हाल के वर्षों में, मोदी सरकार के नेतृत्व में नागालैंड ने अपने विकास के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव देखे हैं। चाहे वो करों में मिलने वाली राशि में उल्लेखनीय वृद्धि हो या विभिन्न क्षेत्रों को मजबूत बनाने वाली महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू करना हो, नागालैंड ने विकास में प्रगति दिखाई है। सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कई पहल की गई हैं।

नागालैंड में सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि केंद्र से मिलने वाली राशि में भारी वृद्धि रही है जो इस क्षेत्र के विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। पिछले UPA शासन की तुलना में NDA सरकार के 10 वर्षों के दौरान कर टैक्स डिवॉल्यूशन में लगभग 577% की वृद्धि के साथ उल्लेखनीय उछाल आया है। इसी तरह, NDA सरकार के नौ वर्षों के दौरान अनुदान सहायता में भी UPA शासन के 10 वर्षों की तुलना में 83 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।

10 प्रतिशत सकल बजटीय सहायता (GBS) व्यवस्था के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र में अभूतपूर्व खर्च हुआ है। केंद्र सरकार के 55 मंत्रालयों/विभागों द्वारा 9 वर्षों में राज्य में 4.19 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है जो पिछले 25 वर्षों के कुल खर्च को पार कर गया है।

सामाजिक कल्याण उपायों और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम की फाइनेंसिंग के लिए राज्य सरकार के हाथ को मजबूत करने के लिए एडवांस टैक्स डिवॉल्यूशन जारी करने से भी पीएम मोदी का प्रो-एक्टिव अप्रोच प्रदर्शित हुआ है। इन उपायों से नागालैंड की राजकोषीय क्षमताओं को बढ़ावा मिलता है जो इसे अपने विकास को कुशलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए सशक्त बनाता है।

वित्त वर्ष 2020-21 में शुरू की गई Scheme for Special Assistance to States for capital से राज्य के कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा मिला है। कोविड-19 के दौरान यह और भी महत्वपूर्ण हो गया है। नागालैंड को इस योजना से बहुत लाभ हुआ है क्योंकि उसे 50-वर्षीय अवधि का इंटरेस्ट फ्री लोन प्राप्त हुआ है, जो केंद्र द्वारा वहन की गई ब्याज लागत के साथ कुल 1694.5 करोड़ रुपये है। पूंजी प्रवाह के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में महत्वपूर्ण निवेश को सुविधाजनक बनाया गया है।

राज्य की स्वायत्तता को मजबूत करने के प्रयास में, मोदी सरकार ने केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया। हिस्सेदारी में इस वृद्धि ने नागालैंड जैसे राज्यों को अबाधित निधि प्रदान की है जिससे उन्हें अपने विवेक और विकास प्राथमिकताओं के अनुसार संसाधन आवंटित करने का अधिकार मिला है।

वस्तु एवं सेवा कर (GST) के कार्यान्वयन ने नागालैंड में इकोनॉमिक डेवलपमेंट और रेवेन्यू जनरेशन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राज्य, GST व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण लाभार्थी रहा है, जिसने राष्ट्रीय औसत को पीछे छोड़ते हुए 27.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक राजस्व वृद्धि दर दर्ज की है। लगातार बढ़ते जीएसटी कलेक्शन, इस इंटीग्रेटेड टैक्स सिस्टम की प्रभावशीलता को दर्शाते हैं, जिसने प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और आर्थिक दक्षता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

मोदी सरकार की प्रमुख योजनाएं नागालैंड में परिवर्तनकारी बदलाव लाने और लोगों के जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने में सहायक रही हैं।

फाइनेंशियल इंक्लूजन के तहत, नागालैंड में जन धन खातों में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है, जिससे महिलाएं और वंचित समुदाय सशक्त हुए हैं। इसी तरह, पीएम-मुद्रा और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से गारंटी फ्री लोन ने विशेष रूप से महिलाओं और एससी/एसटी समुदायों को उद्यमशीलता के अवसर प्रदान किए हैं, जिससे आर्थिक सशक्तिकरण और समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है।

लाइफ और एक्सीडेंटल इंश्योरेंस स्कीम में बड़े पैमाने पर नामांकन हुआ है, जो पूरे नागालैंड में लाखों व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के संदर्भ में, हर घर जल की गारंटी और सभी के लिए आवास की गारंटी जैसी पहलों ने नागालैंड में ग्रामीण और शहरी परिवारों को आवश्यक सुविधाएं और किफायती आवास प्रदान करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाएं; स्वच्छता को बढ़ावा देने और क्वालिटी हेल्थकेयर सर्विसेज तक पहुंच सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण रही हैं, जिससे आबादी के समग्र कल्याण में सुधार हुआ है।

इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर मोदी सरकार के जोर का नागालैंड में ठोस परिणाम सामने आया है। नागालैंड में 863 किमी से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया। नागालैंड को एक सदी के बाद अगस्त 2022 में शोखुवी में अपना दूसरा रेलवे स्टेशन मिला। अमृत भारत योजना के तहत दीमापुर रेलवे स्टेशन का रीडेवलपमेंट किया जा रहा है।

Uttar Poorva Transformative Industrialisation Scheme, 2024 की मंजूरी, क्षेत्र में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

इसके अतिरिक्त, स्मार्ट सिटीज मिशन और नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम (NESIDS) के तहत नागालैंड को शामिल करने से इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में तेजी आई है, जिसमें रोडवेज और रेलवे से लेकर एयरवेज और टूरिज्म तक की प्रोजेक्ट्स के लिए महत्वपूर्ण निवेश आवंटित किया गया है।

कोहिमा में नागालैंड के पहले मेडिकल कॉलेज की स्थापना; राज्य में हेल्थकेयर के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने और क्वालिटी एजुकेशन तक पहुंच बढ़ाने के सरकार के प्रयासों का प्रमाण है।

मोदी सरकार के नेतृत्व में नागालैंड का सफर; इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट की दिशा में एक आदर्श बदलाव को दर्शाता है। मजबूत फिस्कल ट्रांसफर और ट्रांसफॉर्मेटिव फ्लैगशिप स्कीम से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर में स्ट्रैटेजिक इंवेस्टमेंट तक, सरकार के बहुमुखी दृष्टिकोण ने राज्य को प्रगति और समृद्धि के पथ पर अग्रसर किया है। जैसे-जैसे नागालैंड अपने विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है, क्षेत्र के विकास के लिए मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता दृढ़ बनी हुई है, जो इसके नागरिकों के लिए एक उज्जवल और अधिक समृद्ध भविष्य की नींव तैयार कर रही है।

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।