लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व के चलते ही 1970 के दशक में भारत का लोकतांत्रिक तानाबाना न सिर्फ बच सका, बल्कि परीक्षण के इस दौर में अधिक मजबूत होकर उभरा। ‘संपूर्ण क्रांति’ के उनके आह्वान ने लाखों नौजवानों को प्रेरित किया। विभिन्न विचारधाराओं के लोग एकजुट हो गए। सभी ने मिलकर तानाशाही तथा नागरिक अधिकारों में कटौती का विरोध किया।
नरेंद्र मोदी लोकनायक जे.पी. द्वारा प्रेरित असंख्य युवाओं में एक थे। युवावस्था में वो गुजरात में आरएसएस के साथ बेहद करीब से जुड़कर काम कर रहे थे। श्री मोदी ने नवनिर्माण आंदोलन को बहुत नजदीक से देखा और आपातकाल विरोधी संघर्ष में भाग लिया।
उन्होंने अपनी किताब ‘आपातकाल में गुजरात’ में गुजरात के आपातकाल विरोधी आंदोलन की दास्तान लिखी है। श्री मोदी ने इस बारे में विस्तार से लिखा है कि किस तरह लाखों लोगों ने अपने जीवन को संकट में डाल दिया, ताकि भारत में लोकतंत्र और उदार लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाया जा सके।
उन्होंने इस किताब में जेपी की गुजरात यात्रा की तैयारियों का भी जिक्र किया है और ये बताया है कि किस तरह रविशंकर महाराज के दिशानिर्देश में पूरे गुजरात में आपातकाल के दौरान जेपी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूजा का आयोजन किया गया।
श्री मोदी लोकनायक जेपी के असाधारण जीवन के बारे में अक्सर बातें करते हैं। उन्होंने किस तरह खुद को स्वतंत्रता संघर्ष के लिए समर्पित कर दिया, भारत की उन्नति के लिए उनकी लगन और एक जन आंदोलन खड़ा करने में उनकी केंद्रीय भूमिका। इस जन आंदोलन ने इतिहास बना दिया और उन मूल्यों को बचाया, जिनके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने संघर्ष किया था।