प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज जम्मू-कश्मीर का गुरेज घाटी में नियंत्रण रेखा के समीप भारतीय सेना और बीएसएफ के जवानों के साथ दिवाली मनाई। वह लगभग दो घंटे तक वहां रहे। यह लगातार चौथी दिवाली है, जो प्रधानमंत्री ने सीमा पर तैनात जवानों के साथ मनाई है।
प्रधानमंत्री ने जवानों को मिठाई बांटी और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया।
जवानों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी की तरह वह भी अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने की इच्छा रखते हैं। इसलिए वह सुरक्षा बलों के जवानों के बीच आ आते हैं, जिन्हें वह 'अपना परिवार' मानते हैं।
उन्होंने कहा कि अपना सेवाकाल पूरा करने के बाद सशस्त्र बलों को छोड़ने वाले जवान उत्तम योग प्रशिक्षक बन सकते हैं। प्रधानमंत्री ने उस नए संकल्प के बारे में भी बताया जिसे प्रत्येक भारतीय नागरिक को आजादी की 75वीं वर्षगांठ यानी 2022 के लिए लेना चाहिए।
उन्होंने जवानों को नई चीजें करने के लिए प्रोत्साहित किया, ताकि उनके नियमित कार्य एवं कर्तव्य आसान और सुरक्षित बन सके। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि सेना दिवस, नौसेना दिवस एवं वायुसेना दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ नवाचारों को मान्यता दी जा रही है और उन्हें सम्मानित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार हरसंभव तरीके से सशस्त्र बलों के कल्याण और भलाई के लिए प्रतिबद्ध है। इस संबंध में उन्होंने 'वन रैंक, वन पेंशन' के क्रियान्वयन का जिक्र किया, जो दशकों से लंबित पड़ा था।
इस अवसर पर सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना के दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
आगंतुक पुस्तिका में प्रधानमंत्री ने लिखाः
“अपने प्रियजनों से दूर मातृभूमि की रक्षा करते, बलिदान की सर्वोच्च परंपराओं को प्रदर्शित करते, देश की सीमाओं पर तैनात सभी सैनिक बहादुरी और समर्पण की मिसाल हैं।
मुझे दिवाली का त्यौहार आप सबके साथ मनाने का अवसर मिला है। उत्सव के इस अवसर पर सीमा पर बहादुर सैनिकों की मौजूदगी आशा का दीपक जलाती है और करोड़ों भारतीयों में नई ऊर्जा का संचार करती है।
नए भारत के सपने को पूरा करने के लिए, यह हम सभी के लिए एक साथ काम करने का एक सुनहरा मौका है। सेना भी इसका एक हिस्सा है।
आप सभी को दिवाली की शुभकामनाएं।”