हमने (भारत के प्रधानमंत्री और जर्मनी के संघीय चांसलर ) हैनोव और बर्लिन में अपनी रणनीतिक भागीदारी के उन्नयन और अधिक प्रगाढ़ करने के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया। हम एक दूसरे के विकास को दोनों देशों के बीच सहयोग का विस्तार करने के लिए परस्पर मजबूत और महत्वपूर्ण अवसरों के रूप में देखते हैं। हमारा सामान्य उद्देश्य सतत विकास, नवाचार एवं कौशल में जर्मन अभियांत्रिकी और अनुभव तथा भारत में उपलब्ध नए अवसरों तथा आर्थिक वृद्धि एवं सतत विकास को हासिल करने की दिशा में मेक इन इंडिया, क्लीन इंडिया एवं डिजिटल इंडिया और अन्य प्रयासों के बीच अधिक तालमेल को प्रोत्साहित करना है। हैनोव मेस्सी 2015 में भागीदार देश के रूप में भारत की भागीदारी इस सहयोग को मजबूत करने के लिए हमारी सामान्य इच्छा की स्वागतयोग्य अभिव्यक्ति है।

684-47 Modi n Angela Merkel at Joint Press Statement, Federal Chancellery, Berlin Germany (1)

हम विदेश नीति और सुरक्षा मुद्दों पर अपने संवाद के विस्तार के रास्ते तलाश रहे हैं। हम दोनों सरकारों के बीच परामर्श से पहले जर्मनी के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा और भारत के विदेश मंत्री की जर्मनी यात्रा का स्वागत करते हैं। अपनी भागीदारी को आगे बढ़ाते हुए, हम जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा एवं खाद्य सुरक्षा जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भी मिलकर काम करेंगे।

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हमें अक्तूबर 2015 में भारत में दोनों देशों की सरकारों के बीच तीसरे विचार-विमर्श से बहुत उम्मीद करते हैं। हमारी सामरिक भागीदारी नए और अधिक प्रगाढ़ता के दौर में प्रवेश कर रही है। इस सहयोग को मजबूत करने के लिए, हम निम्नलिखित क्षेत्रों में अपने सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए अति सक्रिय कदम उठाने के उद्देश्य से अपने संबंधित मंत्रालयों/विभागों को प्रोत्साहित करने पर सहमत हैं।

1. विनिर्माण: भारत की मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करने के लिए दोनों देशों के बिजनस और उद्योग के बीच मजबूत संबंधों को प्रोत्साहन देने के लिए हैनो मेस्सी में भारत की भागीदारी के जरिए हुई प्रगति का उपयोग।

2. कौशल विकास: जर्मन ड्युअल पद्धति के रूप में कौशल विकास में शामिल उद्योग को मजबूत करने के जरिए प्रशिक्षुओं और अप्रेंटिसेज की संभावना बढ़ाने के लिए रूपरेखा सहित नई पहल के जरिए विद्यमान भारत-जर्मन सहयोग का विस्तार।

3. शहरी विकास: शहरी विकास के बारे में कार्यकारी समूह की स्थापना के जरिए आपसी सहयोग को मजबूत करना। भारत में स्मार्ट शहरों के विकास में सहयोग और आपसी लाभ के नए क्षेत्रों के विकास में सहयोग, प्रत्यक्ष सहयोग के लिए नगरपालिकाओं के समकक्ष नेटवर्क की स्थापना और किफायती आवास के क्षेत्र में सहायता सहित भारत में शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे के विकास को समर्थन।

4. पर्यावरण: जल और कचरा प्रबंधन के क्षेत्रों में दो कार्य समूहों की स्थापना के जरिए आपसी सहयोग को मजबूत करना।

5. रेलवे: सेमी हाई-स्पीड एवं हाई-स्पीड रेलवे की स्थापना और सिगनलिंग एवं दूरसंचार एवं हाई-स्पीड रेल सिस्टम की शुरुआत के साथ रेल क्षेत्र में प्रशिक्षण एवं कर्मचारियों के कौशल विकास सहित रेलवे के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए समर्थन।

6. नदियों की सफाई: जर्मनी की ओर से अक्तूबर 2014 में गंगा स्कोपिंग मिशन को पूरा करने के बाद, गंगा नदी संरक्षण रणनीतियों के बारे में सहयोग विकसित करना, शहरी स्वच्छता को समर्थन, औद्योगिक प्रदूषण के बारे में मानकों और दृष्टिकोण की स्थापना तथा नवाचार वित्तीय मॉडल की स्थापना।

7. नवीकरणीय ऊर्जा: भारत में छतों पर सौर ऊर्जा की व्यापक व्यवस्था एवं पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा गलियारा परियोजनाओं के विकास के लिए तकनीकी एवं वित्तीय सहायता के जरिए 2022 तक 175 गीगा वॉट नवीकरणीय ऊर्जा के भारत के प्रस्तावित लक्ष्य में समर्थन।

8. शिक्षा: उच्च शिक्षा कार्यक्रम में भारत-जर्मन महत्वपूर्ण भागीदारी और भारत की ज्ञान पहल की रूपरेखा में दोनों देशों के बीच वैज्ञानिकों के आदान-प्रदान को बढ़ाने के जरिए भारत और जर्मनी में विश्वविद्यालयों के बीच सहयोग को मजबूत करने तथा मानव विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में अंतर्राष्ट्रीय एडवान्स अध्ययन केंद्र की स्थापना सहित शिक्षा के क्षेत्र में आदान-प्रदान को प्रोत्साहन।

9. भाषा: प्रत्येक देश की राष्ट्रीय नीति के अनुरूप युवाओं में एक दूसरे की भाषाओं के ज्ञान को व्यापक करने के लिए भारत और जर्मनी में संबंधित कार्यक्रमों एवं प्रयासों को समर्थन।

10. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में अनुसंधान एवं विकास सहयोग को प्रोत्साहन देने की घोषणा।

हम सहमत हैं कि दोनों देश यूरोपीय संघ भारत मुक्त व्यापार समझौते को जल्दी निष्कर्ष तक पहुंचाने के लिए बातचीत आगे बढ़ाने के अपने प्रयासों को मजबूत करेंगे।

जर्मनी में हमारे विचार - विमर्श से बहु-पक्षीय और आपसी लाभदायक संबंधों के विस्तार के लिए सुदृढ़ एवं गतिशील रूपरेखा तैयार हुई। हमें विश्वास है कि दोनों देशों की सरकारों के बीच तीसरे विचार-विमर्श के लिए जर्मन चांसलर की भारत यात्रा के दौरान इसे और प्रोत्साहन मिलेगा।

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