महिला दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स को संभालते हुए मालविका अय्यर ने लिखा, “स्वीकृति सबसे बड़ा इनाम है जो हम खुद को दे सकते हैं। हम जिंदगी को नियंत्रित नहीं कर सकते लेकिन हम निश्चित रूप से जीवन के प्रति अपने दृष्टिकोण को नियंत्रित कर सकते हैं। दिन के आखिर में मायने यह रखता है कि हमने अपनी चुनौतियां का किस तरह से सामना किया।“
डॉ अय्यर ने 13 साल की उम्र में एक बम धमाके में अपने दोनों हाथ गंवा दिए थे और पैरों में भी चोट आई थी। लेकिन उन्होंने अपना दृढ़ संकल्प नहीं छोड़ा। उन्होंने कड़ी मेहनत की और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वे कहती हैं, ''हार मान लेना विकल्प नहीं होता है। अपनी सीमाओं को भूल जाइए और विश्वास और आशा के साथ दुनिया में कदम रखते रहिए।”
डॉ अय्यर का मानना है कि शिक्षा परिवर्तन के लिए अपरिहार्य है। पीएम मोदी के ट्विटर हैंडल पर वह लिखती हैं, “में भेदभावपूर्ण रवैये को लेकर युवाओं के दिमाग को संवेदनशील बनाना होगा। हमें विकलांग लोगों को कमजोर या दूसरे पर निर्भर दिखाने की बजाए उन्हें रॉल मॉडल के तौर पर दिखाना चाहिए।
डॉ मालविका अय्यर ने ‘She Inspires Us’ अभियान के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद देते हुए कहा, “मनोवृत्ति विकलांगता को नष्ट करने की आधी लड़ाई है। माननीय प्रधानमंत्री ने महिला दिवस पर मुझे मेरे विचारों को प्रसारित करने के लिए चुना है। इससे मुझे विश्वास हो गया है कि विकलांगता के मामले में भारत पुराने अंधविश्वासों को खत्म करने के लिए सही रास्ते पर चल रहा है।”
Acceptance is the greatest reward we can give to ourselves. We can’t control our lives but we surely can control our attitude towards life. At the end of the day, it is how we survive our challenges that matters most.
— Narendra Modi (@narendramodi) March 8, 2020
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