My deepest gratitude for your support and generous wishes

Published By : Admin | September 17, 2012 | 11:45 IST

प्रिय मित्रों,

आज १७ सितंबर मेरा जन्म दिवस है। कई बार मुझसे यह सवाल पूछा जाता है – “मोदी जी, आप अपना जन्म दिवस किस तरह मनाते हैं? इस विशेष दिवस पर आप क्या करते हैं? आदि...” वास्तविकता यह है कि मेरे जीवनकाल में कभी भी यह दिन अन्य दिनों से अलग नहीं रहा है, मेरे जीवन का प्रत्येक दिन यकीकन इतना ही खास रहा है।

 

मेरे युवा मित्र और शुभचिंतक मेरे प्रति स्नेहभाव के चलते इस दिन कई तरह की सामाजिक प्रवृत्तियां करते हैं। इस दिन समाज सेवा के अद्भुत कार्यों का आयोजन करने के लिए मैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।

 

इस वर्ष १७ सितंबर का दिन मेरे लिए कुछ खास रहेगा, वजह यह कि इसके अगले दिन यानी १८ सितंबर के रोज मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की सेवा में ४००० दिनों की यात्रा पूर्ण करुंगा। गुजरात की स्थापना के बाद से राज्य ने इससे पूर्व कभी भी इतनी लंबी राजनीतिक स्थिरता देखी नहीं है। यदि यह देखना हो कि राजनीतिक तौर पर स्थिर, प्रगतिशील और वाइब्रेंट सरकार महज एक दशक के समयकाल में कैसे अद्भुत परिणाम दे सकती है, तो गुजरात इसका जीवंत उदाहरण है।

 

गुजरात की सफलता किसी एक व्यक्ति, परिवार या चंद लोगों के समूह की बदौलत नहीं है। गुजरात की ४००० दिनों की सफलतागाथा के पीछे एक मजबूत टीम-स्पिरिट और ‘मैं नहीं, हम’ की भावना है।

 

‘सबका साथ, सबका विकास’ के गुजरात के मंत्र ने नई राजनीतिक संस्कृति के निर्माण के लिए चेतना का संचार किया है।

 

गुजरात को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मेरे छह करोड़ गुजराती भाई-बहनों का सहयोग और योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। आज के दिन मैं गुजरातियों के इस जोश और जज्बे को ह्रदय से नमन करता हूं।

 

मैं गुजरात सरकार के ६ लाख से भी अधिक कर्मयोगियों (कर्मचारियों) की कर्तव्यनिष्ठा और प्रतिबद्धता की भी सराहना करता हूं, जिनके अथक प्रयासों की वजह से हमारा राज्य विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है और ह्रदय में गर्व तथा मन में आशा के साथ गुजरात ने वैश्विक मानचित्र में अपनी एक अनोखी पहचान स्थापित की है।

 

४००० दिनों की इस यात्रा में स्थापित हितों वाले कई तत्वों की ओर से फैलाये गए अतिश्योक्तिपूर्ण झूठ का शिकार मुझे बनना पड़ा। और ऐसे तत्वों को जब मेरी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती तब वे और भी व्याकुल हो उठते हैं। मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि, जितने ज्यादा पत्थर वे मेरी ओर फेकेंगे, गुजरात और उसके नागरिकों के विकास की उतनी ही ऊंची सीढ़ी मैं उससे बनाउंगा।

 

वहीं, नकारात्मक मानसिकता वाले तत्वों की ओर से फैलाए जाने वाले झूठ के मुकाबले लोगों की ओर से मुझे काफी प्रशंसा, नए विचार और ज्ञानरत्न मिलते रहे हैं। इसकी वजह से मुझे भरपूर संबल मिला है। आज मैं आपके समक्ष कुछ पत्र प्रस्तुत कर रहा हूं, जो अपने आप में स्पष्ट है। झूठ की आंधी के बीच सत्य को पहचानना निहायत ही आसान हो जाएगा।

 

इनमें से दो पत्र सर्वोच्च न्यायालय के प्रसिद्ध भूतपूर्व न्यायाधीश और सार्वजनिक जीवन के एक गणमान्य व्यक्ति ९८ वर्षीय जस्टीस वी.आर. अय्यर ने लिखे हैं। इन पत्रों में उनकी गर्मजोशी और स्नेहभाव छलकता है। यह पत्र मेरे लिए किसी खजाने की भांति है, जिन्हें मैं जीवन भर याद रखुंगा।

 

जस्टीस अय्यर लिखते हैं –

प्रिय नरेन्द्र मोदी

मुझे आपका पत्र मिला। मेरे मतानुसार आप एक महान व्यक्ति, एक सृजनात्मक प्रशासक और मानवतावादी हैं। मैं एक छोटा इनसान हूं, मेरे पास कोई अधिकार नहीं हैं, अब ९८ वर्ष का हो चुका हूं और जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका हूं। मुझे आपके पत्र से बेहद आनंद हुआ है और आपकी अद्भुत ऊर्जा व आमूलचूल परिवर्तन के लिए आपके प्रयासों को देख मैं खुश हूं। मेरी अपेक्षा है कि भारत का राजनीतिक नेतृत्व ऐसी ही सृजनात्मकता से कार्य करे या कम से कम हरेक आंख के आंसू पोंछने के विजन के साथ आगे बढ़े। यदि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का पर्याप्त उपयोग किया जाए तो ऊर्जा के क्षेत्र में हमारे देश की निर्धनता भूतकाल की घटना बन जाएगी। भारत के कल्याण के लिए मैं आपके नेतृत्व की प्रार्थना करता हूं। ईश्वर करे कि वह दिन आए और गांधी जी का स्वप्न साकार हो।

प्रिय मोदी, राजनीति के अलावा भारत के आम आदमी की खुशियों के लिए भी मैं आपके साथ खड़ा हूं।

आपका,

वी.आर. कृष्ण अय्यर

 

एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं –

प्रिय नरेन्द्र मोदी,

आपकी ओर से कुरियर द्वारा प्रेषित विषय सामग्री को देखने के बाद अब मैं आपको भारतीय इतिहास के आधुनिक विकास के महाकाव्य के एक पात्र के रूप में देख रहा हूं। आप एक महान देशभक्त हैं और किसी राजनैतिक दल से परे आपका व्यक्तित्व है। आप अपने राष्ट्रीय मिशन को जारी रखें। भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आपने जो भव्य योगदान दिया है, उसके उल्लेख के बिना भारत का २०वीं शताब्दी का इतिहास अधूरा माना जाएगा।

आपका,

वी.आर. कृष्ण अय्यर

(मूल पत्र पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

 

एक अन्य पत्र बरसों तक भारत के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) सहित अन्य सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान देने वाले श्री एन. विट्ठल का है।

 

श्री विट्ठल लिखते हैं -

माननीय एवं प्रिय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी,

इस पत्र के साथ मैं अपनी पुस्तक “एन्डिंग करप्शन? हाउ टू क्लिन अप इंडिया” की प्रति भेज रहा हूं, जिसे पेंग्विन बुक्स की ओर से इस महीने प्रकाशित किया गया है।

यदि किसी नेता में संपूर्ण राजनीतिक प्रामाणिकता और सुशासन के लिए प्रतिबद्धता हो तो क्या हासिल किया जा सकता है, इसका श्रेष्ठ उदाहरण आपने देश के समक्ष पेश किया है। आपने साबित कर बताया है कि नये विचारों के प्रति खुला मन रखते हुए तथा राजनीतिक हिम्मत दिखाते हुए विकास तथा सुशासन की स्थापना के लिए कठोर और मजबूत निर्णयों से कैसे सुंदर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।

सरकार में मेरे ४२ वर्ष के अनुभव के आधार पर मैने देश की सबसे बड़ी समस्या ‘सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार’ के निराकरण के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

व्यस्त दिनचर्या के बीच भी यदि आप मेरी पुस्तक पर नजर डालेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा।

आपका,

एन. विट्ठल

(मूल पत्र पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

 

यह दोनों व्यक्तिविशेष अपनी प्रामाणिकता और मूल्यों की वजह से जाने जाते हैं। मेरे प्रति उनके स्नेह भरे शब्दों के लिए मैं ह्रदयपूर्वक उनका आभार व्यक्त करता हूं।

मेरे जन्मदिवस पर आपकी शुभकामनाओं और आपकी ओर से निरंतर मिल रहे सहयोग के लिए मैं एक बार फिर आपका आभार व्यक्त करता हूं।

 

जय जय गरवी गुजरात!

 

आपका,

नरेन्द्र मोदी

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रण उत्सव – प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता का उत्सव
December 21, 2024

कच्छ का सफेद रण आपको आमंत्रित कर रहा है।

कच्छ के इस उत्सव पर्व से जुड़कर एक नए अनुभव के साक्षी बनिए।

और रण के इस उत्सव में प्रकृति, परंपरा और प्रचीनता के रंगों को जीवन का हिस्सा बनाइए।

भारत के सबसे पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, विरासत और बहुसंस्कृति की भूमि है। कच्छ का सफेद रण और इसकी जीवंतता किसी का भी मन मोह लेती है। चांदनी रात में कच्छ के इस रण का अनुभव और अलौकिक हो जाता है, दिव्य हो जाता है। कच्छ की ये धरती जितनी सुंदर है, इसकी कला और शिल्प भी उतना ही विशेष है।

कच्छ के लोगों का आतिथ्य भाव तो सारी दुनिया जानती है। हर वर्ष लाखों पर्यटक इस धरती पर आते हैं और कच्छ के लोग उतने ही उत्साह से उनका स्वागत करते हैं। अतिथियों के सम्मान और उनके अनुभवों को संवारने के लिए कच्छ का हर परिवार पूरे आदर भाव से काम करता है। रण उत्सव, कच्छ की इसी आतिथ्य परंपरा और स्थानीय कला का उत्सव है। इस जीवंत उत्सव में, हमें इस क्षेत्र की अनोखी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य, स्थानीय जनभावनाओं और कलाओं से जुड़ने का अवसर मिलता है।

इस पोस्ट के माध्यम से मैं विश्व भर के अतिथियों को रण उत्सव 2024-25 के लिए व्यक्तिगत आमंत्रण दे रहा हूं। आप सब अपने परिवार के साथ यहां आएं, यहां की संस्कृति और अनुभवों से जुड़ें, तो मुझे बहुत प्रसन्नता होगी। इस बार रण उत्सव 1 दिसंबर 2024 से लेकर 28 फरवरी 2025 तक आयोजित हो रहा है। इसके अलावा रण की टेंट सिटी मार्च 2025 तक पर्यटकों के लिए खुली रहेगी।

ये टेंट सिटी आपको कच्छ के अनुभवों से, यहां के विराट आतिथ्य से, भारत की संस्कृति से और प्रकृति के नए अनुभवों से जोड़ेगी। मैं पूरे विश्वास से कहता हूं, कच्छ के रण उत्सव का अनुभव आपके जीवन का सबसे अलौकिक और अविस्मरणीय अनुभव बनेगा।

कच्छ की इस टेंट सिटी में पर्यटकों के अनुरूप अनेक सुविधाओं को शामिल किया गया है। जो लोग रिलैक्स करने के लिए यहां आ रहे हैं, उन्हें यहां एक अलग अनुभव मिलेगा। संस्कृति और इतिहास के नए रंगों को खोज रहे लोगों के लिए, रण उत्सव एक इंद्रधनुष जैसा होगा।

देखिए, रण उत्सव की गतिविधियों का आनंद लेने के अलावा आप यहां और क्या-क्या कर सकते हैं:

सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा भारत का गौरव स्थल धोलावीरा यहीं पास में स्थित है। ये यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है, जहां आपको भारत की प्राचीन सभ्यता से जुड़ने का अवसर मिलेगा।

जिन लोगों को प्रकृति और स्थापत्य कला से प्रेम हो, उनके लिए काला डूंगर का विजय विलास पैलेस एक अद्भुत अनुभव का स्थान होगा।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी रोड टू हैवन, अपने मनोरम दृश्यों से हर पर्यटक का मन मोह लेती है। 30 किलोमीटर लंबी ये सड़क खावड़ा और धोलावीरा को आपस में जोड़ती है और इसपर यात्रा करना बहुत ही खास अनुभव होता है।

18वीं शताब्दी का लखपत फोर्ट हमें प्राचीन भारत के गौरव से जोड़ता है।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर कच्छ की धरती पर हमारी आध्यात्मिक चेतना का शक्ति तीर्थ बन जाता है।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक और क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ सकते हैं।

और इन सब के साथ, रण उत्सव कच्छ की इस यात्रा में आप हस्तशिल्प के एक अद्भुत संसार से जुड़ सकते हैं। इस हस्तशिल्प मेले में हर उत्पाद की एक अलग पहचान है। ये उत्पाद कच्छ के लोगों की कलाओं से पूरी दुनिया को जोड़ते हैं।

कुछ समय पहले ही मुझे स्मृति वन के लोकार्पण का उत्सव मिला था। जिन लोगों ने 26 जनवरी 2001 के विनाशकारी भूकंप में अपना जीवन बनाया, ये उनकी स्मृतियों का स्मारक है। यहां दुनिया का सबसे खूबसूरत संग्रहालय है, जिसे 2024 का UNESCO Prix Versailles Interiors World Title मिला है! यह भारत का एकमात्र ऐसा संग्रहालय है, जिसे यह विशेष उपलब्धि हासिल हुई है। यह स्मारक हमें हमेशा याद दिलाता है कि कैसे बहुत विपरीत और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी हमारा मन, हमारी भावनाएं हमें फिर से आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

तब और अब को बताने वाली तस्वीर:

करीब दो दशक पहले स्थितियां ऐसी थीं कि अगर आपको कच्छ आने का निमंत्रण मिलता, तो आप सोचते कि कोई मजाक कर रहा है। कारण ये था कि तब तक भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद भी, कच्छ बहुत बेहाल स्तिथि में था। ये स्थितियां तब थीं, जब कच्छ में एक तरफ रेगिस्तान था, दूसरी तरफ पाकिस्तान था। लेकिन सुरक्षा और पर्यटन दोनों ही क्षेत्र में ये स्थान पिछड़ा हुआ था।

कच्छ ने 1999 में चक्रवात और 2001 में भीषण भूकंप का सामना किया था। यहां सूखे की समस्या रहती थी। खेती के पर्याप्त साधन नहीं थे। यही कारण था कि अन्य लोग इसके अच्छे भविष्य की सोच तक नहीं पाते थे।। लेकिन वो नहीं जानते थे कि कच्छ के लोगों की ऊर्जा, उनकी इच्छा शक्ति क्या है। दो दशकों में अपनी मेहनत से, कच्छ के लोगों ने अपना भाग्य बदला। 21वीं शताब्दी के शुरुआत से कच्छ में एक परिवर्तन की भी शुरुआत हुई।

हम सबने मिलकर कच्छ के समावेशी विकास पर काम किया। हमने Disaster Resilient Infrastructure बनाने पर फोकस किया। इसके साथ ही यहां ऐसी आजीविका पर जोर दिया, जिससे यहां के युवाओं को काम की तलाश में अपना घर ना छोड़ना पड़े।

यही कारण है कि 21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक जो धरती सूखे के लिए जानी जाती थी, वह आज कृषि के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के पड़ाव पर है। यहां के आम सहित कई फल विदेशी बाजार में एक्सपोर्ट हो रहे हैं। कच्छ के हमारे किसान भाई-बहनों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों से खेती को बहुत समृद्ध किया है। इससे पानी की हर बूंद के संरक्षण के साथ अधिकतम उत्पादकता सुनिश्चित हुई है।

गुजरात सरकार के औद्योगिक विकास पर जोर देने से इस जिले में निवेश को भी काफी बढ़ावा मिला है। हमने कच्छ के तटीय क्षेत्र का उपयोग करके इसे एक महत्वपूर्ण समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से स्थापित करने का काम किया।

कच्छ में पर्यटन की संभावनाओं को और विस्तार देने के लिए 2005 में कच्छ रण उत्सव की शुरुआत की गई थी। आज यह स्थान एक Vibrant Tourism Centre बन चुका है। रण उत्सव को देश-विदेश के कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं।

हर साल धोरडो गांव में रण उत्सव का आयोजन होता है। ये प्रसन्नता और गर्व की बात है कि इस गांव को United Nations World Tourism Organization ने 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज घोषित किया। इस गांव की संस्कृति, पर्यटन और यहां हुआ विकास हर देशवासी को गौरव से भर देता है।

मुझे विश्वास है कि आप सब भी, कच्छ की विरासत भूमि को देखने यहां आएंगे और अपनी इस यात्रा के अनुभवों से दूसरों को भी यहां आने की प्रेरणा देंगे। जब आप इन अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करेंगे, तो पूरा विश्व भी इनसे जुड़ेगा। इस संस्कृति और आतिथ्य के भाव को जी सकेगा।

इसी आमंत्रण के साथ, मैं आप सभी को नववर्ष 2025 के लिए भी शुभकामनाएं देता हूं। आने वाला साल आपके और आपके परिवार के लिए सफलता, समृद्धि और आरोग्यपूर्ण जीवन लेकर आए, यही प्रार्थना है।