प्रधानमंत्री ने आज नई दिल्ली के 7-रेसकोर्स रोड स्थित अपने निवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में ‘’गैटिंग इंडिया बैक ऑन ट्रैक- एन एक्शन एजेंडा फॉर रिफॉर्म’’ नामक पुस्तक का विमोचन किया। इस पुस्तक का संपादन बिबेक देबरॉय, एशले टेलीज और रीस ट्रैवर ने किया है। पुस्तक के प्रकाशक है कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस।
श्री मोदी ने कहा कि नीति संबंधी निर्णयों में बेहतर तरीके से योगदान देने के लिए विश्वविद्यालयों को भी विकास प्रक्रिया के अनुसंधान और विश्लेषण में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में ध्यान हाईवेज से हटकर अब आई-वेज और ऑप्टिकल फाइबर के नेटवर्क पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पुराने समय में शहर नदियों के किनारे बसाए जाते थे, और आज हाइवेज या राजमार्गों के किनारे बनाए जाते हैं, लेकिन भविष्य में शहर ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क और अगली पीढ़ी को मिल सकने वाली बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता के आधार पर बसाए जाएंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शहरीकरण को एक समस्या के रूप नहीं बल्कि एक अवसर के रूप में मानना चाहिए। अगर हमें बेहतरी के लिए रोजगार जुटाने हैं और बदलाव लाना है तो हमें 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण करने की योजना बनानी है। प्रधानमंत्री ने भविष्य के विकास के क्रांतिकारी एजेंडे का सुझाव देते हुए राष्ट्रीय झंडे के तीन रंगों का उल्लेख किया।
हरे रंग से शुरू करते हुए उन्होंने कहा कि बढ़ती कृषि उत्पादकता, मूल्य संवर्धन, कृषि प्रौद्योगिकी भंडारण के विकेन्द्रीकरण पर ध्यान केन्द्रित करते हुए हमें दूसरी हरित क्रांति लाने की जरूरत है।
सफेद रंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति को अब दूध की उत्पादकता बढ़ाने और मवेशियों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एक समर्थन प्रणाली विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवा रंग ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। हमें भगवा क्रांति की जरूरत है जिसमें भारत की बढ़ती हुई ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र के नीले रंग से प्रेरित होकर उन्होंने कहा कि नील क्रांति के रूप में सजावटी मछलियों सहित मत्स्य उद्योग क्षेत्र पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए।
श्री मोदी ने जल संरक्षण की आवश्यकता पर बल दिया, और लधु-सिंचाई के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इससे '' प्रति बूंद, अधिक फसल'' हासिल करने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि गुजारात में गन्ने जैसी फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाने में लधु-सिंचाई अत्यंत सफल रही है।
उन्होंने कहा कि हमें जन सांख्यिकीय लाभों का दोहन करना चाहिए क्योंकि हमारी 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। इसके लिए कौशल विकास को प्राथमिकता क्षेत्र बनाने की आवश्यकता है। शिक्षण, नर्सिंग और अर्ध-चिकित्सीय जैसे कौशलों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे शिक्षक समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, लेकिन गिनेचुने अच्छे शिक्षक ही उपलब्ध है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या भारत ऐसे अच्छे शिक्षकों का निर्यातक बन सकता है जो समूची वैश्विक पीढ़ी की परिकल्पना कर सके। उन्होंने कहा कि यदि भारत को चीन के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है तो कौशल, आकार और गति पर ध्यान केन्द्रित करना होगा।
धरती का तापमान बढ़ने और जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने की आवश्यकता के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि नदियों को मां समझने वाली सभ्यता को पर्यावरण संरक्षण के बारे में पश्चिमी जगत से सीखने की आवश्यकता नहीं है।
इस अवसर पर वित्त, कंपनी मामले और रक्षा मंत्री श्री अरूण जेटली ने कहा कि इस पुस्तक के विमोचन का इससे उचित समय कोई नहीं हो सकता। श्री जेटली ने कहा कि सरकार को न केवल शासन की इच्छा रखनी चाहिए बल्कि उसमें शासन करने की विश्वसनीयता भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय एक बार फिर भारत की ओर देख रहा है, और यह ऐसा अवसर है जिसे हमें गवांना नहीं चाहिए।