डॉ. डालिया शिफर, श्री एस. महालिंगम, हमारे वरिष्ठ मंत्री श्री वजुभाई वाला, हमारे मुख्य सचिव श्री जोती, भाइयों और बहनों..!

हम यहां एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिए इक्कठे हुए हैं - 21वीं सदी में हमारे युवाओं को ज्ञान तथा कौशल के साथ समर्थ बनाना, मेरी नजर में, यह वास्तव में हमारे देश की विकास गाथा के लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। मैं यहाँ आप सब के बीच होने पर बहुत खुश हूँ।

भारत की 50% से ज्यादा जनसंख्या 25 वर्ष से कम की है। हम आज औसतन 24 वर्ष की आयु का लाभ ले रहे हैं, जबकि दुनिया का एक बहुत बड़ा हिस्सा अधिक उम्र की समस्या से जूझ रहा है। मैं भारत के युवाओं को एक बहुत बड़ी ताकत और बेशकीमती संसाधन के रूप में देखता हूँ। मुझे पूरा विश्वास है कि यदि भारत अपने टैलेंट पूल को मजबूत करने में सक्षम होता है, तो यहां के युवा एक दशक में, न सिर्फ भारत के लिए लेकिन पूरे विश्व के लिए, विकास का इंजन बन सकते हैं। यदि हम हमारे देश की युवा शक्ति को कुशल कार्यबल में परिवर्तित कर सकते हैं, तो हम पूरे विश्व की कार्यबल की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं। युवा शक्ति पर इस दृढ़ विश्वास की तर्ज पर, गुजरात ने काफी समय और संसाधनों को उनके सर्वांगीण विकास को सुविधाजनक बनाने पर खर्च किया है। हमारा मानना है कि शिक्षा तथा कौशल विकास हमारे युवाओं को समर्थ बनाने के लिए सबसे प्रभावशाली साधन हैं। एक समग्र दृष्टिकोण के साथ हम शिक्षा और प्रशिक्षण की पहुंच को बढ़ा रहे हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम इसकी गुणवत्ता को भी बढ़ा रहे हैं। और यह सब नए प्रयोगों को बढ़ावा देने तथा मानव संसाधन को विकसित करने की नवीनतम अंतरराष्ट्रीय प्रवृतियों के अनुरूप किया गया है। तथा इसके परिणाम सभी को दिखाई दे रहे हैं। गुजरात रोजगार देने में बेहतरीन तस्वीर प्रस्तुत करता है। भारत सरकार के हाल ही के एक सर्वे के अनुसार गुजरात में बेरोजगारी की दर सबसे कम है। गुजरात ने हार्ड स्किल तथा सॉफ्ट स्किल के विकास में भी बेहतरीन तस्वीर पेश करता है। हमारे बहुत से नवीन प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन कार्यप्रणालियों के रूप में पहचाना जा रहा है।

इसके कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हैं :

  • हमारे ‘आई-क्रियेट’ की पहल को इसकी नवीनता के कारण सबके द्वारा सराहा जा रहा है।
  • ‘स्कोप’ के माध्यम से, हम गुजरात के युवाओं में अंग्रेजी भाषा में दक्षता का विकास कर रहे हैं।
  • हाल ही में, हमने हमारे युवाओं की आई.टी. तथा इलैक्ट्रोनिक्स के कौशल को विकसित करने के लिए ‘एम्पावर’ का प्रारंभ किया है।
  • इसके अतिरिक्त, सर्वांगीण विकास के लिए अनेक पहल जैसे वांचे गुजरात - वाचन के लिए एक अभियान, खेल महाकुंभ - विभिन्न खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य स्तरीय अभियान, अभिनव आयोग, विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली, इत्यादि।
विशेष तौर पर कौशल विकास के क्षेत्र में, गुजरात में हमारे युवाओं में आधुनिक तकनीकी तथा व्यवसायिक दक्षता विकसित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

गुजरात स्किल डेवलपमेंट मिशन तथा गुजरात काउन्सिल ऑफ वोकेशनल ट्रेनिंग का लक्ष्य ही हर एक युवा को रोजगार योग्य बनाना है। हमारे औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आई.टी.आई.) इसमें केन्द्रीय भूमिका अदा कर रहे हैं। पिछले एक दशक में आई.टी.आई. की संख्या पाँच गुना बढ़ गई है। हमारे आई.टी.आई. को नई इमारतों, नई मशीनरी तथा अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाओं के साथ नवीनीकृत किया गया है। कोर्सेस में सुधार किया गया है तथा उनकी संख्या तथा विविधता को प्रभावशाली तरीके से बढ़ाया गया है। 20 बेहतरीन टेक्नोलॉजी सेन्टर (एस.टी.सी.) शुरू किए गए हैं - जो अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। यह सभी उद्योगों की जरूरत तथा भविष्य की मानव संसाधन की मांग को ध्यान में रख कर किए गए हैं। उदाहरण के तौर पर ऑटोमोबाइल सर्विसिंग तथा सोलर टेक्नोलॉजी से संबंधित एस.टी.सी.। हमने आई.टी.आई. के छात्रों के लिए आई.टी.आई. कोर्सेस के बाद डिप्लोमा तथा इंजीनियरिंग शिक्षा के लिए अवसरों के दरवाजे खोल दिये हैं, ताकि उनके कैरियर को एक नया क्षितिज मिल सके।

इस बात का एक सबसे अच्छा भाग यह है कि हमारे प्रयासों में उद्योगों की भी साझेदारी रही है। 50% से अधिक आई.टी.आई. विभिन्न राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय कंपनियों तथा संस्थाओं की साझेदारी में पी.पी.पी. के आधार पर चल रहे हैं। नए कौशल विकास केन्द्रों की स्थापना के लिए आज जो एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं, इससे यह साझेदारी और अधिक मजबूत होने वाली है। गुजरात में मेरे अनुभवों ने मेरे विश्वास को और मजबूत किया है कि भारत को अपने प्रमुख एजेन्डे में युवाओं को ज्ञान तथा कौशल से सशक्त करने के कार्य को सबसे ऊपर रखना चाहिए। हम गुजरात में पहले से ही इन सबके लिए बीज बो रहे हैं। हम गुजरात के हर युवा मन को प्रेरणा, मेहनत तथा नए प्रयोगों का स्त्रोत में बदलने के लिए संकल्पबद्घ हैं।

कुछ बातें आज जो बाहर से समूह आए थे उनके लिए कहनी थी वो मैंने कह दी, लेकिन और भी कुछ बातें हैं जो मैं बताना चाहता हूँ। 21वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी है, यह हम बहुत लंबे अर्से से सुन रहे हैं, लेकिन वह कौन सी ताकत है जिसके भरोसे यह हम कह रहे हैं..? तो तुरंत जवाब मिलता है कि हमारी यूवा शक्ति। लेकिन सिर्फ हाथ पैर हैं, उस युवा शक्ति के भरोसे देश, विश्व की ताकत नहीं बन सकता। हमारे पास योग्य युवा शक्ति होनी चाहिए। और योग्य युवा शक्ति का आधार होता है, उसकी क्षमता, उसकी योग्यता। और उस क्षमता और योग्यता की ओर हमने ध्यान नहीं दिया तो हम विश्व के सबसे युवा देश होते हुए भी, ना हम विश्व को कुछ कोन्ट्रीब्यूट कर पाएंगे, इतना ही नहीं, हम ही कहीं शायद अपने आप बोझ ना बन जाएं। और इसलिए बहुत दीर्घदृष्टि से हमें स्किल डेवलपमेंट पर फोकस करना चाहिए। और मेरा खुद का अनुभव यह है कि हम स्किल डेवलपमेंट पर थोड़ा सा भी ध्यान दें, तो हम बहुत बड़ी मात्रा में एम्पलोयमेंट का भी जनरेशन कर सकते हैं, सर्विस की क्वालिटी में भी इम्प्रूवमेंट कर सकते हैं और अल्टीमेटली इकोनॉमी जनरेट होने से क्वालिटी ऑफ लाइफ में भी बहुत बड़ा चेंज ला सकते हैं। और इसलिए इन चीजों पर बल देने की आवश्यकता रहती है।

अब मैं जिस क्षेत्र से आता हूँ, राजनैतिक क्षेत्र, दुर्भाग्य ऐसा है कि उस क्षेत्र में ट्रेनिंग की जरूरत ही नहीं है। और एक कवि सम्मेलन में एक कवि हमेशा कविता सुनाया करते थे कि “एक मंत्री जी ने ड्राइवर से कहा आज कार मैं चलाऊंगा, तो ड्राइवर ने कहा कि सर, मैं उतर जाऊंगा, क्योंकि ये कार है, सरकार नहीं जो कोई भी चला ले..!” इसलिए मैं उस फील्ड से आ रहा हूँ लेकिन वहाँ भी कभी ना कभी तो वक्त आएगा, धीरे-धीरे वहाँ भी लीडरशिप को लेकर काफी कुछ बहस वहाँ भी हो रही है। लेकिन मेरे अनुभव बताऊं, मैं जब मुख्यमंत्री के नाते काम करने लगा तो हर बार जब नई मंत्री परिषद मेरी बनती है, तो मंत्रियों का जो स्टाफ होता है, उनकी मैं वन वीक ट्रेनिंग करवाता हूँ, प्रोफेशनल लोगों से और उसके कारण प्रोडक्टिविटी में, बिहेविरयर में, एटीटयूट में इतना परिवर्तन आता है कि हर नागरिक को फील होता है कि यार कुछ बदल सा गया है। अब उसमें मोटिवेशन लेवल से ज्यादा महत्वपूर्ण थी, ट्रेनिंग। सिर्फ मोटिवेशनल लेवल से काम चल जाता ऐसा होता नहीं है, ट्रेनिंग बहुत बड़ा रोल प्ले करती है।

अब हमारे यहाँ डांग जिला है। हमारे ट्राइबल वहाँ बाम्बू का काम करते थे। और पहले भी करते थे, कोई मेरे मुख्यमंत्री बनने के बाद करने लगे हैं ऐसा नहीं था, करते थे। लेकिन क्वालिटेटिव चेंज लाना जरूरी था। तो हमने वहाँ से टीमों को नार्थ ईस्ट भेज दिया, जहाँ बाम्बू पर इतना काम होता है। इन लोगों ने वहाँ ट्रेनिंग ली, सीखा..! आज वह इतना बढिय़ा गुड्स बनाते हैं। अब जब वह बनाने लगे तो उनको ध्यान में आया कि हमारा बाम्बू, उसकी क्वालिटी, इस काम के लिए अनुकूल नहीं है। यानि जो कल तक जिस बाम्बू से काम कर रहा था, उसकी खुद की ट्रेनिंग इतनी हो गई कि वह बाम्बू में ही परिवर्तन ढूंढने लगा। तो हमें एक जेनेटिक काम करने वाली कैमिकल इन्डस्ट्री को कहना पड़ा कि हमारे बाम्बू की दो गांठ जो होती है, उसका डिसटेन्स थोड़ा ज्यादा हो, इस प्रकार के जैनेटिकली मोडिफिकेशन की हमें जरूरत है तो आप रिसर्च करो। उन्होंने किया और हमने उस प्रकार के बाम्बू बनाना शुरू किया ताकि उनको जिस प्रकार के बाम्बू पर काम करना था, वह बाम्बू उनको लोकली उपलब्ध हो। अच्छा, अब जब बाम्बू वहाँ हैं, ट्रेनिंग हो चुकी है, वह गुडस तैयार कर रहा है तो मार्केट भी मिलने लग गया।

मुझे याद है कि पहले हमारे यहाँ एयरपोर्ट जो था वह बस स्टेशन के जैसा था। अहमदाबाद का एयरपोर्ट यानि एक बस स्टाप पर आप आए हो ऐसा लगता था। अब एयर-ट्रैफिक पिछले पन्द्रह साल में काफी बढ़ा है, तो हमारा एयरपोर्ट भी बढ़ा। अब उनको नौजवानों की जरूरत थी, तो हमने कहा कि भाई, ठीक है, हम लोग मिल कर के कुछ काम करते हैं। तो हमने एयरपोर्ट के सराउन्डिंग फाइव किलोमीटर रेंज में जितने नौजवान थे उनको इन्वाइट किया। और कोई चार सौ नौजवानों की दस दिन की ट्रेनिंग की तो उनको एयरपोर्ट पर ही... अब वह साइकल पर आते हैं, अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं और अपने घर चले जाते हैं। और इसलिए हम उसका मैपिंग करें, किस क्षेत्र में किस प्रकार के लोगों की रिक्वायरमेंट है। मैपिंग करने के बाद यदि ठीक से ट्रेनिंग करें तो आज जो होता है ना कि भाई, एक फैक्ट्री से लोग उठते हैं और दूसरी फैक्ट्री में चले जाते हैं, वह भी तकलीफ कम होती है।

दूसरा, क्लस्टर डेवलपमेंट का बहुत बड़ा फायदा होता है। सरकार ने भी डेवलपमेंट के समय क्लस्टर एप्रोच को मद्दे नजर रखना चाहिए। जैसे हमारा मोरबी है, मोरबी एक सिरेमिक का क्लस्टर बन गया है। तो हमने हमारी वहाँ की जो आई.टी.आई. हैं उसके सिलेबस, वहाँ टर्नर-फिटर की मुझे जरूरत नहीं है, वहाँ वायर मैन की जरूरत नहीं है, वहाँ मेरी आई.टी.आई. है वे प्रीडोमिनेंटली सिरेमिक का पढ़ाए। अगर वहाँ प्रीडोमिनेंटली सिरेमिक का पढ़ाते हैं तो मेरे नौजवानों को वहीं रोजगार मिल जाता है और इसलिए ना घर छोडऩा पड़ता है, ना गांव छोडऩा पड़ता है। और इसलिए अगर हमने 200 स्कूल चालू कर दिए, 200 आई.टी.आई. चालू कर दिए, 50 ये चालू कर दिये... इससे परिणाम नहीं मिलता है। आज जो भारत सरकार ने भी गर्व के साथ ये रिपोर्ट किया है कि पूरे हिन्दुस्तान में नौकरी पाने योग्य युवकों में 4% बेरोजगार हैं लेकिन उन्होंने ये भी गर्व से कहा है अकेला गुजरात ऐसा है कि जहाँ कम से कम बेरोजगार हैं, कम से कम बेरोजगार हैं..! और इसलिए, हमें एम्प्लॉइमेन्ट भी बढ़ानी है और एम्प्लॉइबिलिटी भी बढ़ानी है। क्योंकि अगर हम हमारा एक्सपेंशन नहीं करते इन्डस्ट्रीज बेस का, इवन इन एग्रीकल्चर, तो हम एम्प्लॉइमेन्ट के लिए स्कोप जनरेट नही कर पाएंगे। एम्प्लॉइमेन्ट का स्कोप जनरेट किया, लेकिन एम्प्लॉइबिलिटी के लिए व्यक्तियों का विकास नही कर पाते हैं, उसकी प्रोपर ट्रेनिंग नहीं करते हैं... तो इसलिए इन सबका इन्टीग्रेटेड एप्रोच होना चाहिए। और सबका जब इन्टीग्रेटेड एप्रोच होता है तो हम इच्छित परिणाम ला सकते हैं।

उसी प्रकार से, आज दुनिया में चर्चा है कि चीन के साथ हमारी स्पर्धा है, चीन से स्पर्धा है, 21वीं सदी हमारी है, तो किन बातों पर बल देने से हम चीन के साथ मुकाबला कर सकते हैं..? एक तो मेरा मत है कि हमारा स्कोप बहुत वाइड करना चाहिए। आज अगर हम 200 प्रकार की ट्रेनिंग देते हैं तो वो 2000 प्रकार की ट्रेनिंग देना कैसे शुरू करें, 20,000 प्रकार की ट्रेनिंग देना कैसे शुरू करें..? हमारे स्कोप को बहुत वाइड करना चहिए। दूसरा, हमारा स्केल बढ़ाना पड़ेगा। तीसरा, हमें स्किल बढ़ानी पड़ेगी और चौथा, हमें स्पीड बढ़ानी पड़ेगी। अगर इन चारों को मिला कर हम काम करते हैं - स्कोप, स्केल, स्किल एंड स्पीड - इन चारों पर अगर हम बल देतें हैं तब जा कर के हम हमारी पूरी युवा शक्ति को इस निर्माण कार्य से हम जोड़ सकते हैं और तब जा कर के हम परिवर्तन ला सकते हैं।

अब हमारे यहाँ होटल मैनेजमेंट के इंस्टिट्यूट्स होते हैं। होटल मैनेजमेंट सरकारें चलाती हैं, लेकिन कभी सरकार को विचार नहीं आता है कि इस होटल मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट्स का हम भी कैसे फायदा उठाएं। हमने एक प्रयोग किया। हमारे जितने गवर्नमेंट गेस्ट हाउस के स्टाफ हैं, क्लास फोर के जो एम्पलाई हैं, उन सबको मैंने सैटरडे-सन्डे गवर्नमेंट की जो हॉस्पिटालिटी कॉलेज है उसमें पढऩे के लिए भेजा। और मैंने कहा कि तुम गवर्नमेंट गैस्ट हाउस में चद्दर कैसे लगती है, पिलो कैसे लगते हैं, चाय कैसे देनी है... तुम सीख कर आओ ना..! उसको नौकरी कैसे मिली थी? कोई पहचान थी, किसी ने कह दिया कि बच्चा है, जरा रख देना, तो रख लिया गया था..! किसी ने ट्रेनिंग नहीं की। अब यह पूरे देश में स्थिति है। लेकिन अगर हमारे दृष्टिकोण में ट्रेनिंग है तो हम हर... अब मेरे दो फायदे हो गए। सैटरडे-सन्डे जो मेरी गवर्नमेंट कॉलेज है उसका भी उपयोग होने लग गया, ये नौजवान, दो दिन जा कर के आते हैं तो विश्वास उनका, कॉन्फिडेंस लेवल इतना बढ़ जाता है कि वे अपना सीखने लगते हैं..!

अब हमारे यहाँ गुजरात में एक समस्या रहती है, क्योंकि हमारे यहाँ ‘मगनभाई पांचवां’, ‘मगनभाई आठवां’, एक बहुत बड़ी चर्चा थी। दो लीडर थे, तो पांचवी से अंग्रेजी या आठवीं से अंग्रेजी, वही झगड़ा चला था हमारे यहाँ, कई वर्षों तक..! और उसके कारण बाय ऐन्ड लार्ज हम गुजराती भाषी गुजराती में ही बातचीत करते हैं तो अंग्रेजी भाषा का हमारा... अब धीरे-धीरे समय बदल गया तो हमने एक बहुत बड़ी मात्रा में गुजरात में मूवमेंट चलाया है, ‘स्कोप’ और उसके अंदर हमने उनको अंग्रेजी और सॉफ्ट स्किल सिखाने की बहुत कोशिश की। हमारा अनुभव ये आया कि 40-45-50 साल की गृहणी भी ये अंग्रेजी का ‘स्कोप’ सीखने गई। तो मेरे लिए ये सरप्राइज था, मैंने कहा भाई, ये झूठी बातें हो सकती हैं। ये फिगर बढ़ा रहे हो और पेमेंट लेने के लिए कुछ चल रहा है। क्योंकि कोई कारण नहीं, क्यों कोई 40-45 में जाएगा..! तो मैंने जांच करवाई। बड़ा सरप्राइज़िंग मुझे आन्सर मिला। उन माताओं ने कहा कि हमारे बच्चे मीडियम इंगिलश में पढ़ रहे हैं और घर आने के बाद हमारे और उनके कम्यूनिकेशन में गड़बड़ होती है। तो हमें ये जरूरी लगा कि हम भी थोडा बहुत बच्चों को खुश करने वाली दो-चार-दस बातें सीख लें और इसलिए हम हाउस वाइफ हैं लेकिन सीखना शुरू किया है।

कहने का तात्पर्य है कि अगर हम सुविधाएं उपलब्ध करवाएं तो सामान्य मानवी को भी सीखने की इच्छा होती है। वो अपने आप में परिवर्तन लाने को इच्छुक होता है। और इसलिए हमारे ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स के नेटवर्क को... और जरूरी नहीं है कि प्राइमरी ट्रेनिंग हो गई तो काम हो गया, ऊपर जरूरत नहीं है, ऐसा नहीं है। अब देखिए अस्पताल में, हम देखें तो एक अस्पताल के अंदर मोर दैन 600 टाइप की पैरा मेडिकल एक्टीविटी होती हैं, मोर दैन 600 टाइप्स..! अब आज क्या होता है? एक आदमी आता है, पाँच-छह दिन साथ रह कर के वो सिखता है कि इस मशीन को ऐसे ऊठाना, ऐसे रखना, फिर डॉक्टर को देना... लेकिन उसकी प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं होती है। आज कितना स्कोप है, सिर्फ हॉस्पिटल इन्डस्ट्री हम देख लें या हॉस्पिटल सर्विसेस हम देख लें...!

मैं मानता हूँ थाउज़न्ड्स ऑफ ट्रेनिंग कोर्सेस आर रिक्वायर्ड...! हमने एक बार, क्योंकि मैं काफी रूचि लेता हूँ इस विषय में, क्योंकि मैं मानता हूँ कि बदलाव इसी से आना है। तो मैंने एक बार हमारे अफसरों की मीटिंग की। तो वो सोच रहे थे कुछ् पचास कोर्स नए करेंगे, सत्तर कोर्स नए करेंगे... मैंने कहा ऐसा नहीं भाई, एक काम करो, जन्म से मृत्यु तक हर व्यक्ति को कितने प्रकार की सेवाओं की जरूरत पड़ती है, सूची बनाओ। जन्म से मृत्यु तक..! तो उन्होंने मोटी-मोटी सूची बनाई, ऐसे ही। करीब-करीब 976 प्रकार कि उन्होंने निकाली कि उसको झूला चाहिए, उसको खिलौना चाहिए, उसको गुलदस्ता चाहिए, उसको किताब चाहिए, उसको टेबल-कुर्सी चाहिए, उसको सोने के लिए खटिया चाहिए... करीब 976 प्रकार की चीजों की मनुष्य को जन्म से लेकर मृत्यु तक अनिवार्य रूप से जरूरत पड़ती है। अब ये तो उन्होंने सरसरी नजर से बनाया था, कोई अगर बैठेगा तो 9000 भी निकाल सकता है। मैंने कहा कि इसका मतलब ये हुआ कि 976 सर्विस प्रोवाइडर चाहिए। इसका मतलब हुआ कि उनकी ट्रेनिंग चाहिए। अब मान लिजीए, गुलदस्ते कि जरूरत है तो गुलदस्ता बनाने की ट्रेनिंग होनी चाहिए ना..! क्यों वो पिता के पास बेटा सीखा, बेटे के बाद उसका बेटा सीखा... तो क्वॉलिटेटिव चेंज नहीं आता है। और इसलिए अगर हम एक-एक चीज में बारीकी से देखें तो हमारे यहाँ क्वॉलिटी ऑफ लाइफ में अगर चेंज लाना है तो, हमारे प्रोडक्शन में चेंज लाना है तो, हमारे वर्क कल्चर में चेंज लाना है तो, हमें ग्लोबल मार्केट को कम्पीट करने के लिए हर प्रकार की सेवाओं में सुधार लाना है तो, हमारे नोलेज के साथ स्किल बहुत अनिवार्य है। और जहाँ स्किल डेवलपमेंट पर बल दिया जाएगा, हम बहुत...

अभी हमने हमारे यहाँ बिसेग, यहाँ गांधीनगर के पास इंस्टिट्यूट है। कभी आप लोगों को रूचि हो तो देखने जैसा है। सैटेलाइट के माध्यम से जो इंजीनियर्स हैं, उनको हम एम्प्लॉएबल बनाने के लिए छह महीने की ट्रेनिंग देते हैं, हर स्टूडेंट को देते हैं। वह अगर बाहर पढऩे जाता है तो उसकी फीस बीस हजार रुपया होती है। अब हर विद्यार्थी 20,000 रुपया खर्च करे यह संभव नहीं है। तो हमने लांग डिस्टेंस एज्यूकेशन शुरू किया और हमने कहा कि सिर्फ सौ रुपया, सिरीयसनेस आए तुम्हारी इसलिए तुम्हे भरना होगा। शाम के समय लांग डिस्टेंस से होता है। हमने माइक्रोसॉफ्ट के साथ पार्टनरशिप की और आज हमारे हजारों इंजीनियर्स, इंजीनियर की डिग्री प्राप्त करने के छह महीने पहले इन कंपनियों के लिए एम्प्लॉएबल हो सके उसकी ट्रेनिंग उनकी हो जाती है। यानि हम अगर इन चीजों पर बल दें, तो हम बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकते है।

गुजरात ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल को भी महत्व दिया है| और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के कारण हमारे यहाँ काफी बड़ी मात्रा में हम कुछ इनोवेशन भी कर रहे हैं। जैसे हमारे यहाँ परम्परागत रूप से कच्छ मांडवी यह जहाज बनाने का उद्यम करता था, आज से सौ साल पहले, दो सौ साल पहले, और बड़े जहाज बनाने का काम वह करते थे, लकड़ी के... अब धीरे-धीरे-धीरे कुछ ही परिवार बच गए हैं, तो हमने वहाँ स्पेश्यल आई.टी.आई. शुरू किया। उस आई.टी.आई. के सभी स्टूडेंट का यही काम है कि नाव बनाना, जहाज बनाना उसकी ही ट्रेनिंग हो। आज मांडवी का वह बंदर हमारा जो मरा पड़ा था, धीरे-धीरे-धीरे उनकी मांग बढऩे लगी, उनको काम मिलने लगा और वहीं के लोकल लोग जिनके पूर्वजों का वह व्यवसाय था और उनमें क्षमता थी, धीरे-धीरे वहाँ काम शुरू करने लगे और डेवलप होने लगा।

मेरे यहाँ उमरगांव से अंबाजी पूरा ट्राइबल बेल्ट है। ट्राइबल के वहाँ पर लोकल एम्प्लोयमेंट की वहाँ जरूरत... अब जैसे वहाँ केले में, केला पैदा करना तो परंपरागत रूप से किसान करता है, लेकिन केला पैदा होने के बाद वह जो वेस्ट रहता है उसको हटाने का पहले किसान को 15,000 रुपया खर्च होता था, एक एकर पर। आज उसमें हमने वैल्यू एडिशन किया है, ट्रेनिंग दी है किसानों को और उसमेंसे चीज़ें बनने लगी हैं तो आज वह एक एकडर में 20-25,000 रुपया कमाता है। तो ट्रेनिंग से हम इतना बदलाव ला सकते हैं और इकोनॉमी को इतना जनरेट कर सकते हैं और इसलिए स्किल डेवलपमेंट के मिशन को हम जितना बल दें, जितना साइंटिफिक बनाए उतना लाभ है। गुजरात ने अपने आप इस दिशा में काफी कुछ किया है। हम देश के लिए भी उपयोगी हो इस प्रकार के काम को कर रहे है।

मैं मानता हूँ कि यह एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का सेमिनार है, और जैसा आपने देखा कि करीब 26 डिस्ट्रिक्ट में एक-एक कंपनी टोकन, वैसे तो काफी हैं, अभी भी होने वाले हैं जैसा कि मुझे बताया और हम चाहते हैं कि हम जब वाइब्रेंट समिट करते हैं तो एक काम करते हैं। वाइब्रेंट समिट में जो एम.ओ.यू. करते हैं तो उनको हम उसी दिन कहते हैं कि भाई, तीन दिन के बाद एक सेमिनार होगा। आपको किस प्रकार का वर्कफोर्स चाहिए, उसका पूरा डिटेल लाओ। तुम्हारी इन्डस्ट्री को बनने में अगर दो साल, तीन साल कन्सट्रक्शन में लगते हैं तो जैसे ही तुम शुरू करोगे, उसके साथ तुम्हारे लिए जो रिक्वायर्ड वर्कफोर्स है, रिक्वायरमेंट है ह्यूमन रिसोर्स की, ट्रेनिंग की, हम अभी से करवा देते हैं। उसका बहुत बड़ा लाभ हो रहा है।

हमारे यहाँ एक ‘गिफ्ट सिटी’ बन रहा है। अब आज हमारे गुजरात में इतना टॉलेस्ट बिल्डिंग कोई है नहीं, उतने बड़े टॉलेस्ट बिल्डिंग बन रहे हैं। अब टॉलेस्ट बिल्डिंग बन रहे हैं तो पुरानी पद्घति से जो कन्सट्रक्शन का काम कर रहे हैं वह नहीं चलेगा। मुझे उसके लिए स्किल चाहिए, तो उस प्रकार का स्किल डेवलपमेंट इन्स्टीट्यूट चालू किया। और उसमें भी कोई ज्यादा खर्चा नहीं किया, हमने क्या किया..? हमारी अहमदाबाद में जो स्कूल है, उस स्कूल को हमने कहा कि तुम इवनिंग टाइम में स्किल डेवलपमेंट क्लासिस चलाओ, ताकि यह जो हमारे कन्सट्रक्शन वर्कर्स हैं उनको थोड़ी तीन-चार दिन की ट्रेनिंग हो जाती है तो उस काम को कर लेते है..! तो एक मूवमेंट के रूप में स्किल डेवलपमेंट को चलाना पड़ता है और उसका परिणाम सबको मिलता है।

अब हम नेक्सट लेवल पर जा रहे हैं। वी हैव क्रिएटेड एन इंस्टिट्यूट कॉल्ड ‘आई-क्रिएट’। ‘आई-क्रिएट’ हमारा गलोबल लेवल का इंस्टीट्यूशन बन रहा है, मिस्टर नारायण मूर्तिजी को मैंने रिक्वेस्ट किया था उसकी चेयरमैनशिप के लिए, उन्होंने उस बात को स्वीकार किया और आज उनके नेतृत्व में हम काम कर रहे हैं। जो भी इनोवेशन्स हैं, इतना स्पार्क कि एक आठवीं कक्षा के बच्चे में भी स्पार्क होता है। जिनके पास ऐसे इनोवेशन का स्कोप हैं उनके लिए ‘आई-क्रिएट’ में एक जगह है, जहाँ आप आएं, हम उसे पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर देंगे, उसके रहने-खाने की व्यवस्था देंगे। और जो भी उसके आइडियाज़ हैं, उस आइडियाज़ को धरती पर उतारें और कमर्शियल मॉडल कैसे तैयार हो उसके लिए जो भी उसको नो-हाऊ कि जरूरत है वह मिले, उसको फाइनेंशियल हैल्प मिले, वहाँ तक का काम करने वाली एक ‘आई-क्रिएट’ संस्था, वर्ल्ड क्लास इन्स्टीट्यूट हमारी, अन्डर प्रोसेस है, मिस्टर नारायण मूर्ति के नेतृत्व में काम चल रहा है, उसका भवन अभी बन रहा है। लेकिन अभी से हमने लोगों से कॉन्टेक्ट करना शुरू किया है, फैकल्टीज का, स्टूडेंटस का, और उसकी एक वैबसाइट भी है। उसके लिए काफी अच्छी मात्रा में नौजवान आगे आ रहे हैं और ग्लोबली शायद उसमें नौजवान मिलेंगे।

कहने का तात्पर्य है कि हर लेवल पर स्किल डेवलपमेंट के काम को बल देते हुए हम आगे बढऩा चाहते हैं, क्लस्टर अप्रोच के साथ चाहते हैं, स्कोप भी बढ़ाना चाहते हैं, स्किल भी बढ़ाना चाहते हैं, स्पीड भी बढ़ाना चाहते हैं और स्केल भी बढ़ाना चाहते हैं और हम और अधिक कैसे कर सकें उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि आज के इस दिवस भर का समारोह, हमारे नौजवानों के लिए नई आशा कि किरण बनेगा। हमारा नौजवान बेरोजगार रहे, ये सबसे बड़ा देश का नुकसान है। उसकी शक्ति राष्ट्र के निर्माण में काम आए।

एग्रीकल्चर सेक्टर में भी परंपरागत एग्रीकल्चर में बदलाव करके ट्रेन्ड मैनपावर लगाया तो बहुत वेस्टेज बच सकता है। हमारा अनुभव है कि पानी बचाने में ट्रेन्ड मैनपावर का हमें बहुत बल मिला है और इसलिए उन चीजों की ओर हम ध्यान देंगे तो बहुत-बहुत लाभ होगा।

मेरी इस समारोह को, इस सेमीनार को बहुत-बहुत शुभकामनाएं...!

धन्यवाद...!!

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मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2025 बस अब तो आ ही गया है, दरवाजे पर दस्तक दे ही रहा है | 2025 में 26 जनवरी को हमारे संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने जा रहे हैं | हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है | हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है | संविधान हमारे लिए guiding light है, हमारा मार्गदर्शक है | ये भारत का संविधान ही है जिसकी वजह से मैं आज यहाँ हूँ, आपसे बात कर पा रहा हूँ | इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस से एक साल तक चलने वाली कई activities शुरू हुई हैं | देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास website भी बनाई गई है | इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना video upload कर सकते हैं | अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं, संविधान के बारे में प्रश्न भी पूछ सकते हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस website पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें |

साथियो,

अगले महीने 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है | इस समय वहां संगम तट पर जबरदस्त तैयारियाँ चल रही हैं | मुझे याद है, अभी कुछ दिन पहले जब मैं प्रयागराज गया था तो हेलिकॉप्टर से पूरा कुम्भ क्षेत्र देखकर दिल प्रसन्न हो गया था | इतना विशाल! इतना सुंदर! इतनी भव्यता!

साथियो,

महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है | कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है | इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं | लाखों संत, हजारों परम्पराएँ, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है | कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है, कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है | अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा | इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है | इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा | मैं आप सबसे कहूँगा, जब हम कुंभ में शामिल हों, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर वापस आयें | हम समाज में विभाजन और विद्वेष के भाव को नष्ट करने का संकल्प भी लें | अगर कम शब्दों में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा...

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |

और अगर दूसरे तरीके से कहना है तो मैं कहूँगा...

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||

साथियो,

इस बार प्रयागराज में देश और दुनिया के श्रद्धालु digital महाकुंभ के भी साक्षी बनेंगे | Digital Navigation की मदद से आपको अलग-अलग घाट, मंदिर, साधुओं के अखाड़ों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा | यही navigation system आपको parking तक पहुँचने में भी मदद करेगा | पहली बार कुंभ आयोजन में AI chatbot का प्रयोग होगा | AI chatbot के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी | इस chatbot से कोई भी text type करके या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है | पूरा मेला क्षेत्र को AI-Powered cameras से cover किया जा रहा है | कुंभ में अगर कोई अपने परिचित से बिछड़ जाएगा तो इन कैमरों से उन्हें खोजने में भी मदद मिलेगी | श्रद्धालुओं को digital lost & found center की सुविधा भी मिलेगी | श्रद्धालुओं को मोबाईल पर government-approved tour packages, ठहरने की जगह और homestay के बारे में भी जानकारी दी जाएगी | आप भी महाकुंभ में जाएँ तो इन सुविधाओं का लाभ उठाएँ और हाँ #एकता का महाकुंभ के साथ अपनी selfie जरूर uplaod करिएगा |

साथियो,

‘मन की बात’ यानि MKB में अब बात KTB की, जो बड़े बुजुर्ग हैं, उनमें से, बहुत से लोगों को KTB के बारे में पता नहीं होगा | लेकिन जरा बच्चों से पूछिए KTB उनके बीच बहुत ही superhit है | KTB यानि कृष, तृष और बाल्टीबॉय | आपको शायद पता होगा बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम और अब इसका दूसरा season भी आ गया है | ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती | हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में International Film Festival of India, Goa में launch हुआ | सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है | इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है |

साथियो,

हमारी animation फिल्मों की, regular फिल्मों की, टीवी serials की, popularity दिखाती है कि भारत की creative industry में कितनी क्षमता है | यह industry न सिर्फ देश की प्रगति में बड़ा योगदान दे रही है, बल्कि, हमारी economy को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है | हमारी Film & Entertainment industry बहुत विशाल है | देश की कितनी ही भाषाओं में फिल्में बनती हैं, creative content बनता है | मैं अपनी film और entertainment industry को इसलिए भी बधाई देता हूँ, क्योंकि उसने ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के भाव को सशक्त किया है |

साथियो,

वर्ष 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं | इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई | राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की soft power से परिचित कराया | रफ़ी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था | उनकी आवाज अद्भुत थी | भक्ति गीत हों या romantic songs, दर्द भरे गाने हों, हर emotion को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया | एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है - यही तो है timeless art की पहचान | अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है | उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बखूबी प्रस्तुत किया | तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी | उनकी फिल्मों में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश रहता था | हमारी पूरी film industry के लिए इन हस्तियों का जीवन प्रेरणा जैसा है |

साथियो,

मैं आपको एक और खुशखबरी देना चाहता हूँ | भारत की creative talent को दुनिया के सामने रखने का एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है | अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन होने वाला है | आप सभी ने दावोस के बारे में सुन होगा जहां दुनिया के अर्थजगत के महारथी जुटते हैं | उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे | यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है | मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं | जब हम 5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है | मैं भारत की पूरी entertainment और creative industry से आग्रह करूंगा – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें |

मेरे प्यारे देशवासियो,

आप सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का प्रकाश आज कैसे दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है | आज मैं आपको तीन महाद्वीपों से ऐसे प्रयासों के बारे में बताऊंगा, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक विस्तार की गवाह है | ये सभी एक दूसरे से मिलों दूर हैं | लेकिन भारत को जानने और हमारी संस्कृति से सीखने की उनकी ललक एक जैसी है |

साथियो,

Paintings का संसार जितना रंगों से भरा होता है, उतना ही खूबसूरत होता है | आप में से जो लोग टीवी के माध्यम से ‘मन की बात’ से जुड़े हैं, वे अभी कुछ paintings टीवी पर देख भी सकते हैं | इन Paintings में हमारे देवी-देवता, नृत्य की कलाएं और महान विभूतियों को देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा | इनमें आपको भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं से लेकर और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा | इनमें ताजमहल की एक शानदार Painting भी शामिल है, जिसे 13 साल की एक बच्ची ने बनाया है | आपको ये जानकार हैरानी होगी इस दिव्यांग बच्ची ने अपने मुहँ से इस panting को तैयार किया है | सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन Painting को बनाने वाले भारत के नहीं, बल्कि Egypt के students हैं, वहाँ के विद्यार्थी हैं | कुछ ही हफ्ते पहले Egypt के करीब 23 हजार students ने एक painting प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | वहाँ उन्हें भारत की संस्कृति और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बताने वाली paintings तैयार करनी थी | मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी युवाओं की सराहना करता हूँ | उनकी creativity की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है |

साथियो,

दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे | वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी | पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है | वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं | आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं | एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है | उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई |

साथियो,

ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है | दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है | पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से Tamil Teaching Programme शुरू हुआ | बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के Trained Teachers इस भाषा को सिखा रहे हैं | मुझे ये जानकार अच्छा लगा कि आज फ़िजी के students तमिल भाषा और संस्कृति को सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं |

साथियो,

ये बातें, ये घटनाएं, सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं है | ये हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी गाथाएं हैं | ये उदाहरण हमें गर्व से भर देते हैं | Art से आयुर्वेद तक और Language से लेकर Music तक, भारत में इतना कुछ है, जो दुनिया में छा रहा है |

साथियो,

सर्दी के इस मौसम में देश-भर से खेल और fitness को लेकर कई activities हो रही हैं | मुझे खुशी है कि लोग fitness को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं | कश्मीर में Skiing से लेकर गुजरात में पतंगबाजी तक, हर तरफ, खेल का उत्साह देखने को मिल रहा है | #SundayOnCycle और #CyclingTuesday जैसे अभियानों से Cycling को बढ़ावा मिल रहा है |

साथियो,

अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है | क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है | मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है | आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है | बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ | इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है | इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’ |

पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है | यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है | Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है | कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है | एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है | वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है” | सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है | Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है” | सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है | एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं | उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है | कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth icon’ चुना गया है | उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है |

साथियो,

बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है I यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है I जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं I मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :

अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें

#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें

स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें

याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है I तो खूब खेलिए-खूब खिलिए |

मेरे प्यारे देशवासियो,

भारत की दो बड़ी उपलब्धियां आज विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं I इन्हें सुनकर आपको भी गर्व महसूस होगा I ये दोनों सफलताएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली हैं I पहली उपलब्धि मिली है – मलेरिया से लड़ाई में | मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है I आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी I एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है I आज, मैं संतोष से कह सकता हूँ कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है I विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की रिपोर्ट कहती है – “भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है” I यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है I सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है I भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है I असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था I लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी I अपने इस प्रयास में उन्होनें Technology के साथ-साथ Social media का भी भरपूर इस्तेमाल किया है I इसी तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा model पेश किया I यहां मलेरिया की monitoring के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है I नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की breeding कम करने में काफी मदद मिली है I देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है I

साथियो,

अपनी जागरूकता और संकल्प शक्ति से हम क्या कुछ हासिल कर सकते हैं, इसका दूसरा उदाहरण है cancer से लड़ाई I दुनिया के मशहूर Medical Journal Lancet की study वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है I इस Journal के मुताबिक अब भारत में समय पर cancer का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है I समय पर इलाज का मतलब है – cancer मरीज का treatment 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है – ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने | इस योजना की वजह से cancer के 90 प्रतिशत मरीज, समय पर अपना इलाज शुरू करा पाए हैं | ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले पैसे के अभाव में गरीब मरीज cancer की जांच में, उसके इलाज से कतराते थे I अब ‘आयुष्मान भारत योजना’ उनके लिए बड़ा संबल बनी है I अब वो आगे बढ़कर अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं I ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने cancer के इलाज में आने वाली पैसों की परेशानी को काफी हद तक कम किया है I अच्छा ये भी है, कि आज समय पर, cancer के इलाज को लेकर, लोग, पहले से कहीं अधिक जागरूक हुए हैं I यह उपलब्धि जितनी हमारे Healthcare system की है, डॉक्टरों, नर्सों और Technical staff की है, उतनी ही, आप, सभी मेरे नागरिक भाई-बहनों की भी है I सबके प्रयास से cancer को हारने का संकल्प और मजबूत हुआ है I इस सफलता का credit उन सभी को जाता है, जिन्होनें जागरूकता फैलाने में अपना अहम योगदान दिया है I

Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास I आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें I

मेरे प्यारे देशवासियो,

आज मैं आपको ओडिशा के कालाहांडी के एक ऐसे प्रयास की बात बताना चाहता हूँ, जो कम पानी और कम संसाधनों के बावजूद सफलता की नई गाथा लिख रहा है | ये है कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’ | जहां, कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है | यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई | इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है | आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं | ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं | अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है | आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है |

साथियो,

कालाहांडी की यह सफलता हमें सिखाती है कि संकल्प शक्ति और सामूहिक प्रयास से क्या नहीं किया जा सकता | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :-

अपने क्षेत्र में FPO को प्रोत्साहित करें

किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ें और उन्हें मजबूत बनाएं |

याद रखिए – छोटी शुरुआत से भी बड़े परिवर्तन संभव हैं | हमें, बस, दृढ़ संकल्प और टीम भावना की जरूरत है |

साथियो,

आज की ‘मन की बात’ में हमने सुना, कि कैसे हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है | चाहे वो खेल का मैदान हो या विज्ञान का क्षेत्र, स्वास्थ हो या शिक्षा – हर क्षेत्र में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है | हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की | 2014 से शुरू हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes में मैंने देखा है कि ‘मन की बात’ देश की सामूहिक शक्ति का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गया है | आप सभी ने इस कार्यक्रम को अपनाया, अपना बनाया | हर महीने आपने अपने विचारों और प्रयासों को साझा किया | कभी किसी young innovator के idea ने प्रभावित किया, तो कभी किसी बेटी की achievement ने गौरवान्वित किया | ये आप सभी की भागीदारी है जो देश के कोने-कोने से positive energy को एक साथ लाती है | ‘मन की बात’ इसी positive energy के amplification का मंच बन गया है, और अब, 2025 दस्तक दे रहा है | आने वाले साल में ‘मन की बात’ के माध्यम से हम और भी inspiring प्रयासों को साझा करेगें | मुझे विश्वास है कि देशवासियों की positive सोच और innovation की भावना से भारत नई ऊंचाइयों को छूएगा | आप अपने आस-पास के unique प्रयासों को #Mannkibaat के साथ share करते रहिए | मैं जानता हूँ कि अगले साल की हर ‘मन की बात’ में हमारे पास एक दूसरे से साझा करने के लिए बहुत कुछ होगा | आप सभी को 2025 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं | स्वस्थ रहें, खुश रहें, Fit India Movement में आप भी जुड़ जाइए, खुद को भी fit रखिए | जीवन में प्रगति करते रहें |

बहुत-बहुत धन्यवाद |