प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम के लिए 'कोई समझौता किए बगैर एक मिशन के तौर पर ठोस रवैया अख्तियार करने' का आह्वान किया है।
प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि गंगा नदी को स्वच्छ बनाने का काम बड़ा ही चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, इसमें बड़े पैमाने पर आर्थिक गतिविधियां सृजित करने की क्षमता है और इसके साथ ही यह पूरे देश में सकारात्मक व्यवहार का माहौल बनाने में भी सहायक साबित हो सकता है। उन्होंने गंगा नदी को बचाने का जिक्र करते हुए कहा कि यह 'भावी पीढि़यों के लिए हमारी जिम्मेदारी' है। प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा नदी करोड़ों भारतीयों के विश्वास एवं श्रद्धा से जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि लोगों की इन सकारात्मक भावनाओं को जिम्मेदारी के अहसास में तब्दील करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 'जन-भागीदारी' के बिना इस अहम जिम्मेदारी को पूरा नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री ने राज्यों से गंगा नदी के तट पर स्थित शहरों एवं गांवों के विकास पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने प्रदूषण की रोकथाम के लिए इन क्षेत्रों में पर्याप्त जागरूकता सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया।
इस बैठक में उपस्थित उत्तराखंड, बिहार एवं झारखंड के मुख्यमंत्रियों ने भी इस मुद्दे पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। इन मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों से जुड़े मुद्दों का भी जिक्र किया। उनके द्वारा जिक्र किए गए मुद्दों में गाद प्रबंधन के अलावा राज्यों से मिलने वाले प्रस्तावों के लिए एकल खिड़की मंजूरी व्यवस्था करना भी शामिल था।
केंद्रीय मंत्रियों श्री अरुण जेटली, श्री वेंकैया नायडू, श्री नितिन गडकरी, सुश्री उमा भारती, श्री बीरेंद्र सिंह, श्री प्रकाश जावडेकर, श्री पीयूष गोयल एवं श्री सांवरलाल जाट और नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री अरविंद पणगढि़या ने भी इस बैठक में शिरकत की।
बैठक में समन्वयक की भूमिका वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने निभाई। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सुश्री उमा भारती ने विभिन्न मुद्दों से अवगत कराया और धन्यवाद ज्ञापन किया।