भारत के 14वें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी राजनीतिक यात्रा जितनी दिलचस्प है उतनी ही प्रेरणादायक भी। नरेन्द्र मोदी का साधारण पृष्ठभूमि से उठकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अंततः देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचना, उनकी दृढ़ता, दृष्टि और सार्वजनिक सेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

मोदी के प्रारंभिक वर्षों की पहचान, एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, RSS के साथ उनके जुड़ाव से होती है। 17 सितंबर, 1950 को वडनगर, गुजरात में जन्मे नरेन्द्र मोदी का परिचय कम उम्र में ही RSS से हो गया था और किशोरावस्था के दौरान वे इसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हो गए थे। एक साधारण परिवार में उनके पालन-पोषण ने उनमें अनुशासन, कड़ी मेहनत और देश की सेवा के मूल्यों को जन्म दिया, जिससे उनके भविष्य के प्रयासों को आकार मिला। उनका RSS से पहला जुड़ाव तब हुआ, जब वह आठ साल के थे। पारिवारिक चाय की दुकान पर दिन भर काम करने के बाद वह RSS की स्थानीय युवा बैठकों में जाया करते थे। ऐसी बैठकों में शामिल होने का कारण राजनीतिक से कोसों दूर था। यहीं पर उनकी मुलाकात उनके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डालने वाले लक्ष्मणराव इनामदार से हुई, जिन्हें 'वकील साहब' के नाम से भी जाना जाता है।

इसी पृष्ठभूमि के साथ करीब 20 साल के नरेन्द्र मोदी, गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद पहुंचे। वह RSS के नियमित सदस्य बन गए और उनके समर्पण एवं संगठन कौशल ने वकील साहब और अन्य लोगों को प्रभावित किया। 1972 में वह प्रचारक बने और अपना पूरा समय RSS को दिया। उन्होंने अपना आवास अन्य प्रचारकों के साथ साझा किया और कठोर दैनिक दिनचर्या का पालन किया।

उनकी सक्रियता और संगठनात्मक कार्यों की सराहना के रूप में नरेन्द्र मोदी को 'संभाग प्रचारक' बनाया गया। उन्हें दक्षिण और मध्य गुजरात का प्रभार दिया गया। इसी दौरान, उन्हें दिल्ली बुला लिया गया और आपातकाल के समय RSS का आधिकारिक विवरण लिखने के लिए कहा गया। इसका मतलब अधिक काम करना और क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय कर्तव्यों दोनों को संतुलित करना था, जिसे नरेन्द्र मोदी ने आसानी और दक्षता के साथ किया।

मोदी की राजनीतिक यात्रा वास्तव में तब शुरू हुई जब वह 1980 के दशक की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए। उनके संगठनात्मक कौशल और समर्पण ने उन्हें पार्टी रैंकों में तेजी से आगे बढ़ाया और वह जल्द ही एक कुशल रणनीतिकार और प्रभावी वक्ता के रूप में जाने जाने लगे। मोदी ने गुजरात में भाजपा की उपस्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, एक ऐसा राज्य जो बाद में उनके राजनीतिक करियर की आधारशिला बना।

2001 में, नरेन्द्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया, इस पद पर वह अभूतपूर्व 13 वर्षों तक रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को राज्य के लिए एक बदलावकारी दौर के रूप में माना जाता है, जिसमें राज्य तेजी से आर्थिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और सामाजिक पहलों का साक्षी बना। उनके नेतृत्व में, गुजरात भारत के सबसे समृद्ध और औद्योगिक राज्यों में से एक बनकर उभरा, जिसने निवेश को आकर्षित किया और रोजगार के अवसर पैदा किए। 2007 और 2012 में विकास के दम पर नरेन्द्र मोदी फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मोदी की गवर्नेंस स्टाइल की खूबी निर्णायकता, नवीनता और विकास पर ध्यान केंद्रित करना था। उन्होंने वाइब्रेंट गुजरात समिट सहित कई महत्वपूर्ण पहलों को लागू किया, जिसने ग्लोबल कम्युनिटी के सामने राज्य की निवेश क्षमता को प्रदर्शित किया। उनके प्रशासन ने गुजरात की आर्थिक सफलता की नींव रखते हुए रोड, पोर्ट्स और पावर प्लांट्स जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को भी प्राथमिकता दी।

चुनौतियों के बावजूद, गुजरात में मोदी की लोकप्रियता मजबूत बनी रही और 2014 में, उन्होंने आम चुनावों में भाजपा को भारी जीत दिलाकर इतिहास रच दिया। 26 मई 2014 को, नरेन्द्र मोदी ने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जिससे महत्वाकांक्षी सुधारों और कारोबार-समर्थक एजेंडे द्वारा चिह्नित गवर्नेंस के एक नए युग की शुरुआत हुई।

प्रधानमंत्री के रूप में, मोदी ने भारत के विकास और समृद्धि के लिए अपने विजन को लागू करने में बिलकुल भी समय बर्बाद नहीं किया। उनकी सरकार ने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान जैसी प्रमुख पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, इंफ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण करना और देश भर में स्वच्छता और साफ-सफाई में सुधार करना है। इकोनॉमिक ग्रोथ और इनोवेशन पर मोदी के जोर ने उन्हें समर्थकों और आलोचकों से समान रूप से प्रशंसा दिलाई है, कई लोगों ने उन्हें भारत को ग्लोबल इकोनॉमिक सुपरपावर में बदलने में तेजी लाने का श्रेय दिया है।

मई 2019 में शुरू हुआ पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल साहसिक पहल, महत्वाकांक्षी सुधार और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियों से चिह्नित किया गया है। अपने पहले कार्यकाल की सफलताओं और सबक के आधार पर, मोदी ने आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक विकास पर केंद्रित एजेंडा को आगे बढ़ाया है, जबकि विभिन्न मोर्चों पर आलोचना और विवाद का भी सामना करना पड़ा है।

मोदी के दूसरे कार्यकाल का एक केंद्रीय विषय आर्थिक सुधार और विकास पर निरंतर जोर देना रहा है। सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, नौकरियां पैदा करने और वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई प्रमुख पहल की हैं। मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान पेश किए गए ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (GST) सुधार को कंप्लायंस बोझ को कम करने और कारोबार विस्तार को बढ़ावा देने के लिए और अधिक सुव्यवस्थित और सरल किया गया है।

इसके अतिरिक्त, मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी पहल की है, जिसका उद्देश्य घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। इस पहल में छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SME) को समर्थन देने, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ाने और इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर आलोचकों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि इससे संरक्षणवाद बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं समर्थकों का तर्क है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’, भारत की अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में मजबूत बनाने के लिए जरूरी है।

सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में, मोदी सरकार ने हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में सुधार लाने और सामाजिक समावेशन को बढ़ाने के उद्देश्य से पहल को प्राथमिकता देना जारी रखा है। प्रधानमंत्री जन धन योजना, जिसका उद्देश्य सभी परिवारों के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना है, को बीमा और पेंशन योजनाओं जैसे अतिरिक्त लाभों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है। मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना का लाखों कमजोर नागरिकों को स्वास्थ्य देखभाल कवरेज प्रदान करने के लिए और विस्तार किया गया है।

दूसरे कार्यकाल को उनकी सरकार की मौजूदा चुनौतियों जैसे कि COVID-19 महामारी, आर्थिक सुधार और भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति के प्रति प्रतिक्रिया द्वारा परिभाषित किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की विरासत और भारत के विकास एवं समृद्धि के भविष्य की दिशा निर्धारित करने में आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों की सफलता महत्वपूर्ण होगी।

ट्रांसपोर्ट, एनर्जी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण निवेश के साथ, पीएम मोदी की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के प्रति प्रतिबद्धता उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान भी स्पष्ट हुई है। भारतमाला परियोजना जैसी देशभर में रोड कनेक्टिविटी बेहतर बनाने की पहल और सागरमाला पहल, जो पोर्ट्स और कोस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण पर केंद्रित है, से पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, मजबूत बॉर्डर और डेवलपमेंट सुनिश्चित करने की उम्मीद है, जिन्हें कभी नजरअंदाज किया गया था।

पीएम मोदी की विदेश नीति पहल भी प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। उन्होंने आर्थिक सहयोग और राजनयिक संबंधों को बढ़ाने के लिए अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों के साथ जुड़ने के साथ-साथ प्रमुख सहयोगियों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की मांग की है। विदेशी मामलों में मोदी के सक्रिय दृष्टिकोण ने विश्व मंच पर भारत की स्थिति को ऊपर उठाने और देश को वैश्विक मामलों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद की है। सबसे हालिया G20 कार्यक्रम जो भारत में आयोजित किया गया था, उसमें अफ्रीकन यूनियन को शामिल किया गया था और G20 नई दिल्ली डिक्लेरेशन सबसे सफल घोषणाओं में से एक है, जिसे सभी भाग लेने वाले देशों की पूर्ण सहमति प्राप्त हुई। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत को विभिन्न वैश्विक संस्थानों जैसे इंटरनेशनल सोलर अलायंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, I2U2 आदि के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने फर्स्ट रेस्पॉन्डर के रूप में भारत की वैश्विक भूमिका भी देखी, जब भारत ने प्रभावित देशों को सहायता भेजी। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए, बचाव अभियान चलाए, वैश्विक संघर्षों के दौरान नागरिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर कोविड महामारी के दौरान जीवन रक्षक टीके प्रदान किए।

प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी अपने साहसी कदमों और महत्वाकांक्षी सुधारों के लिए जाने जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत का विकास हुआ है। सरकार ने आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में प्रगति की है। गवर्नेंस का फोकस; भारत के गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के उत्थान पर रहा है। पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास' के विजन को, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पिछले दो कार्यकालों में, उनकी सफलताओं में देखा जा सकता है।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Cabinet approves minimum support price for Copra for the 2025 season

Media Coverage

Cabinet approves minimum support price for Copra for the 2025 season
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।