प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि देश का जनजातीय समुदाय राष्ट्रीय विकास की महान शक्ति है। जनजातीय कल्याण संबंधी एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद को फैलने से रोकने के लिए रणनीति तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस दिशा में जनजातीय कार्य मंत्रालय अहम भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को मिलकर काम करना चाहिए।
श्री नरेन्द्र मोदी ने जनजातीय कार्य मंत्रालय से कहा कि वह जनजातीय क्षेत्रों में विकास केंद्रों की पहचान करे और देश में शिक्षा, स्वास्थ्य और खेल सुविधाओं के समुचित विकास को सुनिश्चित करे। उन्होंने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों में बिजली और मोबाइल फोन जैसे माध्यमों के जरिए ‘’प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप’’ के उद्देश्य के लिए काम किया जाना चाहिए। इसके अलावा बेहतर बुनियादी ढांचे के जरिए विकसित क्षेत्रों को अविकसित जनजातीय क्षेत्रों से जोड़ने का महत्वपूर्ण लक्ष्य भी पूरा किया जाना चाहिए।
जनजातीय जनजीवन के सांस्कृतिक पहलुओं और उनके प्राचीन ज्ञान के भंडार की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने जनजातीय कार्य मंत्रालय से आग्रह किया कि वह इन्हें डिजिटल रूप में संग्रह करे। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे गणतंत्र दिवस परेड की तरह ही एक जनजातीय सांस्कृतिक महोत्सव के आयोजन की संभावना पर काम करें। उन्होंने यह भी कहा कि ई-वाणिज्य मंचों के जरिए जनजातीय समुदाय के उत्पादों के ऑनलाइन विपरण की संभावना तलाश की जाए।
जनजातीय समुदाय के स्वास्थ्य के संबंध में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जनजातीय आबादी में व्याप्त सिकेल सेल रक्त-अल्पता का वैज्ञानिक आधार पर अध्ययन किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि संबंधित विभाग इस रोग के इलाज के लिए स्टेम सेल उपचार की संभावनाएं तलाश करे।
प्रधानमंत्री ने नीति आयोग को निर्देश दिया कि जनजातीय क्षेत्रों के लिए योजना बनाने के समय प्रासंगिक अनुसंधान संस्थानों और प्रतिष्ठित विशेषज्ञों की सेवाएं ली जाएं।
इस अवसर पर जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुअल ओराम और आला अधिकारी भी उपस्थित थे।