भारतीय शेयर बाजार अब और भी अधिक आकर्षक बनाने, निवेशकों के एक बड़े वर्ग को राहत देने और निवेश के लिए भारत को एक आकर्षक देश बनाने के लिए केन्‍द्रीय बजट में लाभांश वितरण कर (डीडीटी) को हटाने का प्रस्‍ताव किया गया है। आज केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में वित्‍त वर्ष 2020-21 का केन्‍द्रीय बजट पेश करते हुए कहा कि लाभांश पर टैक्‍स अब केवल प्राप्‍तकर्ताओं को ही देना होगा जो उन पर लागू दरों के हिसाब से मान्‍य होगा।

इसके अलावा वित्‍त मंत्री ने अपनी सहयोगी कंपनी से किसी होल्डिंग कंपनी को प्राप्‍त लाभांश के लिए कर कटौती की मंजूरी देने का प्रस्‍ताव किया है, ताकि टैक्‍स पर टैक्‍स देने की समस्‍या से मुक्ति पाई जा सके। डीडीटी को हटाने के परिणामस्‍वरूप हर वर्ष अनुमानित 25,000 करोड़ रुपये का राजस्व छोड़ना होगा।

वित्‍त मंत्री ने बताया कि मौजूदा समय में कंपनियों को अपने मुनाफे पर टैक्‍स अदा करने के अलावा अपने शेयरधारकों को दिए गए लाभांश पर भी 15 प्रतिशत की दर से डीडीटी एवं लागू अधिभार तथा उपकर देना पड़ता है। उन्‍होंने कहा कि इस आशय की दलील दी गई है कि डीडीटी लगाने की व्‍यवस्‍था से निवेशकों, विशेषकर उन लोगों पर कर बोझ बढ़ जाता है, जिन्‍हें उस स्थिति में डीडीटी की दर से कम टैक्‍स देना पड़ता है, जब लाभांश आय को उनकी आय में शामिल कर लिया जाता है। इसके अलावा, ज्‍यादातर विदेशी निवेशकों को अपने देश में डीडीटी को उनके खाते में न डालने या क्रेडिट करने पर उनकी इक्विटी पूंजी पर रिटर्न की दर घट जाती है।


विद्युत उत्‍पादन करने वाली कंपनियों के लिए रियायती टैक्‍स दर

विद्युत क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के लिए केन्‍द्रीय बजट में 15 प्रतिशत की रियायती कॉरपोरेट टैक्‍स दर अब विद्युत उत्‍पादन करने वाली नई घरेलू कंपनियों को भी देने का प्रस्‍ताव किया गया है।

विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सितम्‍बर, 2019 में 15 प्रतिशत की रियायती कॉरपोरेट टैक्‍स दर को उन नवगठित घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए मंजूरी दी गई, जो 31 मार्च, 2023 तक विनिर्माण शुरू कर देगी।

विदेशी निवेश के लिए कर रियायत

प्राथमिकता वाले सेक्‍टरों में विदेशी सरकारों के सॉवरेन वेल्‍थ फंड के निवेश को बढ़ावा देने के लिए केन्‍द्रीय बजट में 31 मार्च, 2024 से पहले अवसंरचना एवं अन्‍य अधिसूचित क्षेत्रों में किये गये निवेश पर प्राप्‍त पूंजीगत लाभ आय, ब्‍याज एवं लाभांश पर शत-प्रतिशत छूट देने का प्रस्‍ताव किया गया है। इसमें तीन वर्षों की न्‍यूनतम लॉक-इन अवधि होती है।

सहकारी समितियों के लिए रियायती कर दर

बड़ी रियायत देने और सहकारी समितियों तथा कंपनियों के बीच समतुल्‍यता सुनिश्चित करने के लिए केन्‍द्रीय बजट में सरकारी समितियों को 10 प्रतिशत अधिभार एवं 4 प्रतिशत उपकर के अलावा 22 प्रतिशत की दर से टैक्‍स लगाने का विकल्‍प दिया गया है, जिसके तहत किसी भी तरह की छूट/कटौती नहीं मिलेगी। मौजूदा समय में इन सहकारी समितियों को अधिभार एवं उपकर के अलावा 30 प्रतिशत टैक्‍स देना पड़ता है।

किफायती आवास

सभी के लिए मकान और किफायती आवास के लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए किसी किफायती मकान को खरीदने हेतु लिए गए ऋण पर अदा किए गए ब्‍याज के मद में 1.50 लाख रुपये तक की अतिरिक्‍त कटौती को मंजूरी देने की घोषणा पिछले बजट में की गई थी। यह टैक्‍स कटौती उन आवास ऋणों पर देने की मंजूरी दी गई, जो 31 मार्च, 2020 को या उससे पहले लिया गया हो।

अधिक से अधिक व्‍यक्ति इससे लाभ उठा सकें तथा किफायती आवास को और ज्‍यादा प्रोत्‍साहन दिया जा सके, इसके लिए वित्‍त मंत्री ने इस अतिरिक्‍त टैक्‍स कटौती से लाभ उठाने के लिए ऋण मंजूरी की तिथि में एक और साल की वृद्धि करने का प्रस्‍ताव किया है।

रियल एस्‍टेट के सौदों पर रियायत

रियल एस्‍टेट के सौदों में हो रही कठिनाइयों को कम करने और इस सेक्‍टर को राहत देने के लिए केन्‍द्रीय बजट में 5 प्रतिशत की सर्किल रेट सीमा को बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने का प्रस्‍ताव किया गया है।

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।