"Shri Modi addresses All India Conference on Livestock and Dairy Development"
"20 states and over 200 districts represented at All India Conference on Livestock and Dairy Development"
"Shri Modi calls upon every village to give iron pieces (tools) to help in constructing Statue of Unity as a tribute to Sardar Patel"
"We need iron to commemorate the iron man and that too iron used in farming, because after all Sardar Patel was the son of a farmer: Shri Modi"
"The need is to increase productivity. In an animal is giving 2 litres of milk everyday, how can we make it 3, 4, 5 or 6 litres: Shri Modi"
"Shri Modi talks about Pashu Arogya Melas and its success in mitigating disease among animals"
"Bihar Minister Shri Giriraj Singh lauds Gujarat’s growth"

महात्मा मंदिर, गांधीनगर चारों चर्चा सत्रों में मुख्यमंत्री ने की शिरकत

डेनमार्क के राजदूत के साथ फलदायी परामर्श

बिहार के कृषि एवं पशुपालन मंत्री गिरीराज सिंह के साथ बैठक 

विविध राज्यों के विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडलों के साथ वन-टू-वन बैठकें

भारत के २० राज्यों से ७००० प्रतिनिधियों ने चर्चा सत्र में भाग लिया

कृषि प्रधान भारत में पशुपालन क्षेत्र का सशक्तिकरण आवश्यकः श्री मोदी

मटन निर्यात के लिए पशुधन के कत्लेआम को प्रोत्साहित करने वाली भारत सरकार की मानसिकता पर कड़ा प्रहार

कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में गुजरात की पहल

पशुपालन बोझ नहीं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शक्ति है

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के दूध-डेयरी विकास एवं कृषि-पशुपालन संबंधी राष्ट्रीय परिषद का शुभारंभ करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कृषि विकास और पशुपालन के सशक्तिकरण का आह्वान किया। उन्होंने भारत में घासचारे की बुवाई के लिए एग्रोजोन के आधार पर विशाल ग्रास लैंड विकसित करने तथा भारत के पशुधन का विनाश नहीं बल्कि वैज्ञानिक जतन के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया। गुजरात सरकार के तत्वावधान में आज गांधीनगर के महात्मा मंदिर में पशुपालन और डेयरी विकास की यह राष्ट्रीय परिषद आयोजित की गई थी। जिसमें भारत के २० राज्यों में से आए ७००० जितने पशुपालन और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था के साथ कार्यरत प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस राष्ट्रीय परिषद में डेनमार्क सहित अन्य चार विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने भी हिस्सा लिया। भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत और सशक्त रखने में कृषि और पशुपालन बोझ नहीं बल्कि संपदा बनें, इस दिशा में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और गांवों की खरीद-शक्ति बढ़ाने का मुख्यमंत्री ने सुझाव रखा। भारत के किसान पुत्र और देश की एकता के भगीरथ अभियान के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेचू ऑफ युनिटी सरदार सरोवर डैम के सान्निध्य में स्थापित करने के भारत के स्वाभिमान और ऐतिहासिक प्रोजेक्ट की रूपरेखा में मुख्यमंत्री श्री मोदी ने कहा कि देश के सभी गांवों में से किसानों के खेत औजारों का पुराना लोहा, इस लौह पुरुष के वैश्विक स्मारक के निर्माण में मिले और इसमें किसानों का भावनात्मक योगदान मिले, ऐसा अभियान ३१ अक्टूबर- सरदार पटेल के जन्म दिवस से गुजरात सरकार शुरू करेगी। उन्होंने समग्र देश में से किसानों के योगदान की भावपूर्ण अपील की।

गुजरात की धरती पर भारत का यह सबसे बड़ा पशुपालन और खेती आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सामूहिक चिंतन का अवसर जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ग्राम विकास, खेती और पशुपालन के आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के उत्तम भविष्य की संभावना आकार लेगी। श्री मोदी ने यह विश्वास जताते हुए २० राज्यों के २०० से अधिक जिलों के ७००० कृषि पशुपालन क्षेत्र के प्रतिनिधियों को गुजरात की जनता और गुजरात सरकार की ओर से यहां पहुंचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी।२१वीं सदी में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में समर्थ है, जिसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश और दुनिया में जनसंख्या बढ़ती जा रही है। इसकी आवश्यकताओं की बढ़ती जा रही मांग की पूर्ति के लिए अनाज, कृषि उत्पाद तथा दूध जैसी जीवन आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति करने के लिए भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए व्यूहरचना अब पुराने तौर-तरीकों पर चलाई नहीं जा सकती। जमीन बढ़ने वाली नहीं है, उसके टुकड़े हो रहे हैं, ऐसे में खेती-बाड़ी की उत्पादकता, वैज्ञानिक पशुपालन और संवर्द्धन के लिए मुख्यमंत्री ने देश के नीति-निर्धारकों के लिए प्रेरक सुझाव दिए।

ग्राम स्वराज और देश की अर्थव्यवस्था के लिए महात्मा गांधी जी का चिंतन आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है और देश के शासकों और नीति-निर्धारकों को बिना किसी दुविधा के उनके मार्ग पर भरोसा करना चाहिए। पशुपालन की आर्थिक सुधारने के लिए पशुपालन का खर्च घटे और दूध उत्पादकता बढ़े इस पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर श्री मोदी ने बल दिया। महात्मा गांधी जी ने प्राकृतिक संपदा और धरती के साथ जुड़े कृषि-पशुपालन क्षेत्र को पर्यावरण सुरक्षा की स्थिति का संबंध प्रस्थापित किया था। उसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी जी विज्ञान, आधुनिकता या परिवर्तन के कभी विरोधी नहीं रहे। उनका ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संबंध में चिंतन आज भी उतना ही सशक्त है। परन्तु हमारे नीति-निर्धारकों को इस पर भरोसा रखना होगा।

भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए नियमित खेती, पशुपालन और वृक्ष की खेती के समान हिस्से के संतुलन को बनाए रखने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने कृषि विकास के लिए इस त्रिविध कृषि की व्यूहरचना अपनाई है। भारत में पहली बार एनीमल हैल्थ कार्ड (पशु स्वास्थ्य कार्ड) का बीड़ा गुजरात ने उठाया है। इसकी रूपरेखा में श्री मोदी ने कहा कि गुजरात ने समग्र देश में पशु स्वास्थ्य मेले आयोजित कर मूक पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। किसान परिवार और ग्रामीण मातृशक्ति, बहनों में संतानों की तरह ही दुधारू पशुओं की सार-संभाल के संस्कार विद्यमान हैं।गुजरात सरकार की लगातार कोशिश रही है कि इनसान की तंदुरुस्ती की तरह ही पशुओं की तंदुरुस्ती का ख्याल रखा जाना चाहिए। पिछले कई वर्षों से गुजरात में हजारों पशु स्वास्थ्य मेले आयोजित करने का अभियान सफलतापूर्वक जारी है। इतना ही नहीं, पशुओं की आंख के मोतियाबिंद के ऑपरेशन, दंत चिकित्सा, शल्य क्रिया और अब लेजर तकनीक से पीड़ा रहित आर्थोपेडिक ऑपरेशन के क्षेत्र में गुजरात ने पहल की है।

उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में पशुओं को मताधिकार नहीं है, लेकिन फिर भी गुजरात सरकार ने पशु स्वास्थ्य का भगीरथ अभियान भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए चलाया है। उन्होंने कहा कि पशुओं के स्वास्थ्य में खतरनाक १२२ जितने पशु रोग पूर्णतया खत्म हुए हैं और दूध का उत्पादन ६५ प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। मूक पशुधन के लिए जीवदया की संस्कृति का यह सबसे बड़ा अभियान है। पश्चिम के पशुपालन और भारतीय संस्कृति के पशुपालन के बीच मूलभूत अंतर की भूमिका में उन्होंने कहा कि पश्चिम में पशु संवर्द्धन मिल्क के बजाय मीट का प्रभाव रखता है। जबकि भारत में मिल्क का प्रभाव ज्यादा है। न्यूजीलैंड की लिंकन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं रिसर्चर डॉ. केथ वुडफोर्ड के संशोधन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम के दुधारू पशुओं के जीन में ह्रदय रोग, डायबिटिज और चेतना तंत्र के रोगों की प्रतिकारक शक्ति काफी कम है। जबकि एशिया, भारत और खास तौर पर गिर गाय जैसे पशुओं की रोग प्रतिरोधक शक्ति काफी ऊंची है। हिन्दुस्तान के पशुओं का दूध और दूध के उत्पाद मूल्यवर्द्धित उत्पादों की दुनिया के बाजारों में छा सकते हैं।

श्री मोदी ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री को देश में ८ जितने प्रादेशिक एग्रो जोन बनाकर बड़े ग्रास लैंड बनाने और वर्षा की विपरीत परिस्थियों या अकाल में पोषक चारा पर्याप्त मात्रा में पशुओं को मिले, ऐसा सुझाव दिया है। इस सन्दर्भ में उन्होंने कच्छ के रण में बन्नी ग्रास लैंड के विकास प्रोजेक्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि बन्नी भैंस की दूध उत्पादन की क्षमताओं ने इसे राष्ट्रीय दूधारु पशु की मान्यता का गौरव दिलवाया है। गुजरात के पाटण में भारत का सबसे बड़ा पशु कृत्रिम बीजदान केन्द्र बनाया गया है। संशोधित पशु की नस्ल के लिए यह निर्याणक साबित होगा। मुख्यमंत्री ने पशुओं के पोषण आहार के लिए चारे के साथ ही पशु चारे की व्यवस्था पर बल दिया। गुजरात में २४ घंटे थ्री फेज बिजली के ज्योतिग्राम प्रोजेक्ट की सफलता ने गांवों के आर्थिक-सामाजिक जीवन में न सिर्फ गुणात्मक परिवर्तन किया है बल्कि गांवों में दूध मंडली, डेयरी के लिए दूध को बिगड़ने से रोकने का मिनी चिलिंग प्लान्ट नेटवर्क खड़ा किया है। श्री मोदी ने कृषि उत्पादों के मूल्य वर्द्धन की तरह ही दूध उत्पादों के मूल्य वर्द्धन पर बल देते हुए कहा कि गुजरात में कामधेनु यूनिवर्सिटी द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में मानव संसाधन प्रशिक्षण की सुविधा खड़ी करने में गुजरात ने पहल की है।

वर्तमान भारत सरकार पशुधन के कत्लेआम, मांस-मटन के निर्यात को प्रोत्साहन दे रही है, इस पर आक्रोश जताते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश की सांस्कृतिक परंपरा में श्वेत क्रांति और हरित क्रांति करने का गौरव हासिल किया है। उस देश में मीट-मटन की गुलाबी क्रांति की ओर देश को धकेल रहे दिल्ली के शासक पशुपालन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को विनाश की ओर धकेल रहे हैं। देश में पशुधन के कत्लखाने, मांस-मटन के निर्यात के लिए ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडी देने की केन्द्र सरकार की नीति की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि देश में पशुधन की चोरी बड़े पैमाने पर पशुओं का कत्लेआम करने की केन्द्र की नीति का परिणाम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का अविष्कार अनिवार्य है। किसानों के खेत उत्पादों के लिए मार्केट व्यवस्था तक का नेटवर्क आवश्यक है। इस सन्दर्भ में विश्व की उत्तम एग्रो टेक्नोलॉजी और उत्तम खेती-पशुपालन तकनीक का लाभ हिन्दुस्तान के किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने आगामी सितंबर-अक्टूबर माह में विश्वस्तरीय एग्रो टेक फेयर गुजरात में आयोजित करने की जानकारी देते हुए देश के कृषि और पशुपालन से संबंद्ध सभी को शामिल होने का आमंत्रण दिया।

गुजरात में ही भारतीय पशुपालन के क्षेत्र में प्रभावित ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए दूध की डेयरियों में दूध की बिक्री की आय किसान परिवारों की पशुपालक महिलाओं के हाथों में जाती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आर्थिक तासीर बदलने में पशुपालक महिला सशक्तिकरण का महत्व गुजरात ने प्रस्थापित किया है। उन्होंने कहा कि अब भारत के ग्रामीण युवा शिक्षित किसान भी वैज्ञानिक पशुपालन के व्यवसाय की ओर बढ़े हैं। गुजरात ने पिछले एक दशक के दौरान पशुपालन और जल क्षेत्र की भगीरथ चुनौतियों का संतोषजनक निवारण किया है। इस उपलब्धि की सराहना करते हुए डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान ने कृषि और पशुपालन विकास में गुजरात और भारत के साथ निकट के संबंध बनाने और सहभागिता की इच्छा व्यक्त की। गुजरात के कृषि और पशुपालन का मॉडल देश के राज्य अपनाएं इसकी हिमायत करते हुए बिहार के पशुपालन और मत्स्योद्योग विकास मंत्री गिरीराज सिंह ने खेती और पशुपालन क्षेत्र के विशेषज्ञ और कर्णधार खेती और पशुपालन के समन्वित विकास का रोडमैप बनाएं और देश के तमाम राज्य अपनी क्षमता के अनुसार इसका अमल करें, यह अनुरोध किया।

गुजरात के पशुपालन, मत्स्योद्योग, कृषि और सहकारिता मंत्री बाबूभाई बोखीरिया ने इस मौके पर स्वागत भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने सर्वांगीण विकास किया है। गुजरात के सर्वांगीण विकास मॉडल को चहूंओर से सराहना मिल रही है।कार्यक्रम में मुख्य सचिव वरेश सिन्हा, जलापूर्ति विभाग के अग्र सचिव डॉ. राजीव गुप्ता और पशुपालन निदेशक तथा सचिव दिनेश ब्रह्मभट्ट भी मौजूद थे। पशुपालन और डेयरी विकास की अखिल भारतीय स्तर की इस प्रथम कॉन्फ्रेंस में डेनमार्क, नीदरलैंड, इजरायल और ब्राजील के विशेषज्ञों के साथ ही महाराष्ट्र के जलापूर्ति मंत्री लक्ष्मण राव ढोबले, छत्तीसगढ़ के कृषि और पशुपालन मंत्री चंद्रशेखर साहू, गोवा के राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष डीपी खोलकर, नीदरलैंड की विशेषज्ञ सुश्री जोसेफिन वेरहेगी, डेनमार्क के मंत्री एंडरसन एडमसन, भारत सरकार के पेयजल मंत्रालय के डायरेक्टर सुजोय मजूमदार, पशुपालन और डेयरी विभाग के कमिश्नर डॉ. अमरजीत सिंह नंदा, पंजाब के पशुपालन, मत्स्योद्योग और डेयरी विकास के फायनेंसियल कमिश्नर डॉ. जी. वज्रलिंगम, पंजाब के डेयरी विकास डायरेक्टर डॉ. इंद्रजीत सिंह, उड़ीसा के मत्स्योद्योग और पशुपालन आयुक्त तथा सचिव संजीव कुमार, पशुपालन निदेशक श्रीकांत पृष्टि, उड़ीसा लाइवस्टॉक रिसोर्स डेवलपमेंट सोसायटी के सीईओ डॉ. सनत मिश्रा भी मौजूद थे।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!