प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज इस बात पर जोर दिया कि देश को स्वतंत्रता संग्राम की महान विरासत को अवश्य याद रखना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस संघर्ष की विरासत और हमारे स्वतंत्रता सैनानियों की उपलब्धियां अगली पीढ़ी तक पहुंचे। रानी गाइदिन्ल्यू की जन्म शताब्दी समारोह के उद्घाटन अवसर पर स्मारक सिक्का जारी करने के बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि यह हमारा दुर्भाग्य है कि रानी गाइदिन्ल्यू जैसी हस्तियों को या तो पूर्ण रूप से याद नहीं किया जाता या जान-बूझकर भूला दिया गया है।
प्रधानमंत्री ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में रानी गाइदिन्ल्यू के योगदान का स्मरण किया। उन्हें ‘रानी-मां’ बताते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनका मानना था कि नगा लोगों का अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष देश की एकता और अखंडता के लिए भी संघर्ष था। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में महात्मा गांधी का संदेश फैलाने का श्रेय भी रानी गाइदिन्ल्यू को दिया।
उन्होंने खेद व्यक्त किया कि स्वतंत्रता के बाद कई वर्षेा तक रानी गाइदिन्ल्यू अपने गांव में प्रवेश नहीं कर सकीं। उन्होंने कहा कि भारत का निर्माण राजाओं या शासकों से नहीं, बल्कि यहां के लोगों से हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य से रहने पर ‘रानी-मां’ के विचार आज जलवायु परिवर्तन की समस्या झेल रहे विश्व के सामने एक उत्तर हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया। उन्होंने फिर कहा कि पूर्वोत्तर की तरक्की से पूरे राष्ट्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि हाल ही में बांग्लादेश के साथ हुए भूमि सीमा समझौते से इस क्षेत्र का संपर्क शेष देश के साथ बढ़ाने में मदद मिलेगी। हाल ही में हुए नगा शांति समझौते के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकारों के प्रयासों की वजह से ही इस तरह का समझौता संभव हो सका।
इस अवसर पर नगालैंड के राज्यपाल श्री पी.बी. आचार्य, नगालैंड के मुख्यमंत्री श्री टी.आर जिलियांग, मणिपुर के मुख्यमंत्री श्री ओ.इबोबी सिंह और केन्द्रीय मंत्री श्री राजनाथ सिंह, श्री अरूण जेटली, डॉ. महेश शर्मा तथा डॉ. जितेन्द्र सिंह उपस्थित थे।