक्षरश: पालन किया जाएगा।"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि केंद्र सरकार ग्रामीण संपर्क, भंडारण और गोदामों सहित उचित बुनियादी ढांचे का निर्माण कर मूल्य वर्धन के जरिए कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ाने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी कर्नाटक के टुमकुर में इंडिया फूड पार्क के उद्घाटन के बाद विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे। इस परियोजना के बारे में उन्होंने कहा कि इससे "अन्नम ब्रह्मा"- अन्न भगवान है, का सपना साकार होगा। उन्होंने कहा कि वह किसान जो सभी को अन्न उपलब्ध कराता है उसे भी अपने उत्पादन के बदले अच्छी आय मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है। (किसान हमारा पेट भी भरे। किसान की जेब भी भरे)

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प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि और खाद्य उत्पादों में मूल्य वर्धन भारत के लिए नया नहीं है। प्रधानमंत्री ने सत्तू, घी, जैगरी (गुड़), अचार जैसे कई उदाहरणों का उल्लेख करते हुए इस बात का भी जिक्र किया कि कैसे भारत और यूरोप के बीच के प्राचीन समुद्री व्यापार मार्ग को मसाला व्यापार मार्ग बताया गया था।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की प्रगति के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को एक समूह के रूप में कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत तभी मजबूत और विकसित हो सकता है जब इसके राज्य मजबूत और विकसित होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्रीय योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा। श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह भारत के संघीय ढांचे का अक्षरश: पालन करेंगे। इंडिया फूड पार्क के बारे में उन्होंने कहा कि यह परियोजना केन्द्र, राज्य और निजी क्षेत्र की भागीदारी का मिश्रण है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए आवश्यक बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देगी।

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इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल श्री वजूभाई रुदाभाई वाला, कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धारमैया और केंद्रीय मंत्री श्री अनंत कुमार एवं श्री सदानंद गौड़ा के साथ-साथ सुश्री हरसिमरत कौर बादल भी उपस्थित थीं।

कर्नाटक के तुमकुर में इंडिया फूड पार्क के उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के भाषण का मूल पाठ
विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे किसान भाइयों एवं बहनों,

अभी मुख्‍यमंत्री जी कनडा भाषा में अपनी बात बता रहे थे। मैं कनडा भाषा नहीं जानता हूं। उसके बावजूद भी वो जो कह रहे थे, उसको में समझ पा रहा था। और उसका कारण यह है कि अगर देश को आगे बढ़ाना है, तो केंद्र और राज्‍य को मिलकर के काम करना होगा। राज्‍य की भावनाओं को केंद्र को समझना होगा और केंद्र की योजनाओं को राज्‍य और केंद्र को मिलकर के ही पार करना होगा।

आज ये जो फूड पार्क हम दे रहे हैं, इसमें राज्‍य सरकार, केंद्र सरकार और प्राइवेट पार्टी - तीनों की भागीदारी है। तीनों ने मिलकर के इस काम को आगे बढ़ाया है। देश को भी आगे बढ़ाने के लिए, दिल्‍ली में बैठी हुई इस नई सरकार का संकल्‍प है - अगर देश को आगे ले जाना है तो राज्‍यों को आगे ले जाना होगा। राज्‍य मजबूत होंगे तो देश मजबूत होगा। राज्‍य विकास करेंगे तो देश विकास करेगा। राज्‍य प्रगति करेंगे तो देश प्रगति करेगा।

पहले के समय में या तो राज्‍य और केंद्र प्रतिस्‍पर्धा में लगे थे, या राजनीतिक कारणों से विरोध में जुटे हुए थे। कुछ राज्‍यों को तो दुश्‍मनी के व्‍यवहार का अनुभव होता था। देश ऐसे नहीं चल सकता है। अगर देश चलाना है तो केंद्र और राज्‍यों को एक टीम बन करके काम करना होगा। प्रधानमंत्री और मुख्‍यमंत्रियों को - वे किसी भी दल के क्‍यों न हो, दल कोई भी क्‍यों न हो, देश तो एक है - कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ाना होगा। और मैं, एक के बाद एक, सभी राज्‍य सरकारों को विश्‍वास में लेकर के, सभी मुख्‍यमंत्रियों का साथ लेकर के, भारत के फेडरल स्‍ट्रक्‍चर को लेटर एंड स्पिरिट में कैसे उपयोग किया जा सकता है, कैसे उस ताकत का उपयोग किया जा सकता है, उसको करने के लिए हमारी पूरी कोशिश रहेगी।

आज का दिवस अनेक प्रकार से विशेष है। आज भारत के वैज्ञानिकों ने एक बहुत बड़ी सिद्धि प्राप्‍त की है। पहले ही प्रयास में मंगल के orbit में स्‍थान पाने वाला हिंदुस्‍तान पहला देश बन गया है। आज मेरा ये भी सौभाग्‍य रहा कि यहां आने से पहले परम पूज्‍य सिद्धगंगा स्‍वामीजी के चरण स्‍पर्श करने का अवसर मिला। उनके आर्शीवाद लेने का अवसर मिला। और आज, जैसे हमारे मंत्री जी ने कहा – अन्‍नं ब्रह्म। अन्‍न ब्रहम की पूजा करने का, इस प्रोजेक्‍ट के द्वारा अवसर मिला है।

हम सुनते आए हैं, भारत कृषि प्रधान देश है। लेकिन देश के किसानों का हाल क्‍या है? किसान देश का पेट भरता है और किसान की ताकत है, दुनिया के भी कई हिस्‍सों का पेट भर सकता है। लेकिन किसान की जेब नहीं भरती है। वह हमारा तो पेट भरे, लेकिन अगर उसकी जेब नहीं भरती है, तो हमारा किसान जाएगा कहां। और वो तब होगा, जब हम कृषि को वैज्ञानिक तरीके की और ले जाएंगे। हम हमारी उत्‍पादन क्षमता को बढ़ाएंगे। हम हमारे कृषि उत्‍पादन के रख-रखाव की अच्‍छी व्‍यवस्‍था करेंगे। हम Value addition करेंगे। किसान के रख-रखाव के भाव में वेयर हाउस नहीं हैं, cold storage नहीं हैं, infrastructure नहीं है, अपना फल-फूल पैदा कर के गांव से बाजार ले जाने को अच्‍छे रास्‍ते नहीं है। तो किसान कितनी भी मेहनत करेगा वह आर्थिक रूप से संपन्‍न नहीं हो सकता है। और यह समय की मांग है कि हमारा किसान जो उत्‍पादन करता है, उसको सही Market मिले, सही दाम मिले। रखरवाव की व्‍यवस्‍था मिले, Value addition के लिए processing हो। अगर ये किया गया, भारत का गांव समृद्ध होगा, भारत का गरीब समृद्ध होगा। अगर हिन्‍दुस्‍तान की economy को आगे बढ़ाना है, तो गांव के इंसान की खरीद शक्ति को बढ़ाना होगा, उसके purchasing power को बढ़ाना पड़ेगा। अगर गांव के व्‍यक्ति का purchasing power बढ़ता है, तो शहर की economy भी तेज गति से आगे बढ़ने लग जाती है। और गांव के व्‍यक्ति का purchasing power तब बढ़ता है, जब कृषि क्षेत्र में हमारी ताकत बढ़े। और इसलिए राज्‍य का, केन्‍द्र का, मिल कर के प्रयास रहना चाहिए कि हम कृषि क्षेत्र को किस प्रकार से आधुनिक बनायें, वैज्ञानिक बनायें।

Food Processing, यह हमारे देश के लिए नई चीज नहीं है। सदियों से हमारे पूर्वज अपने-अपने तरीके से व्‍यक्तिगत उपयोग के लिए इन चीजों को करते आए थे। अब देखिये, बिहार का कोई व्‍यक्ति, कहीं भ्रमण के लिए जाता है, महीने भर के लिए जाना है, तो अपने साथ सत्‍तू बना कर ले जाता है। और महीनों तक वह सत्‍तू खाने के काम आ जाता है। यही तो है Food Processing, और क्‍या है? हमारे पूर्वज हैं, जो किसी जमाने में गन्‍ने के रस से गुड़ बनाते थे। वह भी जमीन पर बनाते थे। वह भी तो Food Processing था।

एक जमाना था, सामुद्रिक मार्ग में एक रास्‍ता पूरे विश्‍व प्रसिद्ध था। सामुद्रिक मार्ग में, sea route में, एक Spices Trade Route सदियों से जाना जाता है। आज तो कई प्रकार के Trade Route की समुद्र से चर्चा होती है। पर वह spices का समुद्र में ट्रेड रूट था, हमारे देश के किसान जो मसाला पैदा करते थे, वह पूरे विश्‍व के बाजार में जाता था। और समुद्र के मार्ग का उपयोग भी Spices Trade Route के रूप में होता था। यह सामर्थ्‍य हमारे देश के किसानों में था।

आज समय की मांग है कि हमारे किसान जो पैदा करते हैं, उसका wastage अगर हम बचा लें, तो भी देश के 30-40 हजार करोड़ रुपये बच सकता है। और इसके लिए इस प्रकार के आर्थिक व्‍यवस्‍थाओं को हमें विकसित करना होगा। आज कल तो Nuclear Energy का उपयोग भी किसानों की भलाई के लिए करने की संभावनाएं पैदा हुई हैं। भारत उसको भी आगे बढ़ाना चाहता है।

उसी प्रकार से इन दिनों में कुछ कंपनियों के सामने मैंने एक विषय रखा है। हम Pepsi पीते हैं, Cola पीते है, न जाने कितने-कितने प्रकार के Beverages बाजार में मिलते हैं। अरबो-खरबों रुपये का व्‍यापार होता है। मैंने इन कंपनियों को कहा कि आप ये जो बनाते है, aerated waters, क्‍या उसमें 5% natural fruit juice को mix किया जा सकता है क्‍या? आप कल्‍पना कर सकते हैं, आज जो अरबो-खरबों रुपये का इस प्रकार के पेप्‍सी वगैरह पेय का जो व्‍यापार है, पांच प्रतिशत उसमें, ज्‍यादा मैं नहीं कह रहा हूं, 5% , किसान जो फल पैदा करता है, उसे फल का जूस अगर उसमें मिक्‍स कर दिया जाए, हिंदुस्‍तान के किसान को फल बेचने के लिए कभी बाजार ढूंढने नहीं जाना पड़ेगा। अरबो-खरबों रुपये के फलों का व्‍यापार एक निर्णय में हो सकता है।

मैंने भारत सरकार की जो Research Institutes हैं, उनसे भी आग्रह किया है, कि आप research करें कि इन aerated waters में - ये पेप्‍सी कोला वगैरह जो बिकता है - उसमें हमारा किसान जो पैदा करता है, उन फलों का जूस, नेचुरल जूस अगर उसमें डाला जाए तो तेरे किसान की आय बढ़ेगी, उनके फल बिक जाएंगे और मेरे किसान को कभी अपने फल चौराहे पर फेंकने की नौबत नहीं आएगी।

मैं अभी एक science magazine पढ़ रहा था। आज देखिए, आज किसान जो पैदा करता है, कोई चीज waste जाने वाली नहीं है। कितनी चीजें बन सकती है। हम cashewnut खाते हैं, cashewnut का बड़ा बाजार मिलता है। लेकिन अभी विज्ञान यह कह रहा है कि cashewnut का जो कवर होता है, जिसमें से cashew निकलता है, वो जो ऊपर का कवच होता है, जो हार्ड कवच रहता है, वह nutrient-rich च रहता है। अगर उसका जूस बाजार में जाएगा तो nutrition के लिए हर व्‍यक्ति को उपयोगी होगा। अब तक हम क्‍या करते थे, काजू निकालते थे और ऊपर का छिलका जला देते थे। अब उसमें value addition होने की संभावना हुई है।

केले, हमलोग केले की खेती करते है। केला निकालने के बाद वो चूरा पौधा जो होता है, पांच फीट, छह फीट ऊंचा होता है, उसको नष्‍ट करने के लिए अलग contract देते थे। एक बीघा जमीन में यह साफ करने के लिए 10 हजार 20 हजार रुपये हम देते थे। आज हमारे यहां एक university ने research किया है कि केले पकने के बाद, केले निकलाने के बाद जो पौधा बचता है, उसमें से बहुत बढि़या तंतु निकलते हैं, धागे बनते हैं। और उसमें से उत्‍तम प्रकार का कपड़ा बन सकता है। केले के waste में से कपड़ों का निर्माण होने की संभावना पैदा हुई है। यानी मूल्‍य वृद्धि - processing। हम सदियों से इन चीजों से परिचित है। हम करते आए हैं।

हम दूध में घी बनाते है। दूघ दो दिन भी टिकता नहीं है, लेकिन घी महीनों तक टिकता है। कौन सी technology है ये? सहज परिवार का ज्ञान है जो फूड प्रोसेसिंग प्रक्रिया को करता है। दूध में से घी बनता है और महीनों उस घी का उपयोग करता है। घी खराब नहीं होने देता है।

आज हमारा किसान टमाटर बेचता है, कम पैसे मिलते हैं, लेकिन अगर टमाटर का ketchup बनाकर के बेचे तो ज्‍यादा पैसा मिलता है। और ketchup का bottle भी बढि़या हो, नाम भी बढि़या हो और कोई नारी हाथ में बोटल लेकर खड़ी हो, तो उसे और ज्‍यादा पैसे बाजार में मिल जाते हैं, marketing का जमाना है। हमारा किसान अगर आम बेचता है तो कम पैसे मिलते हैं, लेकिन अचार बनाकर बेचता है तो दुनिया के बाजार में अचार बिकता है। आज पूरे विश्‍व में भारत के भोजन के प्रति एक आकर्षण पैदा हुआ है। भोजन में भारत का टेस्‍ट आज विश्‍व भर में एक आकर्षक का केंद्र बना है। लेकिन preparation उनके लिए संभव नहीं हैं। Ingredients available नहीं हैं। लेकिन अगर हम packed, ready-to-eat भोजन बनाकर करके बाजार में रखते हैं। आज पूरे विश्‍व में हमारा माल बिक सकता है।

अगर आप Indian Curry पैक करके बेचना शुरू करें, दुनिया खरीदने के लिए तैयार बैठी है। इतना बड़ा Global Market है, उसकों हम कैसे स्‍पर्श करें? आज Organic Farming, इसका महत्‍व बढ़ रहा है। सारा विश्‍व Holistic Healthcare की ओर जा रहा है। हमारे हिमालयन states, North East states, जिसमें organic farming की सबसे ज्‍यादा संभावना है – chemical fertilizer से मुक्‍त। अगर उनको हम अच्‍छी laboratory दें, अच्‍छा certification दें, दुनिया के बाजार में जो माल एक रूपए में बिकता है, अगर वो Organic Farming से बना तो वही माल एक डॉलर में बिक जाता है। ये संभावनाएं पड़ी हैं और इन संभावनाओं को तलाशने का प्रयास भारत सरकार कर रही है, उसे प्रोत्‍साहन दे रही है। हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में किसान जो पैदावार करता है, उस पैदावार के लिए आवश्‍यक जो व्‍यवस्‍थाएं हैं, उन व्‍यवस्‍थाओं जितना infrastructure हम बढ़ाएगें। समुद्री तट से उसे विश्‍व व्‍यापार के लिए अवसर देंगे।

हमारा किसान बहुत चीजें कर सकता है। एक बार में एक function में गया था। ट्राइबल इलाका था। उन ट्राइबल लोगों ने मुझे गुलदस्‍ता भेंट किया और मैं हैरान था। गुलदस्‍ते में जो फूल थे, हर फूल पर मेरी तस्‍वीर लगी थी। मेरे लिए वो पहली घटना थी। मैंने कहा, भाई, ये क्‍या है? आदिवासी लोग थे, ट्राइबल लोग थे। उन्‍होंने कहा, हम laser technology से फूल पर photo print करते हैं और ये फूल बाजार में बेचते हैं। जो फूल हमारा दो रूपए में नहीं बिकता था, वो फूल आज हमारा दो सौ रूपए में बिकता है। अब देखिए technology दूर-दराज के गांव में रहने वाले आदिवासी भी किस प्रकार से वैल्‍यू एडिशन किया जा सके, वो कर रहा है। हम उसे पहुंचाएं बात को, हम व्‍यवस्‍थाएं खड़ी करें। और देश में आगे बढ़ने के लिए Public-Private Partnership Model को हम बढ़ावा देंगे। हम private companies कंपनियों को प्रोत्‍साहित करेंगे। आइये हमारे किसानों की जो पैदावार है, उसमें मूल्‍य वृद्धि कैसे हो, किसान को अधिक से अधिक लाभ कैसे मिले, किसान जो पैदा करता है, उसके wastage से हम बचें, किसान जो पैदा करता है, वो अन्‍य गरीब के पेट में जाए, गरीब का आर्शीवाद मिलें, उन बातों पर बल दे रहें हैं।

मैं आज इस India Food Park को देश के चरणों समर्पित करता हूं, भारत किसानों के चरणों में समर्पित करता हूं। और ये बदलाव, आने वाले समय में संपूर्ण किसी क्षेत्र में बदलाव लाएगा। इस विश्‍वास के साथ एक एग्रीकल्‍चर इकोनोमी को एक नया आयाम देने का प्रयास आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक विकास की यात्रा में, हमारा किसान, किसान के द्वारा उत्‍पन्‍न की पैदा की गई पैदावार भी हमारे आर्थिक यात्रा को एक बहुत बड़ा बल देंगे। इसी विश्वास के साथ फिर एक बार मैं आप सब का बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं, आपका आभार व्यक्त करता हूं।

किसानों के इस परिश्रम को लाल बहादुर शास्त्री ने कहा था जय जवान-जय किसान। अटल जी ने कहा था जय जवान-जय किसान-जय विज्ञान। आज का वो दिन है, जहां जय विज्ञान भी है, जय किसान भी है। ये जय विज्ञान, जय किसान, जय जवान के लिए भी कम आने वाला है, इसीलिए मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !