"हम यहां लोगों की सेवा करने के लिए हैं। सेवा के इस दौर की बात करें तो हमारी सरकार बनने से पहले भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुनियादी सुविधाओं से वंचित था। लाखों गरीब व्यक्तियों ने उम्मीद छोड़ दी थी कि उनका जीवन कभी बदलेगा। पिछली सरकारों का रवैया ऐसा था कि वे खुद को अंतिम सत्ता मानते थे। हालांकि, हमने अधिकार की भावना के साथ नहीं, बल्कि सेवक के रूप में काम करना शुरू किया, जो हाशिए पर थे, उन्हें प्राथमिकता प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित किया” – पीएम नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ दृष्टिकोण ने प्रत्येक भारतीय, विशेष रूप से अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सशक्त बनाया है। सरकार ने कम आय वाले लोगों और अनुसूचित जातियों के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा परिकल्पित समावेशी विकास के साथ संरेखित करते हुए व्यापक सशक्तिकरण के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम की सफलतापूर्वक स्थापना की है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के अटूट प्रयासों की बदौलत हाशिए के समुदाय अब मुख्यधारा के समाज में शामिल होने के अभूतपूर्व स्तर का अनुभव कर रहे हैं। चाहे आजादी की लड़ाई में इन वर्गों के नायकों का सम्मान करना हो या आर्थिक पहलों को लागू करना हो, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण आखिरकार उन लोगों तक पहुंच रहा है, जिन्हें पहले उपेक्षित, उत्पीड़ित और वंचित किया गया था।
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी जनजातीय आबादी वाला भारत अपनी जीवंत जनजातीय संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अद्वितीय योगदान और राष्ट्र के प्रति उत्कृष्ट सेवा के लिए नई पहचान का गवाह बन रहा है। पीएम मोदी के अपने पद की शपथ लेने से पहले इस तरह की पहल अनसुनी या अनदेखी थी। उन्हें अक्सर आदिवासी क्षेत्रों के पारंपरिक पोशाक, हेडड्रेस और उत्पादों का उत्साहपूर्ण प्रदर्शन करते हुए देखा जाता है। आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को प्रदर्शित और संरक्षित करने के लिए गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा आदि में संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं।
मुद्रा योजना के माध्यम से आठ करोड़ से अधिक युवाओं ने, जिनमें ग्रामीण, गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी और वंचित वर्ग के लोग शामिल हैं, अपना व्यवसाय शुरू किया है, अपनी नियति बदल दी है। पीएम स्वनिधि योजना के 75% से अधिक लाभार्थी दलित, पिछड़े और आदिवासी समुदायों से हैं। पीएम स्वनिधि ने अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों को कुल वितरण का 22% आवंटित करके समावेशी उद्यमिता सुनिश्चित की है। PMAY (G) के तहत, SC/ST लाभार्थियों को 13 लाख+ घर स्वीकृत किए गए हैं। 'वोकल फॉर लोकल' के मंत्र ने लगभग 11 करोड़ आदिवासियों और विभिन्न समुदायों के आर्थिक उत्थान में सहायता की और यह विकसित भारत का आधार बन गया है।
आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों और वित्तीय सहायता योजनाओं को लागू करने के साथ-साथ शैक्षिक संस्थानों में छात्रवृत्ति और आरक्षित सीटों के साथ उनकी शिक्षा को प्राथमिकता देने जैसी पहलों में मोदी सरकार की प्रतिबद्धता स्पष्ट है। आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देना इस सरकार का एक प्रमुख उद्देश्य है। सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ 3.5 लाख आदिवासी छात्रों की सेवा के लिए 740 एकलव्य आवासीय मॉडल स्कूल (EMRS) स्थापित कर रही है। युवा उपलब्धि हासिल करने वालों के लिए उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति योजना (SHREYAS), अनुसूचित जातियों के लिए उच्च श्रेणी की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक अम्ब्रेला स्कीम है, जिसमें कई भाग हैं जैसे कि मुफ्त कोचिंग, विदेशी छात्रवृत्तियां, आदि। यह योजना 2014 से एससी और ओबीसी छात्रों को शिक्षित करने के लिए समर्पित 2300 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन के साथ कई लोगों को सशक्त बनाने में सहायक रही है। इसने विशेष रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले 21,000 से अधिक अनुसूचित जाति के छात्रों को लाभान्वित किया है।
इस संबंध में एक और महत्वपूर्ण कदम तेलंगाना के मुलुगु जिले में सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय की स्थापना है, जैसा कि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 की तेरहवीं अनुसूची द्वारा 889 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ अनिवार्य किया गया है। नया विश्वविद्यालय जनजातीय कला, संस्कृति और पारंपरिक ज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा देगा, शिक्षा क्षमता का विस्तार करके और क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करके आदिवासी आबादी को लाभान्वित करेगा। यह समावेशिता, गुणवत्ता, सांस्कृतिक संरक्षण और सशक्तिकरण सुनिश्चित करेगा और क्षेत्रीय शिक्षा में अंतर को पाटेगा।
अनुसूचित जाति के वित्तीय सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए, कौशल विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 2021-22 में लागू एक 100% केंद्र प्रायोजित योजना, प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (PM-AJAY) ने मुख्य रूप से अनुसूचित जातियों द्वारा बसाए गए गांवों को आदर्श ग्राम में बदलने के लिए राज्यों को 1150 करोड़ रुपये वितरित किए। स्टैंड-अप इंडिया ने जमीनी स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा दिया, जिसका लक्ष्य महिलाओं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण और रोजगार सृजन करना था। नवंबर 2023 तक इसकी स्थापना के बाद से, 33,331 अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को 7000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण स्वीकृत किए गए हैं।
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN) की शुरुआत नवंबर 2023 में 18 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेशों में रहने वाले 75 कमजोर आदिवासी समुदायों के व्यापक विकास के लिए की गई थी। इस योजना का कुल बजट 24,104 करोड़ रुपये है। यह कवरेज पूरे भारत में 200 जिलों के 800 से अधिक ब्लॉकों में लगभग 22,000 बस्तियों में रहने वाले लगभग 28 लाख लोगों को लाभान्वित करेगा। यह पहल नौ मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों को लक्षित करती है, और इसकी घोषणा झारखंड के खूंटी में जनजातीय गौरव दिवस पर की गई थी। हस्तक्षेपों में पक्के मकानों, सड़क संपर्क, पाइप से जलापूर्ति, मोबाइल चिकित्सा इकाइयां आदि का प्रावधान शामिल है। इसके अलावा, कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण प्रदान करने पर विशेष जोर दिया गया है। विकसित भारत संकल्प यात्रा से जहां 15 करोड़ लोगों को लाभ हुआ, वहीं विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों में 50 लाख से अधिक लोगों की सिकल सेल एनीमिया की जांच हो चुकी है। यात्रा का प्राथमिक उद्देश्य केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, जिसका लक्ष्य प्रमुख सरकारी पहलों का 100% कवरेज प्राप्त करना है।
ऐसे कदम नए भारत के पुनरुत्थान का मार्गदर्शन करते हैं और देश को एक नई दिशा देते हैं। यह एक ऐसी दिशा है जहां प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछड़े समुदायों और उनकी सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि, एकीकरण, उन्नति एवं सुरक्षा सुनिश्चित है।