प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गोवा के समुद्र तट से अत्याधुनिक एअरक्राफ्ट वाहक आईएनएस विक्रमादित्य नौसेना को समर्पित किया और कहा कि भारत न तो किसी देश को धमकाएगा और न ही किसी की धमकी सहेगा - बल्कि सभी देशों के साथ एक सा व्यवहार करेगा। (‘‘हम किसी को न आँख दिखाएँगे, ना आँख झुकाएँगे, दुनिया से आँख मिला के बात करेंगे’’)
प्रधानमंत्री ने थल, जल और वायु सेना के जवानों के समर्पण और वीरता की सराहना की। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की और नई ऊँचाइयाँ हासिल करने के लिए ‘‘सुरक्षित भारत’’ सबसे पहली आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज नौसेना ने भारत की समुद्री सुरक्षा के इतिहास में एक सुनहरा अध्याय लिखा है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने नौसेना के सबसे बड़े और नवीनतम विमानवाहक युद्धपोत विक्रमादित्य की ऑनबोर्ड सामुद्रिक क्षमताओं के तीन घंटे तक चले अद्भुत प्रदर्शन को देखा - जिसमें रॉकेट फायरिंग डेमो, एअर पॉवर डेमो और नौसेना के जहाजों द्वारा स्टीम पास्ट शामिल था। उन्हें जहाज की क्षमताओं के बारे में संक्षेप में बताया गया। उससे पहले, आईएनएस हंसा नेवल बेस पर नेवल स्टाफ के चीफ एडमिरल आरके धोवन ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया।आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात नौसैनिकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने पहली बार दिल्ली से बाहर कदम रखा है और सीधे विक्रमादित्य पर उनसे मिलने आए हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज के युग में सैन्य बलों की वरीयता के लिए कौशल और वीरता की तरह ही तकनीक भी महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा कि भारत सुरक्षा उपकरणों के निर्माण क्षेत्र में आत्म निर्भरता और स्वदेशीकरण की ओर बढ़ेगा। श्री मोदी ने कहा कि भारत निर्मित हथियार और उपकरण विश्वभर के छोटे देशों के लिए संरक्षकों की तरह काम करने चाहिए।
श्री मोदी ने कहा कि मजबूत राष्ट्र के लिए भारत के नेतृत्व की भावना भी सैन्य बलों की ही तरह महत्वपूर्ण है। उन्होंने घोषणा की कि मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की बलि देने वाले वीर शहीदों के साहस को सलाम करने के लिए सरकार ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ‘‘एक पद, एक पेन्शन स्कीम’’ लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नौसेना के ऐतिहासिक संदर्भ पर बात करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि भारत के समुद्री व्यापारिक हितों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए, भारत में सबसे पहले महान राजा शिवाजी ने नौसेना का गठन किया। उन्होंने कहा कि समुद्रतट के हर खंड में नौसैनिक एनसीसी का नेटवर्क बनाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने ईश्वर से प्रार्थना करते हुए सैनिकों से कहा कि आईएनएस विक्रमादित्य उनमें से प्रत्येक के अंदर सूर्य की तेजस्विता और जीत का विश्वास भर दे। (‘‘विक्रमादित्य, जिसके नाम के साथ सूर्य जैसी तेजस्विता जुड़ी है, आप सब के जीवन में भी सूर्य की प्रखरता आए और विजयी होने का विश्वास पैदा हो’’)
प्रधानमंत्री के साथ गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पारिकर,रक्षा राज्य मंत्री श्री राव इंद्रजीत सिंह और पर्यटन एवं संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री येस्सो नाईक, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.के. धवन और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत दोवल उपस्थित थे।