"Shri Modi addresses All India Conference on Livestock and Dairy Development"
"20 states and over 200 districts represented at All India Conference on Livestock and Dairy Development"
"Shri Modi calls upon every village to give iron pieces (tools) to help in constructing Statue of Unity as a tribute to Sardar Patel"
"We need iron to commemorate the iron man and that too iron used in farming, because after all Sardar Patel was the son of a farmer: Shri Modi"
"The need is to increase productivity. In an animal is giving 2 litres of milk everyday, how can we make it 3, 4, 5 or 6 litres: Shri Modi"
"Shri Modi talks about Pashu Arogya Melas and its success in mitigating disease among animals"
"Bihar Minister Shri Giriraj Singh lauds Gujarat’s growth"

महात्मा मंदिर, गांधीनगर चारों चर्चा सत्रों में मुख्यमंत्री ने की शिरकत

डेनमार्क के राजदूत के साथ फलदायी परामर्श

बिहार के कृषि एवं पशुपालन मंत्री गिरीराज सिंह के साथ बैठक 

विविध राज्यों के विशेषज्ञ प्रतिनिधिमंडलों के साथ वन-टू-वन बैठकें

भारत के २० राज्यों से ७००० प्रतिनिधियों ने चर्चा सत्र में भाग लिया

कृषि प्रधान भारत में पशुपालन क्षेत्र का सशक्तिकरण आवश्यकः श्री मोदी

मटन निर्यात के लिए पशुधन के कत्लेआम को प्रोत्साहित करने वाली भारत सरकार की मानसिकता पर कड़ा प्रहार

कृषि एवं पशुपालन क्षेत्र में ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में गुजरात की पहल

पशुपालन बोझ नहीं, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की शक्ति है

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज भारत के दूध-डेयरी विकास एवं कृषि-पशुपालन संबंधी राष्ट्रीय परिषद का शुभारंभ करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए कृषि विकास और पशुपालन के सशक्तिकरण का आह्वान किया। उन्होंने भारत में घासचारे की बुवाई के लिए एग्रोजोन के आधार पर विशाल ग्रास लैंड विकसित करने तथा भारत के पशुधन का विनाश नहीं बल्कि वैज्ञानिक जतन के लिए भारत सरकार से अनुरोध किया। गुजरात सरकार के तत्वावधान में आज गांधीनगर के महात्मा मंदिर में पशुपालन और डेयरी विकास की यह राष्ट्रीय परिषद आयोजित की गई थी। जिसमें भारत के २० राज्यों में से आए ७००० जितने पशुपालन और कृषि से जुड़ी अर्थव्यवस्था के साथ कार्यरत प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस राष्ट्रीय परिषद में डेनमार्क सहित अन्य चार विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने भी हिस्सा लिया। भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत और सशक्त रखने में कृषि और पशुपालन बोझ नहीं बल्कि संपदा बनें, इस दिशा में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने और गांवों की खरीद-शक्ति बढ़ाने का मुख्यमंत्री ने सुझाव रखा। भारत के किसान पुत्र और देश की एकता के भगीरथ अभियान के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टेचू ऑफ युनिटी सरदार सरोवर डैम के सान्निध्य में स्थापित करने के भारत के स्वाभिमान और ऐतिहासिक प्रोजेक्ट की रूपरेखा में मुख्यमंत्री श्री मोदी ने कहा कि देश के सभी गांवों में से किसानों के खेत औजारों का पुराना लोहा, इस लौह पुरुष के वैश्विक स्मारक के निर्माण में मिले और इसमें किसानों का भावनात्मक योगदान मिले, ऐसा अभियान ३१ अक्टूबर- सरदार पटेल के जन्म दिवस से गुजरात सरकार शुरू करेगी। उन्होंने समग्र देश में से किसानों के योगदान की भावपूर्ण अपील की।

गुजरात की धरती पर भारत का यह सबसे बड़ा पशुपालन और खेती आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सामूहिक चिंतन का अवसर जिसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था, ग्राम विकास, खेती और पशुपालन के आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के उत्तम भविष्य की संभावना आकार लेगी। श्री मोदी ने यह विश्वास जताते हुए २० राज्यों के २०० से अधिक जिलों के ७००० कृषि पशुपालन क्षेत्र के प्रतिनिधियों को गुजरात की जनता और गुजरात सरकार की ओर से यहां पहुंचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएं दी।२१वीं सदी में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में समर्थ है, जिसकी चर्चा दुनिया भर में हो रही है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश और दुनिया में जनसंख्या बढ़ती जा रही है। इसकी आवश्यकताओं की बढ़ती जा रही मांग की पूर्ति के लिए अनाज, कृषि उत्पाद तथा दूध जैसी जीवन आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति करने के लिए भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिए व्यूहरचना अब पुराने तौर-तरीकों पर चलाई नहीं जा सकती। जमीन बढ़ने वाली नहीं है, उसके टुकड़े हो रहे हैं, ऐसे में खेती-बाड़ी की उत्पादकता, वैज्ञानिक पशुपालन और संवर्द्धन के लिए मुख्यमंत्री ने देश के नीति-निर्धारकों के लिए प्रेरक सुझाव दिए।

ग्राम स्वराज और देश की अर्थव्यवस्था के लिए महात्मा गांधी जी का चिंतन आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है और देश के शासकों और नीति-निर्धारकों को बिना किसी दुविधा के उनके मार्ग पर भरोसा करना चाहिए। पशुपालन की आर्थिक सुधारने के लिए पशुपालन का खर्च घटे और दूध उत्पादकता बढ़े इस पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पर श्री मोदी ने बल दिया। महात्मा गांधी जी ने प्राकृतिक संपदा और धरती के साथ जुड़े कृषि-पशुपालन क्षेत्र को पर्यावरण सुरक्षा की स्थिति का संबंध प्रस्थापित किया था। उसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी जी विज्ञान, आधुनिकता या परिवर्तन के कभी विरोधी नहीं रहे। उनका ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संबंध में चिंतन आज भी उतना ही सशक्त है। परन्तु हमारे नीति-निर्धारकों को इस पर भरोसा रखना होगा।

भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए नियमित खेती, पशुपालन और वृक्ष की खेती के समान हिस्से के संतुलन को बनाए रखने का आग्रह करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने कृषि विकास के लिए इस त्रिविध कृषि की व्यूहरचना अपनाई है। भारत में पहली बार एनीमल हैल्थ कार्ड (पशु स्वास्थ्य कार्ड) का बीड़ा गुजरात ने उठाया है। इसकी रूपरेखा में श्री मोदी ने कहा कि गुजरात ने समग्र देश में पशु स्वास्थ्य मेले आयोजित कर मूक पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। किसान परिवार और ग्रामीण मातृशक्ति, बहनों में संतानों की तरह ही दुधारू पशुओं की सार-संभाल के संस्कार विद्यमान हैं।गुजरात सरकार की लगातार कोशिश रही है कि इनसान की तंदुरुस्ती की तरह ही पशुओं की तंदुरुस्ती का ख्याल रखा जाना चाहिए। पिछले कई वर्षों से गुजरात में हजारों पशु स्वास्थ्य मेले आयोजित करने का अभियान सफलतापूर्वक जारी है। इतना ही नहीं, पशुओं की आंख के मोतियाबिंद के ऑपरेशन, दंत चिकित्सा, शल्य क्रिया और अब लेजर तकनीक से पीड़ा रहित आर्थोपेडिक ऑपरेशन के क्षेत्र में गुजरात ने पहल की है।

उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में पशुओं को मताधिकार नहीं है, लेकिन फिर भी गुजरात सरकार ने पशु स्वास्थ्य का भगीरथ अभियान भारत की कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए चलाया है। उन्होंने कहा कि पशुओं के स्वास्थ्य में खतरनाक १२२ जितने पशु रोग पूर्णतया खत्म हुए हैं और दूध का उत्पादन ६५ प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है। मूक पशुधन के लिए जीवदया की संस्कृति का यह सबसे बड़ा अभियान है। पश्चिम के पशुपालन और भारतीय संस्कृति के पशुपालन के बीच मूलभूत अंतर की भूमिका में उन्होंने कहा कि पश्चिम में पशु संवर्द्धन मिल्क के बजाय मीट का प्रभाव रखता है। जबकि भारत में मिल्क का प्रभाव ज्यादा है। न्यूजीलैंड की लिंकन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं रिसर्चर डॉ. केथ वुडफोर्ड के संशोधन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम के दुधारू पशुओं के जीन में ह्रदय रोग, डायबिटिज और चेतना तंत्र के रोगों की प्रतिकारक शक्ति काफी कम है। जबकि एशिया, भारत और खास तौर पर गिर गाय जैसे पशुओं की रोग प्रतिरोधक शक्ति काफी ऊंची है। हिन्दुस्तान के पशुओं का दूध और दूध के उत्पाद मूल्यवर्द्धित उत्पादों की दुनिया के बाजारों में छा सकते हैं।

श्री मोदी ने भारत सरकार और प्रधानमंत्री को देश में ८ जितने प्रादेशिक एग्रो जोन बनाकर बड़े ग्रास लैंड बनाने और वर्षा की विपरीत परिस्थियों या अकाल में पोषक चारा पर्याप्त मात्रा में पशुओं को मिले, ऐसा सुझाव दिया है। इस सन्दर्भ में उन्होंने कच्छ के रण में बन्नी ग्रास लैंड के विकास प्रोजेक्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि बन्नी भैंस की दूध उत्पादन की क्षमताओं ने इसे राष्ट्रीय दूधारु पशु की मान्यता का गौरव दिलवाया है। गुजरात के पाटण में भारत का सबसे बड़ा पशु कृत्रिम बीजदान केन्द्र बनाया गया है। संशोधित पशु की नस्ल के लिए यह निर्याणक साबित होगा। मुख्यमंत्री ने पशुओं के पोषण आहार के लिए चारे के साथ ही पशु चारे की व्यवस्था पर बल दिया। गुजरात में २४ घंटे थ्री फेज बिजली के ज्योतिग्राम प्रोजेक्ट की सफलता ने गांवों के आर्थिक-सामाजिक जीवन में न सिर्फ गुणात्मक परिवर्तन किया है बल्कि गांवों में दूध मंडली, डेयरी के लिए दूध को बिगड़ने से रोकने का मिनी चिलिंग प्लान्ट नेटवर्क खड़ा किया है। श्री मोदी ने कृषि उत्पादों के मूल्य वर्द्धन की तरह ही दूध उत्पादों के मूल्य वर्द्धन पर बल देते हुए कहा कि गुजरात में कामधेनु यूनिवर्सिटी द्वारा पशुपालन के क्षेत्र में मानव संसाधन प्रशिक्षण की सुविधा खड़ी करने में गुजरात ने पहल की है।

वर्तमान भारत सरकार पशुधन के कत्लेआम, मांस-मटन के निर्यात को प्रोत्साहन दे रही है, इस पर आक्रोश जताते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश की सांस्कृतिक परंपरा में श्वेत क्रांति और हरित क्रांति करने का गौरव हासिल किया है। उस देश में मीट-मटन की गुलाबी क्रांति की ओर देश को धकेल रहे दिल्ली के शासक पशुपालन और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को विनाश की ओर धकेल रहे हैं। देश में पशुधन के कत्लखाने, मांस-मटन के निर्यात के लिए ट्रांसपोर्टेशन सब्सिडी देने की केन्द्र सरकार की नीति की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि देश में पशुधन की चोरी बड़े पैमाने पर पशुओं का कत्लेआम करने की केन्द्र की नीति का परिणाम है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी का अविष्कार अनिवार्य है। किसानों के खेत उत्पादों के लिए मार्केट व्यवस्था तक का नेटवर्क आवश्यक है। इस सन्दर्भ में विश्व की उत्तम एग्रो टेक्नोलॉजी और उत्तम खेती-पशुपालन तकनीक का लाभ हिन्दुस्तान के किसानों को उपलब्ध करवाने के लिए उन्होंने आगामी सितंबर-अक्टूबर माह में विश्वस्तरीय एग्रो टेक फेयर गुजरात में आयोजित करने की जानकारी देते हुए देश के कृषि और पशुपालन से संबंद्ध सभी को शामिल होने का आमंत्रण दिया।

गुजरात में ही भारतीय पशुपालन के क्षेत्र में प्रभावित ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए दूध की डेयरियों में दूध की बिक्री की आय किसान परिवारों की पशुपालक महिलाओं के हाथों में जाती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आर्थिक तासीर बदलने में पशुपालक महिला सशक्तिकरण का महत्व गुजरात ने प्रस्थापित किया है। उन्होंने कहा कि अब भारत के ग्रामीण युवा शिक्षित किसान भी वैज्ञानिक पशुपालन के व्यवसाय की ओर बढ़े हैं। गुजरात ने पिछले एक दशक के दौरान पशुपालन और जल क्षेत्र की भगीरथ चुनौतियों का संतोषजनक निवारण किया है। इस उपलब्धि की सराहना करते हुए डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वान ने कृषि और पशुपालन विकास में गुजरात और भारत के साथ निकट के संबंध बनाने और सहभागिता की इच्छा व्यक्त की। गुजरात के कृषि और पशुपालन का मॉडल देश के राज्य अपनाएं इसकी हिमायत करते हुए बिहार के पशुपालन और मत्स्योद्योग विकास मंत्री गिरीराज सिंह ने खेती और पशुपालन क्षेत्र के विशेषज्ञ और कर्णधार खेती और पशुपालन के समन्वित विकास का रोडमैप बनाएं और देश के तमाम राज्य अपनी क्षमता के अनुसार इसका अमल करें, यह अनुरोध किया।

गुजरात के पशुपालन, मत्स्योद्योग, कृषि और सहकारिता मंत्री बाबूभाई बोखीरिया ने इस मौके पर स्वागत भाषण में कहा कि मुख्यमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में गुजरात ने सर्वांगीण विकास किया है। गुजरात के सर्वांगीण विकास मॉडल को चहूंओर से सराहना मिल रही है।कार्यक्रम में मुख्य सचिव वरेश सिन्हा, जलापूर्ति विभाग के अग्र सचिव डॉ. राजीव गुप्ता और पशुपालन निदेशक तथा सचिव दिनेश ब्रह्मभट्ट भी मौजूद थे। पशुपालन और डेयरी विकास की अखिल भारतीय स्तर की इस प्रथम कॉन्फ्रेंस में डेनमार्क, नीदरलैंड, इजरायल और ब्राजील के विशेषज्ञों के साथ ही महाराष्ट्र के जलापूर्ति मंत्री लक्ष्मण राव ढोबले, छत्तीसगढ़ के कृषि और पशुपालन मंत्री चंद्रशेखर साहू, गोवा के राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष डीपी खोलकर, नीदरलैंड की विशेषज्ञ सुश्री जोसेफिन वेरहेगी, डेनमार्क के मंत्री एंडरसन एडमसन, भारत सरकार के पेयजल मंत्रालय के डायरेक्टर सुजोय मजूमदार, पशुपालन और डेयरी विभाग के कमिश्नर डॉ. अमरजीत सिंह नंदा, पंजाब के पशुपालन, मत्स्योद्योग और डेयरी विकास के फायनेंसियल कमिश्नर डॉ. जी. वज्रलिंगम, पंजाब के डेयरी विकास डायरेक्टर डॉ. इंद्रजीत सिंह, उड़ीसा के मत्स्योद्योग और पशुपालन आयुक्त तथा सचिव संजीव कुमार, पशुपालन निदेशक श्रीकांत पृष्टि, उड़ीसा लाइवस्टॉक रिसोर्स डेवलपमेंट सोसायटी के सीईओ डॉ. सनत मिश्रा भी मौजूद थे।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।