प्रिय मित्रों,
आज १७ सितंबर मेरा जन्म दिवस है। कई बार मुझसे यह सवाल पूछा जाता है – “मोदी जी, आप अपना जन्म दिवस किस तरह मनाते हैं? इस विशेष दिवस पर आप क्या करते हैं? आदि...” वास्तविकता यह है कि मेरे जीवनकाल में कभी भी यह दिन अन्य दिनों से अलग नहीं रहा है, मेरे जीवन का प्रत्येक दिन यकीकन इतना ही खास रहा है।
मेरे युवा मित्र और शुभचिंतक मेरे प्रति स्नेहभाव के चलते इस दिन कई तरह की सामाजिक प्रवृत्तियां करते हैं। इस दिन समाज सेवा के अद्भुत कार्यों का आयोजन करने के लिए मैं उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।
इस वर्ष १७ सितंबर का दिन मेरे लिए कुछ खास रहेगा, वजह यह कि इसके अगले दिन यानी १८ सितंबर के रोज मैं गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में लोगों की सेवा में ४००० दिनों की यात्रा पूर्ण करुंगा। गुजरात की स्थापना के बाद से राज्य ने इससे पूर्व कभी भी इतनी लंबी राजनीतिक स्थिरता देखी नहीं है। यदि यह देखना हो कि राजनीतिक तौर पर स्थिर, प्रगतिशील और वाइब्रेंट सरकार महज एक दशक के समयकाल में कैसे अद्भुत परिणाम दे सकती है, तो गुजरात इसका जीवंत उदाहरण है।
गुजरात की सफलता किसी एक व्यक्ति, परिवार या चंद लोगों के समूह की बदौलत नहीं है। गुजरात की ४००० दिनों की सफलतागाथा के पीछे एक मजबूत टीम-स्पिरिट और ‘मैं नहीं, हम’ की भावना है।
‘सबका साथ, सबका विकास’ के गुजरात के मंत्र ने नई राजनीतिक संस्कृति के निर्माण के लिए चेतना का संचार किया है।
गुजरात को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने में मेरे छह करोड़ गुजराती भाई-बहनों का सहयोग और योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। आज के दिन मैं गुजरातियों के इस जोश और जज्बे को ह्रदय से नमन करता हूं।
मैं गुजरात सरकार के ६ लाख से भी अधिक कर्मयोगियों (कर्मचारियों) की कर्तव्यनिष्ठा और प्रतिबद्धता की भी सराहना करता हूं, जिनके अथक प्रयासों की वजह से हमारा राज्य विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचा है और ह्रदय में गर्व तथा मन में आशा के साथ गुजरात ने वैश्विक मानचित्र में अपनी एक अनोखी पहचान स्थापित की है।
४००० दिनों की इस यात्रा में स्थापित हितों वाले कई तत्वों की ओर से फैलाये गए अतिश्योक्तिपूर्ण झूठ का शिकार मुझे बनना पड़ा। और ऐसे तत्वों को जब मेरी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती तब वे और भी व्याकुल हो उठते हैं। मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि, जितने ज्यादा पत्थर वे मेरी ओर फेकेंगे, गुजरात और उसके नागरिकों के विकास की उतनी ही ऊंची सीढ़ी मैं उससे बनाउंगा।
वहीं, नकारात्मक मानसिकता वाले तत्वों की ओर से फैलाए जाने वाले झूठ के मुकाबले लोगों की ओर से मुझे काफी प्रशंसा, नए विचार और ज्ञानरत्न मिलते रहे हैं। इसकी वजह से मुझे भरपूर संबल मिला है। आज मैं आपके समक्ष कुछ पत्र प्रस्तुत कर रहा हूं, जो अपने आप में स्पष्ट है। झूठ की आंधी के बीच सत्य को पहचानना निहायत ही आसान हो जाएगा।
इनमें से दो पत्र सर्वोच्च न्यायालय के प्रसिद्ध भूतपूर्व न्यायाधीश और सार्वजनिक जीवन के एक गणमान्य व्यक्ति ९८ वर्षीय जस्टीस वी.आर. अय्यर ने लिखे हैं। इन पत्रों में उनकी गर्मजोशी और स्नेहभाव छलकता है। यह पत्र मेरे लिए किसी खजाने की भांति है, जिन्हें मैं जीवन भर याद रखुंगा।
जस्टीस अय्यर लिखते हैं –
प्रिय नरेन्द्र मोदी
मुझे आपका पत्र मिला। मेरे मतानुसार आप एक महान व्यक्ति, एक सृजनात्मक प्रशासक और मानवतावादी हैं। मैं एक छोटा इनसान हूं, मेरे पास कोई अधिकार नहीं हैं, अब ९८ वर्ष का हो चुका हूं और जीवन के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका हूं। मुझे आपके पत्र से बेहद आनंद हुआ है और आपकी अद्भुत ऊर्जा व आमूलचूल परिवर्तन के लिए आपके प्रयासों को देख मैं खुश हूं। मेरी अपेक्षा है कि भारत का राजनीतिक नेतृत्व ऐसी ही सृजनात्मकता से कार्य करे या कम से कम हरेक आंख के आंसू पोंछने के विजन के साथ आगे बढ़े। यदि सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा का पर्याप्त उपयोग किया जाए तो ऊर्जा के क्षेत्र में हमारे देश की निर्धनता भूतकाल की घटना बन जाएगी। भारत के कल्याण के लिए मैं आपके नेतृत्व की प्रार्थना करता हूं। ईश्वर करे कि वह दिन आए और गांधी जी का स्वप्न साकार हो।
प्रिय मोदी, राजनीति के अलावा भारत के आम आदमी की खुशियों के लिए भी मैं आपके साथ खड़ा हूं।
आपका,
वी.आर. कृष्ण अय्यर
एक अन्य पत्र में वे लिखते हैं –
प्रिय नरेन्द्र मोदी,
आपकी ओर से कुरियर द्वारा प्रेषित विषय सामग्री को देखने के बाद अब मैं आपको भारतीय इतिहास के आधुनिक विकास के महाकाव्य के एक पात्र के रूप में देख रहा हूं। आप एक महान देशभक्त हैं और किसी राजनैतिक दल से परे आपका व्यक्तित्व है। आप अपने राष्ट्रीय मिशन को जारी रखें। भारत के ऊर्जा क्षेत्र में आपने जो भव्य योगदान दिया है, उसके उल्लेख के बिना भारत का २०वीं शताब्दी का इतिहास अधूरा माना जाएगा।
आपका,
वी.आर. कृष्ण अय्यर
(मूल पत्र पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
एक अन्य पत्र बरसों तक भारत के केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) सहित अन्य सेवाओं में उल्लेखनीय योगदान देने वाले श्री एन. विट्ठल का है।
श्री विट्ठल लिखते हैं -
माननीय एवं प्रिय मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी,
इस पत्र के साथ मैं अपनी पुस्तक “एन्डिंग करप्शन? हाउ टू क्लिन अप इंडिया” की प्रति भेज रहा हूं, जिसे पेंग्विन बुक्स की ओर से इस महीने प्रकाशित किया गया है।
यदि किसी नेता में संपूर्ण राजनीतिक प्रामाणिकता और सुशासन के लिए प्रतिबद्धता हो तो क्या हासिल किया जा सकता है, इसका श्रेष्ठ उदाहरण आपने देश के समक्ष पेश किया है। आपने साबित कर बताया है कि नये विचारों के प्रति खुला मन रखते हुए तथा राजनीतिक हिम्मत दिखाते हुए विकास तथा सुशासन की स्थापना के लिए कठोर और मजबूत निर्णयों से कैसे सुंदर परिणाम हासिल किए जा सकते हैं।
सरकार में मेरे ४२ वर्ष के अनुभव के आधार पर मैने देश की सबसे बड़ी समस्या ‘सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार’ के निराकरण के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।
व्यस्त दिनचर्या के बीच भी यदि आप मेरी पुस्तक पर नजर डालेंगे तो मैं आपका आभारी रहूंगा।
आपका,
एन. विट्ठल
(मूल पत्र पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह दोनों व्यक्तिविशेष अपनी प्रामाणिकता और मूल्यों की वजह से जाने जाते हैं। मेरे प्रति उनके स्नेह भरे शब्दों के लिए मैं ह्रदयपूर्वक उनका आभार व्यक्त करता हूं।
मेरे जन्मदिवस पर आपकी शुभकामनाओं और आपकी ओर से निरंतर मिल रहे सहयोग के लिए मैं एक बार फिर आपका आभार व्यक्त करता हूं।
जय जय गरवी गुजरात!
आपका,
नरेन्द्र मोदी