नई दिल्ली में पीएम मोदी का आधिकारिक आवास उस स्थान पर है जिसे पहले रेस कोर्स रोड कहा जाता था। 2016 में, इसे लोक कल्याण मार्ग अथवा "पीपुल्स वेलफेयर स्ट्रीट" नाम दिया गया, जो दो बार चुने गए उस नेता के लिए एकदम उपयुक्त है, जिसके झुकाव लोक-लाभकारी हैं और जो भारत के औपनिवेशिक अतीत को त्यागने का दमखम रखता है।

एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा के घेरे से आगे बढ़ते हुए, हाल ही में पुनर्निर्मित परिसर (उनके स्टाफ द्वारा जिसे "7 LKM" कहा जाता है) में घूमते हुए मोर और सुंदर फूलों से सुसज्जित एक भीतरी प्रांगण है। अंदर, एक बैठक कक्ष में छत के भित्तिचित्रों पर चित्रित विश्व के नक्शे हैं, जबकि कैबिनेट रूम भारत के संविधान की प्रस्तावना की पंक्तियों से अंकित है।

यह वही स्थान है जहां से पीएम मोदी ने भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को संचालित किया है, लेकिन उनके कई घरेलू विरोधियों के नजरिए से, यह वह स्थान भी है, जहां उन्हें लगता है कि यहां से वे संविधान के लिए एक जोखिम भी पेश कर सकते हैं।

आगंतुकों का स्वागत करने के लिए एक बड़ी मेज से उठते हुए, पीएम मोदी उस साल के अंत में आत्मविश्वास से भरपूर दिखाई दिए, जब भारत लगातार वैश्विक चर्चा में रहा है। देश ने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है और वर्ल्ड लीडर्स, बिजनेस कंसल्टेंट्स और बैंकों द्वारा इसे, बीजिंग के प्रति बढ़ते संदेह वाले विश्व में एक वैकल्पिक इंवेस्टमेंट डेस्टिनेशन के रूप में देखा जा रहा है।

भारत और दुनिया भर के कई नेता अब खुद को पीएम मोदी के एक और संभावित पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए तैयार कर रहे हैं। 73 वर्षीय नेता अगले साल की शुरुआत में होने वाले चुनावों में तीसरे कार्यकाल के लिए जनमत मांगेगे, जहां उनकी पार्टी को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। पीएम मोदी दावा करते हैं कि "आम आदमी के जीवन में ठोस बदलाव का रिकॉर्ड" होने के कारण उन्हें "जीत का पूरा विश्वास" है।

क्रीम रंग का कुर्ता और हल्के गेरुआ रंग की स्लीवलैस जैकेट पहने, पीएम मोदी गर्व के साथ कहते हैं, “आज भारत के लोगों की आकांक्षाएं दस साल पहले की अपेक्षा बहुत भिन्न हैं।”

“उन्हें लगता है कि हमारा देश ऊंची उड़ान भरने के लिए तैयार है।” पीएम ने कहा। “वे चाहते हैं कि देश यह उड़ान जल्द भरे, और उन्हें भरोसा है कि जिस पार्टी ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है, वही इस उड़ान को भी मंजिल तक पहुंचाएगी।"

फाइनेंशियल टाइम्स ने पीएम मोदी का इंटरव्यू उस समय लिया जब उनकी भारतीय जनता पार्टी पांच में से तीन राज्यों के चुनावों में जीत का उल्लास मना रही है। इन चुनावों को 2024 के अप्रैल और मई के बीच होने वाले आम चुनावों का सेमीफाइनल माना जा रहा है, जिसमें भारत के 94 करोड़ से अधिक पात्र मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।

समर्थकों के लिए, पीएम मोदी का तीसरा कार्यकाल उनकी सरकार की सफलता का प्रमाण होगा। जिनका मानना है कि पीएम मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, गरीबी को कम किया है, और देश की वैश्विक प्रतिष्ठा में सुधार किया है। वे यह भी मानते हैं कि उन्होंने हिंदू धर्म को देश के सार्वजनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है।

मोदी विरोधी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राहुल गांधी जैसे सांसदों के नेतृत्व में "आई.एन.डी.आई.ए." नामक गठबंधन के तहत एकजुट हो गए हैं। उनका वादा है कि वे देश के संस्थापकों के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर कथित हमले के खिलाफ "लोकतंत्र और संविधान की रक्षा" करेंगे। मोदी सरकार के लगभग 10 साल के कार्यकाल के दौरान, आलोचकों ने आरोप लगाया है कि उन्होंने विरोधियों पर सख्त कार्रवाई की है, सिविल सोसाइटी को कमजोर किया है और देश के बड़े अल्पसंख्यक वर्ग मुसलमानों के साथ भेदभाव किया है।

पीएम मोदी के विरोधियों को चिंता है कि तीसरे कार्यकाल में, अगर भाजपा को बड़ा बहुमत मिलता है, तो वह धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्थायी रूप से नष्ट कर सकते हैं। कुछ का भय है कि वह संविधान में संशोधन कर भारत को स्पष्ट रूप से हिंदू गणराज्य बना सकते हैं।

मोदी सरकार पर लोकतंत्र में गिरावट के आरोप - जिन्हें भाजपा खारिज करती है - ने भारत और विदेश के कुछ पर्यवेक्षकों को चिंतित कर दिया है। यह चिंता ऐसे समय में उभरी है जब दुनिया के कई नेता भारत को भू-राजनीतिक और आर्थिक साझेदार के रूप में देख रहे हैं और उस पर दांव लगा रहे हैं।

एक दुर्लभ साक्षात्कार और अतिरिक्त लिखित जवाबों में, प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ तीखे सवालों का जवाब दिया, जिनमें भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों की स्थिति, न्यायेतर हत्याओं की कथित साजिशों के कारण अमेरिका और कनाडा के साथ तनाव और संवैधानिक संशोधन जैसे विषय शामिल थे। हालांकि, उन्होंने अपनी सरकार के आर्थिक और लोकतांत्रिक रिकॉर्ड की आलोचनाओं को खारिज कर दिया।

पीएम मोदी और उनके समर्थकों के लिए, इस तरह की चिंताओं का कोई विशेष अर्थ नहीं है। उन्हें यह सिर्फ कुछ बुद्धिजीवियों की निरर्थक बहस लगती है, जो उस भारत से बेखबर हैं जो मोदी बना रहे हैं, एक ऐसा भारत जो मैजोरिटी की जरूरतों को पूरा करता है, जिसके बारे में उनका दावा है कि उसे भारतीय राजनीति में लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया।

"हमारे आलोचकों को अपनी राय और उसे व्यक्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार है। हालांकि, भारतीय लोकतंत्र के स्वास्थ्य को लेकर चिंताओं के संदर्भ में ऐसे आरोपों के साथ एक बुनियादी समस्या है, जो अक्सर आलोचनाओं के रूप में सामने आते हैं," पीएम मोदी कहते हैं। "ये दावे न केवल भारतीय जनता की समझ का अपमान करते हैं, बल्कि विविधता और लोकतंत्र जैसे मूल्यों के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को भी कम आंकते हैं।"

पीएम मोदी कहते हैं, “संविधान में संशोधन की कोई भी बात अर्थहीन है।”

अपने शासनकाल के "सबसे बड़े बदलावकारी कदम", जिसमें देशव्यापी "स्वच्छ भारत" मुहिम में शौचालय निर्माण से लेकर एक अत्याधुनिक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के जरिए करीब 100 करोड़ लोगों को ऑनलाइन प्रक्रियाओं के अंतर्गत लाना शामिल है, पीएम मोदी कहते हैं, "यह सब लक्ष्य संविधान में संशोधन के बिना बल्कि जन भागीदारी के माध्यम से प्राप्त किए गए हैं।"

मिक्स एंड मैच फॉरेन पॉलिसी

अगस्त 2023 में, भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपना मानवरहित यान चंद्रयान-3 उतारा। कुछ ही दिनों बाद, उसने दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं की मेजबानी के लिए G20 समिट का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य देश की और प्रधानमंत्री मोदी की स्थिति को ऊपर उठाना था। जब विश्व नेता नई दिल्ली पहुंचे, तब पीएम मोदी के पोस्टर राजधानी नई दिल्ली में छाए हुए थे।

भारत ने हर क्षेत्र में खुद को "विश्वगुरु" अथवा दुनिया के मार्गदर्शक के रूप में प्रस्तुत किया, चाहे वह डिजिटल समावेशन की पहल हो या जलवायु-अनुकूल मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने वाला अभियान हो।

भारत ने अपनी वैश्विक भूमिका को आगे बढ़ाते हुए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। सितंबर में उसने "वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ" समिट की मेजबानी की और अफ्रीकन यूनियन को G20 में स्थायी सदस्यता दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई। पीएम मोदी ने दशकों पुरानी गुटनिरपेक्ष नीति के तहत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखते हुए, जून में अमेरिका की राजकीय यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ अभूतपूर्व मजबूत संबंध स्थापित किए। दोनों देशों ने जेट इंजन से लेकर क्वांटम कंप्यूटिंग तक विभिन्न क्षेत्रों में कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

"दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है और साथ ही साथ पारस्परिक निर्भर भी है," पीएम मोदी भारत की मिक्स-एंड-मैच फॉरेन पॉलिसी को रेखांकित करते हुए कहते हैं। (एक अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, फाइनेंशियल टाइम्स से गुमनाम रूप से बात करते हुए, बहुध्रुवी और बहुपक्षीय दुनिया में भारत की वर्तमान स्थिति को "स्वीट स्पॉट" बताते हैं।)

"विदेश मामलों में हमारा सबसे महत्वपूर्ण गाइडिंग प्रिंसिपल हमारा राष्ट्रीय हित है," पीएम मोदी कहते हैं। "यह रुख हमें विभिन्न देशों के साथ इस तरह से जुड़ने की अनुमति देता है जो परस्पर हितों का सम्मान करता है और समकालीन भू-राजनीति की जटिलताओं को स्वीकार करता है।"

पिछले महीने फेडरल प्रोसेक्यूटर्स द्वारा लगाए गए आरोपों के बावजूद कि एक भारतीय सरकारी अधिकारी ने अमेरिकी धरती पर एक प्रमुख अमेरिकी सिख अलगाववादी नेता की हत्या के षड्यंत्र का निर्देश दिया था और अमेरिका के साथ संबंधों को 'अलायंस' कहने के दबाव के जवाब में पीएम मोदी कहते हैं, "दोनों देशों के संबंध निरंतर बेहतरी की राह पर हैं।"

"इस संबंध का वर्णन करने के लिए सही शब्द क्या हैं, वो मैं आप पर छोड़ता हूं," पीएम मोदी एक मुस्कान के साथ कहते हैं। "आज भारत-अमेरिका का रिश्ता पहले से कहीं ज्यादा व्यापक जुड़ाव, गहन समझ और गर्मजोशी का अनुभव कर रहा है।"

पीएम मोदी अमेरिका-चीन के बीच हाल के तनाव कम होने के बारे में सवाल पर कहते हैं, "इसका बेहतर जवाब अमेरिका और चीन की जनता तथा वहां की सरकारें देंगी।"

इज़राइल-हमास संघर्ष पर, जहां उनकी सरकार ने बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार की आलोचना करने से ज्यादातर परहेज किया है - एक प्रमुख भागीदार है, जिसके साथ वह टेक्नोलॉजी शेयर करती है और एक दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी विश्व दृष्टिकोण रखती है – पीएम मोदी ने कहा कि टू-स्टेट समाधान के लिए अपना समर्थन दोहराते हुए भारत ने गाजा को मानवीय सहायता देने का समर्थन किया है। भारत, जो लंबे समय से फिलिस्तीनी मुद्दे का कट्टर समर्थक रहा है, वह इजराइल का दौरा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री, मोदी के नेतृत्व में इसके करीब गया है।

"मैं इस क्षेत्र के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में हूं," पीएम मोदी कहते हैं। "अगर शांति की दिशा में भारत कुछ भी कर सकता है, तो हम जरूर करेंगे।"

चीन का विकल्प

दुनिया के सबसे बड़े विकासशील देश के लिए आर्थिक रूप से उभरते भारत का विचार अपने आप में नया नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय में यह नैरेटिव इतना ताकतवर क्यों हो गया है? इसका एक बड़ा कारण प्रधानमंत्री मोदी का लगातार इस पर जोर देना है। 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था और ‘अमृत काल’ के आगमन की उनकी बातें इसे मजबूत करती हैं।

यह इसलिए भी है क्योंकि वाशिंगटन और बीजिंग के बीच तनाव ने पश्चिमी लोकतंत्रों को चीन के विकल्प के रूप में कारोबार और कूटनीतिक साझेदार तलाशने के लिए प्रेरित किया है।

पिछले अगस्त में स्वतंत्रता दिवस के भाषण में, पीएम मोदी ने 2047 में भारत की स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ तक इसे एक विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प व्यक्त किया, हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों ने यह बताया है कि इसके लिए वर्तमान 6-7% की वार्षिक वृद्धि दर से कहीं अधिक तेजी से ग्रोथ की आवश्यकता होगी। जबकि कुछ भारतीय इस विचार से उत्साहित हैं, वहीं कुछ को आशंका है कि यह सिर्फ एक शिगूफा हो सकता है, क्योंकि उनके मुताबिक यह देश अक्सर अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रहा है।

पीएम मोदी इस बात को रेखांकित करते हैं कि भारत "फ्रेजाइल फाइव" (2013 में एक मॉर्गन स्टैनली रिसर्चर द्वारा चिह्नित टर्म, उसी साल जब उन्होंने सत्ता संभाली थी, ऐसे अर्थव्यवस्थाओं का वर्णन करता है जो अपने चालू खाता घाटे की भरपाई के लिए विदेशी निवेश पर अत्यधिक निर्भर हैं) में एक से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उनके कार्यकाल के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण तेजी से हुआ है, जहां एक दशक के भीतर हवाई अड्डों की संख्या 74 से दोगुनी होकर 149; मेट्रो लाइनों की क्षमता 248 किलोमीटर से 905 किलोमीटर और मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 706 हो गई है।

बहुराष्ट्रीय कंपनियां, जिनमें एपल और उसकी सप्लायर फॉक्सकॉन शामिल हैं, दुनिया के सबसे बड़े मैन्युफैक्चरिंग हब से हटकर "चाइना प्लस वन" डायवर्सिफिकेशन मुहिम के तहत भारत में अपनी क्षमता बढ़ा रही हैं। कुछ तो यहां तक भविष्यवाणी कर चुके हैं कि यह दशकों पहले चीन के उभार को दोहरा सकता है, जहां तीव्र आर्थिक विकास, तकनीकी प्रगति और मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन तथा अन्य क्षेत्रों में रोजगार सृजन के मेल ने देश और उसके लोगों के जीवन को बदल दिया था।

पीएम मोदी खुद के एक सक्षम प्रशासक होने पर गर्व करते हैं, जो देश की विशाल नौकरशाही को दरकिनार करके काम करवाने में माहिर हैं - चाहे बड़े आर्थिक सुधार हों या उन लाखों भारतीयों के लिए वेलफेयर डिलीवरी में सुधार करना हो जो कैश ट्रांसफर और मुफ्त भोजन जैसी सेवाओं पर निर्भर हैं।

लेकिन बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, भारत पर्याप्त नौकरियां पैदा नहीं कर पा रहा है, जो भाजपा के लिए एक कमजोर कड़ी है क्योंकि वह राष्ट्रीय चुनाव के फेज में प्रवेश कर रही है। हालांकि कई अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत का बेरोजगारी डेटा अपर्याप्त है, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी द्वारा रिपोर्ट किए गए एक व्यापक रूप से उद्धृत उपाय के अनुसार, बेरोजगारी दर लगभग 9 प्रतिशत है। कांग्रेस के नेतृत्व में मोदी के विरोधियों ने हाल के राज्य चुनावों में इस मुद्दे पर भाजपा पर जोरदार हमला किया है और साथ ही सत्ताधारी पार्टी पर असमानता के मुद्दे पर भी प्रहार किया है।

लेकिन पीएम मोदी इसके बजाय पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे के द्वारा इकट्ठा किए गए बेरोजगारी के आंकड़ों का हवाला देते हैं, जिसके बारे में वे कहते हैं कि वह "बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट" को दर्शाता है। “जब उत्पादकता और इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार जैसे विभिन्न परफॉरमेंस पैरामीटर्स का मूल्यांकन किया जाता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि एक विशाल और युवा राष्ट्र भारत में रोजगार सृजन, वास्तव में तेज हुआ है,” पीएम मोदी कहते हैं।

भ्रष्टाचार, प्रशासनिक अड़चनें और युवाओं में स्किल गैप; कारोबार के लिए के कुछ ऐसी बाधाएं हैं, जिनके बारे में भारतीय और विदेशी कंपनियां शिकायत करती हैं - और जिन पर कुछ लोगों का मानना है कि ये बाधाएं, देश को चीन के मैन्युफैक्चरिंग-आधारित आर्थिक उत्थान को दोहराने से रोक सकती हैं।

“जब उनसे इस बारे में पूछा गया, तो पीएम मोदी कहते हैं, “आपने चीन के साथ तुलना की है, लेकिन भारत की तुलना अन्य लोकतंत्रों से करना अधिक उपयुक्त हो सकता है।”

"यह समझना महत्वपूर्ण है कि अगर आपने जिन मुद्दों को उजागर किया है, वे उतने ही व्यापक होते, तो भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल नहीं कर पाता।" पीएम मोदी कहते हैं, "अक्सर, ये चिंताएं धारणाओं से उपजी होती हैं, और धारणाओं को बदलने में कभी-कभी समय लगता है।"

मोदी स्किल गैप के तर्क के विरुद्ध गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी शीर्ष कंपनियों में भारतीय मूल के सीईओ की उपस्थिति को इंगित करते हैं - हालांकि कुछ विश्लेषकों ने इस तथ्य की ओर इशारा किया है कि इतने कुशल भारतीय विदेश जाते हैं, यह इस बात का प्रमाण है कि उनके लिए स्वदेश वापसी के लिए बहुत कम अवसर हैं।

पीएम मोदी से जब पूछा गया कि क्या भारत को ऐसी प्रतिभाओं को, अपने देश लौटने के लिए आकर्षित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए, तो वे कहते हैं, “यह उन्हें वापस लाने की आवश्यकता का विषय नहीं है।' बल्कि, हमारा लक्ष्य भारत में ऐसा वातावरण बनाना है कि लोगों को स्वाभाविक रूप से भारत में, देश की प्रगति का हिस्सा बनने का अवसर हासिल हो।”

वह आगे कहते हैं, "हम ऐसी परिस्थितियां बनाने की आकांक्षा रखते हैं जहां हर कोई भारत में निवेश करने और यहां अपने कार्यों का विस्तार करने में वैल्यू देखे।"

मोदी सरकार के कुछ अधिकारियों ने निजी तौर पर सुधारों के बारे में बात की है, जैसे कि श्रम कानूनों का उदारीकरण, अगर प्रधानमंत्री तीसरा कार्यकाल जीतते हैं।

हम एक ऐसी व्यवस्था की कल्पना करते हैं जहां दुनिया भर से कोई भी भारत में घर जैसा अनुभव करे, जहां हमारे प्रोसेस और स्टैंडर्ड्स परिचित और स्वागतयोग्य हों," वे कहते हैं। "यही वह समावेशी, वैश्विक स्तर की प्रणाली है जिसे हम बनाने की आकांक्षा रखते हैं।"

लोकतंत्र के लिए खतरा?

पीएम मोदी के सबसे मुखर विरोधी, गांधी के नेतृत्व में - भाजपा के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी - ने सवाल किया है कि क्या भारत का लोकतंत्र तीसरे मोदी कार्यकाल में बच जाएगा। मोदी सरकार ने सिविल सोसाइटी ग्रुप्स पर एक दबाव डाला है, जो अपनी फंडिंग पर सख्त अंकुश का सामना कर रहे हैं, और - वॉचडॉग ग्रुप्स जैसे रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के अनुसार - दुनिया के सबसे बड़े मीडिया जगतों में से एक में पत्रकार, बढ़ते राजनीतिक और वित्तीय दबाव का सामना कर रहे हैं।

गांधी उन सांसदों में से एक हैं जिन्होंने इस साल अदानी समूह के बारे में एक शॉर्ट सेलर की रिपोर्ट के बाद पीएम मोदी की आलोचना की है, उन्होंने प्रधानमंत्री के राज्य गुजरात से आने वाले एक कारोबारी समूह के बारे में सवाल उठाए हैं। अदानी समूह के इर्दगिर्द का विवाद, भारत की अर्थव्यवस्था के आसपास कुछ बड़े बिजनेस फैमिली ग्रुप्स के जुटान के बारे में व्यापक चिंताओं को उजागर करता है।

पार्टी के आलोचकों का कहना है कि भाजपा सरकार में मुस्लिम विरोधी घृणास्पद भाषणों का प्रसार हुआ है, और भाजपा के पास कोई भी सेवारत सांसद या वरिष्ठ सरकारी मंत्री नहीं हैं जो मुस्लिम हों।

भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भविष्य क्या है, यह पूछे जाने पर, पीएम मोदी इसके बजाय भारत के पारसी लोगों की आर्थिक सफलता की ओर इशारा करते हैं, जिन्हें वे "भारत में रहने वाली एक रिलीजियस मैक्रो-माइनॉरिटी" कहते हैं।

पीएम मोदी कहते हैं, ''दुनिया भर में उत्पीड़न का सामना करने के बावजूद, उन्हें भारत में एक सुरक्षित ठिकाना मिल गया है, वे खुशी से और समृद्ध होकर रह रहे हैं।'' इस जवाब में देश के लगभग 20 करोड़ मुसलमानों का कोई सीधा संदर्भ नहीं है। "इससे पता चलता है कि भारतीय समाज में किसी भी धार्मिक अल्पसंख्यक के प्रति भेदभाव की कोई भावना नहीं है।"

मोदी सरकार द्वारा अपने आलोचकों पर कथित तौर पर किए गए दमन के बारे में एक सवाल सुनकर वह एक लम्बा और जोरदार ठहाका लगाते हैं।

"हमारे देश में उपलब्ध स्वतंत्रता का इस्तेमाल करके एक पूरा इकोसिस्टम हर रोज़ अखबारी लेखों, टीवी चैनलों, सोशल मीडिया, वीडियो, ट्वीट्स के ज़रिए ये आरोप हमारे ऊपर लगाता है," पीएम मोदी कहते हैं। "उन्हें ये करने का अधिकार है। लेकिन दूसरों को भी तथ्यों के साथ जवाब देने का उतना ही अधिकार है।"

भारत को कम आंकने के सदियों पुराने इतिहास की ओर इशारा करते हुए, पीएम मोदी कहते हैं कि 'बाहरी लोग' अक्सर यही गलती करते हैं।

"1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासकों ने भारत के भविष्य के बारे में बहुत ही नकारात्मक भविष्यवाणियां की थीं। लेकिन हमने देखा है कि वे भविष्यवाणियां और पूर्वाग्रह सभी गलत साबित हुए हैं।"

पीएम मोदी आगे कहते हैं, जो लोग आज भी उनकी सरकार पर संदेह करते हैं, "वे भी गलत साबित होंगे।"

Source: फाइनेंशियल टाइम्स

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Prime Minister participates in Lohri celebrations in Naraina, Delhi
January 13, 2025
Lohri symbolises renewal and hope: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi attended Lohri celebrations at Naraina in Delhi, today. Prime Minister Shri Modi remarked that Lohri has a special significance for several people, particularly those from Northern India. "It symbolises renewal and hope. It is also linked with agriculture and our hardworking farmers", Shri Modi stated.

The Prime Minister posted on X:

"Lohri has a special significance for several people, particularly those from Northern India. It symbolises renewal and hope. It is also linked with agriculture and our hardworking farmers.

This evening, I had the opportunity to mark Lohri at a programme in Naraina in Delhi. People from different walks of life, particularly youngsters and women, took part in the celebrations.

Wishing everyone a happy Lohri!"

"Some more glimpses from the Lohri programme in Delhi."