हमारा लक्ष्य है- भारत को हीरों को काटने एवं चमकाने के केंद्र के अलावा हीरा व्यापार के क्षेत्र में एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र बनाना: पीएम मोदी 
हमारा लक्ष्य भारत को एक पीढ़ी में बदलना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 
‘मेक इन इंडिया’ सरकार की विभिन्न परिवर्तनकारी पहल में से एक, हमारा लक्ष्य है भारत को विनिर्माण के लिए एक पसंदीदा स्थल बनाना: पीएम 
रत्न और आभूषण उद्योग स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करें, आर्डर के बाद बनाये जाने वाले भारतीय आभूषणों के लिए बनायें एक बड़ा मार्केट: पीएम मोदी

भारत और विदेशों से आए प्रतिष्ठित अतिथिगण,

प्रतिनिधिगण,

देवियों और सज्जनों,

इंटरनेशनल डायमंड कांफ्रेंस में चैरिटी डिनर के दौरान आप सभी को संबोधित करते हुए मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। यह कांफ्रेंस भारत की रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्द्धन परिषद के स्वर्ण जयंती उत्सव का एक हिस्सा है। ‘माइंस टू मार्केट 2017’ (खदान से बाजार तक) की थीम पर हो रही यह कांफ्रेंस दुनिया भर के खदान मालिकों, हीरा कंपनियों, विशेषज्ञों, खुदरा व्यापारियों, बैंकरों और विश्लेषकों को एक मंच पर लेकर आई है।

पचास साल पहले इस परिषद का गठन हुआ था, तब से लेकर अब तक भारत में इस उद्योग ने तेजी से प्रगति की है। जैसा कि आप सभी जानते हैं, भारत अब तराशे गए और पॉलिश किए गए हीरे का सबसे बड़ा उत्पादक है। रत्न एवं आभूषण का क्षेत्र भारत में निर्यात के मूल्य के साथ-साथ रोजगार सृजन के अग्रणी क्षेत्रों में से एक बन गया है। पिछले चार दशकों में, भारत हीरे के उत्पादन एवं निर्यात में अग्रणी देश बनकर उभरा है। भारत से रत्न एवं आभूषण का निर्यात कुल माल के निर्यात का 15 प्रतिशत है। यह भारत की सफलता की कहानी में से एक है। 1966-67 में यह महज 28 लाख डॉलर पर था। 1982-83 में इसका निर्यात बढ़कर एक करोड़ डॉलर और 1987-88 में दो करोड़ डॉलर तक पहुंच गया। 2003-04 में इसने 10 करोड़ डॉलर और 2007-08 में 20 करोड़ डॉलर के स्तर को भी पार कर लिया। आज यह 40 करोड़ डॉलर के करीब पहुंच चुका है।

मित्रों, अभी तक भारत के आयातकों को कच्चे हीरे को देखने और खरीदने के लिए विदेश जाना पड़ता था। ऐसा करने से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित होती थी। आप में से कई लोग हमसे चाहते थे कि देखने और खरीदने का काम भारत से ही होने लगे। दिसंबर, 2014 में विश्व डायमंड कांफ्रेंस दिल्ली में आयोजित की गई, तब मैंने रूस के राष्ट्रपति की मौजूदगी में यह घोषणा की थी कि हम इसके लिए स्पेशल नोटिफाइड जोन यानी विशेष अधिसूचित क्षेत्र स्थापित करेंगे। इस वादे को अब पूरा कर दिया गया है। हमने कानून में ऐसे संशोधन भी किए हैं जिससे इस उद्देश्य के लिए आने और जाने वाले कच्चे हीरे पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। भारत डायमंड बुर्स में स्पेशल नोटिफाइड जोन नवंबर, 2015 से शुरू हो गया है। इसके अच्छे नतीजे भी सामने आने लगे हैं। पहले अस्सी से नब्बे बड़े व्यापारियों की बेल्जियम, अफ्रीका और इस्राइल के मार्फत विश्व में कच्चे हीरों तक पहुंच थी। अब लगभग तीन हजार छोटे और बड़े व्यापारियों को नए स्पेशल नोटिफाइड जोन के जरिए यह विशेषाधिकार मिल गया है। हीरा उद्योग के सबसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय नामों में से कई 244 दिन से ज्यादा देखने आते हैं। मेरा उद्देश्य भारत को अंतरराष्ट्रीय हीरा व्यापार का केंद्र बनाना है। भारत पहले से ही तराशने और पॉलिश करने का सबसे बड़ा केंद्र है।

देवियों और सज्जनों, हमारा उद्देश्य एक ही पीढ़ी में भारत को परिवर्तित कर देना है। काम संभालने के बाद से ही इस सरकार ने परिवर्तन के लिए कई पहलों पर जोर दिया है। ‘मेक इन इंडिया’ उनमें से एक है। हमारा उद्देश्य भारत को उत्पादन के लिए पहली प्राथमिकता वाली जगह के रूप में विकसित करना है। गत पचास वर्षों में रत्न एवं आभूषण क्षेत्र ने 475 करोड़ डॉलर का निर्यात किया। यह तब है जब भारत में सोने एवं हीरे का उत्पादन बहुत कम होता है। स्किल इंडिया यानी कुशल भारत एक और महत्वपूर्ण पहल है। स्किल इंडिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि श्रम शक्ति के रूप में आने वाले नए लोगों के पास जरूरी कौशल हो ताकि वे 21वीं शताब्दी की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकें। रत्न एवं आभूषण क्षेत्र 46 लाख लोगों को रोजगार देता है। इनमें से दस लाख लोग सिर्फ हीरा उद्योग से जुड़े हैं। इसलिए रत्न एवं आभूषण क्षेत्र ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ की संभावनाओं का सबसे बड़ा उदाहरण है।

आज, हमारे बीच कई अफ्रीकी देशों के मंत्री मौजूद हैं। भारत, अफ्रीका के साथ अपने बहुमूल्य संबंधों को बहुत मान्यता देता है। हमारी साझा औपनिवेशिक विरासत और उन चुनौतियां की समानता, जिनका हम सामना कर रहे हैं, हमें स्वाभाविक सहयोगी बनाती हैं। मैं इस अवसर पर अफ्रीका के अपने मित्रों को आश्वस्त करता हूं कि भारत को उनके रत्न एवं आभूषण क्षेत्र का विकास और तकनीशियनों के प्रशिक्षण में मदद करके प्रसन्नता होगी।

मैंने पहले ही कहा था कि इस क्षेत्र ने अपनी शुरुआत के बाद काफी लंबा सफर तय किया है। हालांकि इसके बावजूद यह उस मुकाम से काफी पीछे है, जहां इसे होना चाहिए था। हीरे तराशना और पॉलिश करना हमारा सबसे मजबूत पक्ष है। लेकिन रत्न एंव आभूषण बाजार के वैश्विक मूल्य के हिसाब से हमारी हिस्सेदारी जितनी होनी चाहिए, उतनी नहीं है। हमारा भविष्य सिर्फ तराशने एवं पॉलिश करने से कही ज्यादा बड़ा है। हमारे पास ऐसी भरपूर क्षमता है, जिसका अभी दोहन नहीं हुआ है। मैं आपसे एक प्रश्न पूछता हूं?

हाथ से निर्मित आभूषणों के बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए आपकी रणनीति क्या होगी?

मुझे काफी हद तक यही बताया गया है कि भारत का निर्यात, आयात आधारित है। विनिर्देश (स्पेशिफिकेशंस) और डिजाइन आयातकों द्वारा दी गई वरीयता पर आधारित होते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि भारत वैश्विक पसंद का प्रणेता होने के बजाय वैश्विक फैशन का महज एक अनुसरणकर्ता (फॉलोअर) है। यह हमारे समृद्ध अनुभव और प्रचुर मात्रा में उपलब्ध डिजाइन की प्रतिभा के साथ न्याय नहीं है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। भारत में दो हजार साल से ज्यादा पुराने अनेक प्रतीक, प्रतिमाएं एवं कलाकृतियां हैं। इनमें से कई को आभूषण पहने दिखाया गया है। यह कारीगरी दुनिया भर के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। क्या हमने कभी इस काम का दस्तावेजीकरण किया? क्या हमने कभी सोचा कि इन कलाकृतियों पर आधारित आभूषणों को बढ़ावा दिया जाए?

मित्रों, हम एक ऐसे कालखंड में हैं, जहां कपड़ों के खुदरा विक्रेता लोगों की वरीयताओं को बदल रहे हैं। यहां तक कि हेयर स्टाइलिस्ट अपने ग्राहकों के बालों का डिजाइन तय कर रहे हैं। हम ऐसे समय में हैं, जहां हीरे को चश्मों, घड़ियों और कलम में इस्तेमाल किया जा रहा है। क्या हमारे आभूषण निर्माता अपने कौशल, क्षमता और विरासत से वैश्विक पसंद तथा फैशन को बना या बदल नहीं सकते?

वैश्विक फैशन को बदलने और प्रभावित करने लायक बनने के लिए हमारे उद्योग को अपने बाजार की विस्तृत जानकारी होने की आवश्यकता है। उद्योग को सामूहिक रूप से अध्ययन करने, उपयोगकर्ताओं को समझने और यह पता लगाने की जरूरत है कि वे चाहते क्या हैः उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्र और समूह सोने को प्राथमिकता देते हैं। कुछ को चांदी और कुछ को प्लेटिनम पंसद होता है। कहने का अर्थ है कि हम अपने ग्राहकों से मजबूती से जुड़े बिना वैश्विक दिग्गज नहीं बन सकते। ई-कॉमर्स ने उपयोगकर्ताओं से सीधे संपर्क स्थापित करना काफी आसान बना दिया है। यह भारतीय उद्योगों के लिए स्वर्णिम अवसर है। इंडस्ट्री युवा उद्यमियों के स्टार्ट-अप को प्रोत्साहित करने पर विचार कर सकती है। वे भारतीय आभूषणों के लिए उभरता हुआ बाजार तैयार कर सकते हैं।

अतीत में एक ऐसा समय भी था जब कुछ भारतीय उत्पादों ने वैश्विक प्रतिष्ठा हासिल की। आज भारत ने उच्च कौशल और सॉफ्टवेयर दक्षता में वैश्विक ब्रांड का रुतबा हासिल कर लिया है। हमारे लिए आभूषणों के क्षेत्र में ऐसा करना बाकी है। अगर हम ऐसा कर पाते हैं, तो संभावनाएं बहुत होंगी। यह एक ऐसा काम है जिसे परिषद को सही तरीके से करना चाहिए। इसके लिए राज्यों को भी अपनी भूमिका निभानी होगी। काम संभालने के बाद, हमने राज्य सरकारों को निर्यात संवर्द्धन में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया है। मैं आशा करता हूं कि इंडस्ट्री उनके निरंतर संपर्क में होगी। निर्यात के अलावा, भारत दुनिया के तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है। इसमें घरेलू मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।

इंडस्ट्री के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने विकास की योजना खुद बनाए। सिर्फ यही काफी नहीं है। आपके लिए यह भी जरूरी है कि आप अपनी कमजोरी पर भी विचार करें। परिषद को अपनी इंडस्ट्री में सबसे कम वेतन पाने वालों और सबसे कम समृद्ध व्यक्तियों की गणना कराने पर भी विचार करना चाहए। उदाहरण के लिए, जयपुर, त्रिशूर, वाराणसी, राजकोट और कोयंबटूर में रहने वाले कामगार। क्या इंडस्ट्री यह सुनिश्चित कर सकती है कि उनमें से प्रत्येक को सरकार की कम लागत वाली सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जाए। जैसे

  • दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
  • जीवन बीमा के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और

- सुनिश्चित न्यूनतम पेंशन के लिए अटल पेंशन योजना।

दुर्घटना बीमा की लागत एक रुपये प्रति माह और जीवन बीमा की लागत एक रुपये प्रति दिन है। बैंक में लगभग पांच हजार रुपये की जमा राशि पर मिलने वाले ब्याज से ही इन योजनाओं की किस्त हमेशा जमा की जा सकती है।  

मित्रों, भारत 2022 में आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाएगा। रत्न एवं आभूषण उद्योग इस तारीख तक खुद के लिए क्या लक्ष्य तय कर सकता है?  आप देश के लिए तब तक क्या कर सकते हैं? आपके अनुसार यह उद्योग तब तक कहां पहुंच जाएगा? आप वहां तक कैसे पहुंचेंगे? आप रोजगार के कितने नए अवसर पैदा करेंगे? मैं आपसे इस पर गंभीरता से विचार करने और एक योजना के साथ आगे आने का अनुरोध करता हूं। अगर आपको नियमों में बदलाव की आवश्यकता है तो मैं आपसे विशिष्ट और व्यवहारिक सुझावों के साथ आने का अनुरोध करता हूं। अगर ये सुझाव हमारे देश के हित में होंगे तो हम इन पर जरूर विचार करेंगे।

मैं आप से अपने विचार साझा करने का अवसर देने के लिए आप सभी को धन्यवाद देते हुए अपनी बात समाप्त करता हूं। मैं इस कांफ्रेंस की सफलता की कामना करता हूं।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
सोशल मीडिया कॉर्नर 21 नवंबर 2024
November 21, 2024

PM Modi's International Accolades: A Reflection of India's Growing Influence on the World Stage