मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | एक लम्बे अंतराल के बाद, फिर से एक बार, आप सबके बीच, ‘मन की बात’, जन की बात, जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला प्रारम्भ कर रहे हैं | चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो बहुत थी लेकिन ‘मन की बात’ का जो मजा है, वो गायब था | एक कमी महसूस कर रहा था | अपनों के बीच बैठ के, हल्के-फुल्के माहौल में, 130 करोड़ देशवासियों के परिवार के एक स्वजन के रूप में, कई बातें सुनते थे, दोहराते थे और कभी-कभी अपनी ही बातें, अपनों के लिए प्रेरणा बन जाती थी | आप कल्पना कर सकते हैं कि ये बीच का कालखण्ड गया होगा, कैसा गया होगा | रविवार, आख़िरी रविवार - 11 बजे, मुझे भी लगता था कि अरे, कुछ छूट गया – आपको भी लगता था ना ! जरुर लगता होगा | शायद, ये कोई निर्जीव कार्यक्रम नहीं था | इस कार्यक्रम में जीवन्तता थी, अपनापन था, मन का लगाव था, दिलों का जुड़ाव था, और इसके कारण, बीच का जो समय गया, वो समय बहुत कठिन लगा मुझे | मैं हर पल कुछ miss कर रहा था और जब मैं ‘मन की बात’ करता हूँ तब, बोलता भले मैं हूँ, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज़ मेरी है, लेकिन, कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है | मैं तो सिर्फ, मेरे शब्द, मेरी वाणी का उपयोग करता था और इसके कारण मैं इस कार्यक्रम को नहीं आपको miss कर रहा था | एक खालीपन महसूस कर रहा था | एक बार तो मन कर गया था कि चुनाव समाप्त होते ही तुरंत ही आपके बीच ही चला आऊँ | लेकिन फिर लगा – नहीं, वो Sunday वाला क्रम बना रहना चाहिये | लेकिन इस Sunday ने बहुत इंतज़ार करवाया | खैर, आखिर मौक़ा मिल ही गया है | एक पारिवारिक माहौल में ‘मन की बात’, छोटी-छोटी, हल्की-फुल्की, समाज, जीवन में, जो बदलाव का कारण बनती है एक प्रकार से उसका ये सिलसिला, एक नये spirit को जन्म देता हुआ और एक प्रकार से New India के spirit को सामर्थ्य देता हुआ ये सिलसिला आगे बढ़े |
कई सारे सन्देश पिछले कुछ महीनों में आये हैं जिसमें लोगों ने कहा कि वो ‘मन की बात’ को miss कर रहे हैं | जब मैं पढता हूँ, सुनता हूँ मुझे अच्छा लगता है | मैं अपनापन महसूस करता हूँ | कभी-कभी मुझे ये लगता है कि ये मेरी स्व से समष्टि की यात्रा है | ये मेरी अहम से वयम की यात्रा है | मेरे लिए आपके साथ मेरा ये मौन संवाद एक प्रकार से मेरी spiritual यात्रा की अनुभूति का भी अंश था | कई लोगों ने मुझे चुनाव की आपाधापी में, मैं केदारनाथ क्यों चला गया, बहुत सारे सवाल पूछे हैं | आपका हक़ है, आपकी जिज्ञासा भी मैं समझ सकता हूँ और मुझे भी लगता है कि कभी मेरे उन भावों को आप तक कभी पहुँचाऊँ, लेकिन, आज मुझे लगता है कि अगर मैं उस दिशा में चल पड़ूंगा तो शायद ‘मन की बात’ का रूप ही बदल जाएगा और इसलिए चुनाव की इस आपाधापी, जय-पराजय के अनुमान, अभी पोलिंग भी बाकी था और मैं चल पड़ा | ज्यादातर लोगों ने उसमें से राजनीतिक अर्थ निकाले हैं | मेरे लिये, मुझसे मिलने का वो अवसर था | एक प्रकार से मैं, मुझे मिलने चला गया था | मैं और बातें तो आज नहीं बताऊंगा, लेकिन इतना जरुर करूँगा कि ‘मन की बात’ के इस अल्पविराम के कारण जो खालीपन था, केदार की घाटी में, उस एकांत गुफा में, शायद उसने कुछ भरने का अवसर जरूर दिया था | बाकी आपकी जिज्ञासा है - सोचता हूँ कभी उसकी भी चर्चा करूँगा | कब करूँगा मैं नहीं कह सकता, लेकिन करूँगा जरुर, क्योंकि आपका मुझ पर हक़ बनता है | जैसे केदार के विषय में लोगों ने जानने की इच्छा व्यक्त की है, वैसे एक सकारात्मक चीजों को बल देने का आपका प्रयास, आपकी बातों में लगातार मैं महसूस करता हूँ | ‘मन की बात’ के लिए जो चिट्ठियाँ आती हैं, जो input प्राप्त होते हैं वो routine सरकारी कामकाज से बिल्कुल अलग होते हैं | एक प्रकार से आपकी चिट्ठी भी मेरे लिये कभी प्रेरणा का कारण बन जाती है तो कभी ऊर्जा का कारण बन जाती है | कभी-कभी तो मेरी विचार प्रक्रिया को धार देने का काम आपके कुछ शब्द कर देते हैं | लोग, देश और समाज के सामने खड़ी चुनौतियों को सामने रखते हैं तो उसके साथ-साथ समाधान भी बताते हैं | मैंने देखा है कि चिट्ठियों में लोग समस्याओं का तो वर्णन करते ही हैं लेकिन ये भी विशेषता है कि साथ-साथ, समाधान का भी, कुछ-न-कुछ सुझाव, कुछ-न-कुछ कल्पना, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रगट कर देते हैं | अगर कोई स्वच्छता के लिए लिखता है तो गन्दगी के प्रति उसकी नाराजगी तो जता रहा है लेकिन स्वच्छता के प्रयासों की सराहना भी करता है | कोई पर्यावरण की चर्चा करता है तो उसकी पीड़ा तो महसूस होती है, लेकिन साथ-साथ उसने, ख़ुद ने जो प्रयोग किये हैं वो भी बताता है - जो प्रयोग उसने देखे हैं वो भी बताता है और जो कल्पनायें उसके मन में हैं वो भी चित्रित करता है | यानी एक प्रकार से समस्याओं का समाधान समाजव्यापी कैसे हो, इसकी झलक आपकी बातों में मैं महसूस करता हूँ | ‘मन की बात’ देश और समाज के लिए एक आईने की तरह है | ये हमें बताता है कि देशवासियों के भीतर अंदरूनी मजबूती, ताकत और talent की कोई कमी नहीं है | जरुरत है, उन मजबूतियों और talent को समाहित करने की, अवसर प्रदान करने की, उसको क्रियान्वित करने की | ‘मन की बात’ ये भी बताता है कि देश की तरक्की में सारे 130 करोड़ देशवासी मजबूती और सक्रियता से जुड़ना चाहते हैं और मैं एक बात जरुर कहूँगा कि ‘मन की बात’ में मुझे इतनी चिट्ठियाँ आती हैं, इतने टेलीफोन call आते हैं, इतने सन्देश मिलते हैं, लेकिन शिकायत का तत्व बहुत कम होता है और किसी ने कुछ माँगा हो, अपने लिए माँगा हो, ऐसी तो एक भी बात, गत पांच वर्ष में, मेरे ध्यान में नहीं आयी है | आप कल्पना कर सकते हैं, देश के प्रधानमंत्री को कोई चिट्ठी लिखे, लेकिन ख़ुद के लिए कुछ मांगे नहीं, ये देश के करोड़ों लोगों की भावना कितनी ऊँची होगी | मैं जब इन चीजों को analysis करता हूँ – आप कल्पना कर सकते हैं मेरे दिल को कितना आनंद आता होगा, मुझे कितनी ऊर्जा मिलती होगी | आपको कल्पना नहीं है कि आप मुझे चलाते हैं, आप मुझे दौड़ाते हैं, आप मुझे पल-पल प्राणवान बनाते रहते हैं और यही नाता मैं कुछ miss करता था | आज मेरा मन खुशियों से भरा हुआ है | जब मैंने आखिर में कहा था कि हम तीन-चार महीने के बाद मिलेंगे, तो लोगों ने उसके भी राजनीतिक अर्थ निकाले थे और लोगों ने कहा कि अरे ! मोदी जी का कितना confidence है, उनको भरोसा है | Confidence मोदी का नहीं था - ये विश्वास, आपके विश्वास के foundation का था | आप ही थे जिसने विश्वास का रूप लिया था और इसी के कारण सहज रूप से आख़िरी ‘मन की बात’ में मैंने कह दिया था कि मैं कुछ महीनों के बाद फिर आपके पास आऊँगा | Actually मैं आया नहीं हूँ - आपने मुझे लाया है, आपने ही मुझे बिठाया है और आपने ही मुझे फिर से एक बार बोलने का अवसर दिया है | इसी भावना के साथ चलिए ‘मन की बात’ का सिलसिला आगे बढ़ाते हैं |
जब देश में आपातकाल लगाया गया तब उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा था, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, जेल के सलाखों तक, आन्दोलन सिमट नहीं गया था | जन-जन के दिल में एक आक्रोश था | खोये हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी | दिन-रात जब समय पर खाना खाते हैं तब भूख क्या होती है इसका पता नहीं होता है वैसे ही सामान्य जीवन में लोकतंत्र के अधिकारों की क्या मज़ा है वो तो तब पता चलता है जब कोई लोकतांत्रिक अधिकारों को छीन लेता है | आपातकाल में, देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया है | जिसका उसने जीवन में कभी उपयोग नहीं किया था वो भी अगर छिन गया है तो उसका एक दर्द, उसके दिल में था और ये इसलिए नहीं था कि भारत के संविधान ने कुछ व्यवस्थायें की हैं जिसके कारण लोकतंत्र पनपा है | समाज व्यवस्था को चलाने के लिए, संविधान की भी जरुरत होती है, कायदे, कानून, नियमों की भी आवश्यकता होती है, अधिकार और कर्तव्य की भी बात होती है लेकिन, भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए, कानून नियमों से परे लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है और उस विरासत को लेकर के हम पले-बड़े लोग हैं और इसलिए उसकी कमी देशवासी महसूस करते हैं और आपातकाल में हमने अनुभव किया था और इसीलिए देश, अपने लिए नहीं, एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं, लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहूत कर चुका था | शायद, दुनिया के किसी देश में वहाँ के जन-जन ने, लोकतंत्र के लिए, अपने बाकी हकों की, अधिकारों की, आवश्यकताओं की, परवाह ना करते हुए सिर्फ लोकतंत्र के लिए मतदान किया हो, तो ऐसा एक चुनाव, इस देश ने 77 (सतत्तर) में देखा था | हाल ही में लोकतंत्र का महापर्व, बहुत बड़ा चुनाव अभियान, हमारे देश में संपन्न हुआ | अमीर से लेकर ग़रीब, सभी लोग इस पर्व में खुशी से हमारे देश के भविष्य का फैसला करने के लिए तत्पर थे |
जब कोई चीज़ हमारे बहुत करीब होती है तो हम उसके महत्व को underestimate कर देते हैं, उसके amazing facts भी नजरअंदाज हो जाते हैं | हमें जो बहुमूल्य लोकतंत्र मिला है उसे हम बहुत आसानी से granted मान लेते हैं लेकिन, हमें स्वयं को यह याद दिलाते रहना चाहिए कि हमारा लोकतंत्र बहुत ही महान है और इस लोकतंत्र को हमारी रगों में जगह मिली है - सदियों की साधना से, पीढ़ी-दर-पीढ़ी के संस्कारों से, एक विशाल व्यापक मन की अवस्था से | भारत में, 2019 के लोकसभा चुनाव में, 61 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया, sixty one Crore | यह संख्या हमें बहुत ही सामान्य लग सकती है लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से मैं कहूँ अगर एक चीन को हम छोड़ दे तो भारत में दुनिया के किसी भी देश की आबादी से ज्यादा लोगों ने voting किया था | जितने मतदाताओं ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वोट दिया, उनकी संख्या अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है, करीब दोगुनी है | भारत में कुल मतदाताओं की जितनी संख्या है वह पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी ज्यादा है | यह हमारे लोकतंत्र की विशालता और व्यापकता का परिचय कराती है | 2019 का लोकसभा का चुनाव अब तक के इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था | आप कल्पना कर सकते हैं, इस प्रकार के चुनाव संपन्न कराने में कितने बड़े स्तर पर संसाधनों और मानवशक्ति की आवश्यकता हुई होगी | लाखों शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों की दिन-रात मेहनत से चुनाव संभव हो गया | लोकतंत्र के इस महायज्ञ को सफलतापूर्वक संपन्न कराने के लिए जहाँ अर्द्धसैनिक बलों के करीब 3 लाख सुरक्षाकर्मियों ने अपना दायित्व निभाया, वहीँ अलग-अलग राज्यों के 20 लाख पुलिसकर्मियों ने भी, परिश्रम की पराकाष्ठा की | इन्हीं लोगों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप इस बार पिछली बार से भी अधिक मतदान हो गया | मतदान के लिए पूरे देश में करीब 10 लाख polling station, करीब 40 लाख से ज्यादा ईवीएम (EVM) मशीन, 17 लाख से ज्यादा वीवीपैट (VVPAT) मशीन, आप कल्पना कर सकते हैं कितना बड़ा ताम-झाम | ये सब इसलिए किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि कोई मतदाता अपने मताधिकार से वंचित ना हो | अरुणाचल प्रदेश के एक रिमोट इलाके में, महज एक महिला मतदाता के लिए polling station बनाया गया | आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि चुनाव आयोग के अधिकारियों को वहाँ पहुँचने के लिए दो-दो दिन तक यात्रा करनी पड़ी - यही तो लोकतंत्र का सच्चा सम्मान है | दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचाई पर स्थित मतदान केंद्र भी भारत में ही है | यह मतदान केंद्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्फिति क्षेत्र में 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है | इसके अलावा, इस चुनाव में गर्व से भर देने वाला एक और तथ्य भी है | शायद, इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि महिलाओं ने पुरुषों की तरह ही उत्साह से मतदान किया है | इस चुनाव में महिलाओं और पुरुषों का मतदान प्रतिशत करीब-करीब बराबर था | इसी से जुड़ा एक और उत्साहवर्धक तथ्य यह है कि आज संसद में रिकॉर्ड 78 (seventy eight) महिला सांसद हैं | मैं चुनाव आयोग को, और चुनाव प्रक्रिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को, बहुत-बहुत बधाई देता हूँ और भारत के जागरूक मतदाताओं को नमन करता हूँ |
मेरे प्यारे देशवासियो, आपने कई बार मेरे मुहँ से सुना होगा, ‘बूके नहीं बुक’, मेरा आग्रह था कि क्या हम स्वागत-सत्कार में फूलों के बजाय किताबें दे सकते हैं | तब से काफ़ी जगह लोग किताबें देने लगे हैं | मुझे हाल ही में किसी ने ‘प्रेमचंद की लोकप्रिय कहानियाँ’ नाम की पुस्तक दी | मुझे बहुत अच्छा लगा | हालांकि, बहुत समय तो नहीं मिल पाया, लेकिन प्रवास के दौरान मुझे उनकी कुछ कहानियाँ फिर से पढ़ने का मौका मिल गया | प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज का जो यथार्थ चित्रण किया है, पढ़ते समय उसकी छवि आपके मन में बनने लगती है | उनकी लिखी एक-एक बात जीवंत हो उठती है | सहज, सरल भाषा में मानवीय संवेदनाओं को अभिव्यक्त करने वाली उनकी कहानियाँ मेरे मन को भी छू गई | उनकी कहानियों में समूचे भारत का मनोभाव समाहित है | जब मैं उनकी लिखी ‘नशा’ नाम की कहानी पढ़ रहा था, तो मेरा मन अपने-आप ही समाज में व्याप्त आर्थिक विषमताओं पर चला गया | मुझे अपनी युवावस्था के दिन याद आ गए कि कैसे इस विषय पर रात-रात भर बहस होती थी | जमींदार के बेटे ईश्वरी और ग़रीब परिवार के बीर की इस कहानी से सीख मिलती है कि अगर आप सावधान नहीं हैं तो बुरी संगति का असर कब चढ़ जाता है, पता ही नहीं लगता है | दूसरी कहानी, जिसने मेरे दिल को अंदर तक छू लिया, वह थी ‘ईदगाह’, एक बालक की संवेदनशीलता, उसका अपनी दादी के लिए विशुद्ध प्रेम, उतनी छोटी उम्र में इतना परिपक्व भाव | 4-5 साल का हामिद जब मेले से चिमटा लेकर अपनी दादी के पास पहुँचता है तो सच मायने में, मानवीय संवेदना अपने चरम पर पहुँच जाती है | इस कहानी की आखिरी पंक्ति बहुत ही भावुक करने वाली है क्योंकि उसमें जीवन की एक बहुत बड़ी सच्चाई है, “बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था – बुढ़िया अमीना, बालिका अमीना बन गई थी |”
ऐसी ही एक बड़ी मार्मिक कहानी है ‘पूस की रात’ | इस कहानी में एक ग़रीब किसान जीवन की विडंबना का सजीव चित्रण देखने को मिला | अपनी फसल नष्ट होने के बाद भी हल्दू किसान इसलिए खुश होता है क्योंकि अब उसे कड़ाके की ठंड में खेत में नहीं सोना पड़ेगा | हालांकि ये कहानियाँ लगभग सदी भर पहले की हैं लेकिन इनकी प्रासंगिकता, आज भी उतनी ही महसूस होती है | इन्हें पढ़ने के बाद, मुझे एक अलग प्रकार की अनुभूति हुई |
जब पढ़ने की बात हो रही है, तभी किसी मीडिया में, मैं केरल की अक्षरा लाइब्ररी के बारे में पढ़ रहा था | आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि ये लाइब्रेरी इडुक्की (Idukki) के घने जंगलों के बीच बसे एक गाँव में है | यहाँ के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक पी.के. मुरलीधरन और छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले पी.वी. चिन्नाथम्पी, इन दोनों ने, इस लाइब्रेरी के लिए अथक परिश्रम किया है | एक समय ऐसा भी रहा, जब गट्ठर में भरकर और पीठ पर लादकर यहाँ पुस्तकें लाई गई | आज ये लाइब्ररी, आदिवासी बच्चों के साथ हर किसी को एक नई राह दिखा रही है |
गुजरात में वांचे गुजरात अभियान एक सफल प्रयोग रहा | लाखों की संख्या में हर आयु वर्ग के व्यक्ति ने पुस्तकें पढ़ने के इस अभियान में हिस्सा लिया था | आज की digital दुनिया में, Google गुरु के समय में, मैं आपसे भी आग्रह करूँगा कि कुछ समय निकालकर अपने daily routine में किताब को भी जरुर स्थान दें | आप सचमुच में बहुत enjoy करेंगे और जो भी पुस्तक पढ़े उसके बारे में NarendraModi App पर जरुर लिखें ताकि ‘मन की बात’ के सारे श्रोता भी उसके बारे में जान पायेंगे |
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे इस बात की ख़ुशी है कि हमारे देश के लोग उन मुद्दों के बारे में सोच रहे हैं, जो न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य के लिए भी बड़ी चुनौती है | मैं NarendraModi App और Mygov पर आपके Comments पढ़ रहा था और मैंने देखा कि पानी की समस्या को लेकर कई लोगों ने बहुत कुछ लिखा है | बेलगावी (Belagavi) के पवन गौराई, भुवनेश्वर के सितांशू मोहन परीदा इसके अलावा यश शर्मा, शाहाब अल्ताफ और भी कई लोगों ने मुझे पानी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में लिखा है | पानी का हमारी संस्कृति में बहुत बड़ा महत्व है | ऋग्वेद के आपः सुक्तम् में पानी के बारे में कहा गया है :
आपो हिष्ठा मयो भुवः, स्था न ऊर्जे दधातन, महे रणाय चक्षसे,
यो वः शिवतमो रसः, तस्य भाजयतेह नः, उषतीरिव मातरः |
अर्थात, जल ही जीवन दायिनी शक्ति, ऊर्जा का स्त्रोत है | आप माँ के समान यानि मातृवत अपना आशीर्वाद दें | अपनी कृपा हम पर बरसाते रहें | पानी की कमी से देश के कई हिस्से हर साल प्रभावित होते हैं | आपको आश्चर्य होगा कि साल भर में वर्षा से जो पानी प्राप्त होता है उसका केवल 8% हमारे देश में बचाया जाता है | सिर्फ-सिर्फ 8% अब समय आ गया है इस समस्या का समाधान निकाला जाए | मुझे विश्वास है, हम दूसरी और समस्याओं की तरह ही जनभागीदारी से, जनशक्ति से, एक सौ तीस करोड़ देशवासियों के सामर्थ्य, सहयोग और संकल्प से इस संकट का भी समाधान कर लेंगे | जल की महत्ता को सर्वोपरि रखते हुए देश में नया जल शक्ति मंत्रालय बनाया गया है | इससे पानी से संबंधित सभी विषयों पर तेज़ी से फैसले लिए जा सकेंगे | कुछ दिन पहले मैंने कुछ अलग करने का प्रयास किया | मैंने देश भर के सरपंचों को पत्र लिखा ग्राम प्रधान को | मैंने ग्राम प्रधानों को लिखा कि पानी बचाने के लिए, पानी का संचय करने के लिए, वर्षा के बूंद-बूंद पानी बचाने के लिए, वे ग्राम सभा की बैठक बुलाकर, गाँव वालों के साथ बैठकर के विचार-विमर्श करें | मुझे प्रसन्नता है कि उन्होंने इस कार्य में पूरा उत्साह दिखाया है और इस महीने की 22 तारीख को हजारों पंचायतों में करोड़ों लोगों ने श्रमदान किया | गाँव-गाँव में लोगों ने जल की एक-एक बूंद का संचय करने का संकल्प लिया |
आज, ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मैं आपको एक सरपंच की बात सुनाना चाहता हूँ | सुनिए झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकमसांडी ब्लॉक की लुपुंग पंचायत के सरपंच ने हम सबको क्या सन्देश दिया है |
“मेरा नाम दिलीप कुमार रविदास है | पानी बचाने के लिए जब प्रधानमंत्री जी ने हमें चिट्ठी लिखी तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री ने हमें चिट्ठी लिखी है | जब हमने 22 तारीख को गाँव के लोगों को इकट्ठा करके, प्रधानमंत्री कि चिट्ठी पढ़कर सुनाई तो गाँव के लोग बहुत उत्साहित हुए और पानी बचाने के लिए तालाब की सफाई और नया तालाब बनाने के लिए श्रम-दान करके अपनी अपनी भागीदारी निभाने के लिए तैयार हो गए | बारिश से पहले यह उपाय करके आने वाले समय में हमें पानी कि कमी नहीं होगी | यह अच्छा हुआ कि हमारे प्रधानमंत्री ने हमें ठीक समय पर आगाह कर दिया |”
बिरसा मुंडा की धरती, जहाँ प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर रहना संस्कृति का हिस्सा है | वहाँ के लोग, एक बार फिर जल संरक्षण के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं | मेरी तरफ से, सभी ग्राम प्रधानों को, सभी सरपंचों को, उनकी इस सक्रियता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनायें | देशभर में ऐसे कई सरपंच हैं, जिन्होंने जल संरक्षण का बीड़ा उठा लिया है | एक प्रकार से पूरे गाँव का ही वो अवसर बन गया है | ऐसा लग रहा है कि गाँव के लोग, अब अपने गाँव में, जैसे जल मंदिर बनाने के स्पर्धा में जुट गए हैं | जैसा कि मैंने कहा, सामूहिक प्रयास से बड़े सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं | पूरे देश में जल संकट से निपटने का कोई एक फ़ॉर्मूला नहीं हो सकता है | इसके लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में, अलग-अलग तरीके से, प्रयास किये जा रहे हैं | लेकिन सबका लक्ष्य एक ही है, और वह है पानी बचाना, जल संरक्षण |
पंजाब में drainage lines को ठीक किया जा रहा है | इस प्रयास से water logging की समस्या से छुटकारा मिल रहा है | तेलंगाना के Thimmaipalli (थिमाईपल्ली) में टैंक के निर्माण से गाँवों के लोगों की जिंदगी बदल रही है | राजस्थान के कबीरधाम में, खेतों में बनाए गए छोटे तालाबों से एक बड़ा बदलाव आया है | मैं तमिलनाडु के वेल्लोर (Vellore) में एक सामूहिक प्रयास के बारे में पढ़ रहा था जहाँ नाग नदी (Naag nadhi) को पुनर्जीवित करने के लिए 20 हजार महिलाएँ एक साथ आई | मैंने गढ़वाल की उन महिलाओं के बारे में भी पढ़ा है, जो आपस में मिलकर rainwater harvesting पर बहुत अच्छा काम कर रही हैं | मुझे विश्वास है कि इस प्रकार के कई प्रयास किये जा रहे हैं और जब हम एकजुट होकर, मजबूती से प्रयास करते हैं तो असम्भव को भी सम्भव कर सकते हैं | जब जन-जन जुड़ेगा, जल बचेगा | आज ‘मन की बात’ के माध्यम से मैं देशवासियों से 3 अनुरोध कर रहा हूँ |
मेरा पहला अनुरोध है – जैसे देशवासियों ने स्वच्छता को एक जन आंदोलन का रूप दे दिया | आइए, वैसे ही जल संरक्षण के लिए एक जन आंदोलन की शुरुआत करें | हम सब साथ मिलकर पानी की हर बूंद को बचाने का संकल्प करें और मेरा तो विश्वास है कि पानी परमेश्वर का दिया हुआ प्रसाद है, पानी पारस का रूप है | पहले कहते थे कि पारस के स्पर्श से लोहा सोना बन जाता है | मैं कहता हूँ, पानी पारस है और पारस से, पानी के स्पर्श से, नवजीवन निर्मित हो जाता है | पानी की एक-एक बूंद को बचाने के लिए एक जागरूकता अभियान की शुरुआत करें | इसमें पानी से जुड़ी समस्याओं के बारे में बतायें, साथ ही, पानी बचाने के तरीकों का प्रचार-प्रसार करें | मैं विशेष रूप से अलग-अलग क्षेत्र की हस्तियों से, जल संरक्षण के लिए, innovative campaigns का नेतृत्व करने का आग्रह करता हूँ | फिल्म जगत हो, खेल जगत हो, मीडिया के हमारे साथी हों, सामाजिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ें हुए लोग हों, कथा-कीर्तन करने वाले लोग हों, हर कोई अपने-अपने तरीके से इस आंदोलन का नेतृत्व करें | समाज को जगायें, समाज को जोड़ें, समाज के साथ जुटें | आप देखिये, अपनी आंखों के सामने हम परिवर्तन देख पायेंगें |
देशवासियों से मेरा दूसरा अनुरोध है | हमारे देश में पानी के संरक्षण के लिए कई पारंपरिक तौर-तरीके सदियों से उपयोग में लाए जा रहे हैं | मैं आप सभी से, जल संरक्षण के उन पारंपरिक तरीकों को share करने का आग्रह करता हूँ | आपमें से किसी को अगर पोरबंदर, पूज्य बापू के जन्म स्थान पर जाने का मौका मिला होगा तो पूज्य बापू के घर के पीछे ही एक दूसरा घर है, वहाँ पर, 200 साल पुराना पानी का टांका (Water Storage Tank) है और आज भी उसमें पानी है और बरसात के पानी को रोकने की व्यवस्था है, तो मैं, हमेशा कहता था कि जो भी कीर्ति मंदिर जायें वो उस पानी के टांके को जरुर देखें | ऐसे कई प्रकार के प्रयोग हर जगह पर होंगे |
आप सभी से मेरा तीसरा अनुरोध है | जल संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले व्यक्तियों का, स्वयं सेवी संस्थाओं का, और इस क्षेत्र में काम करने वाले हर किसी का, उनकी जो जानकारी हो, उसे आप share करें ताकि एक बहुत ही समृद्ध पानी के लिए समर्पित, पानी के लिए सक्रिय संगठनों का, व्यक्तियों का, एक database बनाया जा सके | आइये, हम जल संरक्षण से जुड़ें ज्यादा से ज्यादा तरीकों की एक सूची बनाकर लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करें | आप सभी #JanShakti4JalShakti हैशटैग का उपयोग करके अपना content share कर सकते हैं |
मेरे प्यारे देशवासियो, मुझे और एक बात के लिए भी आपका आभार व्यक्त करना है और दुनिया के लोगों का भी आभार व्यक्त करना है | 21, जून को फिर से एक बार योग दिवस में जिस सक्रियता के साथ, उमंग के साथ, एक-एक परिवार के तीन-तीन चार-चार पीढ़ियाँ, एक साथ आ करके योग दिवस को मनाया | Holistic Health Care के लिए जो जागरूकता आई है उसमें योग दिवस का माहात्म्य बढ़ता चला जा रहा है | हर कोई, विश्व के हर कोने में, सूरज निकलते ही अगर कोई योग प्रेमी उसका स्वागत करता है तो सूरज ढ़लते की पूरी यात्रा है | शायद ही कोई जगह ऐसी होगी, जहाँ इंसान हो और योग के साथ जुड़ा हुआ न हो, इतना बड़ा, योग ने रूप ले लिया है | भारत में, हिमालय से हिन्द महासागर तक, सियाचिन से लेकर सबमरीन तक, air-force से लेकर aircraft carriers तक, AC gyms से लेकर तपते रेगिस्तान तक, गांवो से लेकर शहरों तक – जहां भी संभव था, ऐसी हर जगह पर ना सिर्फ योग किया गया, बल्कि इसे सामूहिक रूप से celebrate भी किया गया |
दुनिया के कई देशों के राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, जानी-मानी हस्तियों, सामान्य नागरिकों ने मुझे twitter पर दिखाया कि कैसे उन्होंने अपने-अपने देशों में योग मनाया | उस दिन, दुनिया एक बड़े खुशहाल परिवार की तरह लग रही थी |
हम सब जानते हैं कि एक स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए स्वस्थ और संवेदनशील व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और योग यही सुनिश्चित करता है | इसलिए योग का प्रचार-प्रसार समाज सेवा का एक महान कार्य है | क्या ऐसी सेवा को मान्यता देकर उसे सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए? वर्ष 2019 में योग के promotion और development में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए Prime Minister’s Awards की घोषणा, अपने आप में मेरे लिए एक बड़े संतोष की बात थी | यह पुरस्कार दुनिया भर के उन संगठनों को दिया गया है जिसके बारे में आपने कल्पना तक नहीं की होगी कि उन्होंने कैसे योग के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं | उदाहरण के लिए, ‘जापान योग निकेतन’ को लीजिए, जिसने योग को, पूरे जापान में लोकप्रिय बनाया है | ‘जापान योग निकेतन’ वहां के कई institute और training courses चलाता है या फिर इटली की Ms. Antonietta Rozzi उन्हीं का नाम ले लीजिए, जिन्होंने सर्व योग इंटरनेशनल की शुरुआत की और पूरे यूरोप में योग का प्रचार-प्रसार किया | ये अपने आप में प्रेरक उदाहरण हैं | अगर यह योग से जुड़ा विषय है, तो क्या भारतीय इसमें पीछे रह सकते हैं? बिहार योग विद्यालय, मुंगेर उसको भी सम्मानित किया गया, पिछले कई दशकों से, योग को समर्पित है | इसी प्रकार, स्वामी राजर्षि मुनि को भी सम्मानित किया गया | उन्होंने life mission और lakulish yoga university की स्थापना की | योग का व्यापक celebration और योग का सन्देश घर-घर पहुँचाने वालों का सम्मान दोनों ने ही इस योग दिवस को खास बना दिया |
मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी यह यात्रा आज आरम्भ हो रही है | नये भाव, नई अनुभूति, नया संकल्प, नया सामर्थ्य, लेकिन हाँ, मैं आपके सुझावों की प्रतीक्षा करता रहूँगा | आपके विचारों से जुड़ना मेरे लिए एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण यात्रा है | ‘मन की बात’ तो निमित्त है | आइये हम मिलते रहे, बातें करते रहे | आपके भावों को सुनता रहूँ, संजोता रहूँ, समझता रहूँ | कभी-कभी उन भावों को जीने का प्रयास करता रहूँ | आपके आशीर्वाद बने रहें | आप ही मेरी प्रेरणा है, आप ही मेरी ऊर्जा है | आओ मिल बैठ करके ‘मन की बात’ का मजा लेते-लेते जीवन की जिम्मेदारियों को भी निभाते चलें | फिर एक बार अगले महीने ‘मन की बात’ के लिए फिर से मिलेंगें | आप सब को मेरा बहुत-बहुत धन्यवाद |
नमस्कार |
I have been missing #MannKiBaat.
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
This Sunday has made me wait so much.
This programme personifies the New India Spirit.
In this programme is the spirit of the strengths of 130 crore Indians: PM @narendramodi
A lot of citizens also wrote to me that they miss #MannKiBaat. pic.twitter.com/OpEztmmVTT
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
#MannKiBaat is enriched by many letters and mails that come.
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
But, these are not ordinary letters.
If people share their problems, they also share ways to overcome those problems be it lack of cleanliness or aspects like environmental degradation: PM @narendramodi #MannKiBaat
#MannKiBaat- showing the strengths of 130 crore Indians. pic.twitter.com/10uAjlwBOp
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
I have never received a letter related to #MannKiBaat where people are asking me for something that is for themselves.
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
People talk about the larger interest of our nation and society. #MannKiBaat pic.twitter.com/5uoOjPFoyu
When I had said in February that I will meet you again in a few months, people said I am over confident. However, I always had faith in the people of India: PM @narendramodi #MannKiBaat
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
Talking about our democratic spirit, PM @narendramodi remembers the greats who fought the Emergency. #MannKiBaat pic.twitter.com/x6ezhkRolT
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
Democracy is a part of our culture and ethos. #MannKiBaat pic.twitter.com/UZJMAby0rq
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
India just completed the largest ever election.
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The scale of the election was immense.
It tells us about the faith people have in our democracy. #MannKiBaat pic.twitter.com/5Ht4a0PCPN
The scale of our electoral process makes every Indian proud. #MannKiBaat pic.twitter.com/wwctrCcV8j
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
Sometime back, someone presented me a collection of short stories of the great Premchand.
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
I once again got an opportunity to revisit those stories.
The human element and compassion stands out in his words: PM @narendramodi #MannKiBaat
It is my request to you all- please devote some time to reading.
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
I urge you all to talk about the books you read, on the 'Narendra Modi Mobile App.'
Let us have discussions on the good books we read and why we liked the books: PM @narendramodi #MannKiBaat
Over the last few months, so many people have written about water related issues. I am happy to see greater awareness on water conservation: PM @narendramodi #MannKiBaat
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
I wrote a letter to Gram Pradhans on the importance of water conservation and how to take steps to create awareness on the subject across rural India: PM @narendramodi #MannKiBaat
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There is no fixed way to conserve water.
— PMO India (@PMOIndia) June 30, 2019
In different parts, different methods may be adopted but the aim is same- to conserve every drop of water. #MannKiBaat pic.twitter.com/39SYEL4Wcp
Let us conserve every drop of water. #MannKiBaat pic.twitter.com/ffUs8G5Enp
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My 3 requests:
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Appeal to all Indians, including eminent people from all walks of life to create awareness on water conservation.
Share knowledge of traditional methods of water conservation.
If you know about any individuals or NGOs working on water, do share about them: PM
Use #JanShakti4JalShakti to upload your content relating to water conservation. #MannKiBaat pic.twitter.com/4q5RSSY3WI
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The 5th Yoga Day was marked with immense enthusiasm across the world. #MannKiBaat pic.twitter.com/ot0x8CVWGH
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