भव्य और दिव्य गुजरात का निर्माण, हमारा संकल्प

प्रिय मित्रों,

इस सप्ताह की शुरुआत में हमने गुजरात भाजपा का संकल्प पत्र जारी किया। संकल्प पत्र के माध्यम से हम आने वाले पांच साल में विकास के कैसे कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं इससे आपको अवगत करवाया।

एक के बाद एक कांग्रेस की हर सरकार ने समाज के कुछ वर्गों के सामने टुकड़े फैंके, जिनको वो अपना वोटबैंक बनाना चाहते थे। बाकी वर्गों को छोड़ दिया। इसलिए नहीं कि यह लोग लाभ देने के काबिल नहीं थे, इसलिए नहीं कि इन लोगों में विकास करने की क्षमता नहीं थी, बल्कि सिर्फ इसलिए कि कांग्रेस की सरकार को वह चुनाव की द्रष्टि से लाभदायक नहीं लगते थे। जब सरकारें वोटबैंक की राजनीति में आकंठ डूब जाती हैं तब वह लोगों को यह कहकर मूर्ख बनाती हैं कि विकास के फल वह हर वर्ग के लोगों को समान रूप से देना चाहती हैं। इस बात की मुझे बहुत पीड़ा होती है।

लेकिन यह परिस्थिति बदलनी चाहिये। प्रत्येक गुजराती को, चाहे वह भाजपा को वोट देता हो या नहीं, प्रगति के समान अवसर क्यों नहीं मिलने चाहिए ? सर्वसमावेषक और सर्वांगीण विकास द्वारा गुजरात को एक भव्य और दिव्य राज्य बनाने का हमारा विजन रहा है और रहेगा। इस संकल्प पत्र द्वारा मैं मेरे गुजराती भाई- बहनों से भाजपा को चुनने की अपील करता हूं। धर्म, जात-पात के भेदभाव बगैर प्रत्येक को समान अवसर मिल सकें इसके लिए फिर से एक बार भाजपा को चुन लें। गरीबी की खाई में से प्रगति के शिखर तक पहुंचाने के लिए भाजपा को वोट दें।

गरीबी उन्मूलन की योजनाओं में से बिचौलियों और एजेंटों का नामोनिशान मिटाने के लिए भाजपा को वोट दें। दोस्तों, गरीबी हटाओं का नारा बहुत आकर्षक है। दुर्भाग्य से, कांग्रेस ने इसको मात्र नारे तक ही सीमित कर दिया है।

कांग्रेस के लिए यह एक ऐसा गहना है जिसको वह हर पांच वर्ष बाद लॉकर में से निकालकर लोगों को दिखाती है और उनको प्रभावित करने की कोशिश करती है। कांग्रेस के शासन में बिचौलिये फूले-फले हैं और सरकारी खजाने में से निकला हुआ प्रत्येक रुपया लोगों तक पहुंचते पहुंचते बिल्कुल 15 पैसा बनकर रह गया है। निरंतर विकास के बदले कांग्रेस ने निरंतर गरीबी दी है। हमारी सरकार के प्रयासों के कारण भारी संख्या में हर धर्म और जाति के लोग मध्यम वर्ग में स्थान ले पाये हैं। एक नया मध्यम वर्ग खड़ा हुआ है, जिनके अपने सपने हैं, महत्वाकाक्षाएं हैं और आगे बढ़ने का संकल्प है।

यह वर्ग गुजरात की विकासयात्रा को गति देने वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलु बन गया है। गुजरात का विकास खास तौर पर इस वर्ग के लोगों पर आधारित है। और इसलिये ही हमारे विकास से गुजरात का विकास का एक नया नारा आत्मसात करने का मैं आह्वान करता हूं। आपने देखा होगा कि कांग्रेस सरकार और उसके साथी दल उनके चुनावी घोषणापत्रों में बिल्कुल प्राथमिक कही जा सके ऐसी सुविधाएं देने के वादे करते हैं। इससे पूर्व उनके द्वार किए हुए वादे अभी तक उन्होंने पूरे नहीं किए हैं। यह सच्चाई वह भूल जाते हैं। मित्रों, अभी तक तो हमने पूर्व की कांग्रेस सरकारों द्वारा किए गये गडढों को भरने का ही काम किया है। अब वर्तमान योजनाओं और कार्यक्रमों का दायरा विस्तृत बनाकर इसका दायरा बढ़ाना है। इनमें से कई योजनाएं तो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान और प्रशंसा पा चुकी हैं।

शिक्षा, खास तौर पर कन्या केळवणी, स्वास्थ्य सेवाओं, शहरी और ग्रामीण आवास, कृषि, सिंचाई, गरीबी उन्मूलन, बिजली, पानी, सड़क और रोजगार जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अब ज्यादा छलांग लगाने के लिए गुजरात तैयार हो चुका है। वैश्विक स्पर्धा के इस युग में पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए गुजरात तैयार हुआ है, ऐसे में देश में वर्तमान में खड़ी हुई कई चिंताजनक मामलों को लेकर मैं अपने विचार आप लोगों के साथ बांटना चाहता हूं। एक के बाद एक हजारों करोड़ रुपये के घोटाले करके युपीए सरकार ने देश को गहरी खाई में धकेल दिया है। युपीए सरकार की नीतिपंगुता और नेता, नीति और नियत के अभाव में देश के लोगों की उद्योग साहसिकता और आकाक्षाओं पर कुठाराघात करके देश में चारों ओर निराशा का वातावरण खड़ा कर दिया है। लोग अब उद्योग, वाणिज्य तथा पूंजी निवेश को अविश्वास की नजर से देख रहे हैं। यह बात हमारे देश के लिए अच्छी नहीं है। उद्योग, उद्यम और पूंजी निवेश ही अपने देश को स्वनिर्भर बना सकते हैं। गुजरात में होनेवाले प्रत्येक पूंजी निवेश के द्वारा अन्यथा जो पूंजी व्यर्थ पड़ी रहती या तो विदेश में चली गई होती, वह पूंजी अपनी अर्थव्यवस्था में आती है।

इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का निर्माण होता है। राज्यभर में अनेक आनुषांगिक इकाईयां खड़ी हो रही हैं और परिणाम स्वरूप रोजगार बढ़ रहा है। फाइव स्टार होटल से लेकर पोसाए ऐसे गेस्टहाउस, मल्टीक्विजिन रेस्टोरेंट से लेकर चाय की दुकान.. यह सब धन्धे यहां जोरदार चलते हैं। परिणाम स्वरूप कई गुजराती भाई- बहनों के घर का चूल्हा उनकी अपनी पसीने की कमाई से चल रहा है। समग्र राज्य जोश और उमंग से सराबोर है। उद्योग- वाणिज्य का नहीं बल्कि भ्रष्टाचार और परिवारवाद का खात्मा करने की जरूरत है। उद्योगों को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इसके लिए जरूरत है विजन और उत्साह की। आपके पसीने की कमाई पर कोई एक दल या परिवार मालिकी करे यह नहीं होना चाहिये। इस परिस्थिति को बदलने के लिए मैं मेरे प्रयास जारी रखूंगा। मित्रों, चलो इस चुनाव में कांग्रेस को जड़ से उखाड़ने का संकल्प करें। कांग्रेस अपने लोकतंत्र में कोई सृजनात्मक भूमिका नहीं निभाती है। गुजरात में जब वह सत्ता में थी तब तो विफल रही ही थी, बल्कि विपक्षी दल की भूमिका में भी विफल रही है।

गुजरात का जैसा और जितना विकास होगा वह आपके जीवन को भी प्रभावित करेगा। चुनाव हमारे लोकतंत्र का सबसे खास त्यौहार है और वोट देना आपका सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है। आपका वोट विचार करके दें। आप चाहे जिसे वोट दें, यह याद रखना कि इस यात्रा में हम सब साथ हैं।

जय जय गरवी गुजरात !

आपका,

नरेन्द्र मोदी

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Read the detailed "Sankalp Patra" in English.

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भारत के रतन का जाना...
November 09, 2024

आज श्री रतन टाटा जी के निधन को एक महीना हो रहा है। पिछले महीने आज के ही दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था। रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है। इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है। रतन टाटा जी के तौर पर भारत ने अपने एक महान सपूत को खो दिया है...एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।

आज भी शहरों, कस्बों से लेकर गांवों तक, लोग उनकी कमी को गहराई से महसूस कर रहे हैं। हम सबका ये दुख साझा है। चाहे कोई उद्योगपति हो, उभरता हुआ उद्यमी हो या कोई प्रोफेशनल हो, हर किसी को उनके निधन से दुख हुआ है। पर्यावरण रक्षा से जुड़े लोग...समाज सेवा से जुड़े लोग भी उनके निधन से उतने ही दुखी हैं। और ये दुख हम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महसूस कर रहे हैं।

युवाओं के लिए, श्री रतन टाटा एक प्रेरणास्रोत थे। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व हमें याद दिलाता है कि कोई सपना ऐसा नहीं जिसे पूरा ना किया जा सके, कोई लक्ष्य ऐसा नहीं जिसे प्राप्त नहीं किया जा सके। रतन टाटा जी ने सबको सिखाया है कि विनम्र स्वभाव के साथ, दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।

 रतन टाटा जी, भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे। वो विश्वसनीयता, उत्कृष्टता औऱ बेहतरीन सेवा जैसे मूल्यों के अडिग प्रतिनिधि थे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह दुनिया भर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।

दूसरों के सपनों का खुलकर समर्थन करना, दूसरों के सपने पूरा करने में सहयोग करना, ये श्री रतन टाटा के सबसे शानदार गुणों में से एक था। हाल के वर्षों में, वो भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शन करने और भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश करने के लिए जाने गए। उन्होंने युवा आंत्रप्रेन्योर की आशाओं और आकांक्षाओं को समझा, साथ ही भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी क्षमता को पहचाना।

भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली नई पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है। आने वाले दशकों में हम भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर देखेंगे।

रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट...बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया। आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं। मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।

रतन टाटा जी की महानता बोर्डरूम या सहयोगियों की मदद करने तक ही सीमित नहीं थी। सभी जीव-जंतुओं के प्रति उनके मन में करुणा थी। जानवरों के प्रति उनका गहरा प्रेम जगजाहिर था और वे पशुओं के कल्याण पर केन्द्रित हर प्रयास को बढ़ावा देते थे। वो अक्सर अपने डॉग्स की तस्वीरें साझा करते थे, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। मुझे याद है, जब रतन टाटा जी को लोग आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ रहे थे...तो उनका डॉग ‘गोवा’ भी वहां नम आंखों के साथ पहुंचा था।

रतन टाटा जी का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं किया जाता है, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी किया जाता है।

रतन टाटा जी ने हमेशा, नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा। 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था। उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि – भारत रुकेगा नहीं...भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।

व्यक्तिगत तौर पर, मुझे पिछले कुछ दशकों में उन्हें बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। हमने गुजरात में साथ मिलकर काम किया। वहां उनकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। इनमें कई ऐसी परियोजनाएं भी शामिल थीं, जिसे लेकर वे बेहद भावुक थे।

जब मैं केन्द्र सरकार में आया, तो हमारी घनिष्ठ बातचीत जारी रही और वो हमारे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में एक प्रतिबद्ध भागीदार बने रहे। स्वच्छ भारत मिशन के प्रति श्री रतन टाटा का उत्साह विशेष रूप से मेरे दिल को छू गया था। वह इस जन आंदोलन के मुखर समर्थक थे। वह इस बात को समझते थे कि स्वच्छता और स्वस्थ आदतें भारत की प्रगति की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर की शुरुआत में स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगांठ के लिए उनका वीडियो संदेश मुझे अभी भी याद है। यह वीडियो संदेश एक तरह से उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थितियों में से एक रहा है।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था, जो उनके दिल के करीब था। मुझे दो साल पहले असम का वो कार्यक्रम याद आता है, जहां हमने संयुक्त रूप से राज्य में विभिन्न कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया था। उस अवसर पर अपने संबोधन में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो अपने जीवन के आखिरी वर्षों को हेल्थ सेक्टर को समर्पित करना चाहते हैं। स्वास्थ्य सेवा एवं कैंसर संबंधी देखभाल को सुलभ और किफायती बनाने के उनके प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि वो बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति कितनी गहरी संवेदना रखते थे।

मैं रतन टाटा जी को एक विद्वान व्यक्ति के रूप में भी याद करता हूं - वह अक्सर मुझे विभिन्न मुद्दों पर लिखा करते थे, चाहे वह शासन से जुड़े मामले हों, किसी काम की सराहना करना हो या फिर चुनाव में जीत के बाद बधाई सन्देश भेजना हो।

अभी कुछ सप्ताह पहले, मैं स्पेन सरकार के राष्ट्रपति श्री पेड्रो सान्चेज के साथ वडोदरा में था और हमने संयुक्त रूप से एक विमान फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में सी-295 विमान भारत में बनाए जाएंगे। श्री रतन टाटा ने ही इस पर काम शुरू किया था। उस समय मुझे श्री रतन टाटा की बहुत कमी महसूस हुई।

आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें उस समाज को भी याद रखना है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। जहां व्यापार, अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे, जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहां प्रगति का आकलन सभी के कल्याण और खुशी के आधार पर किया जाए। रतन टाटा जी आज भी उन जिंदगियों और सपनों में जीवित हैं, जिन्हें उन्होंने सहारा दिया और जिनके सपनों को साकार किया। भारत को एक बेहतर, सहृदय और उम्मीदों से भरी भूमि बनाने के लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी सदैव आभारी रहेंगी।