उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार विषयक सेमिनार सम्पन्न
महात्मा मन्दिर गांधीनगर में गणमान्य शिक्षाविदों का समूह चिंतन
प्रो. भीखु पारेख प्रेरित सेमीनार का समापन मुख्यमंत्री ने किया
राज्य की पांच इंजीनियरिंग कॉलेजों में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस : गुजरात सरकार और सीमेंस के बीच समझौता करार
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गांधीनगर में उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार विषयक सेमिनार का समापन करते हुए युनिवर्सिटियों की ज्ञानसंपदा और मानव संसाधन शक्ति को देश और समाज के विकास में शामिल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत में 1800 वर्ष की विश्वविद्यालयों की ज्ञान विरासत विद्यमान है और युनिवर्सिटियां उसका गौरव कर विश्व और समाज को निर्णायक ज्ञान सम्पदा दे सकती हैं।
गुजरात सरकार के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में प्रो. भीखु पारेख प्रेरित इस उच्च शिक्षा विषयक सेमिनार में गणमान्य शिक्षाविद और युनिवर्सिटियों के कुलपतियों ने समूह चिंतन किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में गुजरात सरकार के उद्योग विभाग और सीमेंस इंडिया के बीच राज्य की पांच इंजीनियरिंग कॉलेजों में सेंतर फॉर एक्सीलेंस स्थापित करने के पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के समझौता करार हुए। श्री मोदी ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप स्तर पर इंजीनियरिंग कॉलेजों के विद्यार्थियों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने के लिए 500 करोड़ के निवेश के साथ सीमेंस इंडिया के इस प्रोजेक्ट को कार्यरत करने की पहल का स्वागत किया है।
11 सितम्बर के ऐतिहासिक दिवस की 19 वीं सदी और 21 वीं सदी की घटनाओं की भूमिका पेश करते हुए श्री मोदी ने कहा कि अमेरिका की धरती पर मानवीय संवेदना और वसुधैव कुटुम्बकम् की स्वामी विवेकानन्द की अध्यात्मिक प्रेरणा 19 वीं सदी की घटना थी तो 21 वीं सदी में अमेरिका में अमानवीय आतंक की घटना ने दुनिया को झकझोर दिया था।
आज गांधीनगर में 11 सितम्बर को विश्व की भावि पीढ़ी के लिए शिक्षा की नयी सोच, नयी दिशा का मंथन किया है। श्री मोदी ने इसकी प्रेरणा के लिए लॉर्ड भीखु पारेख को शुभकामनाएं दी।
युनिवर्सिटियों के शैक्षणिक दायित्व की भूमिका पर ध्यान केन्द्रित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि युनिवर्सिटी का मुख्य कार्य शिक्षा, दीक्षा और संशोधन का है। इसे प्रशासनिक व्यवस्थापन के बोझ से विभाजित किया जाना चाहिए।
इस दुनिया में युनिवर्सिटियां 2600 साल से हैं और इसमें भारत की नालन्दा, तक्षशिला और वल्लभी युनिवर्सिटियों की 1800 वर्ष से शानोशौकत थी। 800 वर्ष के आक्रमण काल में भी हम युनिवर्सिटी शिक्षा को टिका सके थे परंतु दुर्भाग्य से आजादी के बाद हमने हमारी युनिवर्सिटियों के प्राण, ओज और तेज को धुंधला कर दिया है। क्यों ना हमारी युनिवर्सिटियां देश के भविष्य की आनेवाली पीढ़ियों को ओजस्वी बनाने में सशक्त बनें ? भारत में डिफेंस ऑफसेट इक्वीपमेंट शस्त्रों के उत्पादन का काफी बड़ा अवसर है। भारत में समुद्र तट है मगर शिपिंग उद्योग में भारत का योगदान 2 प्रतिशत भी नहीं है। गुजरात में सदियों पूर्व शिपिंग उद्योग से 1600 किलोमीटर लम्बा समुद्र तट गतिशील था। आज भी गुजरात में शिपिंग उद्योग के लिए भारी अवसर हैं इसके बावजूद मानव संसाधन शिक्षा की सुविधा नहीं है। ऑटो हब बन रहे गुजरात में ऑटोमोबाइल सेक्टर में रोजगार के विपुल अवसर हैं। गुजरात सरकार तो इन सभी क्षेत्रों में कौशल्य तालीम और कौशल्यवर्धन से कुशल मानवशक्ति खड़ी करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
हमारे पूर्वजों ने वेदों में लिखा है कि विश्व में जो श्रेष्ठ है उस ज्ञान को आने दो परंतु हमने ज्ञान की सीमाएं बांध दी हैं। विदेशी शिक्षाविदों को उत्तम शिक्षा, दीक्षा के लिए नहीं आने दिया जाता, क्यों ? वास्तव में तो भारतीय मूल के विदेश में बसे 30 वर्ष के अनुभवी संशोधकों, बौद्धिकों का टेलेंट सर्च कर भारत में उनकी ज्ञान सम्पदा का सम्मानित स्तर पर क्यों विनियोग ना हो? मुख्यमंत्री ने इस दिशा में व्यवस्थापन करने का युनिवर्सिटियों को सुझाव दिया। नॉन रेसीडेंट गुजराती उत्तम संशोधकों में से युनिवर्सिटियों में उनके ज्ञान का उपयोग हो सकता है।
हमारी युनिवर्सिटियां उत्तम शिक्षा, संशोधकों की सेवाएं लेने के लिए आत्मनिर्भर बन सकती हैं। इसका अनुरोध करते हुए श्री मोदी ने कहा कि युनिवर्सिटियां गुजरात के कृषि महोत्सव, ज्योतिग्राम जैसे विकास के सफलतम और क्रांतिकारी आयोजनों का अभ्यास करके उनका सामाजिक दायित्व निभाने की पहल क्यों नहीं कर सकती ? युनिवर्सिटियों में कानून का अभ्यास करने वाले विद्यार्थियों को न्यायतंत्र में इंटर्नशिप जैसे अवसर दिए जा सकते हैं। शहरी ढांचागत सुविधा विकास और शहरी आयोजन के क्षेत्र में युनिवर्सिटियां पहल करके टेक्नोसेवा और मेनेजमेंट के विद्यार्थियों को शामिल कर सकती हैं। युनिवर्सिटियों के पास मानव संसाधन की शक्ति का विशाल भन्डार है मगर राज्य और राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया में उसका विनियोग करने की जरूरत है।
गुजरात में आईटीआई दस साल पूर्व उपेक्षित क्षेत्र था लेकिन आज आईटीआई का दर्जा गुणात्मक परिवर्तन से ऊपर आया है। इंजीनियरिंग कॉलेज के विद्यार्थी अपनी सेवाएं आईटीआई तालिमार्थियों को दे सकते सकते हैं।
लॉर्ड भीखु पारेख ने समाज में संस्कार- संस्कृति के संवर्धन के लिए शिक्षा सुधार के अभिगम की सराहना की।
इस सेमीनार में शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा, उद्योग मंत्री सौरभ भाई पटेल, शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वसुबेन त्रिवेदी सहित कई शिक्षाविद, युनिवर्सिटियों के वाइस चांसलर, रजिस्ट्रार और कई महानुभाव उपस्थित थे।