कहते हैं काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर बसा है। इसका इतिहास सृष्टि के इतिहास के साथ जोड़ कर देखा जाता है। इस गौरवशाली और अध्यात्मिक शिव नगरी को सजाने संवारने का बीड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठाया है। लेकिन इस सावधानी के साथ कि इसकी नूतनता में पौराणिकता के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो। प्रधानमंत्री मोदी ने काशी के विकास में एक नया अध्याय बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर बनाने की शुरूआत के साथ जोड़ दिया है। कहा जाता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के विकास का अंतिम काम 1853 में हुआ था जब महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर पर सोना मंढ़वाया था।
मोदी जी ने अब उसी बाबा विश्वनाथ मंदिर को और भव्यता प्रदान करने और उसके साथ हर तरह की सुविधा विकसित करने का बीड़ा उठाया है। कोरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है.। इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग गलियों का चैड़ीकरण का काम भी चल रहा है। प्रधानमंत्री खुद विस्तारीकरण व सुंदरीकरण के कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का पहले चरण में प्रयास है कि मुख्य मार्ग से बाबा के शिखर के दर्शन-पूजन में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाए। मंदिर प्रशासन ने रास्ते में बने तमाम मकानों को अधिग्रहित किया है। उन्हें तेजी से हटाया जा रहा है। मंदिर से गंगा घाट तक 10 से 15 मीटर चैड़ा पाथ-वे का निर्माण कराया जा रहा है।
मोदी जी का कहना है कि मंदिर में श्रद्धालुओं का स्वागत इस प्रकार हो कि लोग बार-बार आने को उत्साहित हों। उन्हें इतनी सुविधाएं मिले कि सभी यहां आकर खुशी महसूस करें। मंदिर में पूरी सफाई की व्यवस्था हो। इस कॉरिडोर पर 600 करोड़ रुपये की लागत आ रही है।
मोदी जी ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरीडोर पाथवे निर्माण के दौरान पौराणिक अवशेषों, मंदिरों, कला, संस्कृति, पेड़-पौधों आदि से कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए, बल्कि उन्हें संरक्षित कर श्रद्धालुओं के लिए सुलभ बनाया जाए। काशी विश्वनाथ मंदिर समेत रास्ते में पड़ने वाले सभी मंदिरों के इतिहास ऑनलाइन होंगे। कौन मंदिर कब बना, मंदिर का महत्व क्या है, किसने मंदिर बनवाया तथा वर्तमान स्थिति क्या है, इसकी पूरी जानकारी लोगों को आॅन लाइन प्राप्त होगी।
मोदी जी के प्रयास से देश के 11 प्राचीन धरोहरों में मणिकर्णिका घाट भी जुड़ने जा रहा है। उत्तर प्रदेश में ताज महल आइकोनिक धरोहर पहले से है। इसके अलावा काशी के अन्य प्राचीन मंदिरों को भी संरक्षित किया जा रहा है। दो पुराने पुस्तकालयों को भी संवारने का काम किया जा रहा है । इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा रहा है । जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने एक बार कहा था कि वे राजनीति में आने से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर जब आए थे तो उनके मन में एक भाव आया था कि काश कोई काशी विश्वनाथ की इन संकरी गलियों को विकसित करता और मा गंगा और बाबा विश्वनाथ मंदिर का दर्शन एक साथ हो पाता। आज मोदी जी की वह इच्छा उन्हीं के जरिये पूरी होती नजर आ रही है। इससे ज्यादा भोले की कृपा क्या हो सकती हैं! .