एक राष्ट्र, एक बाज़ार

Published By : Admin | September 26, 2016 | 12:31 IST

हमें आज़ादी प्राप्त किए हुए सात दशक हो चुके हैं और सरदार पटेल साहेब ने एक भारत की कल्पना के साथ कई प्रांतों के एकीकरण का कार्य किया था। पॉलिटिकल यूनियन तो आज एक वास्तविकता बन चुकी है लेकिन भारत अभी तक एकल बाज़ार में परिवर्तित नहीं हो सका है। एनडीए सरकार भारत के बाज़ारों के एकीकरण को लक्ष्य को सामने मानकर ही कार्य कर रही है ताकि उत्पादकों को सशक्त बनाया जा सके और हमारे उपभोक्ताओं को मज़बूत बनाया जा सके। इसी विज़न के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने एक राष्ट्र, एक बाज़ार के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई सारे अभियानों की शुरुआत की है।

ई-नाम

कृषि मार्केटिंग का प्रशासनिक कार्य राज्यों के माध्यम से उनके कृषि-मार्केटिंग रेगुलेशन्स के द्वारा किया जाता है, जिसके तहत राज्य विभिन्न मार्केट एरियाओं में विभाजित होता है और हरेक को कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के द्वारा प्रशासित किया जाता है जोकि खुद के मार्केटिंग रेगुलेशन (शुल्क समेत) को थोपती है। राज्य के भीतर ही बाज़ार का इस तरह का विभाजन कृषि उत्पादों के एक बाज़ार से दूसरे बाज़ार में भेजने में बाधाएं डालने का काम करता है और कृषि उत्पादों की अनेकों स्तरों पर मल्टीपल हैंडलिंग से किसानों को प्राप्त होने वाला लाभ किसानों को नहीं मिल पाता है।

ई-नाम में इन चुनौतियों का खास ध्यान रखते हुए ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक एकीकृत बाज़ार का निर्माण किया गया है। इसमें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता को प्रोमोट करने का कार्य किया गया है। सभी एकीकृत बाज़ारों में प्रक्रिया को स्ट्रीमलाइन करने का भी कार्य किया गया है। खरीदारों व विक्रेताओं के बीच सूचना की विषमता का भी अंत इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया गया है और रियल टाइम प्राइस डिस्कवरी को भी इसमें प्रोमोट किया जाता है। यह सारी प्रक्रिया सप्लाई और मांग के ऊपर आधारित है और नीलामी प्रक्रिया में भी पारदर्शिता को प्रोमोट करती है और किसानों के लिए राष्ट्रीय बाज़ार में एक्सेस प्रदान करने का काम करती है। उपभोक्ता व किसान, दोनों को ही उत्पाद के उचित दाम मिलते हैं, साथ ही उत्तम गुणवत्ता का ध्यान रखा जाता है। भुगतान की व्यवस्था भी ऑनलाइन ही हो जाती है और उपभोक्ता को भी उत्पाद बेहतर दामों में उपलब्ध करा दिया जाता है।

जीएसटी

हमारे देश में कई प्रकार के टैक्स मौज़ूद हैं। एक देश में कई प्रकार के टैक्स हों तो उत्पादक अधिक उत्पादन नहीं कर पाते हैं और यही हाल उपभोक्ताओं का भी होता है। जीएसटी के आगमन पर इन सभी कमियों को पूरा किया जा सकेगा। जीएसटी के साथ समूचे देश में केवल एक ही टैक्स दर होगी।

जीएसटी मैन्युफैक्चरर से लेकर उपभोक्ता तक वस्तु व सेवाओं की सप्लाई करने के लिए एकल टैक्स के रूप में उपलब्ध होगा। वैल्यु एडीशन के बाद के चरण में हरेक स्टेज पर इनपुट टैक्सों का भुगतान किया जाएगा जो कि जीएसटी को हरेक स्टेज पर वैल्यु एडीशन के टैक्स के रूप में स्थापित भी करता है। जीएसटी से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि समूचे देश में अप्रत्यक्ष टैक्स कॉमन हैं और इससे बिज़नेस करने में सरलता आएगी। वैल्यु चैन के माध्यम से सभी राज्यों में यह सुनिश्चित हो सकेगा कि सहज टैक्स क्रेडिट के एक सिस्टम से टैक्सों का कम से कम असर पड़ रहा है। जीएसटी में मेजर सेन्ट्रल और स्टेट टैक्सों के किसी नियम के अंतर्गत आ जाने से वस्तुओं व सेवाओं के इनपुट पूरा हो सकेगा व इसका असर भी बहुत ही व्यापक होगा और सेन्ट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी) के खत्म हो जाने से स्थानीय तौर पर वस्तु व सेवाओं में आने वाली लागत भी कम होगी। इसके कारण भारतीय वस्तु व सेवा बाज़ार में प्रतिस्पर्धा आएगी और भारतीय निर्यात में बहुत ही तेजी भी आएगी। दक्षता लाभ और लीकेज में रुकावट के कारण लगभग सभी उत्पादों के ऊपर से ओवरऑल टैक्स बर्डन कम हो जाएगा, जिसका मतलब सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को लाभ होगा।

एक राष्ट्र, एक ग्रिड, एक मूल्य

भारत में ट्रांसमिशन क्षमता अपर्याप्त मात्रा में रहती है और वितरण में भी विषमता होती है, जिसके कारण बिजली की सप्लाई प्रभावित होती है और राज्यों को ऊपर सरप्लस होने से उनको रोजकोषीय घाटा पहुंचता है। दक्षिण भारत के राज्य गर्मी के महीनों में ट्रांसमिशन लाइन्स में सबसे अधिक कंजेशन के कारण बिजली की कटौती की समस्या से जूझते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि राज्यों को डबल डिजिट प्राइस का भुगतान करना होता है। एनडीए सरकार ने उपलब्ध हस्तांतरण क्षमता (एटीसी) को लगभग 71% बढ़ाते हुए साल 2013-14 के 3,450 मेगावाट की तुलना में 5,900 मेगावाट कर दिया है। इसके कारण दरों में गिरावट आई है।

ग्रिड पर प्राइस व सरप्लस इलेक्ट्रिसिटी की उपलब्धता की सूचना मोबाइल एप “विद्युत प्रवाह” (“Vidyut Pravah”) के माध्यम से भी प्रदान की जा रही है। यह एप इस बात की भी जानकारी उपलब्ध कराती है कि राज्यों के द्वारा कितनी बिजली खरीदी जा रही है और साथ ही यह भी बताती है कि राज्य में कहीं बिजली की कमी की घोषणा की गई है कि नहीं। विद्युत प्रवाह एप के अनुसार हमें पता चलता है कि सभी राज्यों के लिए इलेक्ट्रिसिटी दरें कई मौकों पर एक समान होती हैं। यह बहुचरणों की पराकाष्ठा है जो कि सरकार के द्वारा लिए गए हैं।
ट्रांसमिशन क्षमता में इस बढ़ोतरी ने कई राज्यों के लिए नेशनल ग्रिड से शॉर्ट टर्म पावर रिक्वॉयरमेंट की खरीद को भी संभव बनाया है। सरकार ने बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) के द्वारा शॉर्ट टर्म पावर के संरक्षण के लिए “दीप (Discovery of Efficient Electricity Price) e-Bidding & e-Reverse Auction portal” ई-बिडिंग व ई-रिवर्स ऑक्शन पोर्टल को लॉन्च किया है। इस प्रतिस्पर्धात्मक संरक्षण से दरों को कम करने में मदद मिलती है, जिसका फायदा सीधे तौर पर उपभोक्ता को होता है।

UAN

पूर्व में जब कोई व्यक्ति किसी नए रोज़गार से जुड़ता था तो कंपनी के द्वारा उसके लिए एक ईपीएफ खाता खोला जाता था जिसमें कि उसकी प्रोविडेंट फंड की धनराशि को जमा किया जाता था। उसकी प्रोविडेंट फंड की धनराशि को उसके खाते में जमा किया जाता था और जब वह कर्मचारी उस कंपनी को छोड़कर नई कंपनी में जाता था तो नए ईपीएफ खाते की वही प्रक्रिया फिर से दोहराई जाती थी। इसमें न केवल हाई ट्रांजैक्शन कॉस्ट आती है और मल्टीपल फॉर्म्स भी भरने होते हैं बल्कि कर्मचारियों को वैलीडेशन के लिए पिछली कंपनी के ऊपर निर्भर भी रहना पड़ता था। यूएएन के साथ कर्मचारियों की ट्रांजैक्शनों में कंपनी की कोई भूमिका शेष नहीं रहती है और ईपीएफओ और कंपनी के बीच प्रत्यक्ष बातचीत होती है। यूएएन हर कर्मचारी के लिए जीवन पर्यन्त एक ही रहता है और जमा की गई पीएफ की धनराशि को यूएएन से जोड़ दिया जाता है ताकि कर्मचारी को पैसे निकालने में सहूलियत हो।

यह सभी अभियान भारतीय बाज़ार के एकीकृत स्वरूप को दर्शाते हैं और लंबे समय तक काम आने वाली पहल हैं। सभी का उद्देश्य उपभोक्ताओं के लिए सरलता पैदा करना है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।