वियतनाम गणराज्य के प्रधानमंत्री श्री न्युन तंग ज़ुंग अपनी पत्‍नी के साथ 27-28 अक्टूबर 2014 को भारत गणराज्य के राजकीय दौरे पर रहे। वह भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर यहां आए।

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1 (2)-684प्रधानमंत्री श्री ज़ुंग राष्ट्रपति भवन में आयोजित औपचारिक कार्यक्रम में शामिल हुए जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। श्री ज़ुंग ने राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्‍पांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वियतनाम गणराज्य के प्रधानमंत्री श्री ज़ुंग के साथ औपचारिक बातचीत की और उनके सम्मान में एक भोज का भी आयोजन किया। प्रधानमंत्री श्री ज़ुंग ने भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी, लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज से मुलाकात की। प्रधानमंत्री श्री ज़ुंग ने पवित्र शहर बोधगया का भी दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री श्री जीतनराम मांझी से भी मुलाकात की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों की ओर से एक व्‍यावसायिक सम्मेलन भी आयोजित किया गया।

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1 (9)-684 दोनों प्रधानमंत्रियों ने हाल के वर्षों में हुए विकास का स्वागत करते हुए कहा कि इसके चलते भारत और वियतनाम के बीच रणनीतिक साझेदारी को निरंतर मजबूती मिली है। उन्होंने पुनः जोर देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को व्यापक रूप से विकसित करने के लिए वह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि मजबूत भारत-वियतनाम साझेदारी से न सिर्फ दोनों देशों के लोगों के लिए, बल्कि अन्य क्षेत्रों के लिए भी शांति, समृद्धि और स्थिरता का माहौल बनेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जोर देते हुए कहा कि वियतनाम भारत की ‘पूरब की ओर देखो’ नीति का अहम स्तंभ है। प्रधानमंत्री श्री ज़ुंग ने क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की व्यापक एवं महान भूमिका का स्वागत किया।

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दोनों प्रधानमंत्रियों ने बल देते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच साझेदारी पारंपरिक दोस्ती, बेहतर समझदारी, मजबूत विश्वास, समर्थन और विभिन्न क्षेत्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों की एकरूपता पर आधारित है। उन्होंने सितंबर 2014 में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी की वियतनाम यात्रा की सफलता पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने सितंबर 2014 में विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज की सफल हनोई यात्रा का भी स्वागत किया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने वर्तमान वार्ता प्रक्रिया के तहत सभी स्तरों पर आदान-प्रदान की जरूरत पर बल दिया और दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों को प्रभावशाली तरीके से लागू करने पर बल दिया।

प्रधानमंत्रियों ने एडीएमएम के अंतर्गत यात्राओं के आदान-प्रदान, वार्षिक सुरक्षा वार्ता, सेवा से सेवा सहयोग, नौका यात्रा, प्रशिक्षण, क्षेत्रीय मंच पर क्षमता निर्माण और सहयोग बढ़ाने के साथ-साथ रक्षा सहयोग की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए भारत द्वारा वियतनाम को ऋण समझौते के तहत 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर देने की व्यवस्था को जल्द अमल में लाने की बात कही। उन्होंने भारत और वियतनाम के बीच जारी मजबूत रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग के नियमित आदान-प्रदान के जरिए और ज्यादा मजबूत होने की उम्मीद व्यक्त की।

1 (15)-684प्रधानमंत्रियों ने सहमति जताते हुए कहा कि दोनों देशों को रणनीतिक उद्देश्य के रूप में आर्थिक सहयोग को बढ़ाना चाहिए। उन्होंने हालिया वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि, विशेष रूप से वस्तु समझौते के क्षेत्र में भारत-आसियान व्यापार के लागू होने के बाद हुई वृद्धि का स्वागत किया और इस बात पर बल दिया कि भारत-आसियान व्यापार और निवेश समझौता सामान्य तौर पर भारत और आसियान के बीच तथा विशेष रूप से वियतनाम में आर्थिक सहयोग को बढ़ाएगा। उन्होंने दोनों पक्षों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मौजूदा स्थापित व्यवस्था जैसे कि व्यापार और निवेश उद्देश्यों को पूरा करने के लिए पीपीपी और बी2बी के साथ-साथ संयुक्त उप कमीशन आदि का सदुपयोग करें। उन्होंने क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते (आरसीईपी) की दिशा में करीबी सहयोग पर भी बल दिया।

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वियतनाम के प्रधानमंत्री ज़ुंग के साथ एक विशाल कारोबारी प्रतिनिधिमण्‍डल भी आया, जिसने भारत के शीर्ष वाणिज्‍य एवं उद्योग मण्‍डलों जैसे सीआईआई, फिक्की और एसोचैम के प्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने उद्योगपतियों से भारत और वियतनाम में कारोबारी अवसर तलाशने का आग्रह किया। दोनों ही पक्षों की व्‍यावसायिक हस्‍तियों ने आपसी सहयोग के लिए अनेक सेक्‍टरों की पहचान प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में की है जिनमें हाइड्रोकार्बन, बिजली उत्‍पादन, बुनियादी ढांचा, पर्यटन, कपड़ा, फुटवियर, चिकित्‍सा व दवा, आईसीटी, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स, कृषि, कृषि-उत्‍पाद, रसायन, मशीनी कलपुर्जे और अन्‍य सहायक उद्योग शामिल हैं। दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने दोनों पक्षों के उद्योगपतियों के बीच सार्थक बातचीत के जरिये व्‍यापार एवं निवेश बढ़ाने की दिशा में हुई प्रगति पर संतोष व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने पारस्‍परिक लाभ के लिए द्विपक्षीय व्‍यापार में खासी बढ़ोतरी करने एवं उसमें विविधता लाने के लिए आवश्‍यक कदम उठाने पर हामी भरी। इसके साथ ही दोनों प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय व्‍यापार के लक्ष्‍य को वर्ष 2020 तक बढ़ाकर 15 अरब डॉलर के स्‍तर पर पहुंचाने पर सहमति जताई। उन्‍होंने आग्रह किया कि इस लक्ष्‍य को पाने के लिए कारोबारी हस्तियों और नीति निर्माताओं को भारत-सीएलएमवी बिजनेस शिखर सम्‍मेलन जैसे कार्यक्रमों का पूरा इस्‍तेमाल करना चाहिए।

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भारत और वियतनाम के प्रधानमंत्रियों ने अपनी अर्थव्‍यवस्‍थाओं के विकास के लिए निवेश की अहमियत के साथ-साथ ज्‍यादा निवेश जुटाने के लिए अनुकूल माहौल बनाने की जरूरत को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ज़ुंग ने वियतनाम में निवेश के लिए भारतीय कम्‍पनियों का स्‍वागत किया और भारतीय निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उधर, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने त्‍वरित आर्थिक विकास वाले कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ से जुड़ने का न्‍यौता वियतनाम की कम्‍पनियों को दिया, ताकि वे इस नई पहल से लाभ उठा सकें। उन्‍होंने आपसी आर्थिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों के बीच सीमा शुल्‍क सहयोग करार और नौवहन शिपिंग करार का उपयोग करने पर सहमति जताई।

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दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने वियतनाम में नये तेल एवं गैस ब्‍लॉकों की तलाश के लिए ओएनजीसी विदेश लिमिटेड और पेट्रोवियतनाम के बीच हुये समझौते का स्‍वागत किया। प्रधानमंत्री ज़ुंग ने वियतनाम के तेल एवं गैस क्षेत्र में नये अवसरों की तलाश के लिए भारत की तेल एवं गैस कम्‍पनियों का स्‍वागत किया।

1 (32)-684 1 (36)-684दोनों प्रधानमंत्रियों ने वियतनाम में बैंक ऑफ इंडिया की शाखा खोलने के लिए स्‍टेट बैंक ऑफ वियतनाम द्वारा दी गई मंजूरी का स्‍वागत किया।

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दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने भारत और वियतनाम के बीच कनेक्‍टिविटी की अहमियत को रेखांकित करते हुए जेट एयरवेज और वियतनाम एयरलाइंस के बीच हुए कोड शेयर समझौते का स्‍वागत किया क्‍योंकि इसकी बदौलत 5 नवम्‍बर 2014 से हो ची मिन्‍ह शहर के लिए जेट एयरवेज की उड़ानें शुरू होने वाली हैं। उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि वियतनाम एयरलाइंस भी जल्‍द ही भारत के लिए अपनी उड़ान सेवाएं शुरू कर देगी। उन्‍होंने वियतनाम एवं भारत के बीच और ज्‍यादा उड़ानें संचालित करने के लिए दोनों देशों की विमानन कम्‍पनियों को प्रोत्‍साहित किया। उन्‍होंने दोनों देशों के बीच नौवहन कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने और जहाज निर्माण में सहयोग करने पर सहमति जताई।

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दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा ‘’मी सों" में प्राचीन "चाम मन्दिरों" के संरक्षण और पुननिर्माण के लिए एक सहमति पत्र पर हुए हस्‍ताक्षर का स्‍वागत किया। उन्‍होंने दोनों देशों के बीच पर्यटन एवं सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। उन्‍होंने भारत और वियतनाम द्वारा साझा की जाने वाली बौद्ध विरासत के प्रतीक के रूप में नालंदा विश्‍वविद्यालय पर हुए एक सहमति करार का भी स्‍वागत किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हनोई स्थित हो ची मिन्‍ह राजनीति एवं लोक प्रशासन राष्‍ट्रीय अकादमी में भारत अध्‍ययन केंद्र की स्‍थापना के लिए वियतनाम के प्रधानमंत्री का धन्‍यवाद किया। उन्‍होंने भारतीय लोक प्रशासन संस्‍थान के साथ इसके सहयोग का स्‍वागत किया। दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने अगस्‍त 2014 में हनोई में थिंक टैंकों के आसियान-भारत नेटवर्क की तीसरी गोलमेज बैठक आयोजित किये जाने की सराहना की।

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दोनों प्रधानमंत्रियों ने वियतनाम में आईटी, अंग्रेजी भाषा में प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास, उल्‍लेखनीय क्षमता वाली गणना तथा अन्‍य क्षेत्रों के लिए क्षमता वृद्धि संस्‍थानों की स्‍थापना में मौजूदा सहयोग का स्‍वागत किया। इसके साथ ही उन्‍होंने उन विकास साझेदारी परियोजनाओं को जल्‍द अंतिम रूप देने पर जोर दिया, जिनके लिए दोनों ही पक्ष इच्‍छुक हैं। न्‍हा तरांग स्थित दूरसंचार विश्‍वविद्यालय में वियतनाम-भारत अंग्रेजी तथा आईटी प्रशिक्षण केंद्र, हो ची मिन्‍ह शहर में सॉफ्टवेयर विकास तथा प्रशिक्षण के लिए आईटी ट्रेनिंग सेंटर और हो ची मिन्‍ह शहर में सैटेलाइट ट्रैकिंग एवं डाटा रिसेप्‍शन तथा इमेजिंग सेंटर की स्‍थापना इन परियोजनाओं में शामिल हैं। उन्‍होंने नाभिकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण इस्‍तेमाल और उपग्रहों को प्रक्षेपित करने समेत अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति जताई।

1 (43)-684दोनों प्रधानमंत्रियों ने क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय मंचों पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग का मूल्‍यांकन किया और खासकर आसियान, एआरएफ, एडीएमएम प्‍लस, ईएएस, संयुक्‍त राष्‍ट्र, नाम, एएसईएम और डब्‍ल्‍यूटीओ में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। उन्‍होंने इस और ध्‍यान दिलाया कि वियतनाम द्वारा वर्ष 2015 से वर्ष 2018 त‍क की अवधि के वास्‍ते भारत के लिए आसियान समन्‍वयक की भूमिका निभाने से दोनों पक्षों के बीच आपसी सहयोग और बढ़ेगा क्‍योंकि आसियान वर्ष 2015 तक एक पूर्ण समुदाय के रूप में तब्‍दील हो जायेगा। दोनों प्रधानमंत्रियों ने मेकांग-गंगा सहयोग को मजबूत करने की भी जरूरत बताई। उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र में तत्‍काल सुधार सुनिश्चित करने और स्‍थायी तथा गैर स्‍थायी दोनों ही सदस्‍यता श्रेणियों में संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का विस्‍तार करने पर भी बल दिया। इसके तहत विकासशील देशों का प्रतिनिधित्‍व बढ़ाने की जरूरत को भी रेखांकित किया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने विस्‍तृत यूएनएससी में स्‍थायी सदस्‍यता के लिए भारत की उम्‍मीदवारी को वियतनाम की ओर से लगातार समर्थन मिलने पर कृतज्ञता प्रकट की। दोनों ही प्रधानमंत्रियों ने यूएनएससी की गैर स्‍थायी सदस्‍यता के लिए एक-दूसरे की उम्‍मीदवारी को समर्थन देने की फिर से पुष्टि की। इसके तहत 2020-21 के कार्यकाल के लिए वियतनाम की सदस्‍यता और 2021-22 के कार्यकाल के लिए भारत की सदस्‍यता का समर्थन करने का प्रस्‍ताव है। भारत ने शांति बनाये रखने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र के अभियानों के लिए क्षमता वृद्धि में वियतनाम को मदद देने पर भी सहमति जताई।

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दोनों प्रधानमंत्रियों ने एशिया एवं उससे बाहर शांति, स्थिरता, विकास तथा समृद्धि के लिए आपस में मिलजुलकर काम करने की इच्‍छा जताई तथा संकल्‍प व्‍यक्‍त किया। उन्‍होंने इस बात पर सहमति जताई कि पूर्वी सागर/दक्षिण चीन सागर में नौवहन तथा उसके ऊपर हवाई उड़ानों की आजादी को बरकरार रखा जाना चाहिए। उन्‍होंने संबंधित पक्षों से संयम बरतने, धमकी अथवा बल के इस्‍तेमाल को टालने और यूएनसीएलओएस-1982 समेत अंतर्राष्‍ट्रीय कानून के वैश्विक मान्‍य सिद्धांतों के अनुरूप शांतिपूर्ण तरीकों से विवादों को निपटाने पर जोर दिया। उन्‍होंने दक्षिण चीन सागर में संबंधित पक्षों के आचरण पर वर्ष 2002 के घोषणा पत्र के पालन तथा अमल और आम सहमति के आधार पर दक्षिण चीन सागर में आचार संहिता के अनुमोदन के वास्‍ते काम करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा जताई गई सामूहिक प्रतिबद्धता का स्‍वागत किया। उन्‍होंने समुद्री मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, नौवहन सुरक्षा, तस्‍करी की समस्‍या से निपटने और तलाश एवं बचाव कार्यों में सहयोग की जरूरत को भी रेखांकित किया। प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ज़ुंग की मौजूदगी में इन समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये गये : (क) नालंदा विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना पर एमओयू (ख) वियतनाम के क्‍वांग नाम प्रांत में विश्‍व धरोहर स्‍थल ‘’मी सों" के संरक्षण एवं पुनर्निर्माण के लिए एमओयू (ग) दूरसंचार विश्‍वविद्यालय में अंग्रेजी भाषा एवं सूचना प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण के लिए केंद्र की स्‍थापना पर एमओयू (घ) सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम 2015-17 (ड.) श्रव्‍य-दृश्‍य कार्यक्रमों के आदान-प्रदान के लिए एमओयू (च) ओवीएल तथा पेट्रोवियतनाम के बीच एचएओ (छ) ओएनजीसी तथा पेट्रोवियतनाम के बीच एमओयू।

1 (42)-684गर्मजोशी भरे माहौल में दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बातचीत सौहार्दपूर्ण रही। प्रधानमंत्री ज़ुंग ने अपनी अगवानी तथा शानदार आवभगत के लिए कृतज्ञता प्रकट की। उन्‍होंने आपसी सुविधा वाली तिथि पर प्रधानमंत्री श्री मोदी को वियतनाम की यात्रा करने का न्‍यौता दिया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने खुशी जाहिर करते हुए उनका निमंत्रण स्‍वीकार किया। राजनयिक चैनलों के जरिये इस यात्रा की तिथियां तय की जायेंगी।

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PM Modi to inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 on 25th November
November 24, 2024
PM to launch UN International Year of Cooperatives 2025
Theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi”

Prime Minister Shri Narendra Modi will inaugurate ICA Global Cooperative Conference 2024 and launch the UN International Year of Cooperatives 2025 on 25th November at around 3 PM at Bharat Mandapam, New Delhi.

ICA Global Cooperative Conference and ICA General Assembly is being organised in India for the first time in the 130 year long history of International Cooperative Alliance (ICA), the premier body for the Global Cooperative movement. The Global Conference, hosted by Indian Farmers Fertiliser Cooperative Limited (IFFCO), in collaboration with ICA and Government of India, and Indian Cooperatives AMUL and KRIBHCO will be held from 25th to 30th November.

The theme of the conference, "Cooperatives Build Prosperity for All," aligns with the Indian Government’s vision of “Sahkar Se Samriddhi” (Prosperity through Cooperation). The event will feature discussions, panel sessions, and workshops, addressing the challenges and opportunities faced by cooperatives worldwide in achieving the United Nations Sustainable Development Goals (SDGs), particularly in areas such as poverty alleviation, gender equality, and sustainable economic growth.

Prime Minister will launch the UN International Year of Cooperatives 2025, which will focus on the theme, “Cooperatives Build a Better World,” underscoring the transformative role cooperatives play in promoting social inclusion, economic empowerment, and sustainable development. The UN SDGs recognize cooperatives as crucial drivers of sustainable development, particularly in reducing inequality, promoting decent work, and alleviating poverty. The year 2025 will be a global initiative aimed at showcasing the power of cooperative enterprises in addressing the world’s most pressing challenges.

Prime Minister will also launch a commemorative postal stamp, symbolising India’s commitment to the cooperative movement. The stamp showcases a lotus, symbolising peace, strength, resilience, and growth, reflecting the cooperative values of sustainability and community development. The five petals of the lotus represent the five elements of nature (Panchatatva), highlighting cooperatives' commitment to environmental, social, and economic sustainability. The design also incorporates sectors like agriculture, dairy, fisheries, consumer cooperatives, and housing, with a drone symbolising the role of modern technology in agriculture.

Hon’ble Prime Minister of Bhutan His Excellency Dasho Tshering Tobgay and Hon’ble Deputy Prime Minister of Fiji His Excellency Manoa Kamikamica and around 3,000 delegates from over 100 countries will also be present.