प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में वे इस बात से आश्वस्त थे कि ‘नए भारत’ की संकल्पना को समन्वित प्रयास एवं सभी राज्यों एवं मुख्यमंत्रियों के सहयोग से ही पूरा किया जा सकता है। नीति आयोग की गर्वनिंग काउंसिल की तीसरी बैठक में मुख्य उद्बोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि एक बदलते वैश्विक परिदृश्य के लिए भारत की तैयारियों पर विचार-विमर्श व तौर-तरीकों को प्रदर्शित करने के लिए ‘टीम इंडिया’ आज यहां एकत्रित हुई है। उन्होंने कहा कि आज की बैठक नीतियों एवं उसके कार्यान्वयन पर विचारों के आदान-प्रदान का एक सुअवसर है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यहां एकत्रित महानुभावों का सामूहिक दायित्व है कि वह 2022 के भारत, स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के परिप्रेक्ष्य में इन लक्ष्यों की प्राप्ति में किस प्रकार हम तेजी से आगे बढ़ सकते है, इस पर विचार करें।
चम्पारण सत्याग्रह की शताब्दी के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नीति आयोग नए उत्साह के साथ भारत के कायाकल्प की दिशा में उपाय कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार, निजी क्षेत्र एवं समाज-सभी को मिलजुलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने उल्लेख किया कि नीति एक सामूहिक संघीय तंत्र है, जिसकी शक्ति प्रशासनिक अथवा वित्तीय नियंत्रण की अपेक्षा उसके विचारों में विद्यमान रहती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्रियों को बजट अथवा योजनाओं के अनुमोदन के लिए नीति आयोग आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग सरकार के आदानों पर विश्वास करने से भी आगे है और इसने अपने बोर्ड में अनेक बाहरी विशेषज्ञों, विषय के अनुभवी लोगों एवं युवा व्यवसायियों को शामिल किया है और राज्य भी नीति निर्माण में अपना योगदान कर सकते हैं। उन्होंने ई-नाम का उदाहरण पेश किया, जहां राज्यों के अनुभवों ने नीति को अंतिम रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों के उप-समूह ने केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं, स्वच्छता, दक्षता विकास और डिजीटल भुगतान जैसे विषयों पर महत्वपूर्ण आदान प्रस्तुत किए थे। मुख्यमंत्रियों के विचारों के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर है जिसमें मुख्यमंत्रियों से कहा गया है कि वे केंद्र सरकार की प्रायोजित योजनाओं की सूची तथा हिस्सेदारी की पद्धति के संबंध में अपनी सिफारिशें दें। धन की रूकावटों के बावजूद सिफारिशों को तत्काल स्वीकार कर लिया गया।
प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि जहां 2014-15 और 2016-17 के बीच राज्यों को सम्यक निधि आवंटन में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं केंद्र की योजनाओं को धन की प्रतिशतता मैं पूर्व के जोड़ में 40 प्रतिशत से कमी आकर असहयोजित अंश में परवर्ती वृद्धि का 25 प्रतिशत हो गया।
प्रधानमंत्री ने राज्यों से अनुरोध किया कि वे पूंजीगत व्यय तथा संरचनागत निर्माण कार्यों में तेजी लाएं।
बजट प्रस्तुत करने की तिथि में ऐतिहासिक बदलाव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे वित्तीय वर्ष की शुरूआत तथा समय पर धन की उपलब्धिता सुनिश्चित होगी। पूर्व में बजट में योजनागत निधि को प्राय: मई तक संसद द्वारा पारित नहीं किया जाता था, जिसके उपरान्त उसकी जानकारी राज्यों तथा मंत्रालयों को दी जाती थी। तब तक मानसून दस्तक दे देता था। इस प्रकार योजनाओं के लिए काम करने का सर्वोत्तम समय इसी ऊहापोह में बर्बाद हो जाता था। उन्होंने 2011 में रंगराजन स्थिति की सिफारिशों के आधार पर, जिसने यह पाया था कि योजना तथा गैर-योजनागत यह अंतर-प्रति- उत्पादक है और उनमें योजना तथा गैर-योजनागत व्यय के बीच अन्तर को भी समाप्त किए जाने का भी उल्लेख किया। व्यय को अनेक महत्वपूर्ण मदों को ‘गैर-योजना’ मद के रूप में शामिल कर लिया जाता था और इस प्रकार उनकी उपेक्षा हो जाती थी। अब यह अन्तर एक ओर विकास और कल्याणकारियों योजनाओं पर व्यय तथा दूसरी और प्रशासनिक एवं शीर्ष से इतर के बीच रखने पर जोर रहेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर के माध्यम से हमारे संघीय ढांचे की शक्ति एवं संकल्प परिलक्षित हुई है। उन्होंने वैचारिक एवं राजनैतिक मत भेदों को दर-किनार रख इस उद्देश्य के लिए एक मंच पर आने का श्रेय सभी मुख्यमंत्रियों को दिया। मुख्यमंत्रियों का आभार प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर पर राय सहकारी संघवाद को इतिहास में स्थान मिलेगा व एक महान उदाहरण बनकर सामने आएगा। उन्होंने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर ‘एक राष्ट्र, एक आकांक्षा, एक निश्चय’ की भावना को प्रदर्शित करता है।
प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराये जाने पर बहस और मंथन की प्रक्रिया आगे बढ़नी चाहिए।
उन्होंने कहा कि नीति आयोग 15 वर्षीय दृष्टिकोण, 7 वर्ष की मध्यकालिक नीति तथा 3 वर्ष का कार्य एजेंडा पर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास को राज्यों के समर्थन की आवश्यकता है और अन्तत: यह राज्यों के ही हित में होगा।
PM @narendramodi is chairing the 3rd Governing Council Meet of the @NITIAayog in New Delhi. pic.twitter.com/ynYWTiIwzc
— PMO India (@PMOIndia) April 23, 2017
Cabinet Ministers, State CMs, officials, members of @NITIAayog & special invitees are attending the @NITIAayog Governing Council meeting. pic.twitter.com/tMw2lxhiRC
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