भारत और इजरायल विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए तत्पर हैं: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने इजरायल के राष्ट्रपति से कहा, हमारा संबंध बहुआयामी और व्यापक है
हमारी आर्थिक पहल, नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी विकास इजरायल की ताकत और क्षमताओं से अच्छी तरह मेल खाती है: प्रधानमंत्री
इजरायली कंपनियां हमारे मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, कौशल भारत और स्मार्ट सिटीज जैसी योजनाओं के तहत अपने संबंधों को बढ़ावा दे सकती हैं: प्रधानमंत्री
राष्ट्रपति रिवलिन और मैं अपने समाज की सुरक्षा के लिए हमारे मजबूत और बढ़ते आपसी संबंधों को अहमियत देते हैं: प्रधानमंत्री 
भारत, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करने के लिए इजरायल का आभारी है: प्रधानमंत्री

महामहिम राष्ट्रपति रेवेन रीवलीन

और मीडिया के दोस्तों

 

मुझे राष्ट्रपति रेवेन रीवलीन और उनके प्रतिनिधिमंडल के विशिष्ट सदस्यों का भारत में स्वागत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। राष्ट्रपति रीवलीन अपनी पहली यात्रा पर भारत आए हुए हैं। हम इस विशेष अवसर पर उनका स्वागत करके खुश हैं। महामहिम,  आपकी यह यात्रा हमारी भागीदारी में नए स्तंभ के निर्माण को लेकर प्रयासों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित होगी। यह पिछले साल इसराइल की यात्रा पर गए भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान की गई गति को आगे ले जाएगा। अगले साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 25 साल पूरा होने जश्न मनाया जाएगा।

 

हमने जिस तरीके से बड़ी मिसाल कायम की है, हम दोनों कई मोर्चों पर अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। और इससे हमारे हितों में समानता और क्षेत्रीय एवं संबिधित वैश्विक मुद्दों पर सहयोग का रास्ता साफ होगा।

 

दोस्तों,

हमारे बहुआयामी और व्यापक संबंध हैं। हम निम्नलिखित क्षेत्रों में साझेदारी कर रहे हैं-

 

  • कृषि उत्पादकता और कार्यकुशलता बढ़ाने में;
  • अनुसंधान और नवाचार संबंधों को बढ़ाने में;
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनुप्रयोगों को लागू कर रहे हैं ताकि हमारे समाज के लाभ के लिए लाभदायक हो
  • मजबूत व्यापारिक संबंध और निवेश संबंधों में
  • अपने लोगों को सुरक्षित बनाने के लिए रक्षा संबंधों का मजबूत बना रहे हैं
  • अधिक से अधिक सांस्कृतिक और पर्यटन संबंधों के माध्यम से लोगों के रिश्तों को बढ़ावा दे रहे हैं।
  • शिक्षा के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना। पढ़ाई के लिए इजरायल जाने वाले भारतीय छात्रों की संख्या बढ़ रही है। उसी तरह शिक्षा के लिए भारत आने वाले इजरायली छात्रों की संख्या बढ़ रही है। इससे हमारे दि्वपक्षीय संबंध मजबूत होंगे।

 

दोस्तों,

इससे पहले आज, हमारी चर्चा में, राष्ट्रपति रीवलीन और मैं इस बात पर सहमत हुए कि हमारे देशों के बीच चल रहे सहयोग के कई मजबूत क्षेत्र हैं। हम कृषि के क्षेत्र में इजरायल के अग्रिमों प्रयासों और सूखा प्रभावित क्षेत्रों और जल प्रबंधन में सूक्ष्म सिंचाई में उसकी विशेषज्ञता से परिचित हैं। हमने पानी के प्रबंधन और संरक्षण क्षेत्र को चिह्नित किया है। हम प्राथमिकता के तौर पर वैज्ञानिक अनुसंधान और विकास के दो क्षेत्रों में सहयोग के लिए तैयार हैं। हम दोनों इस बात पर सहमत हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इजरायली कंपनियों के लिए कई अवसर हैं। हमारी आर्थिक पहल और कार्यक्रमों, नवाचार, अनुसंधान और तकनीकी विकास के क्षेत्र में अच्छी तरह से इजरायल की क्षमता के साथ पर मेलजोल बढ़ रहा है। इजरायल की कंपनियों स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया, कौशल भारत जैसी हमारी प्रमुख योजनाओं के साथ गठजोड़ कर सकती हैं। मैं वाणिज्य व व्यापार संबंधों का उपयोग करने के लिए दोनों तरफ के निजी साझेदारों को प्रोत्साहित करना चाहूंगा ताकि वे दोनों देशों के बीच निवेश को बढ़ावा मिले। भारतीय और इजरायली कंपनियों उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में एक साथ काम कर सकती हैं। मेक इन इंडिया को लेकर राष्ट्रपति रीवलीन से जैसी चर्चा हुई उससे साफ हुआ कि इससे रोजगारों का सृजन होगा जिससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा। हमारी साझेदारी से रोजगार का सृजन होगा और इससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा। आईटी सेवाओं का एक ऐसा क्षेत्र है जहां हमारी भागीदारी हमारे दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए और भी अवसर पैदा कर सकता है।

साथियों,

राष्ट्रपति रीवलीन और मैं अपने समाज को सुरक्षित करने के लिए हमारे मजबूत और बढ़ती साझेदारी मूल्य को लेकर दृढ़ हैं। हमारे लोग लगातार आतंकवाद और उग्रवादी ताकतों के निशाने पर बने हुए हैं। हम मानते हैं कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है जिसकी कोई सीमा नहीं है और संगठित अपराध के अन्य रूपों के साथ उनके बीच व्यापक संबंध हैं। अफसोस है कि भारत का एक पड़ोसी देश इन सब चीजों को बढ़ावा दे रहा है। हम इस पर सहमत हैं कि आतंकवाद के नेटवर्क को खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मिलकर काम करना चाहिए। आतंकावाद के खिलाफ कार्रवाई में विफलता और उसको लेकर चुप्पी केवल उसे बढ़ावा देती है। इस बात पर सहमत हुए हैं कि हम आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और मजबूत बनाएंगे जिससे शांति प्रिय राष्ट्रों को खतरा बना हुआ है। हमने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को भी प्राथमिकता में रखा है। हमने अपनी बढ़ती रक्षा साझेदारी की ताकत का उल्लेख किया है। हम इस बात पर भी सहमत हुए हैं कि उत्पादन तथा विनिर्माण भागीदारी के माध्यम से इसे और व्यापक करने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी उम्मीदवारी के लिए अपना स्पष्ट समर्थन देने के लिए भारत इसराइल का आभारी है।

मित्रों,

सहयोगी लोकांत्र के रूप में, हमारे लोग हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं और एक मजबूत भारत-इसराइल साझेदारी के सबसे बड़ी लाभार्थी हैं। भारत में 2000 साल पुराना यहूदी समुदाय एक जीवन्‍त समूह का प्रतिनिधित्व करता है। आज वह अपनी परंपराओं में कामयाब रहा है और हमारी समग्र संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में रहे यहूदी समुदाय पर हमें गर्व है। राष्ट्रपति औऱ मैं लोगों के बीच रिश्तों को मजबूत बनाने को लेकर सहमत हुए हैं जिनका लंबा साझा इतिहास रहा है।

महामहिम,

हमारी दोस्ती के ढाई दशक हो चुके हैं और इससे दोनों देशों को काफी लाभ मिला है। इसने शांति, स्थिरता और लोकतंत्र की आवाज को विश्व स्तर पर मजबूत किया है। आपकी यात्रा ने अवसरों को नई पृष्टभूमि और साझेदारी को एक नया मंच प्रदान किया है। इन्हीं सब शब्दों के साथ मैं एक बार फिर अपनी पहली यात्रा पर भारत आए राष्ट्रपति रीवलीन का स्वागत करता हूं और उनका भारत दौरा उत्पादक और सुखद रहने की कामना करता हूं।

शुक्रिया

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।