1. हमब्राजील के संघीय गणराज्यरूसी संघभारत गणराज्यचीन के जनवादी गणराज्य और दक्षिण अफ्रीका गणराज्य की सरकार और राज्य के प्रमुखअर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स नेताओं की सालाना अनौपचारिक बैठक के लिए 30 नवंबर 2018 को मिले। हमने जी-20 के लिए अर्जेंटीना की अध्यक्षता का समर्थन किया और उन्हें बधाई दीऔर प्रदान किए गए आतिथ्य के लिए अपना आभार व्यक्त किया।

2. हमने अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिसुरक्षा एवं वैश्विक आर्थिक-वित्तीय मसलों और साथ ही साथ स्थायी विकास के सामने आने वाली चुनौतियों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। हम शांति और स्थिरता वाले विश्व के लिए संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिकासंयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र में प्रतिष्ठापित सिद्धांतों और उद्देश्योंऔर अंतर्राष्ट्रीय कानून के लिए सम्मानलोकतंत्र और कानून के शासन को प्रोत्साहित करने में एक बार फिर से अपनी प्रतिबद्धता जताते हैं। हम बहुपक्षीयता को मजबूत करने और एक न्यायपूर्णनिष्पक्षसमानलोकतांत्रिक और प्रतिनिधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।

3. हम ब्रिक्स देशों के खिलाफ किए गए आतंकवादी हमलों समेत अब भी जारी सभी आतंकी हमलों की निंदा करते हैं। हम कहीं भी किए जाने वाले और किसी के भी द्वारा किए जाने वाले आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की भर्त्सना करते हैं। हम मजबूत अंतर्राष्ट्रीय कानूनी आधार पर संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आतंकवाद के खिलाफ अनुकूल प्रयास करने का अनुरोध करते हैं। हम सभी राष्ट्रों से अनुरोध करते हैं कि वे जोहानसबर्ग घोषणापत्र में पहचाने गए सभी तत्वों को शामिल करते हुए आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाए।

4. हम विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में सन्निहित नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को फिर से अपना पूरा समर्थन देते हैं ताकि पारदर्शीभेदभाव रहितखुले और समावेशी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुनिश्चित किया जा सके। हम डब्ल्यूटीओ के कामकाज में सुधार की दृष्टि से डब्ल्यूटीओ सदस्यों के साथ स्पष्ट और परिणाम-आधारित वार्ताओं में जुड़ने को लेकर अपनी आम तत्परता जाहिर करते हैं।

5. डब्ल्यूटीओ की जो मूल भावना और नियम हैं वो एकपक्षीय और संरक्षणवादी तौर-तरीकों के खिलाफ जाते हैं। हम सभी सदस्यों से अनुरोध करते हैं कि वे डब्ल्यूटीओ के ऐसे असंगत तौर-तरीकों की खिलाफत करेडब्ल्यूटीओ में शुरू की गई प्रतिबद्धताओं के साथ खड़े रहें और भेदभावपूर्ण व प्रतिबंधक प्रकृति के ऐसे तौर-तरीकों को वापस ले।

6. हम इस दृष्टिकोण से डब्ल्यूटीओ में सुधार की दिशा में कार्य का समर्थन करते हैं कि जिससे मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में उसकी प्रासंगिकता और प्रभावशीलता में वृद्धि हो सके। इस कार्य में डब्ल्यूटीओ के केंद्रीय मूल्यों और मूलभूत सिद्धांतों का संरक्षण होना चाहिए और डब्ल्यूटीओ सदस्योंखास तौर पर विकासशील सदस्यों के हित प्रतिबिंबित होने चाहिए।

7. डब्ल्यूटीओ के स्वाभाविक कामकाज के लिए इसका विवाद निपटान तंत्र बहुत आवश्यक है। इसके प्रभावी कामकाज से इसके सदस्यों को वो जरूरी आत्मविश्वास मिलेगा जिससे वो डब्ल्यूटीओ में भविष्य की बातचीत से जुड़ सकें। हम इसी कारण से अनुरोध करते हैं कि डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान तंत्र के स्थिर और प्रभावी कामकाज के लिए मूलभूत पूर्व आवश्यकता के तौर पर अपीलीय संस्था की चयन प्रक्रिया जल्द से जल्द प्रारंभ की जाए।

8. हम अन्य सदस्यों के साथ अपना संचार व सहयोग बढ़ाने और संयुक्त व सहयोगी रूप से काम करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता फिर से पुष्ट करते हैं ताकि डब्ल्यूटीओ को सक्षम किया जा सके कि वो बदलते समय के साथ कदम मिलाकर चल सकेसमावेशी विकास और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सभी देशों की भागीदारी को प्रोत्साहित कर सके और वैश्विक आर्थिक शासन में एक अर्थपूर्ण भूमिका निभा सके।

9. हम निष्पक्ष और सतत विकास के लिए आम सहमति बनाने की जी-20 में अर्जेंटीना की अध्यक्षता की थीम और काम के भविष्यविकास के लिए बुनियादी ढांचे और सतत भविष्य के लिए खाद्य सुरक्षा पर फोकस का स्वागत करते हैं।

10. हम विकास के लिए बुनियादी ढांचे के महत्व को पहचानते हैं और वैश्विक बुनियादी ढांचे के बीच अंतर को पाटने में योगदान करने में अपनी प्रतिबद्धता देते हैं जिसमें स्थायी और आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए न्यू डेवलपमेंट बैंक समेत राष्ट्रीय और सामूहिक पहलों के माध्यम से संसाधनों के जुटाना शामिल है।

11. हम एक मजबूत वैश्विक वित्तीय सुरक्षा नेट की वकालत करते हैं जिसके केंद्र में पर्याप्त संसाधनयुक्तकोटा आधारित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) हो। इसके प्रभावी होने के लिए हम आईएमएफ की कोटा को लेकर 15वीं आम समीक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता फिर से दोहराते हैं जिसमें एक नया कोटा फॉर्मूला भी शामिल है ताकि 2019 की बसंत ऋतु वाली बैठकों तक और 2019 की सालाना बैठकों से पहले गतिशील उभरती व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की बढ़ी हुई आवाज़ सुनिश्चित की जा सके जिससे विश्व अर्थव्यवस्था में उनके तुलनात्मक योगदान को प्रतिबिंबित किया जा सके और साथ ही सबसे कम विकसित देशों की आवाजों की सुरक्षा की जा सके।

12. हम सतत विकास और सतत विकास लक्ष्यों के लिए उस 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करते हैं जो 2030 तक गरीबी मिटाने के अंतिम लक्ष्य की दिशा में एक संतुलित और समन्वित ढंग से आर्थिकसामाजिक और पर्यावरण के तीनों आयामों में समानसमावेशीखुलाबहुमुखीनवीनता-संचालित और सतत विकास प्रदान कर सके। हम विकसित देशों से अनुरोध करते हैं कि वे समय पर और पूर्ण ढंग से अपनी ओडीए प्रतिबद्धताओं का सम्मान करे और एडिस अबाबा एक्शन एजेंडा के अनुसार विकासशील देशों को अतिरिक्त विकास संसाधन मुहैया करवाए।

13. वैश्विक आर्थिक विस्तार जारी हैहालांकि ये कम संतुलित रहा है और इसमें नकारात्मक पक्ष ये रहा है कि जोखिम बढ़े हैं। हम चिंतित हैं कि प्रमुख आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं के नीति सामान्यीकरण से जो नकारात्मक परिणाम हुए हैं वो उस अस्थिरता का महत्वपूर्ण स्त्रोत है जिसे हाल ही में कुछ उभरते हुए बाजारों में देखा गया है। हम सभी अर्थव्यवस्थाओं का आह्वान करते हैं कि वे जी-20 भागीदारी की मूल भावना में अपने नीति संवाद और समन्वय को मजबूत करे ताकि संभावित जोखिमों को फैलने से रोका जा सके।

14. जहां तक जलवायु परिवर्तन का संबंध है हम आम लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांतों समेत यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों के अंतर्गत अपनाए गए पैरिस समझौते के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए खुद को पुनः प्रतिबद्ध करते हैं और विकसित देशों से अनुरोध करते हैं कि वे विकासशील देशों की शमन और अनुकूलन क्षमता में वृद्धि करने के लिए उनको वित्तीयतकनीकी और क्षमता निर्माण सहयोग प्रदान करें। हम सभी देशों का आह्वान करते हैं कि वे सीओपी-24 के दौरान पैरिस समझौता कार्य कार्यक्रम के अंतर्गत एक संतुलित नतीजे तक पहुंचे जिससे पैरिस समझौते के संचालन और कार्यान्वयन को सक्षम किया जा सके। हम हरित जलवायु फंड की पहली सफल और महत्वाकांक्षी पुनः पूर्ति प्रक्रिया संचालित करने की तीव्र आवश्यकता और महत्व पर ज़ोर देते हैं।

15. हम 25-27 जुलाई 2018 को जोहानसबर्ग में हुए 10वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए दक्षिण अफ्रीका को अपनी गर्मजोशी भरी प्रशंसा दोहराते हैं और हमारे लोगों के लाभ के लिए अपनी रणनीतिक भागीदारी को आगे बढ़ाने के लिए खुद को फिर से प्रतिबद्ध करते हैं। हम न्यू इंडस्ट्रियल रिवोल्यूशन पर ब्रिक्स भागीदारी (पार्टएनआईआर)ब्रिक्स वेक्सीन अनुसंधान एवं विकास केंद्रब्रिक्स ऊर्जा अनुसंधान सहयोग प्लेटफॉर्म और साओ पाउलो में न्यू डेवलपमेंट बैंक के अमेरिका के क्षेत्रीय कार्यालय को स्थापित करने समेत दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में अर्थव्यवस्थाशांतिसुरक्षा और लोगों से लोगों के बीच आदान-प्रदान के क्षेत्रों में ब्रिक्स सहयोग की उपलब्धियों पर अपना संतोष जाहिर करते हैं। हम जोहानसबर्ग शिखर सम्मेलन और पूर्व में हुए शिखर सम्मेलनों में निकले नतीजों को पूर्ण रूप से लागू करने के अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्ट करते हैं।

16. हम 2019 में ब्राजील की मेज़बानी में होने जा रहे 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की राह देख रहे हैं और आगामी ब्रिक्स अध्यक्ष के तौर पर ब्राजील को अपना पूर्ण सहयोग बढ़ाते हैं।

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।