राष्ट्ररक्षा के लिए अपने स्वजन को न्यौछावर करने वाले हर परिवार का ऋण हम सभी पर हमेशा-हमेशा के लिए रहेगा: प्रधानमंत्री मोदी
काशी को नए भारत की नई ऊर्जा का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने की तरफ आज एक और पड़ाव पार करने में हम सफल हुए हैं: पीएम मोदी
काशी स्मार्ट भी बनेगी और अपने संस्कारों को कायम भी रखेगी, बाबा विश्वनाथ के परिसर की दिव्यता को भव्य स्वरूप देने का काम भी तेज गति से चल रहा है: प्रधानमंत्री

मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

सबसे पहले मैं पुलवामा में हुए आतंकी हमले में शहीद वाराणसी के वीर सपूत भाई रमेश यादव जी को आदरपूर्वक अपनी श्रद्धाजंलि अर्पित करता हूं। इस घड़ी में उनके परिवार के साथ काशी का हर व्‍यक्ति है, देश का हर नागरिक है। काशी की इस धरती से देश का प्रधान सेवक होने के नाते, उत्‍तर प्रदेश का प्रतिनिधि होने के नाते, मैं आप सभी की भावनाओं का भी प्रतिनिधि हूं। राष्‍ट्र रक्षा के लिए अपने स्‍वजन को न्‍यौच्‍छावर करने वाले हर परिवार का ऋण हम सभी पर हमेशा-हमेशा के लिए रहेगा। उनके इस ऋण को चुकाने की शक्ति हम सभी को मिले ये आशीर्वाद मैं बाबा विश्‍वनाथ से, मां गंगे से और आप सब भाइयों-बहनों से आशीर्वाद मांगने आया हूं।

आज स्‍वराज, स्‍वतंत्रता, स्‍वावलंबन और शौर्य के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती भी है। मैं पूरे राष्‍ट्र को शुभकामनाएं देता हूं। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने सुशासन से हमें वो पथ दिखाया था जिस पर चलकर हम एक सशक्‍त राष्‍ट्र बन सकते हैं।

साथियों, इसी कड़ी में आज वाराणसी में 3 हजार करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण, उद्घाटन और शिलान्‍यास किया गया है। यहां आने से पहले मैं तीन कार्यक्रमों में गया था। सबसे पहले मैं डीएलडब्‍लयू मैदान पर रेलवे से जुड़ी एक बड़ी उपलब्धि का साक्षी बना। फिर संत रविदास जी के मंदिर में दर्शन के बाद जन्‍मस्‍थलि के विस्‍तरण के प्रोजेक्‍ट का शिलान्‍यास किया और उसके बाद बीएचयू में स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा से जड़े प्रोजेक्‍ट का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया। अभी यहां पर भी सामान्‍य मानवी के जीवन को सरल और सुगम बनाने वाली अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्‍यास किया गया है। इन सभी सुविधाओं के लिए मेरी काशी के सभी भाईयो बहनों को बहुत-बहुत बधाई।

भाइयों और बहनों, काशी को नए भारत की नई ऊर्जा का महत्‍वपूर्ण केंद्र बनाने की तरफ आज एक और पड़ाव पार करने के लिए हम सफल हुए हैं। थोड़ी देर पहले ही एक ऐसे इंजन को हरी झंडी दिखाने का अवसर मुझे मिला है जो पहले डीजल से चलता था, अब वही इंजन बिजली से चला करेगा। यही ही नहीं नए इंजन की ताकत भी दो पुराने डीजल इंजनों की ताकत से भी ज्‍यादा होगी, मतलब डबल हो जाएगी और ये काम डीएलडब्‍ल्‍यू में पहली बार हुआ है। और भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में भी ऐसा प्रयोग पहले कभी नहीं हुआ है।

साथियों, मेक इन इंडिया के तहत किए गए इस काम ने एक बार फिर दुनिया में भारतीय वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग क्षमता का लोहा मनवाया है। इस प्रयोग के सफल हो जाने के बाद भारतीय रेलवे को और सशक्‍त बनाने, क्षमता और रफ्तार बढ़ाने में बहुत बड़ी मदद मिलेगी। इस बड़ी उप‍लब्धि के लिए मैं डिज़ाइन से लेकर के मैन्‍यूफेक्चिरिंग तक से जुड़ी हर व्‍यक्ति, पूरी टीम के सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और ये महत्‍वपूर्ण काम मेरी काशी की धरती पर हुआ है, आपके बीच में हुआ है।

साथियों, भारतीय रेल की सूरत और सीरत बदलने वाले अनेक कदम बीते साढ़े चार वर्ष में उठाए गए हैं। दिल्‍ली से काशी के बीच चल रही देश में बनी पहली सेमी हाइस्‍पीड ट्रेन वंदे भारत एक्‍सप्रेस इसका एक और बहुत बड़ा उदाहरण है। इस ट्रेन को लेकर अनेक चिट्ठियां मेरे पास आई हैं। देश के लोगों में एक उत्‍साह है, गौरव का भाव है कि इतने दशकों बाद ही सही भारत को एक विश्‍वस्‍तरीय ट्रेन मिली है। लेकिन इस ट्रेन को कुछ लोगों द्वारा जिस तरह निशाना बनाया जा रहा है, उसका मजाक उड़ाया जा रहा है। ये बहुत दुखद है।

मुझे जो चिट्ठियां मिल रही है उसमें लोग बहुत ज्‍यादा आहत हैं। इसे देखकर देश के हर इंजीनियर का, हर टेक्निश्‍यन का अपमान बता रहे है। भारत का मजाक उड़ाने की मानसिकता से घिरे ऐसे लोगों से देश के प्रत्‍येक नागरिक को, देश के हर नौजवान को सर्तक रहना आवश्‍यक है। काशी के मेरे प्‍यारे भाइयों बहनों बताइए..... ये वंदे भारत ट्रेन बनाने वाले इंजीनियरों के लिए हमें गर्व हो रहा है कि नहीं हो रहा है। हमारा माथा ऊंचा हो रहा है कि नहीं हो रहा है। क्‍या इंजीनियरों को अपमानित करना उचित है क्‍या ?... टेक्निशयनों को अपमानित करना उचित है क्‍या?... दिन-रात देश के लिए काम करने वाले लोगों का मजाक उड़ाना उचित है क्‍या?..... क्‍या ऐसी मजाक उड़ाने वालों को माफ किया जा सकता है। सही समय पर सही सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए?

भाइयों बहनों ऐसे दौर में जब आप सभी राष्‍ट्र निर्माण के लिए, देश में कुछ नया करने के लिए जी-जान से जुटे हैं उस समय मैं आपसे यही आग्रह करूंगा कि नकारात्‍मकता से घिरे इन लोगों की इन हरकतों से निराश होने की जरूरत नहीं है।

मैं चैन्‍नई रेल कोच फैक्‍ट्ररियों के इंजिनियरों, टेक्निशयनों, हर कर्मचारी से भी कहुंगा कि भारत को आप सभी पर बहुत गर्व है। मैं उनकी मेहनत को प्रणाम करता हूं, उन्‍हे नमन करता हूं। आप जैसे इंजिनियर प्रोफेनलस ही कल भारत में बुलेट ट्रेन भी बनाएगें और सफलतापूर्वक चलाएगें भी।

रेलवे के सभी इंजिनियरों, कर्मचारियों इससे जुड़े एक-एक श्रमिक के परिश्रम का परिणाम है कि आज रेल पटरियां बिछाने का काम, दोहरीकरण या फिर बिजलीकरण का काम पहले से दो गुनी रफ्तार से हो रहा है। इसी कड़ी में प्रयागराज और बनारस के बीच 123 किमी के सेक्‍शन के बिजलीकरण उसका काम भी पूरा हुआ है। इनके अलावा मंडुआडीह वाराणसी शहर, लोहता- भदोही और भदोही - जंघई रेल लाइन का दोहरीकरण किया है। रेल लाइनों के साथ-साथ स्‍टेशनों पर भी आधुनिक सुविधाओं का अभूतपूर्व विकास आप सभी अनुभव कर पा रहे है।

भाइयों और बहनों रेलवे के साथ-साथ सड़कों के अनेक प्रोजेक्‍ट पर भी काम या तो पूरा हो चुका है या फिर आज उसकी शुरुआत हो रही है। पंचकोशी मार्ग भी अब नए रूप में सेवा के लिए समर्पित है। सड़क और रेलवे से जुड़े ये जितने भी काम बनारस या उसके आस-पास के क्षेत्रों में हो रहे हैं। इससे आवाजाही तो आसान हो ही रही है साथ में किसानों को, व्‍यापारियों को भी लाभ मिल रहा है। बनारस में, पूर्वांचल में नए-नए उद्यमों के लिए रास्‍ते खुल रहे हैं।

साथियों, बनारस हिंदू विश्‍वविद्यालय को भी महामना के सपनों के मुताबिक शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य का सबसे महत्‍वपूर्ण केंद्र बनाने की तरफ हम अग्रसर है। थोड़ी देर पहले ही बीएचयू के गौरवमयी सौ वर्ष के इतिहास के सम्‍मान में एक डाक टिकट जारी किया गया है। इसके अलावा आज बीएचयू में दो बड़े सेंटरस केंद्रीय अन्‍वेषण केंद्र और बीएचयू आईआईटी में सुपर कम्‍पूटिंग सेंटर की सुविधा भी शुरू हुई है।

सुपर कंप्यूटिंग सेंटर परम शिवाय की शुरुआत से नेशनल सुपर कंप्यूटिंग सेंटर को गति मिलेगी। एक प्रकार से भविष्‍य की तकनीक एंड रिर्सच डेवलमेंट में भी बाबा की पवित्र भूमि देश को अब दिशा देने वाली है।

साथियों, इसके अलावा आज जिन दो बहुत बड़े केंसर अस्‍पतालों का लोकार्पण हुआ है उनमें से एक बीएचयू में है और दूसरा लहरतारा में बना है। बीएचयू का केंसर अस्‍पताल तो सिर्फ दस महीनें में ही तैयार किया गया है। रिकार्ड टाइम है ये....ये दोनों अस्‍पताल मिलकर काम करेंगे। लहरतारा में जो अस्‍पताल बना है वहां केंसर के इलाज की सबसे आधुनिक मशीन में से एक भाभाट्रोन को भी स्‍थापित किया गया है।

साथियों, इस क्षेत्र में और खासकर पूर्वांचल में केंसर के मरीजों को उपयुक्‍त इलाज के अभाव में दूसरे बड़े शहरों में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता था। अब वाराणसी में ही केंसर का आधुनिक इलाज संभव हो पाएगा। इसका लाभ यूपी के साथ-साथ बिहार, झारखंड, मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ के मरीजों को भी इसका लाभ मिल पाएगा।

भाइयों और बहनों, आज पांडेपुर में मजदूरों और श्रमिक साथियों के लिए 150 बेड के ईएसआईसी अस्‍पताल और एक हेल्‍थ एंड वेलनेस सेंटर का भी लोकार्पण किया गया है। आधुनिक इलाज की ये सभी सुविधाएं उन गरी‍ब परिवारों के लिए और भी अहम सिद्ध होने वाली है जिनको आयुष्‍मान भारत योजना के तहत हर वर्ष 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा सुनिश्चित हुई है। यूपी में ऐसे लगभग 1 करोड़ 20 लाख परिवार हैं जिनमें से 38 हजार मरीजों को मुफ्त इलाज मिल भी चुका है।

अभी योजना को 150 दिन भी हुए हैं। थोड़ी देर पहले मैं ऐसे अनेक लाभार्थियों से मिला भी हूं। पैसे के अभाव में वो जीवन की उम्‍मीद छोड़ चुके थे। लेकिन अब वो अपना उत्‍तम इलाज करा पा रहे हैं, आयुष्‍मान हो पा रहे हैं। आपका ये प्रधान सेवक पूरी ईमानदारी से आपकी सेवा करने में जुटा है।

यहां कुछ देर बाद मैं अनेक दिव्‍यांगजनों से मिलकर उनको जरूरी उपकरण भी सौंपने वाला हूं। वैसे जब मैं थोड़ी देर पहले वाराणसी पहूंचा था तो डीएलडब्‍ल्‍यू मेरी मुलाकात कुछ दिव्‍यांग साथियों से हुई थी। अलग-अलग प्रतिभाओं के धनी इन साथियों से काफी देर तक मेरी बातचीत हुई है। कोई पेंटिग करता था, कोई पैरा ओलपिंक एथलीट था, कोई राष्‍ट्रीय स्‍तर का शूटर। एक बच्‍चा तो मिमिक्री में बहुत माहिर था। मैं उनके उज्‍ज्‍वल भविष्‍य और अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य की कामना करता हूं।

भाइयों और बहनों, स्‍वास्‍थ्‍य के साथ-साथ काशी और आस-पास के क्षेत्रों के कायाकल्‍प का काम भी निरंतर जारी है। पर्यटन को बढ़ावा देने वाली परियोजनाएं हों या फिर काशी स्‍मार्ट सिटी से जुड़ा इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर ये सारी सुविधाएं बनारस की तस्‍वीर बदलने वाली हैं। वहीं गोइठहां का सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, बनने से वरूणा के रास्‍ते गंगा जी की ओर गंदगी नहीं जा पाएगी। इससे गंगा जी की स्‍वच्‍छता और निर्मलता के हमारे अभियान को और ताकत मिलने वाली है। मां गंगा को निर्मल बनाने के लिए आप सभी ने काशीवासियों ने जो प्रयास किए हैं उनकी प्रशंसा आज पूरी दूनिया कर रही है।

साथियों, काशी स्‍मार्ट भी बनेगी और अपने संस्‍कारों को कायम भी रखेगी। बाबा विश्‍वनाथ के परिसर की दिव्‍यता को भव्‍य स्‍वरूप देने का काम भी तेज गति से चल रहा है। काशी के गौरव से जुड़े मानमहल में वर्चुअल म्यूजियम भी अब यहां आने वाले पर्यटकों के लिए नया अनुभव देने वाला है। इस वर्चुअल म्यूजियम में काशी की कला सांस्‍कृतिक विरासत को बचाने के लिए प्रोजेक्‍टस लगाए गए हैं।

साथियों, देश के पशुधन को स्‍वस्‍थ और बेहतर बनाने के लिए हमारी सरकार के द्वारा राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन शुरू किया गया था । इस बार बजट में इसको विस्‍तार देते हुए राष्‍ट्रीय कामधेनू आयोग बनाने का फैसला लिया गया है। ये आयोग गौमाता की देखभाल और उनसे जुड़े नियमों कायदों को प्रभावी तरीके से लागू करने का काम करेगा।

यहां बनारस में भी दो कान्‍हां सेंटर बनने वाले हैं जिनका शिलान्‍यास आज हो गया है। ये दोनों सेंटर गौमाता सेवा के हमारे भाव को और मजबूत करेगे।

भाइयों और बहनों, मछली पालन से जुड़े लोगों के लिए भी सरकार ने महत्‍वपूर्ण कदम उठाया है। इस बजट में सरकार ने ऐलान किया है कि मछली पालन से जुड़े हर पहलू पर ध्‍यान देने के लिए अलग से एक डिर्पाटमेंट बनाया जाएगा। मछली पालन के लिए 7 हजार करोड़ रुपये के फंड और किसान क्रेडिट कार्ड से लोन की व्‍यवस्‍था सरकार पहले ही कर चुकी है।

साथियों, हमारी सरकार देश के विकास को दो पटरियों पर एक साथ आगे बढ़ा रही है। पहली पटरी है इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे हाईवे, रेलवे, एयरवे, बिजली, इंटरनेट ऐसी सुविधाओं का विकास और दूसरी पटरी गरीब, किसान, श्रमिक, मध्‍यम वर्ग का जीवन, माताओं और बहनों का सम्‍मान..... ये सब आसान बनाने की दिशा में हम काम कर रहे हैं। इन दोनों पर साथ चलते हुए इस बार केंद्र सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमें भी अनेक बड़ी योजनाओं का ऐलान किया गया है। ऐसे किसान परिवार जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है उनके लिए पीएम किसान सम्‍मान निधि नाम की योजना बनाई गई है।

आपने देखा होगा कि पहले... और मैं चाहूंगा काशीवासी इस बात को भली-भांति जरा समझिए ताकि आप झूठ फैलाने वालों को, गुमराह करने वालों को मुंह तोड़ जवाब दे सको। जवाब दोगे... जवाब दोगे...पक्‍का दोगे... अब सुनिए, आपने देखा होगा कि पहले दस वर्ष के बाद, दस साल में एक बार कर्जमाफी का ढिंढोरा पीटा जाता था और सिर्फ 50-55 हजार करोड़ रुपये की कर्जमाफी की जाती थी। और उसमें भी एक गांव में अगर सौ किसान है तो कहीं 20 को लाभ मिलता था, कहीं 25 को लाभ मिलता था। उससे ज्‍यादा लोगों को लाभ नहीं मिलता था। अब जो योजना हमनें बनाई है इससे दस वर्ष में साढे सात लाख करोड़ रुपया... कहां 50-55 हजार और कहां साढे सात लाख करोड़ रुपया... सीधा किसानों के खाते में जमा होगा।

इससे यूपी के लगभग सवा दो करोड़ गरीब किसान परिवारों को सीधा लाभ मिलने वाला है। इस पैसे का उपयोग अब किसान परिवार बीज, खाद, कीटनाशक जैसी जरूरतों के लिए कर पाएगा। अब उसको साहूकार के पास से मंहगें ब्‍याज वाली रकम से पैसे नहीं लेने पड़ेगे।

भाइयों और बहनों देश विकास की इन दो पटरियों पर तेज गति से तभी दौड़ पा रहा है जब काशी ने, उत्‍तर प्रदेश ने, पूरे देश ने एक मजबूत सरकार के लिए...पूर्ण बहुमत वाली सरकार के लिए पिछले चुनाव में वोट दिया था, जनमत दिया था।

आप यहां बनारस में भी देख रहे हैं कि जिन योजनाओं का मैंने शिलान्‍यास किया था उन्‍हें तय समय पर पूरा करके आपको समर्पित भी किया जा रहा है। अब जब नए भारत का निर्माण करने हम निकले हैं तब इस विश्‍वास को और मजबूत करने का काम भी यूपी से होगा इसी आत्‍मविश्‍वास के साथ आपको फिर इन तमाम सुविधाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप बहुत भारी संख्‍या में हमें आशीर्वाद देने के लिए आए इसके लिए भी मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

आप दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.