अपना आपा कभी न खोना

Published By : Admin | September 16, 2016 | 23:53 IST

नरेंद्र मोदी के बारे में सोच है कि वो कार्य की गुण्वत्ता से  कभी समझौता नहीं करते और वे अपनी टीम को भी अपनी पूर्ण क्षमता एवं उससे भी आगे बढ़कर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।  तो यदि टीम किसी कार्य में चूक जाये तो क्या मोदी अपना आप खो देते हैं ? क्या वे एक  रूखे व्यवहार वाले व्यक्ति हैं ?

31 अगस्त 2012 को उभरी एक स्थिति से मोदी के विषय में ऐंसी स्थितियों में उनके स्वाभाव को लेकर एक रोचक उपाख्यान मिलता है।  अवसर किसी भी भारतीय राजनेता द्वारा प्रथम गूगल हैंगआउट का था।  विश्व भर में इस पर इतना उत्साह था कि ऐन वक़्त पर भारी इंटेरनेट ट्रैफिक के चलते गूगल सर्वर्स ठप्प हो गए | गूगल की बड़ी कवायत के बाद यूट्यूब पर सीधा प्रसारण 45 मिनट की देरी से ही शुरू हो सका।  प्रसारण समाप्त होने के पश्चात् गूगल टीम एक शिष्टाचार मुलाक़ात के लिए मोदी जी के कार्यालय में पहुंची |   भारतीय राजनेताओं के ऐसी परिस्थितियों के उपरान्त व्यवहार के उदाहरण बहुत अच्छे नहीं थे | ऊपर से मोदी की पूर्णतावादी छवि को लेकर गूगल की टीम एक मौखिक फटकार के लिए आशंकित थी, लेकिन उन्हें तब सुखद आश्चर्य हुआ जब  मुस्कुराते हुए मोदी ने उनसे   केवल भविष्य की योजनाओं पर  चर्चा की और  पूछा  कि  कौन से  तकनीकी सुधारों की आवश्यकता है जिससे ऐसी स्थिति भविष्य में दोबारा उत्पन्न न हो।  

यह केवल अकेला वृतांत नहीं है।  मोदी के स्वाभाव का यह अभिन्न अंग - वह जो विषम से विषम परिस्थितियों में भी अपना आपा  नहीं खोते - उन सभी ने माना एवं सजीव देखा है जो उनके निकट संपर्क में आये हैं।  उनका व्यवकार कभी भी रूख नहीं होता।   यदि कोई व्यक्ति अथवा टीम अपना काम ठीक से नहीं कर पाती तो वे उनको उस अनुभव से सीख लेकर  अगली बार अपने काम की विस्तृत रूपरेखा बनाकर उस पर कार्य करने की सलाह देते हैं।  जब तक आपमें सीखने की भावना है, मोदी आपके पक्ष में होंगे। 

 

डिस्कलेमर :

यह उन कहानियों या खबरों को इकट्ठा करने के प्रयास का हिस्सा है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव पर उपाख्यान / राय / विश्लेषण का वर्णन करती हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी का मार्मिक पत्र
December 03, 2024

दिव्यांग आर्टिस्ट दीया गोसाई के लिए रचनात्मकता का एक पल, जीवन बदलने वाले अनुभव में बदल गया। 29 अक्टूबर को पीएम मोदी के वडोदरा रोड शो के दौरान, उन्होंने पीएम मोदी और स्पेन सरकार के राष्ट्रपति महामहिम श्री पेड्रो सांचेज़ के अपने स्केच भेंट किए। दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से उनके भावनात्मक उपहार को स्वीकार किया, जिससे वह बहुत खुश हुईं।

कुछ सप्ताह बाद, 6 नवंबर को, दीया को प्रधानमंत्री से एक पत्र मिला जिसमें उनकी कलाकृति की प्रशंसा की गई थी और बताया गया था कि कैसे महामहिम श्री सांचेज़ ने भी इसकी प्रशंसा की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें समर्पण के साथ ललित कलाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, और "विकसित भारत" के निर्माण में युवाओं की भूमिका पर विश्वास व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उनके परिवार को दीपावली और नववर्ष की शुभकामनाएं भी दीं, जो उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को दर्शाता है।

खुशी से अभिभूत दीया ने अपने माता-पिता को वह पत्र पढ़कर सुनाया, जो इस बात से बहुत खुश थे कि उसने परिवार को इतना बड़ा सम्मान दिलाया। दीया ने कहा, "मुझे अपने देश का एक छोटा सा हिस्सा होने पर गर्व है। मोदी जी, मुझे अपना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद।" उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के पत्र से उन्हें जीवन में साहसिक कदम उठाने और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने की गहरी प्रेरणा मिली।

पीएम मोदी का यह कदम, दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनके योगदान को सम्मान देने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुगम्य भारत अभियान जैसी अनेक पहलों से लेकर दीया जैसे व्यक्तिगत जुड़ाव तक, वह लगातार प्रेरणा देते हैं और उत्थान करते हैं, यह साबित करते हुए कि उज्जवल भविष्य बनाने में हर प्रयास महत्वपूर्ण है।