प्रधानमंत्री ‘भारत प्रथम’ के सिद्धांत पर हमेशा जोर देते रहे हैं जिसकी विश्व भर में चर्चा है। जब विश्व व्यापार संगठन व्यापार सुविधा समझौता (टीएफए) पर विचार-विमर्श कर रहा था भारत ने इस पर अपनी पूर्ण असहमति जताते हुए कहा कि यह खाद्य सुरक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता के साथ समझौता है। भारत के लिए खाद्य सुरक्षा का अर्थ है - गरीबों के प्रति इसका विश्वास और प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत ने खाद्यान्नों के सार्वजनिक भंडारण के चिरस्थायी समाधान की मांग की है। विश्व स्तर पर कई देशों ने एक साथ मिलकर इस मुद्दे पर भारत के रुख का समर्थन किया। आखिरकार भारत यह सुनिश्चित करने में सफल रहा कि खाद्य सुरक्षा में कोई समझौता न हो और साथ-ही-साथ इसने विश्व समुदाय के साथ संवाद का विकल्प भी खुला रखा है।
5 मई 2017, एक ऐतिहासिक दिन जब दक्षिण एशियाई सहभागिता को मजबूती मिली। यह वह दिन था जब भारत ने दो वर्ष पहले की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए दक्षिण एशिया उपग्रह को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
दक्षिण एशिया उपग्रह के साथ, दक्षिण एशियाई देशों ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी अपना सहयोग बढ़ा दिया है!
इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल और श्रीलंका के नेताओं ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कार्यक्रम में भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण एशिया उपग्रह की क्षमताओं के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि उपग्रह से बेहतर प्रशासन, प्रभावी संचार, दूरसंचार क्षेत्रों में बेहतर बैंकिंग और शिक्षा, मौसम के सही पूर्वानुमान के साथ-साथ लोगों को टेली-मेडिसिन से जोड़ते हुए उन्हें बेहतर उपचार उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
श्री मोदी ने ठीक ही कहा, “अगर हम एक साथ आगे बढ़ें और ज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं विकास के लाभों को एक-दूसरे के साझा करें तो हम अपने विकास और समृद्धि को गति दे सकते हैं।”