प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा के निर्वाचित सांसदों को लाखों भारतीयों की आशा और आकांक्षाओं का रक्षक बताया। श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने चुनाव के जनादेश की सराहना की थी तथा वे भी स्थिरता, सुशासन और विकास के लिए मतदान के लिए जनता को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का लोकसभा में जवाब देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने 50 से अधिक उन सांसदों के विचार ध्यान से सुने जो बहस में शामिल हुए।
उन्होंने कहा कि कुछ सांसदों का यह पूछना सहज है कि हम कैसे और कब जनता की आकांक्षाओं को पूरा करेंगे। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने विधान सभा में इरादा जाहिर किया था कि वह गुजरात के गांवों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करना चाहते हैं। इसी तरह की आशंका तब भी प्रकट की गई थीं। लेकिन वह इच्छा पूरी की गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सरकार के लिए, राष्ट्रपति का अभिभाषण सिर्फ औपचारिक अनुष्ठान या परंपरा मात्र नहीं है बल्कि प्रेरणा है जिसकी अपनी पवित्रता है। उन्होंने लोकसभा के सभी सांसदों से कहा कि उसमें उल्लेखित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि लोकसभा के निर्वाचित सदस्य अब लोगों की आशा और आकांक्षाओं के रखवाले हैं।
श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने समूची बहस में रचनात्मक माहौल देखा। सदन में 125 करोड़ भारतीयों की आशाओं की प्रतिध्वनि सुनाई दी। उन्होंने कहा कि यह अच्छा लक्षण है।
भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं में आम आदमी के विश्वास की बात करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह विश्वास सारी दुनिया को दिखाने लायक है। उन्होंने कहा कि भारत में अमरीका और यूरोप की आबादी से भी अधिक मतदाता हैं।
श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार को गरीबों के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने गरीबों की जरूरतों पर ध्यान नहीं दिया तो लोग उसे कभी माफ नहीं करेंगे। इसलिए सरकार गरीबों को सशक्त बनाने और गरीबों को गरीबी से संघर्ष करने की ताकत देने के लिए पूरे प्रयास करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा राष्ट्रपति के अभिभाषण में कही गई बात “ रूरबन” का जिक्र किया और कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होगा यदि ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं यानी सुविधा शहर की, आत्मा गांव की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि-प्रौद्योगिकी पर अधिक ध्यान देना चाहिए जिनमें कृषि आधारित उद्योग और मिट्टी की जांच की बेहतर सुविधाएं शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी में ग्लोबल लीडर के रूप में मान्यता प्राप्त करने के बावजूदहमारे पास अब भी कृषि-उत्पादों के वास्तविक आंकड़े नहीं हैं।
जैविक आहार के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में सिक्किम के उदय का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि जैविक उत्पादों के लिए उभरती वैश्विक मांग पूरी करने के लिए समूचे पूर्वोत्तर क्षेत्र को जैविक केंद्र क्यों नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कृषि विश्वविद्यालय हैं लेकिन ”प्रयोगशाला से खेत ” तक रूपांतरण उस हद तक नहीं हो रहा जिस हद तक होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि महंगाई कम करने का उनका वायदा महज नारा नहीं है, यह इरादा है क्योंकि गरीब से गरीब व्यक्ति के पास भी खाने के लिए पर्याप्त भोजन होना चाहिए।
श्री मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से जोरदार अपील की कि बलात्कार का मनोवैज्ञानिक तरीके से विश्लेषण न किया जाए। उन्होंने राजनीतिक दलों के नेताओं से अपील करते हुए कहा ‘क्या हम चुप रह सकते हैं’ ।
प्रधानमंत्री ने देश के जनसांख्यिकीय संबंधी लाभ का जिक्र करते हुए कहा कि यह केवल कौशल विकास की आवश्यकता को रेखांकित करता है। कौशल विकास के साथ-साथ श्रमेव-जयते की भावना भी होनी चाहिए ताकि श्रम को सम्मान दिया जा सके। विश्व में हमारी पहचान ‘घोटाला-भारत’ के स्थान पर कौशल भारत होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक व्यक्ति के स्वस्थ होने के लिए मानव शरीर के सभी अंगों का फिट होना जरूरी है उसी तरह भारत को समृद्ध बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों और देश के सभी क्षेत्रों का समृद्ध होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संख्या के आधार पर आगे बढ़ने के बजाय एकता और सर्वसम्मति की पक्षधर है।
गुजरात मॉडल का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने कहा कि गुजरात मॉडल ने उन सभी प्रक्रियाओं को आत्मसात करने की कोशिश की है जो देश के किसी भी हिस्से में अपनाई जा रही थी। भारत एक विविधता वाला देश है और इसी वजह से देश के किसी भी हिस्से में अपनाई जाने वाली कोई भी बेहतर प्रक्रिया हमारा मॉडल होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतोष जताया कि कम-से-कम अब देश के राज्यों में विकास के मुद्दें पर प्रतिस्पर्धा की भावना उभर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार राज्यों में बड़े भाई वाली प्रवृति के बजाय सहयोगात्मक संघवाद में विश्वास रखती है।
अपने उत्तर को समाप्त करते हुए श्री मोदी ने स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख किया कि किस प्रकार महात्मा गांधी ने इसे बड़े आंदोलन का रूप प्रदान कर दिया। इसी प्रकार के संघर्ष के द्वारा हमें सुशासन की मांग करने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों में विकास के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए।
उन्होंने 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती की स्मृति में भारत को स्वच्छ भारत के रूप में प्रस्तुत करने का संकल्प लेने के लिए कहा। उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों के भारत का निर्माण करने का भी आह्वान किया। उन्होंने 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं के वर्षगांठ के अवसर पर देश के प्रत्येक परिवार के घर में जल, बिजली और स्वच्छता जैसी मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित कराने के लिए सभी सांसदों से संकल्प लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि इस कार्य को करने का रास्ता निकाला जाएगा और इस कार्य में वे सभी वरिष्ठ नेताओं की सहायता और सहयोग लेंगे।