प्रिय मित्रों,

हफ्तों तक अविरत सभाओं, प्रचार और लोगों के साथ बातचीत के बाद अब चुनाव का अंतिम चरण आ पहुंचा है। 13 दिसम्बर को गुजरात ने रिकॉर्ड मतदान किया। इससे पूर्व के तमाम चुनावों से इस बार मतदान का प्रतिशत ज्यादा रहा है। इसके लिए मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। इससे स्पष्ट होता है कि भाजपा इस बार अपने तमाम पुराने रिकॉर्ड तोड़कर भारी बहुमत से विजयी होगी।

मैने गुजरात के बहुत चुनाव देखे हैं। मगर इस बार एक बात ऐसी है जो पहले के चुनावों में नहीं थी। इस बार सिर्फ देश के लोगों की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर गुजरात के चुनावों पर है। राज्य के चुनावों से इतनी भारी संख्या में लोग आकर्षित हुए हों ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।

पिछले कई महिनों से मैं गुजरातभर का दौरा कर रहा हूं। इस दौरान मैने मेरी नजरों से देखी है ऐसी एक बात कह रहा हूं। इस बार का चुनाव ना तो भाजपा लड़ रही है और ना ही नरेन्द्र मोदी ! इस बार का चुनाव लड़ रहे हैं 6 करोड़ लोग। इससे ज्यादा उत्साहजनक बात तो यह है कि इस बार चुनाव का बोझ जैसे युवाओं ने अपने कन्धे पर उठा लिया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह बहुत सकारात्मक संकेत हैं।

2012 के इन चुनावों में आपका विधायक कौन बनेगा, यहीं तक चुनाव सीमित नहीं है। किसी पार्टी को जिताने के लिए या किसी पार्टी की जमानत जब्त करवाने के लिए मतदान नहीं करना। आपके मत का मूल्य बहुत ज्यादा है। जब मत देने जाएं तब गुजरात के भविष्य के बारे में सोचना। यह सोचना कि आनेवाले पांच सालों में हुजरात को विकास की नयी ऊंचाइयों तक ले जाए ऐसे कैप्टन के रूप में आप किसे देखना चाहते हैं।

पिछले सप्ताह के दौरान मैं बहुत सारे लोगों से मिला, मैने काफी सभाओं को सम्बोधित किया। इन दिनों में लोगों का जो अपार स्नेह मिला इसका वर्णन करने के लिए शब्द भी कम पड़ जायेंगे।

प्रचार के दौरान सबसे अनोखा अनुभव थ्रीडी प्रोजेक्शन तकनीक द्वारा एक साथ कई जगहों पर लोगों को सम्बोधित करना रहा। टेक्नोलॉजी का ऐसा प्रयोग पहले दुनिया में कभी नहीं हुआ। मुझे खुशी है कि आधुनिक टेक्नॉलोजी का नवीनता से उपयोग करने में गुजरात फिर एक बार आगे रहा है। हालांकि टेक्नोलोजी तो एक माध्यम है। वास्तव में लोगों के साथ मेरा सम्बन्ध दिल का है और बहुत गहरा है।

हम लोगों के समक्ष सिर्फ एक मुद्दा लेकर गए हैं और वह है –विकास। हमने लोगों से अपील की कि पिछले 11 वर्ष में राज्य का जो विकास हुआ है इसके आधार पर हमको फिर से एक बार गुजरात की सेवा करने का अवसर प्रदान करें। आज गुजरात और विकास एक दूसरे के प्रयाय बन चुके हैं। हमारी सरकार की तमाम योजनाओं और कार्यक्रमों का आयोजन हमने आम आदमी को केन्द्र में रखकर किया है और गुजरात को ज्यादा प्रगतिशील राज्य बनाने का हमारा संकल्प है। आनेवाले पांच वर्षों में यह संकल्प और ज्यादा मजबूत बनेगा।

इस बार के चुनावों में मुकाबला है भाजपा कार्यकर्ताओं के परिश्रम और कांग्रेस के मनीपावर के बीच। प्रचार के दौरान कांग्रेस द्वारा जिस हद तक झूठ फैलाये गए, उसे देखकर मैं दंग रह गया। कांग्रेस की शत्रुता एक व्यक्ति के साथ है मगर इस एक व्यक्ति के साथ शत्रुता ने कांग्रेस पार्टी में गुजरात विरोधी मानसिकता का स्वरूप ले लिया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इन लोगों ने गुजरात के विकास में रोड़े डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। झूठ फैलाने से लेकर पर्दे के पीछे के आयोजन.. कोई तरकीब बाकी नहीं रखी।

ऐसा लगता है कि गुजरात को, यहां के लोगों को, युवाओं को, किसानों को, महिलाओं को, शहरों को और गांवों को देने के लिए कांग्रेस के पास दूसरा कुछ नहीं है। यहां तक की  स्वयं इस देश के अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री भी विकास की राजनीति को छोड़कर विभाजनकारी वोटबैंक की राजनीति करने में जुट गए हैं। इन चुनावों के दौरान कांग्रेस ने अपनी जो नकारात्मक छवि बनाई है वह लंबे समय तक लोगों के दिमाग में बनी रहेगी। कांग्रेस ने झूठ, आरोप-प्रत्यारोप और नकारात्मकता फैलानी वाली पार्टी के रूप में अपनी प्रबल छाप बना ली है।

कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले द्वारा कांग्रेस ने देश का खेल क्षेत्र बेच दिया, टू-जी घोटाले से टेक्नोलॉजी बेच दी, कोल गेट घोटाले से कोयला बेच दिया। और अब उसकी नजर पूरे देश को बेच देने पर लगी है। पाकिस्तान के साथ परदे के पीछे सौदा करने के लिए कांग्रेस तैयार हुई है, वह भी गुजरात के लोगों को पूछे बिना। इस पर से साफ होता है कि कांग्रेस गुजरात के लिए कैसा अभिगम रखती है। सर क्रीक का मामला सिर्फ गुजरात या कच्छ की ही बात नहीं है बल्कि देश के हितों को पूरी तरह से बेच देने और देश की सुरक्षा पर खतरे की बात है। प्रधानमंत्री के लिए शायद यह एक जमीन का टुकड़ा होगा, लेकिन हमारे लिए शरीर का टुकड़ा है। हम इसका एक इंच हिस्सा भी पाकिस्तान को नहीं देंगे।

मित्रों, आपने पिछले ११ वर्ष से मुझे काम करते देखा है। मेरे जीवन का प्रत्येक क्षण गुजरात के लोगों की सेवा के लिए समर्पित है। पिछले ११ वर्ष में गुजरात के विकास के लिए काम करते हुए मैनें एक दिन भी आराम नहीं किया है। इस भूमि से हम सभी प्रेम करते हैं। आप १० दिन के लिए भी अगर बाहर जाते हैं तो घर की चाबी किसी अनजान व्यक्ति को सौंप सकते हैं? तो गुजरात के भविष्य की चाबी आप ऐसे लोगों को कैसे सौंप सकते हैं जिनका राज्य के विकास का विजन अब तक एक पहेली बना रहा है।

कल जो लोग मतदान करने वाले हैं उनसे मेरी अपील है कि भारी संख्या में मतदान करें। पिछले ११ वर्ष में गुजरात ने विकास के हर रिकार्ड को तोड़ा है, तो चलें गुजरात की उपलब्धि में और एक अध्याय जोड़ दें। भारी मतदान के मामले में गुजरात एक रिकार्ड बनाए, ऐसा करें।

फिर से एक बार प्रचार कार्य के दौरान मुझ पर निरंतर स्नेह दर्शाने के लिए आप सभी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। आपका यही सहयोग हमें भव्य और दिव्य गुजरात के निर्माण की प्रेरणा देता है। एक ऐसा गुजरात जहां मात्र हमारी पीढ़ी ही नहीं बल्कि आने वाली पीढियां भी खुशहाल और समृद्ध जीवन व्यतीत करे। मुझे विश्वास है कि १७ तारीख को पहले चरण से भी ज्यादा मतदान होगा।

जय जय गरवी गुजरात

आपका

नरेन्द्र मोदी

 

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भारत के रतन का जाना...
November 09, 2024

आज श्री रतन टाटा जी के निधन को एक महीना हो रहा है। पिछले महीने आज के ही दिन जब मुझे उनके गुजरने की खबर मिली, तो मैं उस समय आसियान समिट के लिए निकलने की तैयारी में था। रतन टाटा जी के हमसे दूर चले जाने की वेदना अब भी मन में है। इस पीड़ा को भुला पाना आसान नहीं है। रतन टाटा जी के तौर पर भारत ने अपने एक महान सपूत को खो दिया है...एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।

आज भी शहरों, कस्बों से लेकर गांवों तक, लोग उनकी कमी को गहराई से महसूस कर रहे हैं। हम सबका ये दुख साझा है। चाहे कोई उद्योगपति हो, उभरता हुआ उद्यमी हो या कोई प्रोफेशनल हो, हर किसी को उनके निधन से दुख हुआ है। पर्यावरण रक्षा से जुड़े लोग...समाज सेवा से जुड़े लोग भी उनके निधन से उतने ही दुखी हैं। और ये दुख हम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में महसूस कर रहे हैं।

युवाओं के लिए, श्री रतन टाटा एक प्रेरणास्रोत थे। उनका जीवन, उनका व्यक्तित्व हमें याद दिलाता है कि कोई सपना ऐसा नहीं जिसे पूरा ना किया जा सके, कोई लक्ष्य ऐसा नहीं जिसे प्राप्त नहीं किया जा सके। रतन टाटा जी ने सबको सिखाया है कि विनम्र स्वभाव के साथ, दूसरों की मदद करते हुए भी सफलता पाई जा सकती है।

 रतन टाटा जी, भारतीय उद्यमशीलता की बेहतरीन परंपराओं के प्रतीक थे। वो विश्वसनीयता, उत्कृष्टता औऱ बेहतरीन सेवा जैसे मूल्यों के अडिग प्रतिनिधि थे। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह दुनिया भर में सम्मान, ईमानदारी और विश्वसनीयता का प्रतीक बनकर नई ऊंचाइयों पर पहुंचा। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी उपलब्धियों को पूरी विनम्रता और सहजता के साथ स्वीकार किया।

दूसरों के सपनों का खुलकर समर्थन करना, दूसरों के सपने पूरा करने में सहयोग करना, ये श्री रतन टाटा के सबसे शानदार गुणों में से एक था। हाल के वर्षों में, वो भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम का मार्गदर्शन करने और भविष्य की संभावनाओं से भरे उद्यमों में निवेश करने के लिए जाने गए। उन्होंने युवा आंत्रप्रेन्योर की आशाओं और आकांक्षाओं को समझा, साथ ही भारत के भविष्य को आकार देने की उनकी क्षमता को पहचाना।

भारत के युवाओं के प्रयासों का समर्थन करके, उन्होंने नए सपने देखने वाली नई पीढ़ी को जोखिम लेने और सीमाओं से परे जाने का हौसला दिया। उनके इस कदम ने भारत में इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप की संस्कृति विकसित करने में बड़ी मदद की है। आने वाले दशकों में हम भारत पर इसका सकारात्मक प्रभाव जरूर देखेंगे।

रतन टाटा जी ने हमेशा बेहतरीन क्वालिटी के प्रॉडक्ट...बेहतरीन क्वालिटी की सर्विस पर जोर दिया और भारतीय उद्यमों को ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करने का रास्ता दिखाया। आज जब भारत 2047 तक विकसित होने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, तो हम ग्लोबल बेंचमार्क स्थापित करते हुए ही दुनिया में अपना परचम लहरा सकते हैं। मुझे आशा है कि उनका ये विजन हमारे देश की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत वर्ल्ड क्लास क्वालिटी के लिए अपनी पहचान मजबूत करेगा।

रतन टाटा जी की महानता बोर्डरूम या सहयोगियों की मदद करने तक ही सीमित नहीं थी। सभी जीव-जंतुओं के प्रति उनके मन में करुणा थी। जानवरों के प्रति उनका गहरा प्रेम जगजाहिर था और वे पशुओं के कल्याण पर केन्द्रित हर प्रयास को बढ़ावा देते थे। वो अक्सर अपने डॉग्स की तस्वीरें साझा करते थे, जो उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा थे। मुझे याद है, जब रतन टाटा जी को लोग आखिरी विदाई देने के लिए उमड़ रहे थे...तो उनका डॉग ‘गोवा’ भी वहां नम आंखों के साथ पहुंचा था।

रतन टाटा जी का जीवन इस बात की याद दिलाता है कि लीडरशिप का आकलन केवल उपलब्धियों से ही नहीं किया जाता है, बल्कि सबसे कमजोर लोगों की देखभाल करने की उसकी क्षमता से भी किया जाता है।

रतन टाटा जी ने हमेशा, नेशन फर्स्ट की भावना को सर्वोपरि रखा। 26/11 के आतंकवादी हमलों के बाद उनके द्वारा मुंबई के प्रतिष्ठित ताज होटल को पूरी तत्परता के साथ फिर से खोलना, इस राष्ट्र के एकजुट होकर उठ खड़े होने का प्रतीक था। उनके इस कदम ने बड़ा संदेश दिया कि – भारत रुकेगा नहीं...भारत निडर है और आतंकवाद के सामने झुकने से इनकार करता है।

व्यक्तिगत तौर पर, मुझे पिछले कुछ दशकों में उन्हें बेहद करीब से जानने का सौभाग्य मिला। हमने गुजरात में साथ मिलकर काम किया। वहां उनकी कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश किया गया। इनमें कई ऐसी परियोजनाएं भी शामिल थीं, जिसे लेकर वे बेहद भावुक थे।

जब मैं केन्द्र सरकार में आया, तो हमारी घनिष्ठ बातचीत जारी रही और वो हमारे राष्ट्र-निर्माण के प्रयासों में एक प्रतिबद्ध भागीदार बने रहे। स्वच्छ भारत मिशन के प्रति श्री रतन टाटा का उत्साह विशेष रूप से मेरे दिल को छू गया था। वह इस जन आंदोलन के मुखर समर्थक थे। वह इस बात को समझते थे कि स्वच्छता और स्वस्थ आदतें भारत की प्रगति की दृष्टि से कितनी महत्वपूर्ण हैं। अक्टूबर की शुरुआत में स्वच्छ भारत मिशन की दसवीं वर्षगांठ के लिए उनका वीडियो संदेश मुझे अभी भी याद है। यह वीडियो संदेश एक तरह से उनकी अंतिम सार्वजनिक उपस्थितियों में से एक रहा है।

कैंसर के खिलाफ लड़ाई एक और ऐसा लक्ष्य था, जो उनके दिल के करीब था। मुझे दो साल पहले असम का वो कार्यक्रम याद आता है, जहां हमने संयुक्त रूप से राज्य में विभिन्न कैंसर अस्पतालों का उद्घाटन किया था। उस अवसर पर अपने संबोधन में, उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि वो अपने जीवन के आखिरी वर्षों को हेल्थ सेक्टर को समर्पित करना चाहते हैं। स्वास्थ्य सेवा एवं कैंसर संबंधी देखभाल को सुलभ और किफायती बनाने के उनके प्रयास इस बात के प्रमाण हैं कि वो बीमारियों से जूझ रहे लोगों के प्रति कितनी गहरी संवेदना रखते थे।

मैं रतन टाटा जी को एक विद्वान व्यक्ति के रूप में भी याद करता हूं - वह अक्सर मुझे विभिन्न मुद्दों पर लिखा करते थे, चाहे वह शासन से जुड़े मामले हों, किसी काम की सराहना करना हो या फिर चुनाव में जीत के बाद बधाई सन्देश भेजना हो।

अभी कुछ सप्ताह पहले, मैं स्पेन सरकार के राष्ट्रपति श्री पेड्रो सान्चेज के साथ वडोदरा में था और हमने संयुक्त रूप से एक विमान फैक्ट्री का उद्घाटन किया। इस फैक्ट्री में सी-295 विमान भारत में बनाए जाएंगे। श्री रतन टाटा ने ही इस पर काम शुरू किया था। उस समय मुझे श्री रतन टाटा की बहुत कमी महसूस हुई।

आज जब हम उन्हें याद कर रहे हैं, तो हमें उस समाज को भी याद रखना है जिसकी उन्होंने कल्पना की थी। जहां व्यापार, अच्छे कार्यों के लिए एक शक्ति के रूप में काम करे, जहां प्रत्येक व्यक्ति की क्षमता को महत्व दिया जाए और जहां प्रगति का आकलन सभी के कल्याण और खुशी के आधार पर किया जाए। रतन टाटा जी आज भी उन जिंदगियों और सपनों में जीवित हैं, जिन्हें उन्होंने सहारा दिया और जिनके सपनों को साकार किया। भारत को एक बेहतर, सहृदय और उम्मीदों से भरी भूमि बनाने के लिए आने वाली पीढ़ियां उनकी सदैव आभारी रहेंगी।