प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज करगिल में 45 मेगावाट के चुटक पनबिजली केन्द्र को राष्ट्र को समर्पित करते हुए कहा कि जम्मू- कश्मीर की 30 प्रतिशत आबादी विस्थापित है और उनकी सरकार विस्थापितों के सुनियोजित पुनर्वास से लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री ने करगिल में जनसभा को संबोधित करते हुए 1999 के करगिल युद्ध के दौरान अपनी यात्रा की याद दिलायी। उन्होंने कहा कि उस समय यहां तोपों की आवाज गूंजती थी और आज हम लोगों की तालियों की आवाज सुन रहे हैं । उन्होंने कहा कि करगिल के लोगों ने युद्ध के दौरान भारतीय शस्त्र सेना को समर्थन दिया था। उन्होंने कहा कि उन्हें टाइगर हिल विजय के समय शहर के लोगों के जोश और देश भक्ति की भावना अभी भी याद है। आज यहां के लोग विकास की मुख्यधारा में शामिल होना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इस पुरानी कहावत -पानी और जवानी पहाड़ के काम नहीं आते – को बदलने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि पनबिजली के जरिए पर्वतीय लोगों के लाभ के लिए जल का दोहन होता है। बिजली केवल उद्योग के लिए नहीं बल्कि पर्वतीय युवाओं के कौशल विकास तथा शहरी क्षेत्रों में पलायन किये बिना उचित रोजगार देने में सहायक होती है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार सड़क परियोजनाओं के लिए आठ हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि देगी। उन्होंने कहा कि लेह-करगिल श्रीनगर ट्रांसमिशन लाइन से श्रीनगर में शिक्षा तथा रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह करगिल को देश के सबसे तेजी से विकास करने वाला जिला बनाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास सभी समस्याओं का एक मात्र समाधान है। उन्होंने कहा कि विकास उनकी सरकार की प्राथमिकता है और युवाओं के रोजगार पर अधिकतम जोर दिया जा रहा है। इस संदर्भ में उन्होंने पशमिना, केसर उत्पादन तथा सेब उत्पादन में मूल्य संवर्धन की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि विकास के लिए धन की कोई कमी नहीं है और उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई शुरू कर दी है।
इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल श्री एन. एन. वोहरा, मुख्यमंत्री श्री उमर अब्दुल्ला और ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल भी उपस्थित थे।