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भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज हुई रफ्तार

एनडीए सरकार के तहत भारत दुनिया में सर्वाधिक तेज़ी से बढ़ती हुई बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया।

ये भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक साल था। पस्त पड़ चुकी विकास दर, भारी महंगाई और उत्पादन में कमी के दौर से उबरते हुए एनडीए सरकार ने ना सिर्फ मैक्रो-इकनॉमिक फंडामेंटल्स को मजबूत किया, बल्कि अर्थव्यवस्था को एक तेज रफ्तार विकास पथ ले आई। भारत की जीडीपी विकास दर कुलांचे भर कर 7.4% हो गई, जो दुनिया की सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है। विभिन्न रेटिंग एजेंसी और थिंकटैंक ने अनुमान जताया है कि एनडीए सरकार के तहत अगले कुछ वर्षों में भारत का विकास तेजी से होगा। मजबूत बुनियाद और एनडीए सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों के चलते मूडीज ने हाल में भारत की रेटिंग को ‘स्टेबल’ से अपग्रेड करके ‘पॉजिटिव’ कर दिया।

ब्रिक्स (BRICS) की शुरुआत होने के बाद कई लोगों को लगने लगा कि “आई” (इंडिया) इस रेस का घोड़ा नहीं है और भारत को संदेह के साथ देखा गया। आज ये भारत ही है जिसके बारे में माना जा रहा है कि वह ब्रिक्स के ग्रोथ इंजन के रूप में उसे शक्ति प्रदान कर रहा है।

सरकार द्वारा मैन्युफैक्चरिंग पर खास जोर देने के साथ ही औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पिछले साल निगेटिव ग्रोथ के मुकाबले इस साल 2.1% की दर से बढ़ा। थोक कीमतों पर आधारित महंगाई (WPI) में तेज गिरावट देखी गई और ये अप्रैल 2014 में 5.55% के मुकाबले घटकर अप्रैल 2015 में -2.65% प्रतिशत हो गई। एफडीआई इनफ्लो ऐतिहासिक गति से बढ़ रहा है। एफडीआई इक्विटी इनफ्लो 40% की उछाल दर्ज कर बीते साल के 1,25,960 करोड़ रुपये के मुकाबले इस साल 1,75,886 करोड़ रुपये हो गया। राजकोषीय घाटा भी लगातार गिरावट की स्थिति में है। भारत का चालू खाता घाटा बीते साल जीडीपी के मुकाबले 4.7% के स्तर से इस साल जीडीपी का 1.7%  रह गया। भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई और ये 309.4 अरब डॉलर से बढ़कर 343.2 अरब डॉलर हो गया। इससे किसी वैश्विक उठा-पटक की स्थिति में भारत को जोखिम से बचने में मदद मिलेगी।

जन धन से जन सुरक्षा तक

भारत ने बनाया विश्व कीर्तिमान: अधिकतम संख्या में बैंक खाते खोलने के लिए और सबसे बड़ी कैश ट्रांसफर स्कीम के लिए

आजादी के 67 वर्ष बाद भी भारत में बड़ी संख्या में ऐसी आबादी थी, जिन्हें किसी भी तरह की बैंकिंग सेवा उपलब्ध नहीं थी। इसका मतलब था कि उनके पास बचत के लिए कोई जरिया नहीं था, और ना ही संस्थागत कर्ज लेने का कोई मौका था। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बुनियादी मसले का समाधान करने के लिए 28 अगस्त को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत की। कुछ ही महीनों में 15 करोड़ बैंक खाते खोले गए। अभी तक 13.5 करोड़ रूपे कार्ड जारी किए गए हैं। करीब 15,798 करोड़ रुपये का डिपॉजिट है। रिकॉर्ड 1,25,697 बैंक मित्र (बैंक कॉरस्पान्डेंट) इस काम में लगाए गए। इसने एक सप्ताह में सर्वाधिक 1,80,96,130 खाते खोलने के लिए गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड भी बनाया।

ये संभव हुआ प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से और आम जनमानस तथा सरकारी मशीनरी को गति देने की उनकी क्षमता के कारण। इस असाधारण काम को मिशन मोड में लागू किया गया। इसे सरकार और आम लोगों की साझेदारी तथा भागीदारी के आधार पर पूरा किया गया, जो सभी के लिए अनुकरणीय है।

लाखों भारतीयों के बैंक खाते इसलिए खोले गए ताकि उन्हें बैंकिंग सेवाएं मिल सकें, लेकिन इसने भ्रष्टाचार को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अब सब्सिडी सीधे बैंक खातों में जमा होती है, जिससे लीकेज और किसी तरह की गड़बड़ी की आशंका बंद हो गई। पहल योजना के तहत, एलपीजी सब्सिडी सीधे बैंक खातों में जमा की गई। इस योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक लोग सीधे कैश सब्सिडी लेंगे, जिससे करीब 4,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी बचेगी।

लोगों के लिए बुनियादी बैंकिंग सुविधा उपलब्ध होने के बाद एनडीए सरकार ने नागरिकों को बीमा और पेंशन कवर देने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाया। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना महज 12 रुपये प्रति वर्ष में दो लाख रुपये का दुर्घटना बीमा देती है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना प्रति वर्ष मात्र 330 रुपये में जीवन बीमा देती है। अटल पेंशन योजना 5000 रुपये प्रति माह तक पेंशन मुहैया कराती है, जो कॉन्ट्रीब्यूशन पर निर्भर है। इन योजनाओं की शुरुआत होने के दो दिनों में ही (16/5/2015 तक) करीब 7.22 करोड़ लोगों ने इन योजनाओं में नामांकन करा लिया। इसके अलावा सरकार ने सुकन्या संमृद्धि योजना शुरू की ताकि बेटियों की शिक्षा एवं उनकी अन्य आवश्यकताओं के लिए बचत को बढ़ावा दिया जा सके।


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मेक इन इंडिया

विनिर्माण क्षेत्र का दिग्गज बनने की राह में भारत

भारत में ना सिर्फ विनिर्माण बल्कि अन्य क्षेत्रों में उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम चार स्तंभों पर आधारित है।


नई कार्यविधि: ‘मेक इन इंडिया’ का मानना है कि उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए एक सबसे महत्वपूर्ण बात ‘कारोबार करने की सुविधा’ है। कारोबारी माहौल को आसान बनाने के लिए कई इनीशिएटिव पहले ही शुरू किए जा चुके हैं। इसका उद्देश्य पूरे कारोबारी चक्र के दौरान इंडस्ट्री को डी-लाइसेंस और डी-रेग्युलेट करना है।

नया बुनियादी ढांचा: उद्योगों के विकास के लिए आधुनिक और सुविधाजनक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण जरूरत है। सरकार आधुनिक हाई-स्पीड कम्युनिकेशन और इंटग्रेटेड लॉजिस्टिक अरेंजमेंट्स के साथ ही उत्कृष्ट तकनीक पर आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने के लिए इंडस्ट्रियल कॉरिडोर्स और स्मार्ट सिटीज़ बनाने का इरादा रखती है। इंडस्ट्रियल कल्स्टर्स में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाकर मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूती दी जाएगी।

नए क्षेत्र: ‘मेक इन इंडिया’ ने विनिर्माण, बुनियादी ढांचे और सेवा गतिविधियों में 25 क्षेत्रों की पहचान की है और इस बारे में इंटरेक्टिव वेब पोर्टल और पेशवर ढंग से तैयार किए गए ब्रोशर्स के माध्यम से विस्तृत सूचनाएं साझा की जा रही हैं।

नई सोच: उद्योग सरकार को एक नियामक के रूप में देखने के आदी रहे हैं। ‘मेक इन इंडिया’ का मकसद उद्योगों के साथ सरकार के संवाद में आमूलचूल परिवर्तन लाकर इस सोच को बदलना है। सरकार देश के आर्थिक विकास में उद्योगों के साथ साझेदार बनेगी। हमारा नज़रिया एक फैसिलिटेटर का होगा और एक रेग्युलेटर का नहीं।


‘मेक इन इंडिया’ ने भारत में कारोबारी दिग्गजों के साथ ही फॉरेन लीडर्स के बीच भी अपने प्रशंसक तैयार किये हैं। इस ऐतिहासिक पहल में दुनिया भारत के साथ साझेदारी करने की इच्छुक है।

हमने एक मैन्युफैक्चरिंग इनीशिएटिव का रोडमैप तैयार किया है, जो हाल के इतिहास में किसी भी देश द्वारा शुरू की गई सबसे बड़ी पहल है। ये सार्वजनिक-निजी साझेदारी की परिवर्तनकारी शक्ति को दर्शाता है। भारत के वैश्विक साझेदारों को शामिल करने के लिए भी इस सहयोगी मॉडल का सफलतापूर्वक विस्तार किया गया।

थोड़े समय में ही, अतीत का घिसापिटा और बाधक ढांचा खत्म हो गया और उसकी जगह एक पारदर्शी तथा लोगों के अनुकूल व्यवस्था ने ले ली। नई व्यवस्था निवेश जुटाने, इनोवेशन को बढ़ावा देने, कौशल विकास, आईपी संरक्षण और बेहतरीन विनिर्माण सुविधाओं के निर्माण में मददगार है।

निवेश की सीमा और नियंत्रण को आसान बनाने के साथ ही भारत के मूल्यवान क्षेत्र – रक्षा, निर्माण और रेलवे – अब वैश्विक साझेदारी के लिए खुल गए हैं।  रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया और एफडीआई सीमा को 26% से बढ़ाकर 49% कर दिया गया। रक्षा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट के जरिए 24% तक पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट की अनुमति दी गई। रक्षा क्षेत्र में अलग-अलग मामलों के आधार पर अत्याधुनिक एवं उत्कृष्ट तकनीक के लिए 100% एफडीआई की अनुमति दी गई। कुछ विशेष रेल ढांचागत परियोजनाओं में ऑटोमेटिक रूट के तहत निर्माण, परिचालन और रखरखाव के लिए 100% एफडीआई की भी मंजूरी दी गई।

कारोबार को आसान बनाने के लिए सरलीकृत कर प्रणाली बनाई गई। 22 इनपुट या कच्चे माल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी ने विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण लागत में कमी आई। गार को दो वर्षों के लिए टाल दिया गया। टेक्नॉलॉजी आसानी से आ सके, इसके लिए तकनीकी सेवाओं की रायल्टी और शुल्क पर आयकर की दर को 25% से घटाकर 10% किया गया।

वस्तुओं के निर्यात और आयात के लिए जरूरी दस्तावेजों को घटाकर तीन कर दिया गया। भारत सरकार की 14 सेवाएं ई-बिज़ के ऑनलाइन सिंगल विंडो पोर्टल के माध्यम से मिलने लगीं। निवेशकों को गाइड करने के लिए इनवेस्टर्स फैसिलिटेशन सेल बनाई गईं। ई-बिज़ पोर्टल के जरिए औद्योगिक लाइसेंस के लिए आवेदन की प्रक्रिया और औद्योगिक उद्यमी ज्ञापन को 24X7 के आधार पर ऑनलाइन किया गया। औद्योगिक लाइसेंस की वैधता बढ़ाकर तीन वर्ष की गई। रक्षा उत्पादों के प्रमुख कंपोनेंट्स की सूची को औद्योगिक लाइसेंस से अलग किया गया। नए बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी/सहमति की जरूरत को खत्म कर दिया गया।

इसके अलावा भारत सरकार विनिर्माण में तेजी लाने और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए देश भर में गलियारों का एक पंचकोण (पैंटागन) बना रही है।


मेक इन इंडिया की शुरुआत के अवसर प्रधानमंत्री का भाषण सुनिये

अधिक जानकारी के लिए विजिट करें: http://www.makeinindia.com/

एक खुशहाल भारत के लिए मजबूत किसान

कृषि को तेजी से बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए

किसान हमेशा से हमारे देश का आधार रहे हैं और एनडीए सरकार इनोवेशन और कुछ ठोस उपायों के जरिए देश के इस आधार को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सिंचाई की सुविधाएं सुनिश्चित कर उपज को बढ़ाएगी। इस योजना का विजन यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक खेत को किसी ना किसी तरह के सुरक्षात्मक सिंचाई के साधन उपलब्ध हों। किसानों को सिंचाई के आधुनिक तरीकों के बारे में शिक्षित किया जा रहा है ताकि पानी की ‘प्रत्येक बूंद के बदले अधिक पैदावार’ मिले।

किसान समूहों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई। पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऑर्गेनिक फार्मिंग और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष योजना शुरू की गई।

स्थाई आधार पर विशिष्ट फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड की पेशकश की गई और इसे देश के सभी 14 करोड़ भूमि खातों के लिए जारी किया जाएगा। तीन वर्ष के चक्र में करीब 248 लाख नमूनों का विश्लेषण किया जाएगा।

घरेलू उत्पादन और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए नई यूरिया नीति की घोषणा की गई है और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए गोरखपुर, बरौनी तथा तलचर में खाद फैक्टरी का पुनरोद्धार किया गया है।

हाल में हुई बेमौसम बारिश को देखते हुए एनडीए सरकार ने तेजी से कार्रवाई करते हुए कहा कि यदि 33 प्रतिशत या इससे अधिक फसल नष्ट हुई है तो किसान मुआवजा पा सकेंगे। इससे पहले किसानों को मुआवजा तभी मिलता था जबकि 50%  या इससे अधिक नुकसान हुआ हो।

एक 500 करोड़ रुपये के कॉर्पस वाले मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई। ये कोष जल्दी खराब होने वाली कृषि और बागवानी फसलों की कीमतों को नियंत्रित करने में मददगार होगा।

ग्राम ज्योति योजना बिना कटौती के बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करेगी। इससे ना सिर्फ उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि कुटीर उद्योगों और शिक्षा सहित इसका किसानों के पूरे जीवन पर भी भारी असर होगा।


डब्ल्यूटीओ वार्ता में एनडीए सरकार के मजबूत और सैद्धान्तिक रुख ने खाद्य सुरक्षा मुहैया कराने में किसानों के दीर्घावधि हितों को सुरक्षित किया। आसानी से और रियायती दरों पर कर्ज उपलब्ध कराने के लिए कृषि ऋण लक्ष्यों को बढ़ाकर 8.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया। तकनीक बड़े स्तर पर किसानों को ताकत दे रही है। किसान पोर्टल के माध्यम से मौसम की रिपोर्ट से लेकर खाद की जानकारी, सबसे बढ़िया तौर-तरीकों आदि की जानकारी मिल रही है। कृषि में मोबाइल गवर्नेंस के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। एक करोड़ से अधिक किसानों को सचेत करने और सूचना देने के लिए 550 करोड़ से अधिक एसएमएस भेजे गए।


साइल हेल्थ कार्ड के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें

किसानों को किस प्रकार सशक्त बनाया जा रहा है, यहां जानें: farmer.gov.in

कायम की अभूतपूर्व पारदर्शिता

देश हित में पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन

पिछले दशक में हालांकि मनमाने ढंग से फैसले लेने, भ्रष्टाचार और मनमाने ढंग से महत्वपूर्ण निर्णय लेने की कई कहानियां सुनाई दीं, लेकिन पिछले एक वर्ष में स्वागतयोग्य बदलाव देखा गया।

कोयला ब्लाक आवंटन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार ने अतुलनीय तत्परता दिखाते हुए पारदर्शी और समयबद्ध नीलामी सुनिश्चित की। 67 कोयला ब्लाक की नीलामी और आवंटन की प्रक्रिया 3.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस बारे में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा:

“हमें इस तथ्य ने आश्वस्त किया है कि नीलामी की प्रक्रिया सही ढंग से पूरी हुई। हमें ये पूरी प्रक्रिया मनमाने ढंग से या अतार्किक नहीं लगती है। जाहिर तौर पर ऐसा कोई आरोप नहीं है कि नीलामी की प्रक्रिया किसी खास बोलीदाता को लाभ पहुंचाने के लिए डिजाइन की गई।”

पूर्व में गढ़ी गई जीरो लॉस थिअरी के विपरीत इस बार स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार के रुख ने भारी लाभ सुनिश्चित किया। डिफेंस बैंड आइडेंटीफिकेशन का जटिल मुद्दा सात साल से अधिक समय से लंबित था, उसका तेजी से समाधान किया गया और रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए गए 2100 मेगा हर्ट्ज की अच्छी मात्रा को नीलामी में रखा गया। चार विभिन्न बैंड्स- 800 मेगा हर्ट्स, 900 मेगा हर्ट्स, 1800 मेगा हर्ट्स और 2100 मेगा हर्ट्स – को एक साथ नीलामी के लिए रखा गया और पहली बार नीलामी के कई दौर हुए। ऐसा इसलिए किया गया ताकि ऑपरेटर पूरी जानकारी के साथ निर्णय ले सकें। 80277 करोड़ रुपये के अनुमति प्राप्त आरक्षित मूल्य के मुकाबले नीलामी से 1,09,875 करोड़ रुपये हासिल हुए।

पारदर्शिता सुनिश्चित करने के एक इनोवेटिव कदम के तहत पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण संबंधी मंजूरियों के लिए ऑनलाइन आवेदन लेने की प्रक्रिया शुरू किया। अब मंजूरी पाने के लिए मंत्रालय आने की जरूरत नहीं। आवेदन की ऑनलाइन निगरानी की जा सकती है। जीआईएस आधारित निर्णय सहायक प्रणाली (डीएसएस) से वन मंजूरी आवेदनों पर सुविज्ञ, पारदर्शी, शीघ्र और उम्मीद के मुताबिक निर्णय लेने में मदद मिली।

काले धन के मोर्चे पर सरकार ने पहले दिन ही एसआईटी का गठन किया। सरकार स्विस बैंक के साथ मिलकर काम कर रही है और आईटी विभाग द्वारा जिन मामलों की जांच की गई है, उनके बारे में जानकारी ले रही है। सरकार ने अज्ञात विदेशी आय और संपत्ति (टैक्स का अधिरोपण) विधेयक 2015 को मंजूरी दी है। इस विधेयक में अघोषित विदेशी आय और संपत्ति रखने वालों के लिए कई जुर्मानों तथा सजा के प्रावधान शामिल हैं। एक लाख रुपये से अधिक की खरीद या बिक्री के लिए पैन का उल्लेख भी अनिवार्य है।

एक उज्ज्वल भविष्य की ओर

एनडीए सरकार ने शिक्षा तथा कौशल विकास को दिया बेमिसाल बढ़ावा

शिक्षा की गुणवत्ता और उसकी पहुंच बढ़ाने के लिए कई यूनीक उपाय किए गए। प्रधानमंत्री विद्यालक्ष्मी कार्यक्रम के माध्यम से सभी शिक्षा ऋणों और छात्रवृत्तियों के प्रशासन और निगरानी के लिए एक पूर्ण रूप से आईटी आधारित वित्तीय सहायता प्राधिकरण की स्थापना की गई। अध्यापन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण मिशन शुरू किया गया।

भारतीय छात्रों को अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर देने के लिए ग्लोबल इनीशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क (GIAN) की शुरुआत हुई। इसके तहत देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में गर्मी और सर्दी के अवकाश के दौरान पूरी दुनिया में सुविख्यात शैक्षणिक और वैज्ञानिक संस्थानों की जानीमानी फैकल्टी, वैज्ञानिकों और उद्यमियों को आमंत्रित किया जाएगा। ऑनलाइन शिक्षा को सक्षम बनाने के लिए स्वयं (SWAYAM) बड़े स्तर पर मुक्त ऑनलाइन कोर्स (MOOC) को बढ़ावा देगा। नेशनल ई-लाइब्रेरी शैक्षणिक सामग्री और ज्ञान के स्रोतों तक सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ावा देगा। शाला दर्पण एक मोबाइल टेक्नॉलॉजी है, जो अभिभावकों को स्कूल से जोड़ती है, ताकि वो अपने बच्चों की प्रगति की निगरानी कर सकें।

उड़ान (UDAAN) बालिका शिक्षा के प्रति समर्पित है, ताकि छात्राओं के प्रवेश को बढ़ावा दिया जा सके। ईशान विकास का मकसद पूर्वोत्तर राज्यों के चुनिंदा स्कूली विद्यार्थियों और इंजीनियरिंग छात्रों को उनकी छुट्टियों के दौरान आईआईटी, एनआईटी और आईआईएसईआर से जोड़ना है। यूएसटीटीएडी ने परंपरागत कला और शिल्पकारी में कौशल और प्रशिक्षण को बेहतर बनाने की मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य परंपरागत कारीगरों की क्षमता को बढ़ाना, परंपरागत कला और शिल्प का मानकीकरण, उनका दस्तावेजीकरण और उन्हें बाजार से जोड़ना है।

स्किल इंडिया को प्रधानमंत्री मोदी कितना महत्व देते हैं, ये किसी से छिपा नहीं है। सरकार ने हमारे युवाओं को सशक्त बनाने के लिए तत्काल एक अलग कौशल विकास मंत्रालय का गठन किया। अभी तक विभिन्न कार्यक्रमों के तहत 76 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ‘स्कूल टू स्किल’ कार्यक्रम के तहत कौशल प्रमाणपत्रों को अकादमिक समानता दी गई। 1500 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को मंजूरी दी गई। पंडित दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना तीन वर्षों में दस लाख ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित करेगी।

अप्रैंटिसशिप कानून में संशोधन के जरिए ऑन-जॉब ट्रेनिंग के अवसरों में बढ़ोतरी का रास्ता साफ किया गया। सरकार अगले ढाई सालों में 50%  स्टाइपेंड शेयर करके एक लाख अप्रैंटिसशिप को समर्थन देगी। सरकार की योजना है कि मौजूदा 2.9 लाख के मुकाबले अगले कुछ वर्षों में 20 लाख से अधिक अप्रैंटिश देने की है। राष्ट्रव्यापी अवसर उपलब्ध कराने के लिए नेशनल करियर सेंटर की शुरुआत हुई और एक स्थान पर सभी ऑनलाइन सेवाएं मुहैया कराने का काम करेगी। ये केंद्र युवाओं को करियर संबंधी उपयोगी सामग्री और स्व-मूल्यांकन के साधन भी उपलब्ध कराएंगे। युवाओं के लिए सलाहकारों का एक नेटवर्क भी उपलब्ध होगा।


पंडित मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण मिशन की शुरुआत के अवसर पर प्रधानमंत्री को सुनें

भारत के कोने-कोने को जोड़ने की कवायद

उभरते भारत के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण

साफतौर से एनडीए सरकार ने पहले दिन से ही बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया। चाहें ये रेलवे हो, सड़क हो, या शिपिंग, सरकार संपर्क बढ़ाने के लिए बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाने पर फोकस कर रही है।

पहली बार, रेलवे बजट में संरचनात्मक सुधारों और बुनियादी बदलावों पर फोकस किया गया। नई रेलगाड़ियों की घोषणा राजनीतिक लाभ लेने के लिए की जाती थी, लेकिन अब ये एक आम बात हो गई। यात्रियों के लिए रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई, यात्री हेल्पलाइन (138), सुरक्षा हेल्पलाइन (182), कागजरहित अनारक्षित टिकट प्रणाली, ई-कैटरिंग, मोबाइल सिक्योरिटी ऐप और महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा जैसी अनगितन सुविधाओं की शुरुआत हुई। रेलवे अब अर्थव्यवस्था के इंडन के रूप में काम करेगा और खदानों, तटों आदि को आपस में जोड़ेगा। मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर के बीच हाई स्पीड बुलेट ट्रेन की योजना बनाई गई है। नई दिल्ली-चेन्नई रूप के लिए व्यवहार्यता अध्ययन जारी है।

इस साल 1,983 किलोमीटर रेलवे लाइन चालू की गईं और 1375 किलोमीटर रेलवे विद्युतीकरण का काम पूरा हुआ, जो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। छह नई तीर्थयात्रा गाड़ियां शुरू की गईं और वैष्णो देवी जाने के लिए कटरा लाईन खोल दी गई।

सड़क क्षेत्र में, रुकी हुई सड़क परियोजनाओं की बाधाएं दूर की गईं, लंबे समय से लंबित ठेके के विवादों का समाधान किया गया और अव्यावहारिक परियोजनाओं को वापस ले लिया गया। एक बहुत बड़ा बदलाव लाने वाली परियोजना भारत माला की शुरुआत हुई। इसके तहत भारत की सीमाओं और तटीय क्षेत्रों में सड़क बनाई जाएगी। यात्रियों की सुविधा के लिए 62 टोल प्लाजा पर टोल लेना बंद कर दिया गया। बीते साल के दौरान हाईवे परियोजनाएं देने में 120%  की वृद्धि हुई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के जरिए निर्मित सड़कों में भी भारी बढ़ोतरी हुई।

एनडीए सरकार के तहत भारत शिपिंग क्षेत्र में भी तेजी से कदम उठा रहा है। सागरमाला परियोजना के तरह तटीय समुदायों के विकास के जरिए एक समग्र बंदरगाह आधारित विकास सुनिश्चित किया जाएगा। इस साल बंदरगाहों के जरिए कार्गो की विकास दर 4 प्रतिशत से बढ़कर 8 प्रतिशत हो गई। इस साल अब तक सर्वाधिक 71 एमटीपीए क्षमता वृद्धि दर्ज की गई। चाहबाहर बंदरगाह के विकास और अफगानिस्तान तथा मध्य एशियाई देशों तक पहुंच के लिए ईरान के साथ एमओयू पर दस्तखत हुए। गंगा में नीचे की ओर परिवहन और अंतर्देशीय जलमार्ग के विकास के लिए जल मार्ग विकास परियोजना की शुरुआत हुई।

सिविल एविएशन सेक्टर में भी तेजी से प्रगति हो रही है। मोहाली, तिरुपति और खजुराहो में नए एकीकृत टर्मिनल भवन का निर्माण पूरा होने वाला है। कडप्पा और बीकानेर में टर्मिनल तैयार हो चुका है। क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने के लिए हुबली, बेलगाम, किशनगढ़, तेजु और झारसुगुडा एयरपोर्ट का उन्नयन जारी है। भारत के अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा ऑडिट (IASA) को अपग्रेड करके अधिक सुरक्षित रेटिंग FAA दी गई है। इसके चलते अधिक उड़ाने भरी जा सकेंगी।


देखिए, किस प्रकार तकनीक बुनियादी सुविधाओं के विकास में सहायक बन रही है

 

संघवाद को बढ़ावा देते हुए विभिन्न राज्यों का समान रूप से सशक्तिकरण

इससे पहले कभी भारत के विकास के लिए काम करने में ‘टीम इंडिया’ का भाव नहीं देखा गया

अतीत की परिपाटी से हटते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने चौतरफा विकास हासिल करने के लिए सहयोगी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देने पर जोर दिया। लंबे समय तक हमने केंद्र और राज्यों के बीच बड़े भाई जैसा संबंध देखा। ‘सभी के लिए एक ही सांचे’ का इस्तेमाल वर्षों तक किया गया। विभिन्न राज्यों की विविधता और उनकी स्थानीय जरूरतों को ध्यान में नहीं रखा गया।

राज्यों को और अधिक मजबूती और शक्ति देने के लिए नीति आयोग का गठन किया गया।  एक महत्वपूर्ण विकासमूलक कदम के तहत केंद्र स राज्यों की ओर एकतरफा प्रवाह की नीति को बदल दिया गया और इसकी जगह राज्यों के साथ एक वास्तवित और सतत भागीदारी ने ले ली। नीति आयोग सरकार के लिए रणनीतिक नीतिगत विजन मुहैया कराने के साथ ही आकस्मिक मुद्दों के समाधान के लिए तेजी से काम करेगा।

नीति आयोग राष्ट्रीय विकास प्राथमिकताओं की साझा दृष्टि विकसित करने के लिए काम करेगा। इसमें राष्ट्रीय उद्देश्य के आलोक में राज्यों की सक्रिय भागीदारी होगी। नीति आयोग का विजन प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के लिए राष्ट्रीय एजेंडे का मसौदा उपलब्ध कराएगा। ये सतत रूप से राज्यों के साथ संरचनात्मक समर्थन और कार्यप्रणाली के साथ सहयोगात्मक संघवाद को बढ़ावा देगा। ये मानता है कि मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र का निर्माण करते हैं। ये गांव स्तर पर विश्वसनीय योजनाएं बनाने की प्रणाली विकसित करेगा।

एक महत्वपूर्ण कदम के तहत केंद्र की एनडीए सरकार ने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। इससे राज्यों को कर राजस्व का 42% हिस्सा मिलेगा, जबकि पहले ये आंकड़ा 32% था। हालांकि जाहिर तौर पर इससे केंद्र सरकार के पास कम धन बचेगा, लेकिन भारत सरकार ने इन सिफारिशों को सकारात्मक भाव से लिया क्योंकि ये सिफारिशें राज्यों को अपनी प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुसार योजनाओं बनाने और उन्हें लागू करने के लिए अधिक शक्ति और आजादी देती हैं। ये एक अभूतपूर्व बढ़ोतरी है, जो राज्यों को हर संभव तरीके से सशक्त करेगी। उन्हें वित्तीय अनुशासन बरतते हुए अधिक वित्तीय शक्ति और आजादी के साथ अपनी योजनाएं बनाने की इजाजत होगी।

एक अनोखी पहल के तहत प्रधानमंत्री मोदी अपनी चीन यात्रा के दौरान दो मुख्यमंत्रियों को साथ ले गए। वहां उन्होंने एक महत्वपूर्ण पहल प्राविंशल लीडर्स फोरम में भाग लिया। इससे राज्य और केंद्र संबंधों में एक नए युग का आरंभ हुआ।

खासतौर से पूर्वी भारत के कोयला भंडार वालो राज्यों को महत्वपूर्ण बढ़ावा देते हुए कोयला आवंटन से मिली राशि का एक बड़ा हिस्सा राज्यों को मिलेगा, जिससे उन्हें भारी लाभ हुए।


नीति आयोग के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें

सुधारों की दिशा में अग्रसर

चौतरफा विकास सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार पेश किए गए

भारत जन धन, आधार और मोबाइल (JAM) के उपयोग से आमूलचूल बदलाव करने वाले सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है। ये प्रत्यक्ष नकद हस्तांकरण के लिए एक यूनीक कॉम्बिनेशन है। ये अनोखी पद्धति से बिना किसी लीकेज के लोगों तक सीधे लाभ पहुंचाए जा सकेंगे। ऐसे में सब्सिडी लीकेज में तो कमी होगी, लेकिन सब्सिडी में कोई कमी नहीं होगी।

एनडीए सरकार ने एक राष्ट्रीय सहमति बनाई और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने के लिए संविधान संशोधन करने के लिए एक विधेयक पेश किया। जीएसटी के माध्यम से एक अप्रैल 2016 से एक उत्कृष्ट अप्रत्यक्ष कर प्रणाली लागू की जाएगी। इससे करों की एक भ्रामक सूची और उसके प्रभावों को खत्म करते हुए एक एकीकृत और साझा घरेलू बाजार तैयार होगा।

सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के नाम से एक अनोखी योजना शुरू की। इसके तहत संसद को अपने संसदीय क्षेत्र में किसी एक गांव को गोद लेने और उसे एक मॉडल गांव के रूप में विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इससे सांसदों को किसी विशेष स्कीम से ऊपर उठकर अपने संसदीय क्षेत्र के समग्र विकास की प्रेरणा मिली।

सरकार ने यूरिया उत्पादन के लिए गैस आधारित उर्वरक संयंत्रों को जोड़ने वाले सभी ग्रिड को एक समान कीमत पर पूल्ड नेचुरल गैस की आपूर्ति करने के प्रस्ताव MoPNG को मंजूरी दी। MoPNG और बिजली मंत्रालय के संयुक्त प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई जो मानक गैस आधारित बिजली उत्पादन संयंत्रों से संबंधित था। इससे 16000 मेगावाट के मानक गैस आधारित बिजली संयंत्रों के पुनरोद्धार में मदद मिलेगी।

निवेश की सीमा और नियंत्रण को आसान बनाने के साथ ही भारत के मूल्यवान क्षेत्र – रक्षा, निर्माण और रेलवे – अब वैश्विक साझेदारी के लिए खुल गए हैं।  रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया और एफडीआई सीमा को 26% से बढ़ाकर 49% कर दिया गया। रक्षा क्षेत्र में ऑटोमेटिक रूट के जरिए 24% तक पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट की अनुमति दी गई। रक्षा क्षेत्र में अलग-अलग मामलों के आधार पर अत्याधुनिक एवं उत्कृष्ट तकनीक के लिए 100% एफडीआई की अनुमति दी गई। कुछ विशेष रेल ढांचागत परियोजनाओं में ऑटोमेटिक रूट के तहत निर्माण, परिचालन और रखरखाव के लिए 100% एफडीआई की भी मंजूरी दी गई।


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स्वच्छ भारत अभियान

एक साफ-सुथरे भारत की ओर

श्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत करते हुते कहा, “2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर भारत उन्हें स्वच्छ भारत के रूप में सर्वश्रेष्ठ श्रद्धांजलि दे सकता है।” दो अक्टूबर 2014 को देश भर में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत हुई।

स्वच्छा के जनआंदोलन की अगुवाई करते हुए प्रधानमंत्री ने लोगों से आह्वान किया कि वो एक साफ और स्वच्छ भारत के महात्मा गांधी के सपने को पूरा करें। श्री नरेंद्र मोदी ने खुद मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन के पास सफाई अभियान शुरू किया। प्रधानमंत्री द्वारा गंदगी साफ करने के लिए झाडू पकड़ने के कारण स्वच्छ भारत अभियान देश भर में एक जन आंदोलन बन गया। उन्होंने कहा कि लोगों का ना गंदगी करनी चाहिए और ना दूसरों को करने देनी चाहिए। उन्होंने ‘ना गंदगी करेंगे, ना करने देंगे’ का मंत्र दिया। श्री मोदी ने स्वच्छता अभियान में शामिल होने के लिए नौ लोगों को आमंत्रित भी किया और उनसे अनुरोध किया कि वो नौ अन्य लोगों को इस पहल से जोड़ें।

इस अभियान में शामिल होने के लिए लोगों को आमंत्रित करने के कारण स्वच्छता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया। स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से लोगों में जिम्मेदारी की भावना आई। देश भर में लोग सक्रिय रूप से स्वच्छ भारत अभियान में शामिल हो रहे हैं और महात्मा गांधी का स्वच्छ भारत का सपना अब साकार होने लगा है।

प्रधानमंत्री ने अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से लोगों के बीच स्वच्छ भारत के संदेश को फैलाने में मदद की। उन्होंने वाराणसी में भी सफाई अभियान चलाया। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन के तहत वाराणसी के अस्सी घाट में गंगा नदी के पास कुदाल चलाई। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान में सहयोग करने वाले स्थानीय लोगों के एक बड़े समूह के साथ शिरकत की। साफ-सफाई के महत्व को समझते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने साथ ही भारतीय परिवारों एक स्वास्थ्य संबंधी समस्या का समाधान भी किया, जो घर में समुचित शौचालयों के अभाव को दूर करने के उपाए तेजी से प्रारंभ किए गए।

समाज के विभिन्न वर्गों के लोग आगे आए और सफाई के इन जन आंदोलन में शामिल हुए। सरकारी अधिकारियों से लेकर जवानों तक, बालीवुड अभिनेताओं से लेकर खिलाड़ियों तक, उद्योगपतियों से लेकर आध्यात्मिक गुरुओं तक, सभी इस पवित्र कार्य के साथ जुड़ गए। देश भर में लाखों लोग दिन प्रति दिन सरकारी विभागों, एनजीओ और स्थानीय सामुदायिक केंद्रों के स्वच्छता कार्यक्रमों से जुड़ रहे हैं। लगातार सफाई अभियान आयोजित होने से लोगों में सफाई को लेकर जागरुकता आई। देश भर में नाटकों और संगीत के माध्यम से स्वच्छ भारत का संदेश फैलाया गया।

प्रधानमंत्री ने स्वयं स्वच्छ भारत मिशन में शामिल होने के लिए लोगों, विभिन्न विभागों और संगठनों की प्रशंसा की। श्री मोदी ने हमेशा सोशल मीडिया के जरिए स्वच्छ भारत के लिए योगदान करने वालों की खुलकर प्रशंसा की। स्वच्छ भारत अभियान के तहत ‘#MyCleanIndia’ को भी लांच किया गया, ताकि देश भर में सफाई कार्य करने वाले नागरिक अपने कार्यों को हाइलाइट कर सकें।

स्वच्छ भारत अभियान लोगों का जोरदार समर्थन पाकर ‘जन आंदोलन’ बन गया। आम नागरिक भी बड़ी संख्या में आगे आए और उन्होंने एक साफ-सुथरे भारत का प्रण लिया। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के बाद सड़कों की सफाई के लिए हाथों में झाडू थामना, सफाई पर फोकस और एक स्वच्छ माहौल बनाने की कोशिश लोगों की आदत में शामिल हो गई। लोग इस अभियान में शामिल होने लगे और वो इस संदेश को फैलाने में मदद कर रहे हैं कि ‘स्वच्छता ईश्वर की भक्ति के सबसे समीप है।‘


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