प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि गरीबी से लड़ने के लिए हथकरघा एक अस्त्र हो सकता है, जैसे स्वतंत्रता के संघर्ष में स्वदेशी एक हथियार था। उन्होंने कहा कि खादी और हथकरघा उत्पाद भी वही उत्साह प्रदान करते हैं, जैसा कि मां के प्रेम से मिलता है।
श्री नरेन्द्र मोदी चेन्नई में प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के समारोहों के अवसर पर अपना संबोधन दे रहे थे।
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि भारत, जिसके हस्तशिल्प की मांग सभी उपमहाद्वीपों में हुआ करती थी, लेकिन हाल के समय में यह अपने हथकरघा उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराने में समर्थ नहीं है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण और समग्र स्वास्थ्य देख-भाल के प्रति विश्व के अत्याधिक जागरूक होने से हथकरघा उत्पादों के पर्यावरण अनुकूल पक्षों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष अक्टूबर में अपने रेडियो कार्यक्रम ‘’मन की बात’’ पर की गई अपनी अपील को दोहराया, जिसमें उन्होंने सभी परिवारों को अपने घर में कम से कम एक खादी उत्पाद रखने को कहा था। उन्होंने कहा कि उन्हें जानकारी दी गई कि उसके बाद से खादी की बिक्री में 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है। श्री मोदी ने कहा कि इसी प्रकार का एक प्रयास अब हथकरघा उत्पादों के लिए भी किये जाने की जरूरत है।
भावनात्मक रूप से एक दृष्टांत देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि साड़ी जैसे एक उत्पाद को बनाने में एक बुनकर का सारा परिवार शामिल होता है। उन्होंने कहा कि परिवार इस साड़ी को ऐसे बनाता है, जैसे एक मां अपनी बेटी को बड़ा करती है और जब एक बार यह तैयार हो जाती है, तो परिवार इसकी विदाई की तैयारी इस प्रकार करता है, जैसे विवाह के बाद एक वधू की विदाई की जाती है।
प्रधानमंत्री ने भारत हथकरघा ब्रांड का भी शुभारंभ किया। उन्होंने संत कबीर पुरस्कार और राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्रदान किये।
इस अवसर पर तमिलनाडू के राज्यपाल डॉक्टर के रोसैया, कपड़ा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार, केन्द्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग और जहाजरानी राज्य मंत्री श्री पी. राधाकृष्णन और तमिलनाडू के वित्त एवं पीडब्ल्यूडी मंत्री श्री ओ. पनीरसेलवम भी उपस्थित थे।