प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ और स्नायु विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू में आयोजित दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने ग्रेजुएट छात्रों को नसीहत दी कि वे मरीजों का इलाज करते समय हमदर्दी बरतें और समाज में मानसिक बीमारी के संबंध में फैले अंधविश्वास को दूर करने के लिए कार्य करें।
प्रधानमंत्री ने विशेष अतिथियों के रूप में बेंगलुरू के विभिन्न स्कूलों से आए गरीब बच्चों का स्वागत किया, जो दीक्षांत समारोह में उपस्थित थे। उन्होंने डिग्री लेने वाले छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे इन बच्चों के साथ बातचीत करें। उन्होंने कहा कि यह अवसर उनके लिए प्रेरणादायक साबित हो सकता है।
प्रधानमंत्री ने ग्रेजुएट हो रहे छात्रों से आग्रह किया कि वे समाज के विभिन्न वर्गों के उन लोगों को हमेशा ध्यान में रखें, जिन्होंने उनकी सफलता में किसी भी रूप में योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें हमेशा गरीबों और समाज के वंचित वर्ग के लाभ के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यही स्वान्त: सुखाय की खुशी पाने का तरीका है।
प्रधानमंत्री ने ग्रेजुएट हो रहे छात्रों से कहा कि उन्होंने अपनी अंतर आत्मा की आवाज के आधार पर यह पेशा चुना है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका काम कठिन है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि उनकी शिक्षा और सेवा की भावना से उन्हें अपना लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अक्सर अंधविश्वास के कारण मानसिक बीमारी का ठीक से इलाज नहीं हो पाता। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ के क्षेत्र में तीन प्रकार की चुनौतियों- अज्ञानता, जागरूकता का अभाव और अंधविश्वास का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि लोगों को समझना होगा कि मानसिक बीमारी का इलाज हो सकता है और इसे वैज्ञानिक तरीके से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कौशल और शिक्षा के साथ मानसिक बीमारी से पीडि़त मरीज का इलाज करते समय डॉक्टरों को हमदर्दी बरतनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने सभी पुरस्कार विजेताओं और ग्रेजुएट छात्रों को बधाई दी।
इस अवसर पर केन्दीय मंत्री श्री सदानंद गौड़ा, श्री अनंत कुमार और श्री जे पी नड्डा, कर्नाटक के राज्यपाल श्री वजूभाई वाला और कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री सिद्धा रमैया मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने निमहंस में एमआर-पीईटी केन्द्र का उद्घाटन किया।