पूर्वोत्तर क्षेत्र के सात राज्यों में से एक, मणिपुर समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं, त्योहारों और भावपूर्ण नृत्य रूपों की भूमि है। तथापि, पिछले वर्षों और दशकों में, राज्य को सामाजिक-आर्थिक विषमताओं से लेकर उसी क्षेत्र के विभिन्न जातीय समूहों के बीच संघर्षों तक कई बाधाओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। अतीत में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें समय पर हस्तक्षेप और बाद की कार्रवाई की आवश्यकता थी ताकि पीड़ा को कम किया जा सके, लेकिन यह सुनने में भले ही अजीब लगे, पिछली सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और बिगड़ते हालात को बेहतर बनाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

हालांकि, पिछले 10 साल गेमचेंजर रहे हैं क्योंकि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पूरे राज्य में आमूल-चूल परिवर्तन की पहल की। जब इंफ्रास्ट्रक्चर की बात आती है तो पिछले दशक में कुछ सबसे बड़े बुनियादी परिवर्तन देखे गए हैं - चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा, खेल, परिवहन हो या लॉजिस्टिक्स का क्षेत्र; कोई भी क्षेत्र पीछे नहीं छोड़ा गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस क्षेत्र में वह संभावनाएं देखीं जो पिछली सरकारों में से किसी ने भी नहीं देखीं। पीएम मोदी की दूरदर्शी नीतियों और रणनीतिक रूप से तैयार किए गए आउटरीच कार्यक्रमों के कारण आज इस क्षेत्र में चौतरफा विकास हो रहा है। पिछले दशक से मणिपुर राज्य को सरकार का अभूतपूर्व ध्यान और समर्थन मिला है।

हालांकि, राज्य के जातीय संघर्षों ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। ऐसे कई कठिन मुद्दे हैं जो दशकों से क्षेत्र के समग्र विकास को बाधित कर रहे हैं।

मई 2023 में कुकी और मैती जनजातियों नामक दो जातीय समूहों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। हालांकि झड़प का मूल कारण अनुसूचित जनजाति टैग के लिए मैतेई समुदाय की 10 साल से अधिक पुरानी मांग है, लेकिन इसके पीछे का तात्कालिक कारण टकराव का कारण मैतेई समुदाय को एसटी का दर्जा देने के उच्च न्यायालय के आदेशों में से एक को माना जा सकता है, जो मूल रूप से इस तथ्य के लिए जिम्मेदार है कि नागा, कुकी और मैतेई लोगों में से किसी को भी विशेष रूप से लाभ नहीं मिलेगा, जिससे दोनों समुदाय नाराज हो गए। नतीजतन, समुदायों के बीच अचानक हिंसक झड़पें शुरू हो गईं।

मणिपुर में नागा और कुकी समूहों के बीच झड़प कोई नई बात नहीं है। यह बीते कई दशकों में पनपी हैं और पिछली सरकारों ने पूर्वोत्तर के विकास की उपेक्षा करके, पूर्वोत्तर के लोगों की पूरी पीढ़ियों को हिंसा और उपेक्षा में धकेल दिया है। पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में कई जातीय झड़पें हुई हैं, जिससे यह क्षेत्र जल उठा है। कुछ के नाम गिनाए जाएं तो - 1993 के नागा-कुकी संघर्ष के कारण 350 से अधिक कुकी/नागा गांवों को उजाड़ फेंका गया और लगभग 1000 लोगों की मौत की सूचना मिली, 1993 के उसी वर्ष में मैतेई-पंगल संघर्ष में 100 से अधिक लोग मारे गए, कुकी-तमिल मोरेह में 1995 के संघर्ष के परिणामस्वरूप तमिलों को मणिपुर राज्य से भागना पड़ा और 1997-1998 के कुकी-पाइते संघर्ष में 352 लोग मारे गए, साथ ही 13,000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा जबकि 50 से अधिक गांव नष्ट हो गए।

पिछली सरकारों के शासन के दौरान, मणिपुर राज्य को भारी नुकसान उठाना पड़ा और बदले में कुछ भी हासिल नहीं हुआ। लगातार नागा-कुकी झड़पों के चलते मणिपुर को राष्ट्रपति शासन के अधीन रखा गया, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 1,000 मौतें हुईं। पिछली सरकारों पर भी विधायकों की खरीद-फरोख्त में शामिल होने का आरोप लगता रहा है।

2004-2014 के बीच सरकार के कार्यकाल के दौरान, मणिपुर नाकेबंदी के लिए बदनाम हो गया। इससे भी बदतर स्थिति तब हुई जब इन नाकाबंदी के दौरान, पेट्रोल और एलपीजी की कीमतें क्रमशः 240 रुपये और 1,900 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ गईं, जिससे गंभीर मानवीय संकट पैदा हो गया। 2011 में, मणिपुर ने 123 दिनों तक चलने वाली सबसे खराब नाकाबंदी में से एक का अनुभव किया।

हालांकि, मार्च 2023 की घटनाओं के मद्देनजर पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने त्वरित कार्रवाई की। सरकार ने रहत शिविरों में रह रहे लोगों के राहत और पुनर्वास के लिए 101 करोड़ रुपये से अधिक के वित्तीय पैकेज की घोषणा करने में भी कोई समय बर्बाद नहीं किया। अदालती कार्यवाही को असामाजिक तत्वों द्वारा निष्पक्ष और अप्रभावित रखने के लिए, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक अनुरोध भी रखा है कि मुकदमे को राज्य से बाहर असम में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाए।

मशीनरी की तैनाती और कठोर राजनीतिक कार्रवाइयों के साथ, पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने कई कल्याणकारी कदम उठाए हैं जो राज्य को विकास के रास्ते पर ले गए हैं। सरकार ने पिछली सरकार के 10 वर्षों की तुलना में NDA सरकार के 10 वर्षों (फरवरी 2024 तक) में कर हस्तांतरण में लगभग 495% की वृद्धि की है। पिछली सरकार के 10 वर्षों की तुलना में इस सरकार के 10 वर्षों में सहायता अनुदान में भी 90% की वृद्धि की गई है।

इसके अलावा, उत्तर-पूर्व ट्रांसफॉर्मेटिव इंडस्ट्रलाइजेशन स्कीम (UNNATI – 2024) को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मार्च, 2024 में 10 वर्षों की अवधि के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र में उद्योगों के विकास और रोजगार सृजन के लिए 10 साल की अवधि के लिए स्वीकृत किया गया है, जिसकी कुल लागत 10,037 करोड़ रुपये है। युवाओं की क्षमता का दोहन करने के लिए, सरकार बड़े पैमाने पर परिवर्तनकारी कदम उठा रही है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने मणिपुर में क्रमशः 2018 और 2020 में भारत की पहली नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और IIIT स्थापित की है। इसके अलावा, इम्फाल को स्मार्ट सिटीज मिशन के तहत चुना गया है ताकि निवासियों को इंफ्रास्ट्रक्चर और बुनियादी सेवाओं की पेशकश के मामले में समग्र शहर का विकास किया जा सके।

जब इंफ्रास्ट्रक्चर की बात आती है, तो मणिपुर में वित्त वर्ष 2023 तक 1633 किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया है। भारतमाला परियोजना के तहत, मणिपुर में 11,102 करोड़ रुपये की अनुमानित कुल पूंजी लागत के साथ 635 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास को मंजूरी दी गई है। 2022 में, पहली मालगाड़ी मणिपुर के रानी गाइदिनल्यू रेलवे स्टेशन, तामेंगलोंग पहुंची। सरकार अमृत भारत योजना के तहत इम्फाल रेलवे स्टेशन का पुनर्विकास करने के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके अतिरिक्त, कृषि उत्पादों के परिवहन में किसानों की सहायता के लिए, इम्फाल हवाई अड्डे को कृषि उड़ान योजना के तहत कवर किया गया है। सरकार का मानना है कि इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं और इसका दोहन करने के लिए, मणिपुर में स्वदेश दर्शन योजना के तहत पूर्वोत्तर सर्किट के विकास के लिए 117 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। हाल के घटनाक्रमों में, मार्च 2024 में, पीएम मोदी ने मणिपुर में 3400 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, कनेक्टिविटी बढ़ाने और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करने वाली रणनीतिक पहल के माध्यम से सक्रिय निर्णय लेकर मणिपुर के सामने आने वाली अप्रत्याशित कठिनाइयों को हल करने की प्रतिबद्धता दिखाई है। निवेश बढ़ाने और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देकर, क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत बनाकर तथा स्थानीय आबादी के कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता के रूप में रखते हुए, सरकार ने मणिपुर में सतत विकास के लिए एक मजबूत आधार स्थापित किया है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।