प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा के बीच आज सुबह बैठक हुई। अपनी पहली द्विपक्षीय शिखर वार्ता में राष्ट्रपति श्री ओबामा ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनाव में प्रधानमंत्री श्री मोदी की ऐतिहासिक विजय की सराहना की।

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दोनों नेताओं ने अमेरिका और भारत के बीच व्यापक रणनीतिक और वैश्विक भागीदारी की सराहना की, जो दोनों देशों और दुनिया भर के नागरिकों को ज्यादा खुशहाल बनाने तथा उन्हें सुरक्षा प्रदान करना जारी रखेगी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत के जिम्मेदार और प्रभावशाली विश्व शक्ति बनने की दिशा में अमेरिका उसका सैद्धांतिक भागीदार है इसलिये भारत, उसके साथ भागीदारी को अहमियत देता है। दोनों देशों के साझा मूल्यों, जनता के बीच संबंधों और बहुलवादी परम्पराओं का हवाला देते हुए राष्ट्रपति श्री ओबामा ने कहा कि मित्र और भागीदार के रुप में भारत का उदय अमेरिका के हित में है। उन्होंने कहा कि उनका प्रथम "रणनीतिक भागीदारी संबंधी विजन दस्तावेज" अगले 10 वर्षों के लिए वैश्विक स्थायित्व और जनता की आजीविका के लाभ के लिए हरेक क्षेत्र में सहयोग और सशक्त एवं और प्रगाढ़ बनाने का मार्गदर्शक बनेगा। उन्होंने दोनों देशों के संबंधों के नये मंत्र "चलें साथ-साथ" के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि द्विपक्षीय रिश्तों को दोनों देशों में जबरदस्त समर्थन प्राप्त है, जिसकी बदौलत सरकारें बदलने के बावजूद रणनीतिक भागीदारी फलती-फूलती रही है। अपने नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए शुरू की गई व्यापक सामूहिक गतिविधियों का स्वागत करते हुए दोनों नेताओं ने वर्तमान भागीदारी में नई जान डालने और सहयोग तथा परस्पर लाभ के नये क्षेत्र तलाशने पर सहमति व्यक्त की।

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आर्थिक वृद्धि

दोनों देशों का व्यापार सन् 2001 से पाँच गुना बढ़कर लगभग सौ अरब डॉलर तक पहुंचने का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति श्री ओबामा और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इसे और पाँच गुना बढ़ाने की दिशा में उठाए जाने वाले जरूरी कदमों में सहायता करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। राष्ट्रपति श्री ओबामा और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्वीकार किया कि निरंतर, समावेशी और रोजगारोन्मुख वृद्धि तथा विकास की दिशा में अमेरिका और भारत के व्यापार को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

संस्थागत निवेशकों और कॉरपोरेट इकाइयों के निवेश को बढ़ावा देने के लिए दोनों नेताओं ने पूंजीगत बाजार विकास और अवसंरचना को वित्तीय सहायता देने पर विशेष ध्यान देते हुए वित्त मंत्रालय और वित्त विभाग के नेतृत्व में भारत-अमेरिका निवेश पहल की स्थापना की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने भारत में ढांचागत परियोजनाओं में अमेरिकी कंपनियों की भागीदारी बढ़ाने के लिए वित्त मंत्रालय और वाणिज्य विभाग द्वारा अवसंरचना सहयोग मंच की स्थापना करने का भी संकल्प व्यक्त किया।

इस संदर्भ में, अजमेर (राजस्थान), विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) और इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) में स्मार्ट सिटीज विकसित करने के लिए अमेरिकी उद्योग जगत को प्रमुख भागीदार बनाने संबंधी भारत की पेशकश का अमेरिका सरकार ने स्वागत किया। प्रधानमंत्री 2015 में अमेरिकी प्रौद्योगिकी और सेवाओं सहित भारत की ढांचागत जरूरतें पूरी करने पर केन्द्रित दो व्यापारिक मिशनों का स्वागत करेंगे।

उन्होंने सभी को साफ पानी और स्वच्छता उपलब्ध कराने के प्रधानमंत्री के लक्ष्य को आगे बढ़ाने की दिशा में नई भागीदारी के लिए भी संकल्पबद्धता व्यक्त की। शहरी भारत जल, साफ-सफाई और स्वच्छता (डब्ल्यूएएसएच) गठबंधन के जरिए यूएसएआईडी निजी और सिविल सोसायटी नवरचना, विशेषज्ञता और प्रौद्योगिकी को बल प्रदान करने के लिए ज्ञान भागीदार के रुप में योगदान देगी, यथा बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन प्रधानमंत्री के 500 सिटीज राष्ट्रीय शहरी विकास मिशन और स्वच्छ भारत अभियान में सहायता देगी।

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राष्ट्रपति श्री ओबामा ने सभी नागरिकों को बुनियादी वित्तीय सेवाएं प्रदान करने, उन्हें अपने वित्त का प्रबंधन करने का सशक्त माध्यम प्रदान करने और भारत की विकास की राह पर अग्रसर अर्थव्यवस्था में उन्हें पूर्ण भागीदार बनाने की प्रधानमंत्री श्री मोदी की महत्वकांक्षी योजना का स्वागत किया। राष्ट्रपति श्री ओबामा और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि अमेरिकी व्यापार और विकास एजेंसी के अभिगम कार्यक्रम सहित अमेरिकी रेल ईंजन प्रौद्योगिकी, रेल प्रणाली परिसंपत्तियों की निगरानी के उपकरण तथा अमेरिका की उत्कृष्ट पद्धतियां, भारत के विशाल रेलवे नेटवर्क के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

दोनों नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में मौजूदा गतिरोध और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली पर उसके प्रभाव के बारे में चर्चा की और अपने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे डब्ल्यूटीओ के अन्य सदस्य देशों के साथ भावी कदमों के बारे में तत्काल चर्चा करें। दोनों नेतों ने कारोबार के अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने के लिए व्यापार नीति मंच के माध्यम से काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, ताकि कंपनियां भारत और अमेरिका में निवेश तथा निर्माण करने के लिए आकर्षित हो सकें। आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए नवरचना को प्रोत्साहन देने की जरूरत पर सहमति व्यक्त करते हुए दोनों नेताओं ने व्यापार नीति मंच के अंग के रुप में उचित निर्णय लेने वाली और तकनीकी स्तर की बैठकों सहित वार्षिक उच्च स्तरीय बौद्धिक संपदा कार्य समूह की स्थापना की प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने भारत- अमेरिका व्यापार एवं निवेश संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में भारतीय और अमेरिकी सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग तथा आईटी सक्षम सेवा उद्योग के योगदान को स्वीकार किया।

दोनों नेताओं ने 2015 के आरंभ में आधुनिक विनिर्माण में नवरचना सहित सहयोग के नये क्षेत्रों में वाणिज्यिक वार्ता के अंतर्गत सार्वजनिक-निजी विचार विमर्श आयोजित करने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की। विनिर्माण में उत्कृष्ट पद्धतियां साझा करने के लिए मानदंडों में व्यापक तालमेल कायम करने के वास्ते, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैंडर्डस एंड टेक्नोलॉजी का विनिर्माण विस्तार भागीदारी कार्यक्रम भारतीय समकक्षों के साथ संवाद शुरू करेगा। दोनों देशों की सीमापार व्यापार और निवेश में व्यापक विश्वास सुगम बनाने के लिए कई साझा पहलों के जरिए तेजी से काम करने की योजना है।

      दोनों नेता 2015 के आरंभ में होने वाली वार्षिक अमेरिकी-भारत आर्थिक और वित्तीय भागीदारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी फैडरल डिपोजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन, फैडरल रिजर्व सिस्टम के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और कम्पट्रोलर ऑफ करंसी कार्यालय सहित वित्तीय संस्थानों की निगरानी की दिशा में भागीदारी बढ़ाने का भी स्वागत किया। उन्होंने भारत- अमेरिका सीईओ फोरम में नई जान डालने पर भी सहमति व्यक्त की और वर्ष 2015 के आरंभ में दूसरी बार फोरम की मेज़बानी करने की भारत की पेशकश का स्वागत किया।

 ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन

दोनों नेताओं ने भारत- अमेरिकी असैन्य परमाणु समझौते को पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने अमेरिका निर्मित परमाणु बिजली घरों से भारत में बिजली उपलब्ध कराने के साझा लक्ष्य को जल्द पूरा करने के लिए असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने के लिए संपर्क समूह स्थापित किया। उन्होंने सिर्फ प्रशासनिक मामलों तक सीमित न रहते हुए उत्तरदायित्व, तकनीकी मामलों और वेस्टिंगहाऊस और जीई हिताची टेक्नोलॉजी वाले पॉवर प्लांट्स सहित परमाणु पार्कों की स्थापना में सहायता देने के लिए लाइसेंसिग सहित कार्यान्वयन से जुड़े सभी मामलों पर बातचीत आगे बढ़ाने की मंशा जाहिर की।

ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने, ग्रीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने तथा जलवायु परिवर्तन के लिए बेहतर लचीलेपन की महत्वपूर्ण आवश्यकता स्वीकार करते हुए राष्‍ट्रपति श्री ओबामा और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ऊजा सुरक्षा, स्‍वच्‍छ ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन पर नई एवं व्‍याक रणनीतिक भागीदारी बनाने पर सहमति व्‍यक्‍त की। उन्होंने उपयोगी शहरी ऊर्जा अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए नये प्रकार की एनर्जी स्मार्ट सिटीज पार्टनरशिप, भारत के पावर ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण को बढ़ावा देने के नये कार्यक्रम, भारत के वैकल्पिक ऊर्जा संस्थानों को अद्यतन बनाने और नये नवरचना केन्द्र विकसित करने के प्रयासों में सहयोग, अतिरिक्त निजी क्षेत्र निवेश और किफायती, अत्यधिक कारगर उपकरणों की तैनाती में तेजी लाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के जरिए ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाने (पीईएसीई) संबंधी कार्यक्रम का विस्तार तथा स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए नये स्वच्छ ऊर्जा वित्तीय मंच के गठन सहित कई प्राथमिकता वाली पहलों के माध्यम से अत्यधिक सफल अमरीका-भारत के बीच पार्टनरशिप टू एडवांस क्लीन एनर्जी (पीएसीई) को सशक्त बनाने और उसका दायरा बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

 दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन पर नये वैश्विक समझौते की रचना सहित पेरिस में 2015 में होने वाले जलवायु परिवर्तन संबंधी संयुक्त राष्ट्र संधि के प्रारुप (यूएनएफसीसीसी) के सफल परिणामों की दिशा में काम करने की भी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

दोनों नेताओं ने हाइड्रो-फ्लोरो कार्बन्स (एचएफसी) में कमी लाने के बारे में पिछले द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वक्तव्यों को याद किया। उन्होंने स्वीकार किया कि यूएनएफसीसीसी के अंतर्गत मात्रा में कमी लाने की जानकारी और गणना जारी रखते हुए एचएफसी की खपत और उसके उत्पादन में कमी लाने के लिए मॉन्ट्रील प्रोटोकॉल की संस्थाओं और विशेषज्ञता को इस्तेमाल में लाने की जरूरत है। उन्होंने मॉन्ट्रील प्रोटोकॉल की अगली बैठक से पहले सुरक्षा, लागत, एचएफसी के बदले नई और वैकल्पिक प्रौद्योगिकियों तक व्यवसायिक पहुंच जैसे मामलों पर चर्चा के लिए एचएफसी के बारे में अपने द्विपक्षीय कार्यबल की आपात बैठक बुलाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उसके बाद दोनों पक्ष एचएफसी द्वारा प्रस्तुत धरती के बढ़ते तापमान संबंधी चुनौती से निपटने में सहयोग करेंगे।

उन्होंने जलवायु के अनुकूल नियोजन और जलवायु परिवर्तन तथा इंसानों के स्वास्थ्य के लाभ के लिए वायु गुणवत्ता संबंधी नये कार्यक्रम के लिए क्षमता बढ़ाने के वास्ते जलवायु लचीलेपन संबंधी नई अमरीका-भारत भागीदारी का आरंभ किया।

उन्होंने दोनों देशों में जलवायु परिवर्तन से संबंधी मामलों को सुलझाने के लिए दीर्घकालिक क्षमता बनाने के लिए नये अमरीका-भारत जलवायु फैलोशिप कार्यक्रम की भी शुरूआत की। राष्ट्रपति श्री ओबामा और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे इस तरह की पहलों को आगे बढ़ाने के लिए अमरीका-भारत ऊर्जा संवाद, जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी अमरीका-भारत संयुक्त कार्यसमूह और अन्य संबंधित मंचों के माध्यम से कार्य करें।

दोनों नेताओं ने निर्यात-आयात बैंक और भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी के बीच समझौता ज्ञापन का स्वागत किया, इससे भारत में अमरीकी नवीकरणीय ऊर्जा निर्यात को बढ़ावा देते हुए, कम कार्बन और जलवायु-लचीलेपन वाली ऊर्जा अर्थव्यवस्था में बदलाव के भारत के प्रयासों को प्रोत्साहन देने के लिए एक अरब डॉलर की राशि उपलब्ध हो सकेगी। दोनों नेताओं ने भारत की मूल्यवान जैव-विविधता के संरक्षण का महत्व दोहराया और राष्ट्रीय उद्यानों तथा वन्य जीव संरक्षण में सहयोग की संभावनाएं तलाशने पर सहमति व्यक्त की।

रक्षा और राष्ट्र सुरक्षा सहयोग

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा मजबूत करने के लिए रक्षा सहयोग का विस्तार करने की अपनी इच्छा जाहिर की। दोनों नेताओं ने इस बात पर प्रतिबद्धता दोहरायी कि भारत और अमेरिका स्थायी मित्रता कायम करेंगे, जिसमें दोनों पक्ष रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, व्यापार, अनुसंधान, सह-उत्पादन और सहविकास क्षेत्रों सहित एक दूसरे के साथ नजदीकी भागीदार के रूप में एक दूसरे के साथ समान व्यवहार करेंगे।

रक्षा उत्पादन में सहयोग को और मजबूती प्रदान करने के लिए उन्होंने अमेरिका-भारत रक्षा संबंधों के 2005 के ढांचे का 10 और वर्षों के लिए नवीकरण करने के निर्णय का स्वागत किया। दोनों नेता राजनीतिक-सैन्य वार्ता को पुनर्जीवित करने, निर्यात लाइसेंस प्रदान करने तथा रक्षा सहयोग और सामरिक सहयोग में इसकी भूमिका बढाने के लिए  विस्तृत वार्ता करने पर भी सहमत हुए।

दोनों नेताओं ने सितम्बर 2014 में रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी पहल के ढांचे के अधीन पहली बैठक का स्वागत किया और विशिष्ट परियोजनाओं और प्रौद्योगिकियों की समीक्षा करने और उन पर तेजी से निर्णय लेने के लिए कार्य बल स्थापित करने के निर्णय पर जोर दिया। इससे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों पर सुधारात्मक प्रभाव पड़ेगा और भारत के रक्षा उद्योग तथा सैन्य क्षमताओं में बढोतरी होगी।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने सैनिक शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सहयोग का स्वागत किया और भारत के योजित राष्ट्रीय रक्षा विश्व विद्यालय में सहयोग करने के लिए अमेरिका की योजनाओं का समर्थन किया। उन्होंने विशेषज्ञों के आदान-प्रदान, वार्ताओं, संयुक्त प्रशिक्षण और अभ्यासों सहित सेना  से सेना में भागीदारियों को बढाने का भी निर्णय लिया। उन्होंने नागरिक और सैन्य इन्टैलिजेंस और परामर्श  बढाने का निर्णय लिया।

दोनों नेताओं ने नेवीगेशन की स्वतंत्रता और अंतर्राष्ट्रीय कानून के मान्य सिद्धातों के अनुसार कानूनी नौवहन और व्यापारिक गतिविधियों की बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए सहमति व्यक्त की। इस उद्देश्य को हासिल करने के लिए दोनों पक्षों ने प्रौद्योगिकी सहयोग के संभावित क्षेत्रों की समीक्षा सहित भारत की  नौसेना के लिए प्रौद्योगिकी भागीदारियां बढाने के बारे में विचार-विमर्श किया। वे वर्तमान द्विपक्षीय अभ्यास मालाबार को उन्नत बनाने पर भी सहमत हैं।

नेताओं ने आतंकवाद की लगातार बढ़ रही चुनौती और अभी हाल में आईएसआईएल द्वारा पेश किए गए खतरों के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की और आतंकवाद का मुकाबला करके उसे मात देने के लिए व्यापक वैश्विक प्रयास जारी रखने की जरूरत पर जोर दिया। नेताओं ने आतंकवाद और आपराधिक गतिविधियों के सुरक्षित ठिकानों तथा अल-कायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद, डी कंपनी और हक्कानिस जैसे संगठनों के नेटवर्क के लिए सभी वित्तीय तथा नीतिगत समर्थन नष्ट करने के लिए संयुक्त और ठोस प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने पाकिस्तान से मुम्बई में नवम्बर 2008 में हुए आतंकवादी हमले के दोषियों को न्यायालय को सौंपने का फिर से आह्वान किया। उन्होंने अपराधी कानून लागू करने, सुरक्षा, सैन्य सूचना आदान-प्रदान और प्रत्यावरण तथा आपसी कानूनी सहायता के संबंध में सहयोग को और मजबूत करने के बारे में प्रतिबद्धता व्य़क्त की। उन्होंने अपनी कानून लागू करने वाली एजेंसियों से नकली मुद्रा का प्रसार रोकने और आतंकवादियों, अपराधियों और गैर कानूनी उद्देश्यों के लिए इंटरनेट का प्रयोग करने वाले अपराधियों द्वारा साइबर स्पेस के उपयोग को परिचालन सहयोग द्वारा रोकने तथा अपराधी और आतंकवादी गतिविधियों की जांच में मदद देने का लक्ष्य रखा। उन्होंने आतंकवादियों की सूचियों के आदान-प्रदान के तौर-तरीकों की पहचान करने के लिए प्रतिबद्धता दर्शायी। राष्ट्रपति ओबामा ने सूचना और प्रौद्योगिकी की मदद से विस्फोटक उपकरणों की चुनौती का मुकाबला करने के लिए भारत की मदद करने का वायदा किया। नेताओं ने भारत को अमेरिका में निर्मित बारूदी सुरंग विस्फोट निरोधक वाहन देने के प्रावधान को आगे बढाने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दोनों देशों में यात्रा को आसान बनाने के लिए सहमति व्यक्त की। भारत ने 2015 में अमेरिकी नागरिकों को भारत आगमन पर वीजा देने की योजना शुरू की है और भारतीय नागरिकों के लिए संयुक्त राष्ट्र वैश्विक प्रवेश कार्यक्रम उपलब्ध कराने की आवश्यकताओं को पूरा करने का कार्य शुरू किया गया है।

उच्च प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष एवं स्वास्थ्य सहयोग

मूलभूत विज्ञान एवं उच्च प्रौद्योगिकी सहयोग सामरिक भागीदारी का मुख्य स्तम्भ रहा है। दोनों नेताओं ने नवीन प्रौद्योगिकी में संयुक्त गतिविधियों का विस्तार करने के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुबंध का नवीकरण करने की पुष्टि की है।  प्रधानमंत्री ने नवम्बर 2014 में आयोजित भारत के वार्षिक प्रौद्योगिकी सम्मेलन में पहली बार एक भागीदार देश के रूप में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का स्वागत किया है। इसके अलावा उन्होंने नौंवा उच्च प्रौद्योगिकी की सहयोग समूह (एचटीसीजी) आयोजित करने के लिए प्रतिबद्धता दर्शायी। उन्होंने दोनों देशों के नागरिकों के लाभ और वैश्विक विकास चुनौतियों को दूर करने के लिए नवाचार के उपयोग हेतु नवाचार के  स्रोतों का पता लगाने के लिए नए भागीदार बनाने की भी योजना बनाई है।

राष्ट्रपति ने अमेरिका ऊर्जा विभाग के साथ उच्च-ऊर्जा भौतिकी और त्वरित अनुसंधान और विकास के बारे में भारत के सहयोग और योगदान की सराहना की। राष्ट्रपति ने नए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में अमेरिकी संस्थान की भागीदारी करने के प्रस्ताव के लिए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया।

दोनों नेताओं ने डिजिटल मूल ढांचा बढाने, ई-गवर्नेंस और ई-सर्विस स्थापित करने, प्रौद्योगिकी सहयोग को प्रोत्साहित करने और भारत के नागरिक को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से डिजिटल इंडिया पहल में भागीदार बनने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की। राष्ट्रपति ने ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडेमिक नेटवर्क (ज्ञान) की स्थापना करने के लिए भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया। जिसके तहत भारत प्रतिवर्ष 1000 तक अमेरिकी शिक्षाविदों को उनकी सुविधा के अनुसार केंद्र द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में छात्रों को पढाने के लिए आमंत्रित करेगा।

दोनों नेताओं ने अपने-अपने मंगल अभियान के अपने कक्ष में दो दिन के अंतराल से हुए सफल प्रवेश के बारे में एक-दूसरे को बधाई दी। उन्होंने अमेरिका-भारत सिविल स्पेस संयुक्त कार्यदल के अधीन नासा-इसरो मार्श संयुक्त कार्यदल की पहली बैठक की स्थापना और योजना का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने 2021 में शुरू किए जाने वाले नासा-इसरो सिंथेटिक अपरचर रडार (एनआईएसएआर) मिशन के समर्थन में नए समझौते के सफल निष्कर्ष के लिए उत्सुकता जाहिर की।

भारत और अमेरिका ने अंतरिक्ष स्थितिक जागरुकता और बाहरी अंतरिक्ष में टकराव रोकने सहित दीर्घकालीन सुरक्षा और बाह्य अंतरिक्ष में स्थिरता पर नई वार्ता शुरू करने की इच्छा जाहिर की।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य क्षेत्र में चल रहे बड़े सहयोग की सराहना की जिसे वे इबोला वायरस के फैलने की रोकथाम में भी उपयोग करेंगे। राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र निधि में भारत के योगदान और इबोला के खिलाफ प्रयासों में तेजी लाने के लिए दिए गए दान के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए प्रतिरूपण तैयार करने, त्वरित तैनात योग्य नैदानिक उपकरणों के संयुक्त उत्पादन और कार्य कर्मियों के संयुक्त प्रशिक्षण में स्रोतों के संसाधनों के निवेश सहित इबोला के विरुद्ध लड़ाई में भारतीय विशेषज्ञों को तैनात करने का प्रस्ताव दिया। अमेरिका अन्य देशों में भारत के सफल प्रयासों सहित निरोधक शिशु एवं मातृ-मृत्यु दर और घटाने के लिए भारत के प्रयासों में मदद करने के लिए तैयार है।

दोनों नेता डेंगू, मलेरिया और टीबी के लिए सस्ते टीके विकसित करने के लिए भारत-अमेरिका टीका कार्य कार्यक्रम का नया चरण शुरू करने और एक सहायक विकास केंद्र स्थापित करने के लिए राजी हैं। उन्होंने सहयोगी कार्यक्रम विकसित करने सहित कैंसर अनुसंधान और रोगी देखभाल की क्षमता में बढोतरी करने के लिए सहयोगी गतिविधियां शुरू करने पर सैद्धांतिक रूप से सहमति व्यक्त की। राष्ट्रपति ने वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंडा में शीर्ष भूमिका निभाने के लिए भारत के प्रस्ताव का स्वागत किया।

अंतराष्‍ट्रीय मुद्दे और क्षेत्रीय विचार-विमर्श 

साझा लोकतांत्रिक मूल्‍यों के प्रति ध्‍यान दिलाते हुए राष्‍ट्रपति श्री बराक ओबामा और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत और अमरीका में महिलाओं द्वारा निभाई जा रही महत्‍वपूर्ण भूमिका जिसे भारत द्वारा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं अभियान द्वारा भी प्रदर्शित किया गया, का ध्‍यान दिलाया। दोनों देश महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए महिला आधिकारिता वार्तालाप आयोजित करेंगे और महिलाओं के विरूद्ध हिंसा के प्रति कोई सहनशीलता न रखने की प्रतिबद्धता दोहराई।

अंतर्राष्‍ट्रीय अप्रसार और निर्यात नियंत्रण नीति को मजबूत करने के प्रति राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री ने परमाणु वितरक समूह (एनएसजी) मिसाइल तकनीक नियंत्रण व्‍यवस्‍था (एमटीसीआर) वेसनार समझौत और ऑस्‍ट्रेलिया समूह में भारत की क्रमबद्ध प्रवेश के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की। राष्‍ट्रपति श्रीबराक ओबामा ने कहा कि भारत एमटीसीआर की आवश्‍यकताओं को पूर्ण करता है और एनएसजी की सदस्‍यता के लिए तैयार है। उन्‍होंने सभी चारों व्‍यवस्‍थाओं में भारत के प्रवेश और शीघ्र अनुप्रयोग का समर्थन किया।

परमाणु सुरक्षा शिखर सम्‍मेलन के सक्रिय पक्षकारों के रूप में अमेरिका और भारत ने आंतकवादियो द्वारा परमाणु हथियारों या संबधित पदार्थों को प्राप्त करने संबधी खतरों कम करने में प्रगति का स्वागत किया और राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर परमाणु सुरक्षा को बढाने के प्रति साझा प्रतिबद्धता स्पष्ट की। दोनों देशों ने परमाणु सुरक्षा पर दिपक्षीय वार्ता की समीक्षा की और परमाणु ऊर्जा के विश्वस्तर पर सुरक्षित प्रयोग के लिए भारत को वैश्विक स्तर पर परमाणु ऊर्जा भागीदारी का केंद्र बनाने के प्रति कार्य करने का समर्थन किया। दोनों देशों ने सामूहिक विनाश के अस्त्रों का अप्रसार, अंतराष्ट्रीय मामलों में परमाणु हथियारों की प्रमुखता को कम करने और गैर-पक्षपाती वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व के लिए भागीदारी को सशक्त करने का संकल्प लिया।

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भारत की पूर्वी एशिया के प्रति कार्य करने की नीति का उल्लेख और अमेरिका के एशिया पर संतुलन पर दोनो नेताओं ने अन्य एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ विमर्श, वार्तालाप और संयुक्त अभ्यास के अधिक कार्य करने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होनें जापान के साथ दिपक्षीय वार्ता की महत्ता को रेखांकित किया औऱ दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच इस वार्तालाप को करने की इच्छा जाहिर की।

राष्ट्रपति औऱ प्रधानमंत्री ने क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण द्वारा दक्षिण,दक्षिणपूर्व और मध्य एशिया को जोडने के लिए आधारभूत संयोजकता और आर्थिक विकास कोरीडोर पर शीघ्रता से कार्य करने की आवश्यकता पर जोर दिया। राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा ने दोहराया कि अमेरिका नए सिल्क मार्ग औऱ भारत-प्रशांत आर्थिक कारीडोर के द्वारा भारत के पडोसी देशों ओर विस्तृत क्षेत्र से संपर्क को प्रोत्साहन दे रहा है, जिसके वाणिज्य और ऊर्जा का मुक्त प्रवाह हो सके।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने तीन अफ्रीकी देशों में कृषि नवाचार के क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग का उल्लेख किया। उन्होनें अन्य देशों में कई क्षेत्रों कृषि उत्पादकता, स्वच्छ ऊर्जा, स्वास्थ्य, महिला आधिकारिता और आपदा से निपटने में तैयारी के क्षेत्र में नए समझौते द्वारा संयुक्त विकास पहल की घोषणा की। दोनों देश अफगानिस्तान में महिलाओं की आर्थिक आधिकारिता को प्रोत्साहन करने के लिए लाभकारी सहयोग को जारी रखेगें।

राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने एशिया प्रशांत क्षेत्र की निरंतर समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण शांति और स्थिरता को बनाए रखने के लिए साझा रूचि के प्रति पुन: पुष्टि की। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय समुद्री विवादों को लेकर बढते तनाव पर चिंता व्यक्त की और संपूर्ण क्षेत्र विशेष तौर पर दक्षिणी चीन सागर में समुद्री रक्षा की महत्ता और नौपरिवहन और हवाई सेवा को सुनिश्चित करने को दोहराया। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने सभी पक्षों से अपने दावों के लिए बलप्रयोग करने या इसकी धमकी देने से बचने का अनुरोध किया। दोनों नेताओं ने संबधित पक्षों से अपने क्षेत्रीय औऱ समुद्री विवादों को मान्यताप्राप्त अंतराष्ट्रीय कानूनों के सिद्धातों जिसमें समुद्री क्षेत्र पर संयुक्त राष्ट्र संघ समझौता सम्मिलित है द्वारा सभी संभव शांति प्रयासों द्वारा हल करने का संकल्प लेने के प्रति अऩुरोध किया।

भारत और अमेरिका विश्व संकट के विषयों पर अधिक विचार-विमर्श के लिए सहमत हुए, जिसमें सीरिया और ईराक में हो रहे घटनाक्रम विशेषतौर पर शामिल हैं। दोनों देश इन संकटग्रस्त क्षेत्रों से लौटने वाले अपने नागरिको के संबध में सूचनाओं के आदान-प्रदान करने और इन क्षेत्रों में फंसे नागरिकों की आवश्यकता पर प्रतिक्रिया देने और उनकी रक्षा करने में सहयोग करेगें।

अफगानिस्तान के साथ दोनों देशों की सामरिक भागीदारी की महत्ता को स्वीकार हुए दोनो नेताओं ने निरंतर, सम्मिलित, सार्वभौम और लोकतांत्रिकराजनीतिक सुव्यवस्था की महत्ता को दोहराया। दोनों देश अफगानिस्तान के भविष्य के समर्थन के प्रति परस्पर विचार-विमर्श को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होनें इरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतराष्ट्रीय समुदाय की गंभीर चिंताओं को कूटनीति द्वारा सुलझाने की आवश्यकता पर जोर दिया और इरान से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा लगाए शर्तों का पालने करने और अंतराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एंजेसी के साथ पूर्ण सहयोग करने को कहा।

दोनो नेताओं ने उत्तरी कोरिया द्वारा यूरेनियम संवर्धन करने और परमाणु हथियारों और प्रेक्षेपात्र के निरंतर विकास पर चिंता जाहिर की। उन्होनें उत्तरी कोरिया से हथियार न बनाने और अन्य बिंदुओं के प्रति ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया। इसमें वर्ष 2005 में छह पक्षों की वार्ता के अंतर्गत दी गई वचनबद्धता और संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी संबधित प्रस्ताव शामिल हैं।

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राष्ट्रपति ने विगत 60 वर्ष में विश्व शांति और स्थिरता के लिए भारतीय शांतिबलों के योगदान की सराहना करते हुए भारत द्वारा अन्य देशों के शांतिबलों को प्रशिक्षण देने के लिए दिल्ली में केंद्र बनाने का स्वागत किया। राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रति सहयोग के लिए प्रतिबद्धता दोहराते हुए दोनो नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र संघ के घोषणापत्र के तहत अंतराष्ट्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने में सुरक्षा परिषद की प्रभावी भूमिका को सुनिश्चित करने को कहा।

राष्ट्रपति ने अंतराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों में भारत की भूमिका बढाने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने औऱ बहुस्तरीय विकास बैंको द्वारा आधारभूत ढांचे के लिए वित्त प्रयोग करने को रचनात्मकता दवारा प्रयोग करने को कहा।

राष्ट्रपति ने भारत जैसे महान देश पधारने के लिए प्रधानमंत्री के शालीन निमंत्रण का धन्यवाद दिया। समापन करते हुए दोनो नेताओं ने लचीली और महत्वाकांक्षी भागीदारी द्वारा पहले सामरिक भागीदारी के लिए विजन वक्तव्य के प्रति दीर्धकालिक दृष्टिकोण को दोहराया जिसे वे अपनी सरकार और नागरिकों के लिए मार्गदर्शक रूपरेखा रखेगें।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा, अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य के दौरान दी गयी टिप्पणी का मूल पाठ 

प्रेसिडेंट ओबामा और मीडिया के सभी सदस्य

सबसे पहले, मैं प्रेसिडेंट ओबामा के निमंत्रण और उनके गर्मजोशी से भरे स्वागत और आदर सत्कार के लिए मैं उनका आभार प्रकट करना चाहता हूँ।

पदभार ग्रहण करने के कुछ ही महीनों के अंदर, अमरीका आकर प्रेसिडेंट ओबामा से मिलकर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हुई है।

यह खुशी की बात है कि दोनों देशों के मिशनों के मार्स पहुंचने के कुछ ही दिनों के भीतर हम आज यहां मिल रहे हैं। भारत और अमरीका के बीच मार्स पर Summit के बाद, अब यह Summit धरती पर हो रहा है। यह शुभ संयोग हमारे संबंधों की क्षमता का प्रतिबिम्ब है।

इस यात्रा के दौरान, ख़ासकर President Obama से हुई बातचीत से, मेरा विश्वास और दृढ़ हो गया है कि भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक Partnership होना स्वाभाविक है। जो हमारे जुड़े हुए मूल्यों, हितों और digital age में हमारी क्षमताओं पर आधारित हैं।

President Obama और मैंने अपनी सहज आर्थिक प्राथमिकताओं के बारे में विस्तार से चर्चा की।

मेरा विश्वास है कि निकट भविष्य में भारत का एक बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास और परिवर्तन होगा। भारत में हम Policy ओर Process दोनों को बदलने पर बल दे रहें हैं, जिससे भारत के साथ Business करना सहज और लाभदायक होगा। भारत में आर्थिक अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि भारत-अमेरिका के आर्थिक संबंधों में तीव्र गति से विस्तार होगा।

मैंने President Obama से यह आग्रह किया है कि वह ऐसे कदम उठाएं जिससे भारत की Service कंपनियां US की market को आसानी से access कर सकें। हम दोनों Civil Nuclear Cooperation को आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और इससे जुड़े मुद्दों को जल्दी सुलझाने के प्रति गंभीर हैं। यह भारत की energy security के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

WTO के मुद्दों के ऊपर हमारी बड़ी खुलकर बातचीत हुई । भारत Trade facilitation का समर्थन करता है। परंतु मेरी यह भी अपेक्षा है कि ऐसा समाधान निकले जो हमारी Food Security की चिंताओं को भी दूर करे। मेरा विश्वास है कि यह जल्दी किया जा सकेगा।

Climate Change हम दोनों के लिए प्राथमिकता का विषय है। हमने तय किया है कि इस विषय पर आपसी संवाद व सहयोग बढ़ांएगे।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर रही चुनौतियों को लेकर भी दोनों देशों के विचारों में समानता है। इसमें Asia Pacific क्षेत्र में शांति तथा स्थिरता भी शामिल हैं। अमरीका हमारी 'Look East and Link West' Policy का अभिन्न अंग है।

दक्षिण एशिया सहित पश्चिम एशिया और अन्य क्षेत्रों में पनप रहे आतंकवाद की चुनौतियों पर हमने विस्तार से विचार-विमर्श किया। हमने counter terrorism और intelligence में पारस्परिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

अफगानिस्तान के लोगों ने हिंसा और आतंकवाद पर विजय पाने के अपने संकल्प का प्रदर्शन किया है। हम दोनों ने अफगानिस्तान को सहायता देते रहने की हमारी प्रतिबद्धता और इस क्षेत्र में अधिक coordination की आवश्यकता पर चर्चा की।

अफ्रीका में इबोला (Ebola) crisis को लेकर दोनों पक्षों में गहरी चिंता है। भारत ने इस crisis से निपटने और अन्य सहायता के लिए 12 million dollars की मदद देने का commitment किया है।

हमारे साझा हितों को ध्यान में रखकर हम अपने security dialogue और defence relations को और बढ़ाएंगे। मैं US Defence Companies को विशेषकर भारत की Defence manufacturing capacities के विकास में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता हूं।

पिछले चार दिनों में मैंने भारत और भारत-अमेरिकी partnership के प्रति अमेरिका में अपार रुचि और उत्साह देखा है। वह हमारे पारस्परिक संबंधों से जुड़ी उनकी आशाओं और उत्साह का प्रमाण है। और यही हमारी शक्ति और प्रेरणा होगी। इन संबंधों को नई ऊर्जा और दृढ़ता के साथ एक नए स्तर पर ले जाने में।

मैंने President Obama तथा उनके परिवार को भारत आने का निमंत्रण दिया है। मैं President Obama को, अमेरिका की जनता को और विशेषकर अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय के लोगों को उनकी गर्मजोशी तथा भव्य सत्कार के लिए धन्यवाद देता हूं।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।