"हमें किसी भी प्रकार के दबाव को झेलने के लिए अपने बच्चों कोसामर्थ्यवान बनाना चाहिए और उन्हें दबावों से मुकाबला करने में मदद करनी चाहिए"
"छात्रों की चुनौतियों का समाधान अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों को भी सामूहिक रूप से करना चाहिए"
"स्वस्थ प्रतिस्पर्धा छात्रों के विकास के लिए शुभ संकेत है"
"शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं बल्कि वे छात्रों का जीवन संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं"
"माता-पिता को अपने बच्चों के रिपोर्ट कार्ड को उनका विजिटिंग कार्ड नहीं बनाना चाहिए"
"छात्रों और शिक्षकों के बीच का नाता केवल परीक्षा के कालखंड का नहीं, बल्कि पहले दिन से ही प्रगाढ़ होना चाहिए"
“अपने बच्चों के बीच कभी प्रतिस्पर्धा और प्रतिद्वंद्विता के बीज न बोएं, बल्कि भाई-बहन एक-दूसरे के लिए प्रेरणा स्रोत बनें”
"अपने सभी कार्यों और अध्ययन में प्रतिबद्ध और निर्णायक बनने का प्रयास करें"
रोजाना खुद अपनी नोटबुक में कुछ न कुछ जरूर लिखें। यदि आपके पास वह अभ्यास है, तो परीक्षा हॉल का अधिकांश तनाव दूर हो जाएगा।
“प्रौद्योगिकी को बोझ नहीं बनना चाहिए। इसका विवेकपूर्ण उपयोग करें”
"'सही'समय जैसी कोई चीज नहीं है, इसलिए उसका इंतजार न करें। चुनौतियाँ आती रहेंगी, और आपको उन चुनौतियों को चुनौती देनी होगी”
"यदि लाखों चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं"
“असफलताओं से निराशा नहीं होनी चाहिए। हर गलती एक नई सीख है"
"जितना मैं अपने देशवासियों की क्षमताएं बढ़ाता हूं, चुनौतियों को चुनौती देने की मेरी क्षमता बढ़ती है"
"उचित शासन के लिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए"
"मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं"
"जब कोई स्वार्थ न हो तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) के 7वें संस्करण के दौरान नई दिल्ली के भारत मंडपम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। उन्होंने इस अवसर पर प्रदर्शित कला और शिल्प प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। पीपीसी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केप्रयासों से शुरू की गई एक गतिविधि है जो छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और समाज को एकजुट कर एक ऐसे वातावरण को बढ़ावा देती है जहां प्रत्येक बच्चे की अद्वितीय व्यक्तित्व की सराहना की जा सके, उसे प्रोत्साहित किया जाए और खुद को पूरी तरह से व्यक्त करने की अनुमति दी जाए।

 

छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रदर्शनी में छात्रों द्वारा बनाई गई रचनाओं का उल्लेख किया जहां उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति जैसी आकांक्षाओं और अवधारणाओं को विभिन्न आकारों में व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि ये प्रदर्शित वस्तुएं दर्शातीहैं कि नई पीढ़ियां विभिन्न विषयों के बारे में क्या सोचती हैं और इन मुद्दों के लिए उनके पास क्या समाधान हैं।

अपनी बातचीत शुरू करते हुए, प्रधानमंत्री ने छात्रों को आयोजन स्थल यानी भारत मंडपम के महत्व को समझाया और उन्हें जी20 शिखर सम्मेलन के बारे में बताया जहां दुनिया के सभी प्रमुख नेता इकट्ठे हुए और दुनिया के भविष्य पर चर्चा की।

बाहरी दबाव और तनाव

ओमान के एक निजी सीबीएसई स्कूल के दानिया शाबू और दिल्ली मेंबुराड़ीस्थित सरकारी सर्वोदय बाल विद्यालयके मोहम्मद अर्शने छात्रों पर अतिरिक्त दबाव डालने वाली सांस्कृतिक और सामाजिक अपेक्षाओं जैसे बाहरी कारकों के समाधान का मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने कहा कि पीपीसी में सांस्कृतिक और सामाजिक अपेक्षाओं से संबंधित प्रश्न हमेशा उठते रहे हैं, भले ही यह 7वां संस्करण है। उन्होंने छात्रों पर बाहरी कारकों के अतिरिक्त दबाव के प्रभाव को कम करने में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डाला और यह भी बताया कि माता-पिता ने समय-समय पर इसका अनुभव किया है। उन्होंने खुद को दबाव से निपटने में सक्षम बनाने और जीवन के एक हिस्से के रूप में इसके लिए तैयारी करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने छात्रों से एक अप्रत्याशित, असामान्य मौसम से दूसरे ऐसे अप्रत्याशित मौसम तक यात्रा करने का उदाहरण देकर उनसे स्वयं को असामान्य मौसम का मुकाबला करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने का आग्रह किया। उन्होंने तनाव के स्तर का आकलन करने और इसे धीरे-धीरे बढ़ाकर आगे बढ़ने का भी सुझाव दिया ताकि छात्र की क्षमता इससे प्रभावित न हो। श्री मोदी ने छात्रों, परिवारों और शिक्षकों से एक व्यवस्थित सिद्धांत को लागू करने के बजाय प्रक्रिया विकसित करते हुए सामूहिक रूप से बाहरी तनाव के मुद्दे का समाधान करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि छात्रों के परिवारों को ऐसे विभिन्न तरीकों पर चर्चा करनी चाहिए जोउनमें से प्रत्येक के लिए काम करें।

साथियों का दबाव और दोस्तों के बीच प्रतिस्पर्धा

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के गवर्नमेंट डिमॉन्सट्रेशन मल्टीपरपज स्कूल की भाग्य लक्ष्मी, गुजरात के जेएनवी पंचमहल की दृष्टि चौहान और केन्द्रीय विद्यालय, कालीकट, केरल की स्वाति दिलीप द्वारा उठाए गए साथियों के दबाव और दोस्तों के बीच प्रतिस्पर्धा के मुद्दे का समाधान करते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रतिस्पर्धा के महत्व पर प्रकाश डाला। हालाँकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि प्रतिस्पर्धा स्वस्थ होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि अक्सर अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा के बीज पारिवारों में बोए जाते हैं, जिससे भाई-बहनों के बीच विकृत प्रतिस्पर्धा पैदा होती है। प्रधानमंत्री मोदी ने अभिभावकों से कहा कि वे बच्चों के बीच तुलना से बचें। प्रधानमंत्री ने एक वीडियो का उदाहरण दिया जहां बच्चे स्वस्थ तरीके से प्रतिस्पर्धा करते हुए एक-दूसरे की मदद करने को प्राथमिकता देते हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करना कोई शून्य-संचय खेल नहीं है। प्रतिस्पर्धा स्वयं से होती है क्योंकि किसी मित्र द्वारा अच्छा प्रदर्शन मैदान में उतरने से नहीं रोकता। प्रधानमंत्री ने कहा, यह प्रवृत्ति उन लोगों से मित्रता करने की प्रवृत्ति को जन्म दे सकती है जो प्रेरक मित्र नहीं होंगे। उन्होंने अभिभावकों से भी कहा कि वे अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों से न करें। उन्होंने उनसे यह भी कहा कि वे अपने बच्चों की उपलब्धि को अपना विजिटिंग कार्ड न बनाएं।प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से अपने दोस्तों की सफलता पर खुशी मनाने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा, ''दोस्ती कोई लेन-देन वाली भावना नहीं है।''

छात्रों को प्रेरित करने में शिक्षकों की भूमिका

छात्रों को प्रेरित करने में शिक्षकों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने जेडपी हाई स्कूल, उप्पारापल्ली, आंध्र प्रदेश के संगीत शिक्षक श्री कोंडाकांची संपत राव और शिवसागर असम के शिक्षक बंटी मेडी के सवालों के जवाब दिए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि संगीत में उन छात्रों के तनाव को दूर करने की क्षमता है जो न केवल एक कक्षा के बल्कि पूरे स्कूल के हैं। श्री मोदी ने कक्षा के पहले दिन से लेकर परीक्षा के समय तक छात्र और शिक्षक के बीच जुड़ाव को धीरे-धीरे बढ़ाने पर जोर दिया और कहा कि इससे परीक्षा के दौरान तनाव पूरी तरह खत्म हो जाएगा। उन्होंने शिक्षकों से यह भी आग्रह किया कि वे पढ़ाए गए विषयों के आधार पर छात्रों से जुड़ने के बजाय उनके लिए अधिक सुलभ बनें। उन डॉक्टरों का उदाहरण देते हुए, जिनका अपने मरीजों के साथ व्यक्तिगत संबंध होता है, प्रधानमंत्री नेकहा कि ऐसा बंधन आधे इलाज के समान होता है। उन्होंने परिवारों के साथ व्यक्तिगत जुड़ाव विकसित करने और छात्र की उपलब्धियों की परिवार के सामने सराहना करने का भी सुझाव दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "शिक्षक नौकरी की भूमिका में नहीं हैं बल्कि वे छात्रों के जीवन को संवारने की जिम्मेदारी निभाते हैं।"

परीक्षा के तनाव से मुकाबला

प्रणवंदा विद्या मंदिर, पश्चिम त्रिपुरा की अद्रिता चक्रवर्ती, जवाहर नवोदय विद्यालय, बस्तर, छत्तीसगढ़ के छात्र शेख तैफुर रहमान और आदर्श विद्यालय, कटक, ओडिशा की छात्रा राज्यलक्ष्मी आचार्य ने प्रधानमंत्री से परीक्षा के तनाव से मुकाबला करने के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों के अति उत्साह या छात्रों की अत्यधिक नेकनीयती के कारण होने वाली गलतियों से बचने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वे परीक्षा के दिन को नए कपड़ों, रीति-रिवाजों या स्टेशनरी के नाम पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश न करें। उन्होंने छात्रों से अंतिम क्षण तक तैयारी न करने और शांत मानसिकता के साथ परीक्षा देने और किसी भी बाहरी विध्वंस से बचने के लिए कहा जो अवांछित तनाव का कारण बन सकता है। प्रधानमंत्री ने प्रश्न पत्र पढ़ने और उन्हें अंतिम समय में घबराहट से बचने के लिए समय आवंटित करने की योजना बनाने की सलाह दी।प्रधानमंत्री ने छात्रों को याद दिलाया कि अधिकांश परीक्षाएं अभी भी लिखित होती हैं और कंप्यूटर और फोन के कारण लिखने की आदत कम हो रही है। उन्होंने उनसे लिखने की आदत बनाए रखने को कहा। उन्होंने उनसे अपने पढ़ने/पढ़ने के समय का 50 प्रतिशत लिखने में समर्पित करने को कहा। उन्होंने कहा कि जब आप कुछ लिखते हैं तभी आप उसे सही मायने में समझते हैं। उन्होंने उनसे अन्य छात्रों की गति से नहीं घबराने को कहा।

स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखना

परीक्षा की तैयारी और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने के बीच संतुलन बनाने का मुद्दा उठाते हुए, राजस्थान के सीनियर सेकेंडरी स्कूल के छात्र धीरज सुभाष, कारगिल, लद्दाख में पीएम श्री केन्द्रीय विद्यालय की छात्रा नजमा खातून और अभिषेक कुमार तिवारी तथा अरुणाचल प्रदेश में सरकारी उच्चतर माध्यमिकविद्यालय टोबी लहमे केएक शिक्षक ने प्रधानमंत्री से व्यायाम के साथ-साथ पढ़ाई करने के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री ने शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल की आवश्यकता को दर्शाने के लिए मोबाइल फोन रिचार्ज करने की आवश्यकता का उल्लेख किया। उन्होंने संतुलित जीवनशैली बनाए रखने और हर चीज की अति से बचने को कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "स्वस्थ शरीर स्वस्थ दिमाग के लिए महत्वपूर्ण है।" उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए कुछ दिनचर्या की आवश्यकता होती है और धूप में समय बिताने तथा नियमित और पूरी नींद लेने के बारे में सवाल किया। उन्होंने बताया कि स्क्रीन टाइम जैसी आदतें आवश्यक नींद को ख़त्म कर रही हैं जिसे आधुनिक स्वास्थ्य विज्ञान बहुत महत्वपूर्ण मानता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने निजी जीवन में भी बिस्तर पर जाने के 30 सेकंड के भीतर गहरी नींद में जाने की व्यवस्था बना रखी है। उन्होंने कहा, "जागते समय पूरी तरह जागना और सोते समय गहरी नींद, एक संतुलन है जिसे हासिल किया जा सकता है।" पोषण के बारे में प्रधानमंत्री मोदी ने संतुलित आहार पर जोर दिया। उन्होंने फिटनेस के लिए नियमित व्यायाम और शारीरिक कार्यों के महत्व पर भी जोर दिया।

करियर की प्रगति

केन्‍द्रीय विद्यालय, बैरकपुर, उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल की मधुमिता मलिक और हरियाणा के पानीपत में द मिलेनियम स्कूल की अदिति तंवर द्वारा उठाए गए एक मुद्दे, करियर की प्रगति पर जानकारी देते हुए, प्रधानमंत्री ने करियर के रास्ते में स्पष्टता प्राप्त करने और भ्रम और अनिर्णयसे बचने का सुझाव दिया। स्वच्छता और इसके पीछे प्रधानमंत्री के संकल्प का उदाहरण देते हुए पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि 'स्वच्छता'देश में प्राथमिकता वाला क्षेत्र बनता जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत का बाजार पिछले 10 वर्षों में कला और संस्कृति क्षेत्र में 250 गुना बढ़ गया है। "अगर हममें क्षमता है तो हम किसी भी जगह अधिक ऊर्जावान हो सकते हैं",प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से खुद को कम न आंकने का आग्रह करते हुए कहा, "अगर हमारे पास क्षमता है, तो हम कुछ भी कर सकते हैं।" उन्होंने पूरे समर्पण के साथ आगे बढ़ने का भी सुझाव दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में, प्रधानमंत्री ने एक धारा से बंधे रहने के बजाय विभिन्न पाठ्यक्रमों को अपनाने के प्रावधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस अवसर पर लगाई गई प्रदर्शनी में छात्रों की भागीदारी, कौशल और समर्पण की सराहना की और जोर देकर कहा कि सरकारी योजनाओं को पहुंचाने के लिए उनके द्वारा किया गया कार्य भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तुलना में काफी बेहतर है। प्रधानमंत्री मोदी ने एक रेस्तरां में खाना ऑर्डर करने का उदाहरण देते हुए कहा, "भ्रम को खत्म करने के लिए हमें निर्णायक होना चाहिए", जहां किसी को यह तय करना होता है कि क्या खाना है। उन्होंने लिए जाने वाले निर्णयों की सकारात्मकता और नकारात्मकता का मूल्यांकन करने का भी सुझाव दिया।

माता-पिता की भूमिका

दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुईं पुदुचेरी गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा दीपाश्री ने प्रधानमंत्री से माता-पिता की भूमिका के बारे में पूछा और छात्र कैसे विश्वास बना सकते हैं। प्रधानमंत्री ने परिवारों में विश्वास की कमी को छुआ और माता-पिता और शिक्षकों से इस गंभीर मुद्दे से निपटने को कहा। उन्होंने कहा कि यह कमी अचानक नहीं है बल्कि एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है और इसके लिए सभी के आचरण के गहन आत्म-विश्लेषण की आवश्यकता है, चाहे वह शिक्षक हों, माता-पिता हों या छात्र हों। उन्होंने कहा, ईमानदार संवाद विश्वास की कमी की संभावना को कम कर सकता है। विद्यार्थियों को अपने व्यवहार में सच्चा एवं ईमानदार रहना चाहिए। इसी तरह माता-पिता को भी अपने बच्चों पर संदेह की बजाय विश्वास करना चाहिए। विश्वास की कमी से बनी दूरी बच्चों को डिप्रेशन में धकेल सकती है। प्रधानमंत्री ने शिक्षकों से छात्रों के साथ संवाद के रास्ते खुले रखने और पक्षपात से बचने को कहा। उन्होंने एक प्रयोग के लिए कहा और दोस्तों के परिवारों से नियमित रूप से मुलाकात करने और सकारात्मक चीजों पर चर्चा करने का अनुरोध किया जिससे बच्चों को मदद मिल सके।

प्रौद्योगिकी का दखल

पुणे, महाराष्ट्र के एक अभिभावक चंद्रेश जैन ने छात्रों के जीवन में प्रौद्योगिकी के दखल का मुद्दा उठाया और झारखंड के रामगढ़ की एक अभिभावक कुमारी पूजा श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की प्रचुरता के साथ पढ़ाई करने के बारे में सवाल किया। टीआर डीएवी स्कूल, कांगू, हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश के छात्र अभिनव राणा ने परीक्षा के तनाव से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए छात्रों कोशिक्षित करने और प्रोत्साहित करने के मुद्दे के साथ-साथ अध्ययन के साधन के रूप में मोबाइल प्रौद्योगिकी के लाभों का उपयोग करने का मुद्दा उठाया।प्रधानमंत्री ने कहा, "किसी भी चीज़ की अति बुरी होती है", अत्यधिक मोबाइल फोन के उपयोग की तुलना घर के बने भोजन के साथ करते हुए, जिसे अधिक मात्रा में लेने पर पेट की समस्याएं और अन्य समस्याएं हो सकती हैं, भले ही यह पोषक तत्वों से भरपूर हो। उन्होंने निर्णय-आधारित फैसले लेने की सहायता से प्रौद्योगिकी और मोबाइल फोन के प्रभावी उपयोग पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने निजता और गोपनीयता के विषय की ओर इशारा करते हुए कहा, "प्रत्येक माता-पिता को इस मुद्दे का सामना करना पड़ता है"। उन्होंने परिवार में नियमों और विनियमों का एक सेट बनाने पर जोर दिया और रात के खाने के दौरान कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट न रखने और घर में नो गैजेट जोन बनाने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा, "आज की दुनिया में कोई भी प्रौद्योगिकी से भाग नहीं सकता।" उन्होंने कहा कि इसे बोझ नहीं समझना चाहिए बल्कि इसका प्रभावी उपयोग सीखना अनिवार्य है। प्रधानमंत्री ने छात्रों को अपने माता-पिता को प्रौद्योगिकी को एक शैक्षिक संसाधन होने के बारे में शिक्षित करने का सुझाव दिया और पारदर्शिता स्थापित करने के लिए अपने घरों में प्रत्येक मोबाइल फोन के पासकोड को प्रत्येक सदस्य के साथ साझा करने की भी सिफारिश की। उन्होंने कहा, "इससे बहुत सारी बुराइयों को रोका जा सकेगा।" प्रधानमंत्री मोदी ने समर्पित मोबाइल एप्लिकेशन और टूल के उपयोग के साथ स्क्रीन टाइम की निगरानी पर भी बात की। उन्होंने कक्षा में छात्रों को मोबाइल फोन की संसाधनशीलता के बारे में शिक्षित करने का भी सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री तनाव से कैसे निपटते हैं और सकारात्मक रहते हैं?

मॉडर्न सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई, तमिलनाडु के छात्र एम वागेश ने प्रधानमंत्री से पूछा कि वह प्रधानमंत्री के पद पर दबाव और तनाव से कैसे निपटते हैं। डायनेस्टी मॉडर्न गुरुकुल एकेडमी, उधमसिंह नगर, उत्तराखंड की छात्रा स्नेहा त्यागी ने प्रधानमंत्री से पूछा, "हम आपकी तरह सकारात्मक कैसे हो सकते हैं?"प्रधानमंत्री ने कहा कि यह जानकर अच्छा लगा कि बच्चे प्रधानमंत्री के पद के दबावों को जानते हैं।उन्होंने कहा कि हर किसी को अप्रत्याशित परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा, कोई भी उनसे बचकर प्रतिक्रिया कर सकता है, ऐसे लोग जीवन में बहुत कुछ हासिल नहीं कर पाते हैं। "मेरा दृष्टिकोण जो मुझे उपयोगी लगा वह यह है कि 'मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं'। मैं चुनौती के निकलने का निष्क्रिय रूप से इंतजार नहीं करता। इसके कारण मुझे हर समय कुछ नया सीखने का मौका मिलता है।'नई परिस्थितियों से निपटना मुझे समृद्ध बनाता है।” उन्होंने आगे कहा, ''मेरा सबसे बड़ा विश्वास ये है कि मेरे साथ 140 करोड़ देशवासी हैं। यदि 100 मिलियन चुनौतियाँ हैं, तो अरबों समाधान भी हैं। मैं खुद को कभी अकेला नहीं पाता हूं और सब कुछ मुझ पर है, मैं हमेशा अपने देश और देशवासियों की क्षमताओं से अवगत रहता हूं। यह मेरी सोच का मूल आधार है।”उन्होंने कहा कि हालांकि उन्हें सबसे आगे रहना होगा और गलतियां भी उनकी होंगी लेकिन देश की क्षमताएं ताकत देती हैं। उन्होंने कहा, "जितना मैं अपने देशवासियों की क्षमताएं बढ़ाता हूं, चुनौतियों को चुनौती देने की मेरी क्षमता बढ़ती है।" प्रधानमंत्री ने गरीबी के मुद्दे का उदाहरण देते हुए कहा कि जब गरीब खुद गरीबी हटाने की ठान लेंगे तो कविता चली जाएगी।प्रधानमंत्री ने कहा,“उन्हें पक्का घर, शौचालय, शिक्षा, आयुष्मान, पाइप से पानी जैसे सपने देखने के साधन देना मेरी ज़िम्मेदारी है। एक बार जब वह दैनिक अपमान से मुक्त हो जाएंगे, तो वह गरीबी उन्मूलन के प्रति आश्वस्त हो जाएंगे”।उन्होंने कहा कि उनके 10 साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने कहा कि व्यक्ति को चीजों को प्राथमिकता देने का ज्ञान होना चाहिए। यह अनुभव और हर चीज़ का विश्लेषण करने के साथ आता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी गलतियों को सबक मानते हैं।

उन्होंने कोविड महामारी का उदाहरण दिया और कहा कि बेकार बैठने के बजाय उन्होंने लोगों को एकजुट करने के लिए दीया या 'थाली'बजाने जैसे कार्यों के माध्यम से उनकी सामूहिक ताकत बढ़ाने का विकल्प चुना। इसी तरह, खेल की सफलता और सही रणनीति, दिशा और नेतृत्व का जश्न मनाने के परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में बड़े पैमाने पर पदक प्राप्त हुए हैं।

उन्होंने कहा कि उचित शासन के लिए भी नीचे से ऊपर तक उत्तम सूचना की व्यवस्था और ऊपर से नीचे तक उत्तम मार्गदर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने जीवन में निराश न होने पर जोर दिया और कहा कि एक बार निर्णय लेने के बाद केवल सकारात्मकता ही बचती है। प्रधानमंत्री ने कहा, ''मैंने अपने जीवन में निराशा के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दी हैं।''उन्होंने कहा कि जब कुछ करने का संकल्प मजबूत हो तो निर्णय लेना आसान हो जाता है। उन्होंने कहा, "जब स्वार्थ का कोई मकसद नहीं होता तो निर्णय में कभी भ्रम नहीं होता।" प्रधानमंत्री ने वर्तमान पीढ़ी के जीवन को आसान बनाने पर जोर देते हुए विश्वास जताया कि आज की पीढ़ी को अपने माता-पिता द्वारा झेली जाने वाली कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सरकार एक ऐसा राष्ट्र बनाने का प्रयास कर रही है जहां न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ियों को चमकने और अपनी क्षमता दिखाने का मौका मिले। यह पूरे राष्ट्र का सामूहिक संकल्प होना चाहिए। सकारात्मक सोच की शक्ति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सबसे नकारात्मक परिस्थितियों में भी सकारात्मक परिणाम देखने की ताकत देती है। प्रधानमंत्री ने सभी छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए अपनी बातचीत समाप्त की और उन्हें अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुभकामनाएं दीं।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान भी उपस्थित थे।

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।